Precious gift in Hindi Short Stories by Rama Sharma Manavi books and stories PDF | अनमोल तोहफा

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अनमोल तोहफा

मित्रता इक ऐसा रिश्ता है जिसे हम अपनी इच्छा से चुनते हैं।सबसे प्रथम एवं अहम मित्र तो मेरी माँ हैं मेरे जीवन की, एवं अब मेरा बेटा भी जो रक्त सम्बन्धी हैं।मित्रों की संख्या कभी भी असीमित नहीं रही मेरी जिंदगी में।विवाह पूर्व शिक्षा काल की कुछ चुनिंदा सखियाँ थीं, जिनका मेरे जीवन में आज भी स्थान सुरक्षित है, वे अमूल्य हैं मेरे लिए।
आज मैं बात कर रही हूं इन 25 वर्षों की एकमात्र सखी की, मेरी वर्तमान की मकान मालकिन, जिन्हें पास-पड़ोस के लोग गुड़िया नाम से पुकारते हैं और मैं भाभी जी कहकर संबोधित करती हूं, हालांकि वे मुझसे उम्र में 4-5 वर्ष छोटी हैं।
लगभग 14 वर्ष पूर्व जब मैं उनके मकान में आई थी तो तनिक भी नहीं सोचा था कि हम ऐसे अभिन्न मित्र बन जाएंगे।
इंटर करते ही शीघ्र विवाह हो जाने के कारण उनकी शिक्षा अपूर्ण रह गई।मैं बीएमएस हूं, पारिवारिक कारणों से चिकित्सा कार्य नहीं कर सकी।लेकिन हमारे विचार, हमारी पसन्द नापसंद में अद्भुत साम्य है।एक बात तो मैंने जिंदगी में सीखी कि केवल शिक्षा या धन-संपदा ही किसी के विचारों या संस्कारों को उच्च नहीं बनाता है, बल्कि मनुष्य का मन मस्तिष्क हृदय की अच्छी भावनाएं उसे श्रेष्ठ बनाती हैं।मित्रता तो वैसे भी मात्र हृदय का रिश्ता एवं भाव है।
मुझे याद है कि मकान में आने के कुछ माह बाद एक बार कुछ समस्या थी उनके यहां तो मैं काफी देर यही सोचती रही कि हस्तक्षेप करूँ ,ना करूँ।खैर, धीरे धीरे एक दूसरे को जानते समझते हम अच्छे दोस्त बन गए, फिर बेहिचक एक दूसरे से अपनी हर समस्या, दुःख, खुशी हम बाँटने लगे।समस्याओं का समाधान तो सभी को स्वयं ही करना होता है लेकिन यदि किसी का भावनात्मक सम्बल प्राप्त हो तो थोड़ा मन हलका हो जाता है।साथ टहलते, बाजार जाते,चाट खाते हैं।अपनी हर बात हम आपस में निश्चिंत होकर शेयर कर लेते हैं कि हमारी गोपनियता भंग नहीं होगी।हम कपड़े भी एक जैसे पसंद करते हैं अक्सर।
जब कभी हममें से कोई अकेले पार्क, या कहीं जाता है तो कोई न कोई परिचित अवश्य टोक देता है कि तुम्हारी सहेली कहाँ है आज।इतनी अच्छी मित्रता के बावजूद हम अनावश्यक रूप से एक दूसरे की जिंदगी में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।हाँ, सहयोग अवश्य हर सम्भव करने को हम दोनों तत्पर रहते हैं।यही मित्रता का मूल मंत्र है।हम अक्सर साथ बैठकर कभी कुहरे में छतपर,कभी बारिश की हल्की फुहारों में चाय की चुस्कियां लेते हैं।कभी जड़ों की धूप में बैठकर साथ मटर छीलते हैं चाय पीते हुए।उनके घर में एक और किराएदार हैं, उन्हें हमारी मित्रता से अत्यंत ईर्ष्या होती है।लेकिन अब हम इसमें क्या कर सकते हैं, मित्रता जबरन तो हो नहीं सकती है, जहाँ मन मिलते हैं, वहीं दोस्ती होती है, खैर, जलने वाले जलते रहें,हम दोनों अपने में प्रसन्न हैं।
आप शायद यकीन नहीं करेंगे कि यदि एक की तबीयत खराब होती है तो एकाध दिन के अंदर ही दूसरे को भी मिलती जुलती परेशानी हो जाती है।हमारी मित्रता हमारे लिए जिंदगी का एक अनुपम उपहार है।मेरी ईश्वर से हार्दिक प्रार्थना है कि हमारी यह दोस्ती हमारी आखिरी सांस तक कायम रहे।नजर न लगे किसी की।
सच है एक सच्चा मित्र जीवन का अनमोल उपहार है, मानसिक संबल है, जिन्हें यह नसीब हो वह खुशकिस्मत होता है।शुभदिवस।
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