Village in mobile - 17 - Visit Delhi on the go in Hindi Children Stories by Sudha Adesh books and stories PDF | मोबाइल में गाँव - 17 - चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें

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मोबाइल में गाँव - 17 - चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें



चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें -17
ममा पैकिंग कर रही थीं पर उसका पैकिंग करने का बिल्कुल भी मन नहीं था । रोहन भी उनके जाने की बात सुनकर बेहद उदास हो गया था । उसे लग रहा था कि काश ! वह यहीं रूक जाती पर यह संभव नहीं था । पापा-ममा की छुट्टियों के साथ उसकी भी छुट्टियाँ समाप्त होने वाली थीं ।

चाचा के साथ चाची और रोहन को भी उन्हें दिल्ली छोड़ने जाते देखकर सुनयना यह सोचकर खुशी से भर गई कि अब कुछ समय और उसे रोहन के साथ रहने को मिल जाएगा । चलते हुए दादी ने उसे एक लिफाफा दिया तथा कहा ,‘ इससे अपने लिए एक अच्छी ड्रेस खरीद लेना । ’

‘ दादी मुझे । ’

‘ तू भी ले । ’ कहकर दादी ने रोहन को भी एक लिफाफा दिया ।

दादा-दादी से चलते समय उसने वायदा लिया कि गर्मियों की छुट्टी में वे मुंबई आयेंगे । पूरे रास्ते वह और रोहन बातें करते रहे । इसी बीच सबने मिलकर अंताक्षरी भी खेली ।

जैसे ही उन्होंने दिल्ली में प्रवेश किया । चारों ओर देखकर सुनयना को ऐसा लग रहा था जैसे दिन में ही अंधेरा हो गया हो...। सूरज को मानो किसी मटमैली छाया ने ढक लिया हो ।

' यहाँ तो बहुत प्रदूषण है ।' पापा ने कहा ।

' भइया, दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर है । आपने आज अखवार में पढ़ा नहीं कि दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स आज 450 है । मास्क लगाए बिना बाहर निकलना स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित नहीं रह गया है । अब तो शहरों में लोग अपने घरों में एयर प्यूरीफायर लगाने लगे हैं । मुझे डर है कि कहीं भविष्य में हमें अपने साथ छोटा ऑक्सिजन सिलिंडर लेकर न चलना पड़े ।'

' सच कह रहे हो तुम न जाने कब सुधरेंगे लोग । आखिर पर्यावरण को सुरक्षित रखना हम लोगों का ही काम है । बिना सोचे-समझे पेड़ काटे जा रहे हैं, बेतरतीब कॉलोनियां बनाई जा रहीं हैं । पता नहीं क्या होगा इस दुनिया का ।'

' आप क्या कह रहे हैं चाचा पापा ? प्रदूषण मास्क !! एयर प्यूरीफायर, ऑक्सीजन सिलिंडर ...और पर्यावरण ।' पापा चाचा की बातें सुनकर सुनयना ने अपने प्रश्नों का समाधान चाहा ।

' बेटा , 'परि' जो हमारे चारों तरफ है तथा 'आवरण 'जो हमें घेरे हुए है अर्थात हमारे चारों ओर फैली हवा । तुम यह जो धुंध देख रही हो वह हवा में मौजूद जहरीली गैसों के कारण हैं । ' चाचा ने उत्तर दिया ।

' जहरीली गैस...मैं समझी नहीं ।'

' बेटा, हम सांस लेते हैं तो कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं इसके साथ ही पेट्रोल, डीजल से चलने वाली गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ तथा और भी कई अन्य चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं ।'

' यह कैसे पता चलता है कि यहाँ प्रदूषण अधिक है ?' सुनयना ने पूछा ।

' प्रदूषण मापक यंत्र के द्वारा हवा की शुद्धता को मापते हैं ।'

' इससे कैसे पता चलेगा कि हवा शुद्ध है या अशुद्ध ।'

' बेटा, हवा की शुद्धता ( एयर क्वालिटी इंडेक्स ) को माइक्रोग्राम / क्यूबिक मीटर में मौजूद गैसों के अनुसार मापा जाता है अर्थात अगर यदि कहीं हवा में प्रदूषित कणों की संख्या 50 से कम है तो वहाँ की हवा बहुत अच्छी , 51 से 100 हो तो ठीक, 101से 150 हो तो कुछ खराब, 151 से 200 हो तो खराब, 201 से 300 से ऊपर होने पर बहुत खराब तथा 300 से अधिक होने पर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खराब होती है । '

' आप एयर प्यूरीफायर, ऑक्सिजन सिलिंडर की बात कर रहे थे ।'

' बेटा, एयर प्यूरीफायर से अपने कमरे की हवा को शुद्ध किया जा सकता है तथा ऑक्सीजन सिलिंडर तब प्रयोग में लाते हैं जब किसी के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाये । '

' चाचाजी , हवा को शुद्ध कैसे किया जाता है ?'

' बेटा, हमें अपने घर के आस-पास पेड़ पौधे लगाने चाहिए । घर का कूड़ा इधर-इधर नहीं डाल कर, डस्ट बिन में डालना चाहिए क्योंकि इधर-उधर पड़ा कूड़ा सड़ कर बदबू तो फैलाता ही है , उससे निकलती जहरीली गैसें भी हमारे आस-पास की हवा को प्रदूषित कर देती हैं ।'

अभी चाचा बात ही रहे थे कि
उसी समय एक कार हॉर्न बजाते हुए पास से निकली । चाचा ने ब्रेक मारते हुए अपनी कार साइड में कर ली । अगर चाचा ने गाड़ी साइड न की होती तो तेज रफ्तार से दौड़ती कार ने उनकी कार को टक्कर मार ही दी होती । एकाएक ब्रेक लगने तथा गाड़ी के झटके के साथ रुकने से सब घबरा गए थे ।

' न जाने कब सुधरेंगे लोग !! पता नहीं इतनी हड़बड़ी क्यों ? देखो कितना धुंआ निकल रहा है । एयर पॉल्युशन के साथ यह आदमी ध्वनि प्रदूषण भी फैला रहा है ।' चाचा बुदबुदाए थे ।

' सुनयना अब चुप भी रहो । अभी एक्सीडेंट होते-होते बचा है ।' पापा ने सुनयना से कहा ।

' भइया , सुनयना को मत रोकिए । अगर हम बच्चों के प्रश्नों का उत्तर नहीं देंगे तो उनकी जिज्ञासा कैसे शांत होगी । मुझे सुनयना की हर चीज को जानने समझने की प्रवृति अच्छी लगती है वरना आजकल के बच्चे तो बस मोबाइल में ही लगे रहते हैं ।' चाचा जी ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा ।

इस सबके बावजूद गाड़ी में चुप्पी छा गई थी । एक स्थान पर चाचाजी ने कर पार्क करते हुए कहा, ' बच्चों राजघाट आ गया । अपने -अपने कोट पहन लो बाहर बहुत सर्दी होगी ।'

' राजघाट ...।' सुनयना स्वयं को रोक नहीं पाई तथा गाड़ी से उतरते ही उसने पूछा ।

' बेटा, यह ‘ राजघाट ‘...यमुना नदी के किनारे बना पूज्य महात्मा गांधी का समाधि स्थल है । इसे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की स्मृति में बनाया गया है । ' चाचाजी ने सुनयना और रोहन को बताया ।

अंदर प्रवेश करते ही सुनयना ने देखा के चारों ओर पेड़ लगे होने पर यह स्थान एक बड़ा सा पार्क लग रहा है । जब वे समाधि स्थल तक पहुँचे तो उसने देखा कि महात्मा गांधी की समाधि काले पत्थर से बनाई गई है । तथा उसे फूलों से सजाने के साथ एक जगह ज्योति जल रही है तभी उसकी निगाह समाधि पर लिखे ' हे राम ' पर गई ।

सुनयना से रहा नहीं गया । उसने पूछा, ‘ चाचा जी महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता क्यों कहते हैं और यहाँ ' हे राम ’ क्यों लिखा है ?'

‘ बेटा महात्मा गांधी के प्रयासों से हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था, हमें आजादी मिली थी इसलिए उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है ।‘

‘ ठीक है चाचा, पर अकेले गांधी जी कैसे आजादी दिला सकते हैं ?’

‘ अकेले नहीं बेटा, गांधीजी के साथ बहुत लोग थे । वह हम सबके नेता थे । उन्होंने सबको आजादी के आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया ।’

' पर यह समाधि, समाधि पर जलता दिया 'हे राम ' ...इसका क्या मतलब है ।'

' बेटा जिस स्थान पर महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार हुआ था उस स्थान पर उनकी याद में समाधि बनाकर दिया जलाया जाता है । मृत्यु के समय उनके मुँह से निकले अंतिम शब्द ' हे राम ' थे । अतः उन्हें यहाँ लिख दिया गया है ।'

' भइया, यहाँ संग्रहालय भी है न ।'

' हाँ भाभी, उसे देखने में समय लग जायेगा। आज सुनयना को लालकिला और इंडिया गेट भी घुमा देते हैं ।'

चाचा की बात सुनकर वे लौट चले । राजघाट के बाद चाचा उन्हें लालकिला किला ले गये । लाल पत्थरों से निर्मित लालकिला यमुना नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है ।

‘ पापा यहीं पर पंद्रह अगस्त को हमारे प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं ।’ रोहन ने पूछा ।

‘ हाँ बेटा । देखो यह वह स्थान है जहाँ हमारे प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं ।’ चाचाजी ने वह स्थान दिखाते हुये कहा ।

लगभग एक घंटा उस भव्य किले में बिताकर वे पुनः चल दिये । गाड़ी से ही चाचाजी ने राजपथ पर स्थित संसद भवन तथा भारत के राष्ट्रपति का घर दिखाया । चाचीजी ने सुनयना और रोहन को बताया कि राष्ट्रपति के इस महल में 340 कमरे हैं ।

‘ क्या 340 कमरे...? क्या राष्ट्रपति का परिवार इतना बड़ा है ?’ सुनयना ने आश्चर्य से पूछा ।

‘ बेटा, राष्ट्रपति का परिवार तो हमारे जैसा है पर वह पूरे देश का प्रथम व्यक्ति अर्थात् सबसे बड़ा व्यक्ति है । वह तो इस महल के छोटे से भाग में रहते हैं । अन्य भागों में उनके काम करने वाले तथा अन्य लोग रहते हैं ।’ चाची ने कहा ।

‘ क्या हम लोग इसे देख सकते हैं ?’

‘ हाँ बेटा, सामान्य लोग भी इस महल के कुछ भाग देख सकते हैं ।’ चाचीजी ने कहा ।

अब हमारी गाड़ी इंडिया गेट पहुँच गई थी । गाड़ी खड़ी कर इंडिया गेट के सामने पहुँच कर चाचाजी ने सुनयना और रोहन को बताया कि इंडिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है । अनाम वीर शहीदों की स्मृति में यहाँ एक राइफल के ऊपर टोपी रख दी गई है । वीर शहीदों की याद में यहाँ एक ज्योति निरंतर जलती रहती है ।

सुनयना ने देखा कि इंडिया गेट के चारों ओर बहुत बड़ा मैदान तथा खुली जगह में बहुत भीड़ है तथा आइसक्रीम और चाट के ढेले भी खड़े हैं । शायद लोग पिकनिक मनाने यहाँ आते हैं । पापा ने सबको आइसक्रीम दिलवाई ।
आइसक्रीम खाने के बाद चाचाजी हमें इंडिया गेट के पास स्थित नेशनल वार मेमोरियल लेकर गये । चाचाजी ने बताया कि इस वार मेमोरियल को भारत सरकार ने अपने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये बनवाया है जिसे 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया था । यह वार मेमोरियल करीब 22,600 लोगों के सम्मान का सूचक है जिन्होंने आजादी के बाद अनेकों लड़ाइयों में देश की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दी । छह भुजाओं के आकार वाले इस मेमारियल के केंद्र में पंद्रह मीटर ऊँचा स्मारक स्तंभ है जिसके नीचे अखंड ज्योति जलती रहती है । मेमोरियल में 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति लगी है । चाचा बता रहे थे तथा वे देख रहे थे । उन्होंने देखा कि शहीदों के नाम मेमारियल की दीवार के पत्थरों पर खुदा हुआ है । स्मारक स्तंभ के नीचे का भाग अमर जवान ज्योति जैसा लगा ।

' दिल्ली में देखने के लिए क्या बस यही जगह हैं ।'

' नहीं बेटा, दिल्ली में घूमने के लिए और भी जगह हैं जैसे कुतुब मीनार , जंतर मंतर, अक्षरधाम मंदिर इत्यादि । अभी समय कम है । अगली बार आओगी तो वह भी धूम लेना ।'

' ठीक है चाचा जी ।'
अनेकों प्रश्न उत्तरों के बीच इंदिरा गांधी हवाई अड्डा आ गया । जब चाचा-चाची और रोहन उन्हें छोड़कर जाने लगे तो उसने एक बार फिर उन्हें मुंबई आने के लिए कहा तथा मन ही मन यह वायदा किया कि वह अब हर वर्ष गाँव आया करेगी । सच तो यह है कि गाँव के स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ हवा ने उसके मन को मोह लिया था । उसने मन ही मन सोचा कि वह अपने घर की बालकनी में तो ममा-पापा से कहकर पौधे लगाएगी ही, अपने मित्रों के साथ मिलकर अपने अपार्टमेंट के लोगों को भी पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करेगी । उनसे कहेगी कि अगर हमें शुध्द हवा में सांस लेना है , पर्यावरण को बचाना है तो पेड़ पौधे लगाने के साथ स्वच्छता पर भी ध्यान देना होगा ।
सुधा आदेश

समाप्त