360 degree love - 27 in Hindi Love Stories by Raj Gopal S Verma books and stories PDF | 360 डिग्री वाला प्रेम - 27

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360 डिग्री वाला प्रेम - 27

२७.

दूरियां

एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में उनके बीच बस दीवारों की ही दूरी नहीं थी, अब विचारों की दूरी भी बढ़ती जा रही थी. नहीं समझ पाते कुछ लोग एक दूसरे का दृष्टिकोण, क्योंकि विश्वास नहीं जम पाता है. न विज्ञान पर, और न डॉक्टर्स पर. नई पुत्रवधू से भी रिश्ता जमाने में समय तो लगता है न? लेकिन फिर भी विश्वास को ढूंढना, और उस खोज को संचित कर एक बेहतर जीवन के पथ पर चलना हम सब के लिए बहुत आवश्यक है. निष्पक्ष विवेचना और विश्लेष्ण सही पथ-प्रदर्शक होते हैं, यह सभी जानते हैं. पर, उसी अनुरूप काम करें तो जिन्दगी सरल न हो जाए.

बात यह भी है कि आप जितना विश्वास दूसरे पर करोगे, उतना ही उसके विश्वास के भी पात्र बनोगे. सम्पूर्ण विश्वास आप में ही संचित है, यह मानना अतिरेक के अतिरिक्त कुछ और हो सकता है, अविश्वसनीय है.

आरिणी ने भी मानो अब जिद्द ठान ली थी. यूँ भी उर्मिला जी का स्नेह तो वह नहीं पा रही थी और चुप रह आदर्श बहू का तमगा मिल भी गया तो क्या लाभ, अगर इसके लिए आरव का स्वास्थ्य दांव पर लगा हो. उसने सारे कागज़ तिथिनुसार लगाए और स्कैन कर डॉ विनय को मेल कर दिए. अब एक दिन भी व्यर्थ नहीं करना, उसने सोचा. डॉ विनय से बात की थी आरिणी ने, लेकिन प्रारंभिक तौर की ही. उन्होंने बुधवार का समय दिया था, जब साइकैट्री के हेड डॉ मलय की ओ पी डी होती थी. डॉ मलय राष्ट्रीय स्तर के साइकैट्रिस्ट थे और निश्चित रूप से विषय पर बेहतर डायग्नोसिस और इलाज के लिए जाने जाते थे.

 

के जी एम यू का साइकेट्री डिपार्टमेंट अब तक काफी उपेक्षित समझा जाता था. शायद यही कारण रहा होगा कि उसके लिए मुख्य भवन में कोई जगह नहीं थी. मुख्य भवन से दूर, सड़क के उस पार एक अलग भवन में इस विभाग का काम होता था. वहां जाओ तो खौफनाक चेहरे, उदासियों… पीडाओं से भरे व्यथित लोग… बच्चे, जवान, बूढ़े, स्त्री और पुरुष! उनकी आँखों में तैरते कुछ भयावह और थोड़े मासूम प्रश्न-से दिखते थे. सही कहा था उर्मिला जी ने, कि अच्छा ख़ासा इंसान बीमार हो जाए इस माहौल में. जैसे पेशेंट्स थे वहां, उससे खराब स्थिति में स्टाफ रहता था. जैसे इन लोगों के बीच संवेदनाएं भी मर चुकी हों. या सुशुप्त ही सही. ऐसे में इलाज कराने के लिए हिम्मत चाहिए किसी भी इंसान को. और वह हिम्मत तब आती है, जब आपको कोई विश्वास दिलाये, कि इस सब के बावजूद जो इलाज यहाँ होगा, वह आपके लिए बेहतर कल लेकर आने वाली सम्भावनाओं से भरा हो सकता है.

 

डॉ विनय कई साल से ट्रामा सेण्टर में कार्य करते थे. उन्होंने के जी एम यू से ही एम बी बी एस और यहीं से एम एस किया था. लगभग छह साल बड़े थे वह आरिणी से. उन्होंने संक्षेप में आरव की केस हिस्ट्री समझी और साथ लेकर डॉ मलय से मिलाया.

 

तमाम प्रश्नों और पुराने ट्रीटमेंट के बाद डॉ मलय ने कुछ नये टेस्ट कराने का सुझाव दिया. कुछ मेडिसिन भी लिखी पर अगले सप्ताह फिर से रिपोर्ट्स के साथ आने को कहा. उनका कहना था कि अभी देर नहीं हुई है. जितनी देर करेंगे, इलाज उतना ही जटिल होता जाता है. इसलिए, ये रिपोर्ट्स लेकर अगले बुधवार को उनसे मिला जाए, फिर नियमित ट्रीटमेंट चलाया जाएगा.

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