Its mater of those days - 16 in Hindi Fiction Stories by Misha books and stories PDF | ये उन दिनों की बात है - 16

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ये उन दिनों की बात है - 16

शादी वाले दिन नैना और मैंने लहँगा पहना जो हमने दिवाली पर सिलवाया था | बाल खुले ही रखे थे जिनमें मम्मी ने गजरा लगा दिया था |

हील वाली सैंडल कभी पहनी नहीं थी | हमेशा जयपुरी जूती या फ्लैट चप्पल और सैंडल ही पहने थे |

चूँकि आज मैं लहंगा पहनने वाली थी तो मम्मी से जिद करके हील वाली सैंडल खरीदी |

इधर सागर और उसकी फैमिली को भी कोमल दीदी की शादी का इन्विटेशन आया था | उनके मम्मी पापा सागर के दादा-दादी को बहुत मानते थे | सागर ने कुरता पाजामा पहना था |

कामिनी अपनी मम्मी के साथ मेरे घर आ चुकी थी | मम्मी भी तैयार हो गई थी | पापा नहीं आ पाए थे क्योंकि उन्हें ऑफिस में काम था इसलिए टाइम लग गया था | मम्मी ने उनका खाना बना कर रख दिया था |

दादी ने कल ही हमें अपने साथ चलने के लिए कह था, क्योंकि उनके पास कार थी | मैं सोच रही थी कि सागर महाशय जरूर मना करेंगे पर नहीं, मैं गलत थी | उसने कुछ भी नहीं कहा |

थोड़ी ही देर में सागर अपनी दादी के साथ आ गया था | फिर से दो जोड़ी आँखें मुझे निहार रही थी और फिर से मुझे अजीब सा लग रहा था |

चूँकि कार में सिर्फ तीन-चार लोग ही एक बार में जा सकते थे और हम थे कुल जमा सात लोग | इसलिए दादी, मम्मी और आंटी पहले कार में बैठकर शादी के लिए रवाना हुए|


अंदर चलकर बैठे, कामिनी ने मुझे हल्का सा धकेला |

सागर ने मुझे उसके घर आने से साफ़ मना कर दिया था पर आज वो मेरे घर आ रहा था | अब ये देखना दिलचस्प था कि वो अंदर आता है या नहीं, पर ऐसी शान और अकड़ से चला आ रहा था वो जैसे की उसने कुछ कहा ही नहीं हो |

हम दोनों बहाना बनाकर ऊपर कमरे में आ गए थे | सागर और नैना नीचे ही बैठे थे |

कितना गुरूर है इसे खुद पर.........मैंने धीरे से कामिनी से कहा |
कहाँ!!! मुझे तो कहीं नजर नहीं आ रहा |
तुझे कुछ समझ नहीं आता |
वैसे एक बात बताऊँ !! आज तो तू माशाअल्लाह कल से भी ज्यादा क़यामत ढा रही है | देखना कहीं देखने वालों की जान ही ना निकल जाए |
तू भी ना कामिनी, चेहरा शर्म से लाल हो गया था मेरा और फिर आईने में खुद को देखा |
वैसे इन जनाब की निगाहें भी तुझ पर ही जमी हुई है | हमें तो कोई देखता भी नहीं, कामिनी ने मुँह बनाया |

तुम दोनों कितना सँवरोगी सजोगी | चलो गाड़ी आ गई है, नैना ने नीचे से ही हमें आवाज दी |
इन दोनों की ना बातें कभी खत्म ही नहीं होती, नैना सागर से बोली |
सागर मुस्कुरा भर दिया |

फिर हम सब गाड़ी में बैठकर बैंक्वेट हॉल की ओर चल पड़े |

ड्राइवर ने टेप चला दिया था | पुराना गाना था | "आजा आई बहार", राजकुमार फिल्म का, साधना पर फिल्माया गया | ये गाना हम सबको बहुत पसंद था |

पर सागर ने कैसेट बदलकर इंग्लिश गानों वाली कैसेट लगा दी |

अब जो गाना बज रहा था वो सागर को छोड़कर हम चारों के ही पल्ले नहीं पड़ रहा था | जबकि सागर मजे से गुनगुना रहा था | एक-एक लिरिक्स उसको कंठस्थ थे |

ये कैसे गाने चला रखे है, कुछ समझ ही नहीं आते |

इंग्लिश सॉन्ग्स है दीदी, तू नहीं समझेगी |
आहा.....हा......हा जैसे तू बड़ा समझती है, मैंने नैना को झिड़का |

हमारी नोंक-झोंक सागर चुपके से शीशे से देख रहा था और मुस्कुरा रहा था |

थोड़ी ही देर में हम सब शादी वाली जगह पहुँच गए और हम तीनों फटाफट से गाड़ी से निकल गए | सागर गाड़ी में ही था, क्योंकि उसको गाड़ी पार्क भी करवानी थी | हमने पीछे मुड़कर देखा भी नहीं कि वो गाड़ी से उतरा भी है या नहीं |

गाड़ी पार्क करवाकर सागर भी अंदर आ गया | वो सीधा अपनी दादी के पास पहुँचा जो एक कुर्सी पर बैठी थी |

ये मेरा पोता सागर है, वो सबसे उसका परिचय करवा रही थी |

अरे बेटा खड़े क्यों हो बैठो ना, सोनिया के पापा ने कुर्सी लेकर आये |

डोंट वरी अंकल!! आप तकलीफ मत कीजिये | मेरे लायक कोई काम हो तो बताइये |

अरे!! नहीं, नहीं, बेटा तुम तो मेहमान हो |

कैसी बातें कर रहे हैं आप!! सागर हेल्प कर देगा |

फिर उन्होंने सागर को मेहमानों को नाश्ता परोसने का काम सौंप दिया |