Freedom struggle in villages of India - 10 - The last part in Hindi Moral Stories by Brijmohan sharma books and stories PDF | भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 10 - अंतिम भाग

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 10 - अंतिम भाग

10

“झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई”
;ऐक ऐनाउंसरः

प्रिय दर्शको! आज हम आपके समक्ष भारत की वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाटक पेश जा रहे है । (देखिये झाँसी के राजा गंगाधरराव व उनके पुत्र का देहांत हो चुका है। रानी विधवा हो गई है।

रानी ने ऐक बच्चे को गोद लिया है जिसका नाम दामोदर राव रखा गया है । उस बालक को सिंहासन पर बैठाकर रानी राज्य का सञ्चालन कर रही है। उधर ईस्ट इंडिया कंपनी का गवर्नर लार्ड डलहौजी निस्संतान राजाओ के राज्य हडपो नीति के तहत झाँसी के राज्य को अपने शासन में मिलाने का फरमान जारी कर चुका है । रानी के दरबार में सारे सभासद शोक में डूबे हऐ बैठे है । ऐक अंग्रेज अफसर का प्रवेश होता है,)

( झाँसी की रानी के दरबार का द्रश्य)

प्रथम द्रश्य
(ऐक अंग्रेज अफसर आदेश पढकर सुनाता है:)

“ रानी लक्ष्मी बाई । आपको सूचित किया जाता है कि झाँसी के राज्य का उत्तराधिकारी नहीं होने से झांसी राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन किया जाता है । आपको साठ हजार वार्षिक पेशन गुजारा भता मुकर्रर की जाती है I आपको तत्काल महल खाली करने का हुक्म दिया जाता है।“

रानी ;(तलवार लहराती हुई कहती है) : हम अंग्रेजी शासन का हुक्म मानने से इंकार करते है ।

हमारे पुत्र दामोदर राव झाँसी के राजा घोषित किऐ गए है । हम जीते जी अपनी झांसी अंग्रेजो को कदापि नही देंगे I

(रानी अपने सैनिको व वीरांगनाओ को ऐकत्रित करती है ।)

द्रश्य २
अनाउंसर ;

दर्शको: १८५७ के विद्रोह का शुभारम्भ हो चुका है । भारतीय सैनिक अपने अंग्रेज अफसरों को मार रहे है । अंग्रेज अफसर अपने परिवार के साथ छिपते फिर रहे है। कुछ अंग्रेज अफसर रानी से शरण की भीख मांग रहे है )

अग्रेज अफसर (अपने जत्थे के साथ रानी से) :

“ रानी महाराज ! कृपया हमारी जान बचाइये I आप झासी का शासन फिर से संभाल लीजिऐ।

(तात्या टोपे का प्रवेश)

तात्या टोपे : वहिणी! १८५७ का गदर प्रारंभ हो चुका है। अग्रेजो को हमारे देश से भगाने का समय आ गया शीघ्र युद्ध की तैयारी कीजिऐ ।

 

द्रश्य ३
(;लक्ष्मीबाई अपनी सेना को इकठ्ठा करती है। उनकी सेना में पुरुष व महिला दोनों प्रकार के सैनिक है। महिला सैनिको ने पुरुषो की ड्रेस पहन रखी है। )

रानी : सैनिको ! देखो वह अंग्रेजी सेना आ रही है । काल बनकर उनके ऊपर टूट पड़ो ।

(अग्रेजी सेना व झांसी की सेना में घोर युद्ध होता है )

रानी : हर हर महादेव ! देखो अंग्रेजी सेना भाग खड़ी हुई है।

(सैनिक नाचते गाते है । दूसरे दिन ऐक विशाल अंग्रेजी सेना झॉसी पर फिर से आक्रमण करती है । रानी पीछे हटने को मजबूर है)

रानी: चलो सैनिकों पीछे हटो । छलांग लगाने के पहले शेर पीछे हटता है।

तात्या टोपे: वहिणी! चलो ग्वालियर को अपने अधिकार में करते है।

; ग्वालियर में युद्ध होता है I रानी ग्वालियर का किला जीत लेती है।

(ग्वालियर के किले का द्रश्य : (रानी ऐककिले में विश्राम कर रही है )

प्रातः भोर का समय है i चारों और अभी कुछ हलका अँधेरा छाया हुआ है)

ऐक सेवक ;( हांफते हुऐ) रानीजी ! ऐक विशाल अंग्रेजी सेना ने किले को चारो और से घेर रखा है।

रानी : ( दौड़ती हुई किले की मुंडेर से बाहर झांकती है) अरे । यह तो बहुत बड़ी सेना है । इतनी बड़ी सेना से मुकाबला संभव नहीं I चलो यहाँ से किसी तरह निकल चले ।

( रानी किले की मुदर से अपने घोड़े के साथ छलांग लगाती है इ घोडा मरा जाता है I उसके सैनिक घोडो पर सवार होकर भागते है )

द्रश्य ४
रानी : चलो हम किसी तरह कालपी आ पहुंचे है ।

( पीछे मुड़कर जोर से चिल्लाती है ) ओहो ! ह्यूरोज । बड़ी तेजी से हमारा पीछा करता हुआ अपनी सेना के साथ यहाँ आ रहा है।

वीर सैनिको ! अब समय आ गया है ऐक ऐक सैनिक दस दस अंग्रेजो को मार कर मरे ।

( सब सैनिक नारे लगते है ) हर हर महादेव ।

(दोनों और से घोर युद्ध होता है। किन्तु अंग्रेजो की विशाल सेना का रानी की सेना मुकाबला नहीं कर सकती । वीरता से लड़ते हुऐ वह घायल होकर गिर पड़ती है । उसे कुछ सैनिक बचाते हुऐ घने जंगल में दूर ऐक कुटिया में ले जाते है ।)

द्रश्य ५
( कुटिया में ऐक साधू महाराज रानी की सेवा कर रहे हैं )

रानी : ( साधू से) महाराज ! जीते जी मेरे पवित्र शरीर को फिरगियों का स्पर्श नहीं लगना चाहिऐ।

कृपया मेरी चिता शीघ्र सजा दीजिऐ।

(साधू महाराज चिता सजा देते है । रानी साज श्रंगार करके “हर हर महादेव” का उच्चारण करते हुऐ चिता में कूद जाती है )

ऐक गाना सुनाई पड़ता है )

“ बुंदेलो हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”

 


भारतवर्ष के ऐक हजार साल की गुलामी के कारण
मित्रो,

हमारा महान देश ऐक हजार वर्षों से अधिक समय तक मुगलों व अग्रेजो का गुलाम रहा।

यद्यपि यह देश परम वैभव शाली व ज्ञान विज्ञान में जगद्गुरु कहलाता था किन्तु ऐसी कौन सी कमजोरियां इस देश जिससे यह विशाल व महान देश कुछ तुच्छ छोटे देश जैसे अफगानिस्तान, गजनी व इंग्लॅण्ड से आये लुटेरो के हाथों बार बार परास्त होकर अनेक सदियों तक गुलाम बना रहना पड़ा । आइये इस कडवे सत्य की विवेचना करे ।

हमारे अनुसार गुलामी के निम्न प्रमुख कारण थे:

१ यह देश अनेको जातियों व उपजातियों में बुरी तरह बंटा हुआ था । लोगो में ऐकता का सर्वथा अभाव था।

२ आमजनों का नजरिया ऐकदम संकीर्ण था । वे “कोऊ नप होऊ हमहि का हानि” अर्थात किसी का भी राज हो हमें फर्क नहीं पड़ता, ऐसी भावना रखते थे।

३ प्रांतवाद, जातिवाद, भाषावाद. धार्मिक संकीर्णता से ग्रस्त होकर देश छोटे छोटे टुकडो में विभाजित था । हर प्रान्त किसी अन्य प्रान्त व भाषा बोलने वाले को विदेशी समझते थे ।

४ पूरे देश में कही भी ऐक देश की भावना के दर्शन नहीं होते थे।

५ ग्रामीणों में तो इतनी संकीर्णता थी कि अन्य गाँव वाले को वे विदेशी मानते व विदेशी कहकर बुलाते थे।

६ पूरा देश देसी छोटे छोटे राजाओ व रियासतों में बंटा हुआ था जो सदैव आपस में लड़ते रहते थे। हर रियासत का राजा अपनी रियासत को ही देश मानता था व अन्य रियासतों से शत्रुता का भाव रखता था I उनमे आपस मे इस कदर ऐक दूसरे से दुश्मनी थी कि अपने पड़ोसी राजा को हराने के लिऐ वे बाहरी आक्रमणकारी से हाथ मिलाने की तIक में रहते थे।७ राजकर्मचारी रिश्वतखोर थे । धन के लिऐ मंत्री व किलेदार विदेशी आक्रमणकारियो को अपने राजा को हराने का राज बतला देते व उनकी जीत के लिऐ भरपूर सहायता करते थे। वे सदैव धन के लिऐ षड्यंत्र करने व बिकने के लिऐ तैयार रहते थे I

८ भाग्यवाद के विचार ने लोगो को अकर्मण्य बना दिया I अहिंसा, संसार माया है, सन्यास श्रेष्ठ है : ये उच्च आदर्श है किन्तु ये विचार साधू सन्यासियों के लिऐ है न कि आम लोगो के लिऐ I युद्ध से विरत रहने से देश को आक्रमणकारियो से हार कर गुलाम बनना पड़ा ।

मित्रो, भारत को गुलाम बनाने के लिऐ और भी बहुत से कारण है जिन पर गंभीरता से विचार किया जाना