Village in Mobile - 15 - Picnic in Lawn in Hindi Children Stories by Sudha Adesh books and stories PDF | मोबाइल में गाँव - 15 - लॉन में पिकनिक

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मोबाइल में गाँव - 15 - लॉन में पिकनिक



लॉन में पिकनिक-15

उस दिन दादाजी ने शाम को सबको घर के बाहर लॉन में एकत्रित होने को कहा ।

‘ क्या बात है पिताजी, आपने हमें यहाँ क्यों बुलाया है ?’ अजय ने पूछा ।

‘ क्या कोई कारण हो तभी बुलाया जाता है । आज मन किया कि सब लोग एक साथ बैठें ,बातें करें कुछ खायें, पीयें । बच्चों के साथ कुछ गेम खेलें । ‘

‘ गेम, कौन सा गेम दादाजी ?’ सुनयना ने पूछा ।

‘ कहानी सुनाने का । तुम कहती हो कि तुम्हें कहानी पढ़ना और कहानी सुनाना बहुत पसंद है । तुम अपनी कहानी की पुस्तक से पढ़ी या किसी से सुनी कोई कहानी सुनाओगी तथा कहानी सुनाने के पश्चात हम सबसे प्रश्न पूछोगी । जो-जो उनके ठीक उत्तर देगा उसे मैं पुरस्कार दूँगा । ‘

‘ओ.के. दादाजी । मैं अभी कहानी की किताब लेकर आती हूँ । ‘ कहकर सुनयना कमरे में गई ।

‘ और मै दादाजी ?’ रोहन ने पूछा ।

‘ तुम हम सबको क्रिकेट खिलाओगे । जिसके ज्यादा रन बनेगें उसे पुरस्कार मिलेगा ।’

‘ ओ. के. दादाजी, मैं अपनी क्रिकेट किट लेकर आता हूँ ।’ रोहन खुशी-खुशी अपनी क्रिकेट किट लेने चला गया ।

‘ और हम लोग पिताजी...?’ अजय ने पूछा ।

‘ वह तुम लोग स्वयं डिसाइड करो । ’

‘ ठीक है पिताजी बाद में हम सब अंताक्षरी खेलेंगे ।’ अभय ने कहा ।

‘ हाँ यही ठीक रहेगा । आज माँ-पिताजी से उनका युगल गीत... झिलमिल सितारों का आँगन होगा, रिमझिम बरसता सावन होगा...भी सुनेंगे । ’ अजय ने कहा ।

‘ अब हमें रहने भी दो । ‘ दादी जी ने कहा ।

‘ दादाजी-दादीजी क्या आप दोनों साथ-साथ गाते हैं ?’ कहानी की पुस्तक लेकर आई सुनयना ने चाचा-चाची की बात सुनकर उसने पूछा ।

‘ हाँ बेटा, आपके दादा-दादीजी बहुत अच्छा गाते हैं ।‘ चाचा ने कहा ।

‘ तब तो आप दोनों को हम सबको गाना सुनाना ही पड़ेगा । ‘ सुनयना ने अपने दादा-दादी से कहा ।

‘ अच्छा ठीक है । अब तुम अपनी कहानी सुनाओ ।‘ दादाजी ने कहा ।

सुनयना कहानी सुनाने लगी...सब ध्यान से सुनने लगे । राजू और उसके कुत्ते बंटी की कहानी सबको बेहद पसंद आई । बंटी ने राजू की जान बचाई थी जिसकी वजह से वह घर भर का प्यारा बन गया था । उस बेजुबान ने सिद्द कर दिया था कि वह भले ही इंसान की नजर में जानवर है पर समझदारी में वह किसी से कम नहीं है ।

कहानी सुनने के पश्चात दादाजी ने सुनयना से प्रश्न पूछने के लिए कहा । सुनयना ने प्रश्न पूछने शुरू किये तो पहला अवसर रोहन को दिया गया । आश्चर्य तो यह था कि रोहन ने उसके सभी प्रश्नों का सही-सही उत्तर दिये । किसी दूसरे का नंबर ही नहीं आ पाया । दादाजी से सारे पुरस्कार वही ले गया । इसके साथ ही दादाजी ने सुनयना को भी इतनी अच्छी कहानी सुनाने के लिए कई पुस्तकें उपहार में दीं ।

अब क्रिकेट की बारी थी । अभी वे क्रिकेट खेल ही रहे थे कि ननकू भुट्टे भुनने लगा । ननकू को भुट्टे भूनते देखकर वह उसके पास गई तथा पूछा, ‘ अंकल आप किस पर भुट्टे भून रहे हैं ?’

‘ बेटा यह अंगीठी है । ‘

‘ इसमे आपने आग कैसे जलाई है ? ‘

‘ बिटिया, इसमें कोयला जलाकर आग पैदा की जाती है । ‘

‘ कोयला किसे कहते हैं ?’ सुनयना ने पूछा ।

‘ कोयला...कोयला होता है बिटिया । ‘

‘ दीदी क्या कर रही हो ? आओ इधर... आपकी बेटिंग है । ’

‘ अब बाद में खेलना । पहले भुट्टे खा लो । नहीं तो भुट्टे ठंड़े हो जायेंगे ।’ चाची ने कहा ।

‘ चाची कोयला क्या होता है ?’

‘ बेटा कोयला एक प्रकार का ईंधन है जिसे जमीन से निकाला जाता है । '

‘ अगर हम यहाँ खोदेंगे तो हमें कोयला मिल जायेगा । ‘

‘ नहीं बेटा, कोयला हर जगह नहीं वरन कुछ विशेष जगहों पर ही मिलता है । जहाँ कोयला पाया जाता है वहाँ इसे निकालने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें लगाई जाती हैं । इसे काला हीरा भी कहा जाता है । ‘ चाची ने उसे भुट्टा देते हुए कहा ।

‘ काला हीरा...क्यों चाची ?’

‘ क्योंकि इसको जलाकर हम न केवल खाना बनाते हैं वरन इसको जलाकर ऊर्जा भी पैदा की जाती है । शायद तुमने पढ़ा होगा कि जेम्स वाट ने पहली बार स्टीम इंजिन बनाकर जब पहली बार रेलगाड़ी चलाई गई थी तब उसके इंजिन में कोयले को जलाकर, स्टीम से बनी ऊर्जा से ट्रेन को चलाया गया था ।’ चाची ने उसे समझाते हुए कहा ।

‘ चाचीजी स्टीम इंजिन के बारे में में ने बताया था । चाचाजी भी बता रहे थे कि थर्मल पावर स्टेशन में तथा चीनी मिल में गन्ने के रस को बायलर में उबालने के लिए कोयले का प्रयोग करते हैं ।'

' तुम ठीक कह रही हो बेटा ।' चाची ने उसकी तरफ प्रशंसात्मक नजरों से देखते हुए कहा ।

वे भुट्टे खा ही रहे थे कि आकाश में चंद्रमा दिखने लगा…

‘ चाची, फूल मून । ’ सुनयना ने आश्चर्य से कहा ।

‘ फुल मून...आज पूर्णिमा है क्या ? ’ चाची ने भी आश्चर्य से कहा ।

‘ हाँ बहू, तभी आज मैंने बाहर प्रोग्राम रखा है ।’ दादाजी ने कहा ।

रात बढ़ने के साथ हल्की-हल्की ठंड होने लगी थी ।

‘ ननकू अलाव लाना ।’ दादाजी ने आवाज लगाई ।

‘ अलाव...यह क्या होता है दादाजी ? ’

‘ अभी ननकू लेकर आ रहा है तब तुम स्वयं देख लेना । ’

थोड़ी ही देर में ननकू अलाव ले आया । एक बड़े से बर्तन में कोयला जल रहा था । उसने वह सबके बीच में रख दिया जिससे सबको गर्माहट मिलने लगी ।

‘ इसी को अलाव कहते हैं । जैसे शहरों में कमरों को रूम हीटर से गरम किया जाता है वैसे ही गांव में कमरों तथा बाहर अलाव जलाकर ही शरीर को गर्म रखने का प्रयास करते हैं । ’ दादाजी ने सुनयना से कहा ।

‘ जी दादा जी ।’ सुनयना ने कहा ।

अब गाना सुनाने की बारी आ गई । दादा-दादी ने मिलकर दो गाने गाये...पहला... झिलमिल सितारों का आँगन होगा, रिमझिम बरसता सावन होगा तथा दूसरा... गाता रहे मेरा दिल तू ही मेरी मंजिल...।

चाचा-चाची भी कम नहीं थे...आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये तो बात बन जाये । उनके गाने पर सुनयना और रोहन ने डांस भी किया ।

अंत में ममा, पापा ने...गाता रहे मेरा दिल, तू ही मेरी मंजिल सुनाया । नौ बज गये थे सबको इतना मजा आ रहा था कि कोई अंदर जाने के लिए तैयार ही नहीं था । अंततः दादी के कहने पर सबको खाने के लिए उठना ही पड़ा ।
सुधा आदेश

क्रमशः