Prince of dreams - 10 - the last part in Hindi Fiction Stories by shelley khatri books and stories PDF | सपनों का राजकुमार - 10 - अंतिम भाग

Featured Books
Categories
Share

सपनों का राजकुमार - 10 - अंतिम भाग

भाग 10

रत्ना शाम को चार बजे थाने आने वाली थी। रत्ना के घर वाले तीन बजे ही पहुंच गए थे। सभी दीनता की प्रतिमूर्ति नजर आ रहे थे। आज रत्ना को गए सातवां दिन था। इन सात दिनों में ही उसके मम्मी- पापा बुढ़े दिखने लगे थे। मम्मी की रो- रो कर सूजी खाली- खाली आंखें किसी का भी दिल पिघला देने में सक्षम थीं। स्मार्ट सुदर्शन युवक शलभ को देखकर लग रहा था उसे किसी ने निचोड़ दिया हो। उसकी आंखों में दुख था अथाह दुख, पूरे चेहरे से चमक गायब थी। अमन गुस्से में था। उसे सबसे ज्यादा खुद पर गुस्सा था। उसने रत्ना को रोका नहीं, रत्ना का अफेयर है इस बात को उसने गहराई से क्यों नहीं सोचा? बैठे- बैठे युग बीत रहा था पर चार बजाने को तैयार न थी घड़ी।

आखिर रत्ना आई। सद्यविवाहित। पूरी तरह नववधु के रूप में। लाल साड़ी- पीला सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, पूरे हाथ में चूड़ियां। साथ में रंजन और उसके माता- पिता भी थे। रत्ना को देखते ही शलभ उसके पैरों में गिर पड़ा। कहां चली गई थी गुड़िया, घर चल। रत्ना पीछे हट गई और कहा, अच्छा तुझसे मार खाने जाउं? मुझे तो तुझसे बात ही नहीं करनी है।

रत्ना- रत्ना, मम्मी को कैसे भूल गई बेटा। तु मम्मी के बिना सात दिन रही कैसे मेरी लाडो। देख मम्मी एक भी रात सोई नहीं। तु गले से लगने के लिए थी ही नहीं। कैसे नींद आती बता। आ जा। रोते- रोते उन्होंने रत्ना को गले लगाने की कोशिश की तो रत्ना ने उन्हें भी झटक दिया। नहीं। नहीं जाना आपके पास। आपके घर में। आपलोग मुझे प्यार ही कब करते थे। जब देखो डांटते रहते थे। मुझे तो यही मम्मी प्यार करती थी। उसने रंजन के मम्मी की ओर इशारा किया।

रंजन की मां बोली, सर ये लड़की मेरी बहू। बालिग है देखिए दोनों के बर्थ सर्टीफिकेट। इसके घरवाले लडका- लड़की में भेद- भाव करते थे। बच्ची को टार्चर करते थे। बच्ची मेरे पास आकर अकसर रोया करती थी। यह बच्ची तो कब से अपने मां- बाप के खिलाफ मुकदमा दायर करना चाह रही थी। दोनों बच्चों में प्यार हुआ। शादी करना चाहते थे, हमने मंजूरी दे दी। शादी हो चुकी है। ये देखिए फेरो के फोटो। उन्होंने सर्टीफिकेट और फोटो सामने कर दी।

देखिए, शादी कर ली यह तो मैं समझ रहा हूं। टाचर्र और केस की झूठी कहानी मुझे न सुनाए।

थाने में भीड़ लग चुकी थी। रत्ना के पापा ने रत्ना के पैर पकड़ लिए, ऐसी सजा मत दे बेटा। यह तेरे लिए भी सजा होगी, रंजन तेरे लिए ठीक नहीं है। एक बार तो सोच बड़े के रहते तेरा पहले क्यों ब्याह कर दिया छोटे से। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा बेटा, बस तु घर चल।

पापा आप कुछ मत बोलिए, ये सब झूठ मत बोलिए, रंजन और यहां की मम्मी बहुत अच्छी है और मैं इनके ही साथ रहूंगी।

अमन ने कहा, रानी गुड़िया, कभी तेरे साथ झगड़ा नहीं करूंगा, घर आजा। ये तुने क्या कार्टुन जैसा हुलिया बना लिया है। हमलोग पहले की तरह मस्ती करेंगे। कोई तुझे कुछ भी नहीं कहेगा, अपनी जिंदगी मत बिगाड़। अजय ने कहा, रत्ना तुझे घर से शिकायत है तो मत रहना घर में मेरे साथ चेन्नई चल लेकिन इनके साथ न जा।

रोज तो मेरे साथ लडता था, उस दिन मेरी पीठ तोड़ दी थी, मुझे नहीं जाना ऐसे पागलों के घर में। शादी हो गई है मेरी। अब मैं रंजन के ही साथ रहूंगी।

ऐसी शादी से कुछ नहीं होता है रत्ना। तु बस घर चल। हमलोग सब ठीक कर देंगें।

हां, मुझे घर ले जाओंगे, मारोगे, फिर रंजन को भी मारोगे, मुझे सब पता है।

किसी को नहीं मारेंगे। थाने में ही लिख कर दे दे रहे हैं। इंस्पेक्टर अंकल को। तब तो तुझे विश्वास होगा। मान जा रत्ना, शलभ ने फिर से उसके पैर पकड़े।

रत्ना के मम्मी- पापा, भाई सब उसे मनाते रहे, रोते रहे, गिड़गिड़ाते रहे, बार- बार पैर पकड़े पर रत्ना टस से मस नहीं हुई। रत्ना की मम्मी ने रंजन की मम्मी के पैर पकड़े, मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। जात- विरादरी छोड़ दीजिए दोनों एक दूसरे के लिए ठीक नहीं है। हमारी बेटी को छोड़ दीजिए।

पर वे न मानी, कह दिया, आपलोग अब घर जाइए, हमारी बहू हमारे साथ जाएगी। हमलोगों से संबंध रखने की कोशिश मत कीजिएगा।

टीआई की आंखों में भी आंसू आ गए। बोला, आपलोग अब घर चले जाइए, आपकी बेटी उनके प्रभाव में है। अपने करियर में ऐसा केस नहीं देखा था, ऐसी लड़की नहीं देखी थी, कैसे उन्लोगों ने इसको सिखाया- पढ़ाया है कि आपलोगों की ऐसी दशा देखकर भी वह एक पल के लिए भी नहीं पिघल रही है। हम कानूनन भी कुछ नहीं कर सकते हैं। समझाने का तो उस पर असर हो ही नहीं रहा है।

गिरते पड़ते एक दूसरे को संभालते रत्ना का परिवार घर लौटा। उसकी मम्मी बेहोश हो चुकी थी। पानी के छिटें मार- मार कर उन्हें होश में लाया जा रहा था। आखिर में देर रात उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया।

रत्ना भी अपने ससुराल आ गई। उसकी समझ में नहीं आ रहा था उसने जो आज किया वो ठीक था या नहीं। तभी रंजन की मम्मी ने कहा, ज्यादा मत सोचो बेटी। सपनों के राजकुमार को पाने की कीमत तो चुकानी पड़ती है। तुम ऐसा नहीं करती तो वे लोग तुम्हें ले जाते और सबसे पहले रंजन को जान से मार देते और बाद में तुम्हें भी। अभी उनका फोन भी आए तो बात मत करना और एक महीने के बाद हमलोग उनके घर जाएंगे, तब तक गुस्सा ठंडा हो जाएगा। अभी वे किसी भी प्रकार का बहाना बोले, मम्मी बीमार है, पापा बीमार हैं, रिसेप्शन देंगे कुछ भी पर जाना नहीं है।

रत्ना कहा ठीक है। लेकिन मम्मी सच में बीमार हुई तो ?

नहीं होगी बेटी।

और हुआ भी यही। रत्ना की मम्मी ने हॉस्पिटल से आते ही रंजन को फोन किया रत्ना से बात करा दो तब रत्ना ने दो टूक कह दिया, बात नहीं करनी है। आपलोगों से।

एक महीने के बाद रत्ना की मम्मी बोली, आज अपने घर चली जाना। मम्मी से मिल लेना, अगर भाइ नाराज हों तो उन्हें कुछ कहना मत, कुछ दिन में वे मान जाएंगे।

तुम्हारी मम्मी ने गहने बनवाए हैं न बेटा, अपने गहने पहन लेना, देखो यहां तो जल्दी- जल्दी में कुछ हो नहीं सका था।

रत्ना घर गई। दोपहर का समय था मम्मी घर में अकेली थी। रत्ना को देखते ही वे पागलों की तरह उससे लिपट गई। चूम- चूम कर उसका चेहरा लाल कर दिया। आ ही गई बेटी। मुझे तो लगा था जब मम्मी मर जाएगी तभी आओगी। रत्न भी भावुक हो गई। मैं तो शलभ और अमन भइया के डर से नहीं आती थी। अजय भइया हॉस्टल चला गया?

कोई नहीं मारेगा तुझे, बस तु अब वहां मत जा। अच्छा नहीं है यह रिश्ता।

ऐसी बात करोगी तो मैं अभी चली जाउंगी। बहुत अच्छे हैं वे लोग। बहुत प्यार से रखते हैं मुझे।

अच्छा है ठीक है। मम्मी ने रत्ना को बीच में ही रोक दिया। क्या खाएगी बता।

रत्ना ने खाना खाया। अपने कमरे में जाकर अपनी चीजें देखती रही। फिर मम्मी से बोली, मेरे जेवर दिखाओ न।

मम्मी ने अपनी आलमारी खोली, उसे दिखाने लगी। रत्ना ने कहा मेरे पास सिर्फ मंगलसूत्र है। ये सब पहन लूं।

मां ने कहा, तेरे लिए ही तो बनवाए थे। मेरी सारी आशाएं धरी रह गई। कितना धूम से करना चाहती थी तेरा विवाह। जो चाहे कर तेरे लिए ही है। उनकी आंखों में आसूं थे।

रत्ना ने सारे जेवर ले लिए, कुछ पहल लिए कुछ पर्स में डाले। अपने कमरे से कुछ और पंसद की चीजें लीं। फिर चली गई।

राशि को लगा आज कितने दिनों बाद उसने सांस ली। वे रत्ना और रंजन के रिश्ते को स्वीकारने लगी। जाने दो, खराब लड़का ही सही, लड़की खुश तो है। पर शलभ अमन, उसके आने और जेवर ले जाने की बात सुनकर बहुत गुस्सा हुए।

मम्मी समझो वह हमसे मिलने नहीं जेवर लेने आई थी। तुम्हारी बेटी अब पूरी तरह बदल गई है। इस बात को जितनी जल्दी हो मान लो। और रत्ना से कोई संपर्क मत रखो।

बहन है तेरी वह मर गई है वह हमारे लिए, मेरी कोई बहन नहीं है। आपकेा थाने का वह द़ृश्य याद नहीं आता। इतने लोगों के समाने उसने हमें नकार दिया और कहा कि हमलोग उसे मारते- पीटते थे। फूल से ज्यादा संभालते थे हम उसे। वह फफक- फफक कर रोने लगा। जानती हो मां, मैं रमन, रितेश के साथ एक दिन उसके घर गया था। बहुत मिन्नत की, पैर पकड़े तब वे लोग उसको सामने आने दिए। मैंने कहा कि मम्मी हॉस्पिटल में है जाकर वहीं एक बार देख आ। तो उसने मना कर दिया। हमतीनों ने उसके पैर पकड़ कर रिक्वेस्ट की थी। उसने अपने पैर से मेरा माथा परे ढकेल दिया था। नाम भी नहीं लेगा कोई इस घर में उसका। फोन पर भी बात मत करना नहीं तो मेरा मरा मुंह देखोगी। वह अमन के गले लगकर रोने लगा।

रत्ना घर आई तो उसकी सास ने कहा, बस इतने ही गहने थे तुम्हारे। कुछ मां का भी मांग लेती।

रत्ना को बात कुछ जमी नहीं। आजकल कई दिन से उसे खाना बनाना नहीं जानने और अभी तक नहीं सीख पाने का उलाहना सुनना पड़ता था। पर उसे लगता था ठीक ही तो कहती है मम्मी इतनी बड़ी हूं और ढंग से खाना बनाना भी नहीं जानती। पर आज उसे बुरा लगा।

उसने रंजन से कहा तो वह बोला मम्मी टेंशन में है, साइबर कैफे बंद हो गया है इसिलए।

क्यों बंद हो गया?

अरे वो ठीक से चलता नहीं था। पापा तो अक्सर बंद करके जुआ खेलने चले जाते हैं न। दो बार पुलिस की रेड पड़ चुकी थी, वो लड़के- लड़कियों के चक्कर में। किराया भी बाकी था, पुलिस ने बंद करने के लिए कह दिया तो बंद है पर पांच महीने का किराया बाकी है।

तु तो कहता है बहुत अच्छी चलती है, रत्ना ने पूछा।

अब छोड़ न, सुन अपने पापा से पैसे मांग न मैं बिजनेस शुरू करूंगा।

यार पापा तो दे भी देते, पर भइया देने नहीं देगा, अभी तक गुस्सा ही है। मम्मी से मांगती हूं, कितना चाहिए।

पच्चीस लाख मांग ले।

पागल है क्या? इतने पैसे कोई किसी को देता है क्या? वो भी मैं उनका दिल तोड़कर भाग कर आयी हूं। मैं नहीं मांगने वाली। और तुम ऐसी गंदी बात दुबारा मत सोचना। ऐसे कहीं पैसे मांगा जाता है क्या, ये तो दहेज जैसा लगेगा।

दहेज के लिए ही कह रहा हूं। फ्री में किसकी शादी होती है आजकल। हमलोग तुझे इतना प्यार करते हैं फ्री में ही क्या?

क्या बात कर रहा है यार, तु जरूर पागल हो गया है। अपने दोस्तों से सीखा है न ये सब मैं मम्मी को बताऊंगी।

रत्ना ने अपनी सास से जाकर यही बात कही तो वे बोली, ठीक ही हो कह रहा है। अफसर है तुम्हारे पापा। सारा धन क्या तुम्हारे नालायक भाइयों को देंगे? तुम्हारा भी तो हक है। अपना हक जाकर मांगो, जायदाद में हिस्सा भी मांगो। गधे किसी को पसंद नहीं आते, चाहे कितने भी सुंदर हों। तुम बस सुंदर हो और कोई गुण है तुममें। एक खाना तो बना नहीं सकती। और मां- बाप तुम्हारे पच्चीस- तीस लाख भी नहीं देंगे? कल जाकर मांग लेना।

रत्ना को रूलाई आ गई। किससे क्या कहे, वह अपने कमरे में आकर सुबकने लगी। आज घर से अपना फोन भी लाई थी। उसने मम्मी को फोन किया तो मम्मी बोली, जब तु चली गई है तो वहीं खुश रह। हमलोग से कोई संबंध मत रख। घर में किसी को तेरा आना या हमसे संबंध रखना पसंद नहीं है। और मम्मी ने फोन रख दिया।

रत्ना को लगा पूरी दुनिया में वह अकेली हो गई है। दोस्तों से भी बात नहीं कर सकती थी। क्या कहती उनसे?

एक महीना निकल गया। रंजन और मम्मी उससे बहुत गुस्सा थे, रत्ना के घरवाले संबंध तोड़ देंगे इसकी उन्हें आशा नहीं थी। रत्ना ने अपने प्रेगनेंट होने की खबर दी। इससे और भूचाल आ गया। रंजन की मम्मी ने कहा, रंजन और रत्ना मैं तुमलोगों का पेट भरू फिर तुम्हारे बच्चे का भी। यह सब मुझसे नहीं होगा। मैंने शादी कराई थी कि कुछ पैसे आएंगे। पर ये कंगली निकली। तुमलोग मेरे घर से निकलो और अपनी दुनिया खुद जाकर बसाओ, मैंने सबका ठेका नहीं ले रखा है।

रंजन ने समझाने की कोशिश की तो वे बोली, मैं तुझे रख सकती हूं पर इसे नहीं।

रंजन आवाक हो गया। वह घर से निकल गया।

रत्ना रोती हुई अपने कमरे में जाने लगी।

सुन, रंजन आए या न आए तु अपना सामान पैक कर एक घंटे के अंदर मेरा घर खाली कर दे। सास की यह बात सुनकर रत्ना बिलख पड़ी।

थोड़ी देर में रंजन आया। रत्ना से बोला, बाद में रोना, मेरी मम्मी बड़ी जिद्दी हैं। अभी हमलोग चलो, गुस्सा ठंडा होगा तो हमें बुलाऐंगी। वह जल्दी- जल्दी अपने और रत्ना के कपड़े बैग में डालने लगा।

हमलोग जाएंगे कहा, और मेरी पढ़ाई। तुमलोग कॉलेज भी जाने नहीं देते हो।

पढ़ाई को भूल जाओ, हमलोग मुम्बई चल रहे हैं। संदीप के मामा वहां टैक्सी चलाते हैं। उनसे ही बात करके आ रहा हूं। बोल रहे हैं, मुझे भी टैक्सी दिलवा देंगे।

टैक्सी ड्राइवर?

हां, मुझे कुछ आता ही कहां है? तुम्हारे चक्कर में यही सब करना पड़ रहा है। तुम पैसे ले आती तो कोई दिक्कत ही नहीं होती। पर मेरी किस्मत खराब थी।

रत्ना को लगा उसके चारो ओर भूकंप आ गया है, अपने सपनों के साथ ही वह भी ढह गई।

……………………