Middle Birth - 4 in Hindi Short Stories by Ajay Kumar Awasthi books and stories PDF | मिडिल बर्थ - 4

Featured Books
  • મૃગજળ

    આજે તો હું શરૂઆત માં જ કહું છું કે એક અદ્ભુત લાગણી ભરી પળ જી...

  • હું અને મારા અહસાસ - 107

    જીવનનો કોરો કાગળ વાંચી શકો તો વાંચજો. થોડી ક્ષણોની મીઠી યાદો...

  • દોષારોપણ

      अतिदाक्षिण्य  युक्तानां शङ्कितानि पदे पदे  | परापवादिभीरूण...

  • બદલો

    બદલો લઘુ વાર્તાએક અંધારો જુનો રૂમ છે જાણે કે વર્ષોથી બંધ ફેક...

  • બણભા ડુંગર

    ધારાવાહિક:- ચાલો ફરવા જઈએ.સ્થળ:- બણભા ડુંગર.લેખિકા:- શ્રીમતી...

Categories
Share

मिडिल बर्थ - 4

मिडिल बर्थ पार्ट 4

आज मैं उसके घर पर था । उनका घर बहुत सुंदर था । सामने आंगन में हरियाली थी आम का पेड़ था और बहुत से गमलों से आंगन सजा था ।
मैंने बेल बजाई
उसने ही दरवाजा खोला, उसे देख कर मैं स्तब्ध हो गया उसके चेहरे से मेरी नज़रे नही हट रही थी । उसकी भी नज़रे मुझपर टिक गई थी कुछ देर में अंदर से आवाज आई ,,
कौन है शैल ?
उसने कहा मेरे दोस्त हैं माँ जिन्हें बुलाया था, वे आएं हैं,,,
फिर उसने मुझे अंदर बुलाकर ड्राइंग रूम में बिठा दिया ।
और अंदर चली गई ,,,
थोड़ी देर में उसके पिता जी आ गए ,,अधेड़ बाल लगभग सफेद और चेहरे में तेज था।
मैं उठा उनका अभिवादन किया उन्होंने हाथ से ईशारा कर बैठने को कहा
मैं बैठ गया सामान्य बातचीत के बाद उन्होंने मुझसे कहा
भई शैल तो आपकी बहुत तारीफ करती रहती है आप रायपुर में रहते हैं,, यहाँ से तो काफी दूर होगा,,
मैंने कहा ,जी ट्रेन से 8 - 10 घण्टे लग जाते हैं ।
उन्होंने फिर मेरे बारे में काफी जानकारी ली उन्हें मेरे बारे में जानकर बहुत तसल्ली हुई ।
उसके घर में मेरा बहुत सत्कार हुआ ,उसके छोटे भाई और माँ से मिलकर ऐसा लगा ही नही कि मैं किन्ही अजनबियों से मिल रहा हूँ ।
पहली बार मे ही इस घर के सभी लोगों से बहुत आत्मीयता हो गई । उनका तो यहाँ तक आग्रह था कि मैं होटल छोड़कर उनके यहाँ आ जाऊं ओर जब तक चाहूं रहूं ।
लेकिन मेरी आज ही वापसी की ट्रेन थी । मेरे बहुत मना करने के बाद भी उन्होंने मुझे खाना खिला कर ही रवाना किया ।

मैं होटल आकर कुछ देर आराम करने के बाद अपना सामान पैक कर स्टेशन आ गया ।
रात 8 बजे ट्रेन थी । मैं एक घण्टे पहले ही आ गया था । एक मैगजीन के स्टाल पर मैं खड़ा था शैल की ही यादों में, तभी देखा कि शैल अपने भाई के साथ मुझे ढूंढते आ रही थी । मैंने उसे देर से देख लिया था।
मैंने उसे आवाज दिया, उसने मेरी ओर देखा और तेज चाल से मेरे पास आ गई । मुझे यकीन नही हो रहा था कि वो मुझे विदा करने आएगी ।
हम दोनों ट्रेन के आने तक बतियाते रहे ।
मैंने उनके घर वालों को उससे विवाह की स्वीकृति दे दी थी उसके घर वालो ने कुछ समय मांगा था । लेकिन उनके व्यवहार से लग रहा था कि वे भी बहुत खुश थे।

मेरी ट्रेन आ गई ,,मैंने अपना सामान अपनी बर्थ पर रखा और इस बार भी मुझे मिडिल बर्थ ही मिली थी । मैन शैल से कहा कि आज मुझे उस दिन की याद आ रही है जब इसी मिडिल बर्थ पर तुम थीं और मैं तुमसे मिला था । वो बर्थ मेरे लिए कितना भाग्यशाली था ।
उसने भी उस दिन की यात्रा को याद किया
हम एक दूसरे का हाथ थामकर देरतक खड़े रहे एक दूसरे की आँखों में खोए । हमें यात्रियों का कोलाहल ,ट्रेन की आवाज कुछ भी सुनाई नही दे रहा था,,,, दे भी रहा था तो भी हमारे प्यार के गहरे स्वाद की अनुभूति के सामने बहुत धीमें पड़ गया था ।

मैं ट्रेन में बैठा सोच रहा था कि शैल ने कितनी सूझ बूझ से हमारे रिश्ते को सुखद अंजाम में बदल दिया था । उसने अपनी पसंद घर वालो से कह दिया था और मेरे बारे में सबकुछ बता कर अपना फैसला सुना दिया था और उसके आग्रह पर ही घरवालों ने मिलने की इच्छा जाहिर की थी । रिश्ता लगभग तय था कुछ नेग ओर परिवार से मिलना बाकी रह गया था, जिसे बाद में तय किया जाना था ।

वहाँ से आने के कुछ सप्ताह बाद शैल ने बताया कि पिता जी अपने मित्र के साथ मिलने आ रहे हैं ।
फिर मेरी शैल से शादी हो गई । मेरा घर बस गया शैल जितनी सुंदर थी उतनी ही काम मे ओर व्यवहार में कुशल थी ।

मेरी गृहस्थी बस गई थी ,,,,
उस मिडिल बर्थ से जो मेरे जीवन के सफर की एक कभी न मिटने वाली याद थी,,,

,ट्रेन की मिडिल बर्थ,वो नावेल और शैल ने मेरे जीने का अंदाज बदल दिया ,,,मेरी जिंदगी को खुशियों से भर दिया,,प्यार का ये नया अहसास मुझे मदहोश कर रहा था ।