M by R.Singh in Hindi Moral Stories by Mens HUB books and stories PDF | M by R.Singh

Featured Books
  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

Categories
Share

M by R.Singh

M
by R.Singh

रविवार की छुट्टी हल्की सी बर्फानी ठंड और मॉल के बाहर बिकते गरमा गरम पकोड़े, रोके न रुक पाए और पहुंच गए मॉल । वैसे कुछ खास खरीददारी तो करनी नहीं थी फिर भी पकोड़े बुला रहे थे । सोचा कि अब आ गए तो कुछ देर घूम लिया जाए । एक पैकेट में पकोड़े लेकर और इधर उधर घूमते घामते जब एक दरवाजा पार कर रहे थे तभी एक महिला ने एक छपा हुआ पेपर दिया । देखने पर लगा कि जैसे किसी ब्रांडेड कंपनी का है शायद कुछ सेल लगी होगी । कपड़े बनाये हुए तकरीबन एक साल हो गया तो सोचा कि चलो कुछ खरीददारी भी कर ली जाए इसीलिए पेपर पड़ना शुरू किया । जैसे जैसे पेपर पड़ते गये कान खड़े होते गए शायद उत्सुकता दुबारा उसी गेट पर उसी महिला के पास खींच लाई ।

गुरु : बहन जी जरा समझाइये की इसका मतलब क्या है

रुचि : बहन जी क्या होता है मेरा नाम रुचि है

गुरु : हमारे यहां अनजान महिला को बहन कह कर बुलाते है

रुचि : बुलाते होंगे मुझे रुचि कहो या दफा हो जाओ

एक बार इच्छा हुई कि पेपर फाड़ कर फेंकू और दफा हो जाऊं परन्तु फिर सोचा चलो इतनी बेइज्जती से कौनसा हमारा हाजमा खराब होने वाला है तो रुक कर देखते है

गुरु : चलो रुचि ही सही

रुचि : तुम्हे तुम्हारे बाप ने महिलाओं की इज़्ज़त करना नहीं सिखाया अभी तक ?

गुरु : मैन कब की बेइज्जती

रुचि : नाम के पीछे जी नहीं लगाया

गुरु : चलो यही सही रुचि जी जरा मुझे इस पेपर पर जो लिखा है इसे समझाइये

रुचि : क्यों पढना नहीं आता

गुरु : पढना आता है

रुचि : तो क्या अकेली लड़की देख कर बातचीत करने की ठरक जाग उठी

घनघोर बेइज्जती होने के बाद भी उत्सुकता वश रुक गया

गुरु : पढ़ा परंतु समझ नहीं पाया बस इसीलिए पूछ रहा हूँ

रुचि : यह देखो M कैसे बनाया है

गुरु : M कोनसा M

रुचि : यह लोगो वाला M देखो

गुरु : M जैसा होना चाहिए वैसा ही है बस थोड़ा कलरफुल है

रुचि : यह ओफ्फेन्सीवे है महिलाओं के लिए

गुरु : कैसे

रुचि : कैसे क्या अपनी पितृसत्ता वाली गंदी सोच से बाहर निकल कर देखो

गुरु : मुझे तो M ही दिख रहा है

रुचि : यह ज़ूम करने वाले शिशे से देखो

गुरु : अभी भी M दिख रहा है

रुचि : थोड़ा सिर 35 डिग्री पर झुकाओ फिर देखो

गुरु : अभी भी M ही है

रुचि : अब दायीं आंख बंद करो

गुरु : अभी भी M ही है

रुचि : बाई आंख को 60% बंद करो और देखो

गुरु : अभी भी M ही है

रुचि : अरे मैन 60% बंद करने के लिए बोलै है तुमने 55% बंद की है थोड़ा और बैंड करो

गुरु : अभी भी M ही है

रुचि : अब अपना वजन बाये पैर पर डालो, कान में अंगुली करते हुए जरा सा M के ब्लैक होने की कल्पना करते हुए बहुत ध्यान से देखो

गुरु : अभी भी M ही है

रुचि : तुम्हारी पितृसत्ता वाली गंदी सोच तुम्हारे विज़न को ब्लॉक कर रही है

गुरु : तो क्या करना चाहिए

रुचि : सनी लियोनी की कल्पना करो

गुरु : अभी भी M है

रुचि : अबे साले सोच मैं तेरे सामने नंगी खड़ी हूँ और फिर देख

थोड़ी कल्पना करने के लिए आंखे बंद की और जब खुली तो सामने एक पुलिस वाली डंडा लिए खड़ी थी और रुचि उसके पीछे ऐसे खड़ी थी जैसे कि उसका रैप हो गया हो

पुलिस : क्या कर रहे थे

गुरु : में रुचि को नंगा देखने की कल्पना कर रहा था

पुलिस : चल साले पुलिस थाने अभी तुझे जन्नत की सैर करवाती हूँ लड़कियों को छेड़ता है गंदी नाली के कीड़े

इति सिद्धम

नोट : मयंत्रा कंट्रावॉरसी से इसका अच्छा खासा संबंध है ... पात्र एवं संवाद काल्पनिक

#myntra #MyntraLogo