Journey to the center of the earth - 34 in Hindi Adventure Stories by Abhilekh Dwivedi books and stories PDF | पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 34

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पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 34

चैप्टर 34
एक खोज की यात्रा।

मेरे लिए पूरी तरह से असंभव है कि मैं इस असाधारण खोज पर प्रोफ़ेसर की हालत को सही तरीके से बता पाऊं। विस्मय, अविश्वास, और क्रोध को इस तरह से मिश्रित किया गया जैसे मुझे जगाना हो।
अपने जीवन के पूरे क्रम में मैंने कभी किसी आदमी को पहले पल में इतना भीरू; और अगले ही पल इतना भड़का हुआ नहीं देखा था।
अपनी समुद्री यात्रा के भयानक थकान और हम जिस भयानक खतरे से गुज़रे थे, वह सब अब बेकार हो चुका था। अब हमें उन्हें फिर से शुरू करना होगा।
इतने दिनों की यात्रा के दौरान, आगे बढ़ने के बजाय, जैसा कि हमने उम्मीद की थी, हम पीछे रह गए थे। हमारे अभियान के हर घंटे में कितना समय खो दिया था!
हालाँकि फ़िलहाल मेरे मौसाजी की अदम्य ऊर्जा हर दूसरे विचार पर हावी था।
"तो," उन्होंने अपने दाँतों को दिखाते हुए कहा, "भाग्यवशता ने मेरे साथ भयानक चाल खेला है। तत्वों ने मिलकर धोखे से मुझे पराजित कर शर्मिंदा कर दिया है। हवा, आग, और पानी, मुझे पराजित करने के लिए उन तत्वों के साथ मिलकर मुझे रास्ते से भटकाया। खैर, वो भी देख लें कि दृढ़ निश्चय करने वाला व्यक्ति क्या कर सकता है। मैं हार नहीं मानूँगा, मैं एक भी इंच पीछे नहीं हटूँगा, और हम देखेंगे कि इस महान खेल में कौन विजय प्राप्त करेगा - मानव या प्रकृति।"
एक चट्टान पर सीधे खड़े, चिड़चिड़े और डरावने तरीके से, प्रोफेसर हार्डविग, क्रूर अजाक्स के जैसे, किस्मत को धता बताने वाले लग रहे थे। हालाँकि मैंने खुद ही हस्तक्षेप करने के निर्णय लिया ताकि उनके किसी भी तरह के असंवेदनशील उत्साह पर कोई अंकुश लगा सकूँ।
"मौसाजी, मेरी बात सुनिये," मैंने कहा, दृढ़तापूर्वक लेकिन संयत स्वर में, "महत्वाकांक्षाओं के लिए कुछ सीमाएँ होनी चाहिए। असंभव कार्य के लिए संघर्ष करना बेकार कोशिश है। मेरी प्रार्थना का कारण सुनिये। समुद्री यात्रा के लिए हम बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं, टूटे हुए पाल, जहाज़ी ढेर और मस्तूल के एक कमज़ोर पतवार के साथ समुद्री तूफान को दावत देने के लिए पाँच सौ लीग की यात्रा करने के बारे में सोचना पागलपन है। हमारे कमजोर नाव इस यात्रा को पूरा करने में असमर्थ हैं, हम तूफान के लिए मात्र एक खेल बन जाएँगे, और इसकी कला के हम शिकार भी बन जाएँगे यदि हम दूसरी बार, इस खतरनाक और विश्वासघाती मध्यसागर पर कोई जोखिम उठाते हैं।"
यही कुछ बातें और तर्क थे जिन्हें मैंने एक साथ रखा था - ऐसे कारण और तर्क के साथ जिसका जवाब देना मुश्किल था। मुझे लगभग दस मिनट तक बिना किसी रुकावट के बोलने दिया गया था। इसकी वजह मुझे जल्दी ही समझ में आ गयी। प्रोफ़ेसर सुन ही नहीं रहे थे और मेरी वाक्पटुता की ज़रा भी परवाह नहीं की। "बेड़ा की तरफ!" कर्कश आवाज में उन्होंने चीखा, जब मैं उनके जवाब के लिए रुका था।
उनकी अटल इच्छा का विरोध कर के, मेरे कड़े प्रयासों का यही परिणाम निकला था। मैंने फिर से कोशिश की; मैंने भीख माँगी और उन्हें बहलाया; मुझमें एक जुनून आ गया: लेकिन मुझे एक ऐसी इच्छा से निपटना था जो मेरी खुद की इच्छा से ज्यादा दृढ़ था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उन लहरों के समान हूँ जो हमारे कदमों तले ग्रेनाइट के विशाल समूह से टकरा रह थे, जो उन लहरों के अदने प्रयासों पर इतने युगों से मुस्कुरा रहे थे।
इस बीच हमारी चर्चा से दूर, हैन्स बेड़ा की मरम्मत कर रहा था। कोई भी यह मान लेगा कि वह मेरे मौसाजी की भावी परियोजनाओं का अनुमान तुरंत लगा लेता है।
रस्सियों के कुछ टुकड़ों के माध्यम से उसने फिर से बेड़ा बना दिया था।
जब तक मैं बात कर रहा था, हैन्स ने नया बेड़ा और पाल बना दिया, पाल तो हवा में लहराने भी लगा था।
काबिल प्रोफ़ेसर ने हमारे शान्तचित्त मार्गदर्शक के लिए कुछ शब्द कहे, जिसने तुरंत हमारे सामान को नाव पर रखकर हमारे प्रस्थान की तैयारी शुरू कर दी। वायुमंडल अब सहिष्णु रूप से स्पष्ट और शुद्ध हो गया था, और उत्तर-पूर्व की हवा लगातार धीरे-धीरे बह रही थी। इसके कुछ समय तक और चलने की संभावना थी।
तब मैं क्या कर सकता था? क्या मैं दो लोगों की प्रबल इच्छा का विरोध कर सकता था? अगर मैं हैन्स के समर्थन की उम्मीद भी करता तो यह असंभव था। हालाँकि, ऐसा सोचना ही बेकार था। मैंने गौर किया कि आइसलैंडर ने अपनी व्यक्तिगत इच्छा और पहचान को अलग रखा हुआ है। वह आत्मत्याग की तस्वीर है।
अपने स्वामी के प्रति इतना समर्पण और लगाव देखकर मैं कुछ भी नहीं आशा नहीं कर सकता था। मैं सिर्फ धारा के साथ तैर सकता था।
चिड़चिड़े और भावहीन रवैये के साथ जब मैं बेड़ा पर अपने निर्धारित जगह पर बैठने के लिए बढ़ा, मेरे मौसाजी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा।
"कोई जल्दी नहीं है, मेरे बच्चे।" उन्होंने कहा। "हम कल से पहले शुरू नहीं करेंगे।"
मैंने भाग्य की सख्त इच्छा के आगे अपनी हार देख ली थी।
"इन परिस्थितियों में" उन्होंने कहा, "मुझे किसी भी सावधानी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। जैसा कि भाग्य ने मुझे इन तटों पर पहुँचाया है, मैं पूरी तरह से जाँच किए बिना नहीं हटूँगा।"
इस टिप्पणी को समझने के लिए, ये समझिए कि यद्यपि हमें उत्तरी किनारे पर वापस ले जाया गया था, हम उससे बहुत अलग स्थान पर उतरे थे जहाँ से हमने शुरुआत की थी।
हमने गणना की पोर्ट ग्रेचेन बहुत हद तक पश्चिम की ओर होनी चाहिए। इसलिए, स्वाभाविक तौर से और उचित भी यही होगा कि हमें इस नए किनारे पर फिर से खोज करना चाहिए, जिस पर हम इतने अनचाहे रूप से उतरे हैं।
"चलो हम सब खोज की यात्रा पर निकलते हैं," मैं चीखा।
और हैन्स को उसके महत्वपूर्ण कार्य में छोड़कर, हमने अपने अभियान की शुरुआत की। पानी के अग्रतट और चट्टानों के तल के बीच में दूरी काफी थी। एक से दूसरे में चलते हुए लगभग आधे घंटे का समय लग रहा था।
जैसा कि हम साथ बढ़ रहे थे, हमारे पैरों ने हर आकार के और असंख्य खोल को कुचल दिया था - कभी सृष्टि के हर काल के जानवरों के रहने का स्थान था।
मैंने विशेष रूप से कुछ विशाल खोल - कैरापेसेस (कछुए की प्रजाति) पर ध्यान दिया, जिसका व्यास पंद्रह फीट से अधिक था।
वे पिछले युगों में प्लियोसीन काल के उन विशालकाय ग्लाईप्टोडोन से संबंधित थे, जिनमें से आधुनिक कछुआ एक छोटा सा नमूना है। इसके अलावा, पूरी मिट्टी भारी मात्रा में पथरीले अवशेषों से ढकी थी, जिनपर लहरों की वजह से चकमक पत्थर जैसे चिह्नों की उपस्थिति थी और एक पर एक लगातार परतों के रूप में पड़े हुए थे। मैं इस नतीजे पर पहुँचा कि पिछले युगों में समुद्र, पूरे जिले में फैला होगा। बिखरी हुई चट्टानों पर, जो अब अपनी पहुँच से बहुत दूर हैं, समय के साथ शक्तिशाली लहरों ने अपने स्पष्ट निशान छोड़ दिए थे।
ध्यान देने पर, मुझे आंशिक रूप से, पृथ्वी की सतही परत से चालीस लीग नीचे इस उल्लेखनीय महासागर के अस्तित्व का कारण समझ में आया। मेरे नए और शायद काल्पनिक सिद्धांत के अनुसार, इस तरल समूह को धीरे-धीरे पृथ्वी के गहरे गार में खो जाना चाहिए। मुझे इस बात में भी कोई संदेह नहीं था कि ऊपर के महासागर ने अतिसूक्ष्म दरारों के माध्यम से घुसपैठ कर इस रहस्यमयी सागर को विशाल बनाया होगा।
फिर भी, ये स्वीकारना सम्भव नहीं है कि यह दरारें बंद होंगी, यदि नहीं होंगी, तो गुफा या विशाल और शानदार जलाशय, कुछ ही देर में पूरी तरह से भर गया होगा। शायद यह पानी भी, पृथ्वी के आंतरिक भाग में संचित सुप्त-अग्नि के विरुद्ध होने के कारण आंशिक रूप से वाष्पीकृत हो गया होगा। इससे उन भारी बादलों का हमारे ऊपर विस्‍फोट होना समझ में आता है और उस बिजली का शानदार प्रदर्शन भी, जिसने इस गहरे और भयावह समुद्र में ऐसे भयानक तूफानों का आयोजन किया।
हमारे द्वारा देखी गई घटनाओं की यह स्पष्ट व्याख्या मुझे काफी संतोषजनक लगा। हालाँकि, प्रकृति के चमत्कार हमें महान लग सकते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा भौतिक कारणों से समझाया जाना चाहिए। सब कुछ प्रकृति के किसी महान कानून के अधीन है।
अब यह स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि हम एक प्रकार की तलछटी मिट्टी पर चल रहे थे, जो उस काल में पृथ्वी के सतहों पर पानी के जमाव से सभी मिट्टी आसानी से इसी तरह के बन जाते थे। प्रोफ़ेसर, जो अब खुद में मग्न थे, प्रत्येक चट्टानी दरारों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण कर रहे थे। उनको बस एक खोह मिलने की देरी थी और उसकी गहराई की जांच करना उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण हो गया था।
पूरे एक मील तक हमने मध्य सागर की घुमावदार वादियों का अनुसरण किया, फिर अचानक मिट्टी की अवस्था में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। ऐसा लग रहा था कि निचली परत में भयानक उथल-पुथल के कारण, ऊपरी सतह पर बुरी तरह से विक्षेप हुआ था। यहाँ-वहाँ और कई स्थानों पर, कई खोह और पहाड़ों के विशाल विस्थापन थे जो उस काल के लौकिक समूह जैसे दिख रहे थे।
इसके बाद ग्रेनाइट के साथ चकमक पत्थर, क्वार्ट्ज, और जलोढ़ जमावड़े के टूटे हुए ढेर पर हम बड़ी कठिनाई से आगे बढ़े, जहाँ एक बड़ा सा मैदान, सिर्फ मैदान नहीं, हड्डियों का एक मैदान, हमारी आँखों के सामने अचानक से दिखाई दिया! यह एक विशाल कब्रिस्तान की तरह लग रहा था जहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी, नश्वर होकर धूल में मिल चुके थे।
कुछ अंतराल पर पुराने टुकड़े दिख जाते थे। वे दूर क्षितिज की सीमाओं से भी दूर एक घने और भूरे रंग के कोहरे में खोते जा रहे थे।
उस जगह पर, लगभग तीन वर्ग मील की दूरी पर, पशु जीवन के पूरे इतिहास को संचित किया गया था - इनमें से एक भी प्राणी ऊपरी दुनिया की आधुनिक मिट्टी पर जीवित नहीं है।
फिर भी, हम सब अवशोषित और अधीर जिज्ञासु हुए आगे बढ़े जा रहे थे। हमारे पैरों तले एक सूखा और कर्कश स्वर कुचला गया था, जो उन प्रागैतिहासिक जीवाश्मों के अवशेष से निकले थे, जिनके लिए बड़े शहरों के संग्रहालय आपस में झगड़ते हैं, तब भी जबकि वे केवल दुर्लभ और जिज्ञासु टुकड़े ही प्राप्त करते हैं। क्युवियर जैसे हजार प्रकृतिवादियों के लिए भी जीव कंकालों को संयोजित करना इतना सहज हीं होगा, जिस तरह इस शानदार अस्थिमय संग्रह में निहित हैं।
मैं पूरी तरह से दंग था। मेरे मौसाजी कुछ मिनटों के लिए खड़े होकर अपनी भुजाओं को ऊंचे ग्रेनाइट के छत की ओर बढ़ाया, जो हमें आकाश की ओर ले जाती थी। उनका मुँह खुला था; उनकी आँखें उनके चश्मे (जिसे उन्होंने सौभाग्य से बचा लिया था) के पीछे चमक रहीं थीं, उनका सिर ऊपर-नीचे और अगल-बगल हिला, जबकि अपने पूरे रवैये और हावभाव से वो असीम आश्चर्य में थे।
वह प्राचीन काल के राक्षसों के एक अनन्त, चमत्कारिक और निस्संदेह अमीर संग्रह के बीच उपस्थित थे, जो अपने निजी और अजीब संतुष्टि के ढेर में थे।
कल्पना करिये कि पुस्तकों का एक उत्साही प्रेमी अचानक पवित्र उमर द्वारा जलाए गए अलेक्जेंड्रिया के प्रसिद्ध पुस्तकालय के बीच में चला गया, और जिसे कुछ चमत्कार ने अपने प्राचीन वैभव को बहाल कर दिया था! ऐसी ही कुछ मनःस्थिति मौसाजी हार्डविग की भी थी।
कुछ समय के लिए वह इसी तरह खड़े थे, अपनी खोज के परिमाण पर हक्का-बक्का होकर।
लेकिन उत्साह तब और बढ़ गया, जब एक साबुत खोपड़ी को पकड़कर उसपर से कार्बनिक धूल को झाड़ते हुए उन्होंने मुझे एक कर्कश स्वर में संबोधित किया:
"हैरी, मेरे बच्चे - हैरी - यह एक मानव सिर है!"
"एक मानव सिर, मौसाजी!" मैंने कहा, उनसे भी ज़्यादा चकित और विस्मित होते हुए।
"हाँ, भांजे। आह! मिस्टर मिल्न-एडवर्ड्स-आह! मिस्टर डी क्वाटरेफेजेस - आप यहाँ क्यों नहीं हैं जहाँ मैं हूँ - मैं, प्रोफेसर हार्डविग!"