सारे स्टूडेंट्स जिनका इंतज़ार कर रहे थे आखिर वो आ ही गए। सभी ने तालियाँ बजा कर उनका स्वागत किया। आप सब उन्हें जानते है, पर शायद अच्छे से नहीं जानते। वो स्टेज पर आए और उन्होंने अपनी अदा में सारे स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स को धन्यवाद किया। मौका था स्टूडेंट्स के ग्रेजुएशन डे सेरेमनी का, और मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था उन्हें जो किसी भी परिचय के मोहताज़ नहीं है। उन्होंने अपनी स्पीच देनी शुरू की और सभी मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनने लगे, और अपनी स्पीच में उन्होंने अपने पिता द्वारा दिए गए तोहफ़े के बारे में जो कहा उसके कुछ अंश यहां प्रस्तुत करने की में कोशिश करता हूं।
“मेरे जो पिताजी थे, मैंने जैसे बताया बहुत पढ़े लिखे थे, तो उन्होंने…. (रुकते हुए) बहुत गरीब भी थे। उनको कभी भी कोई नौकरी नहीं मिली। Hardly उनके पास पैसे होते थे। जो भी बिज़नेस उन्होंने शुरू किया, इतनी तालीम हासिल करने के बाद भी, वो बिज़नेस failure ही रहा। लेकिन उन्होंने बहुत प्यार दिया, और क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते थे, तो मेरे हर जन्मदिन पर अपनी कोई पुरानी चीज गिफ्ट के तौर पर दे दिया करते थे। तो पहली जो पुरानी चीज उन्होंने गिफ्ट के तौर पर दी थी, जो वो बहुत बढ़ा चढ़ा कर बोलते थे ताकि मुझे लगे कि मुझे बहुत बड़ी चीज दी है। ये मैं हर जगह बोलता हूं, क्योंकि आप ज़िंदगी के उस मोड़ पर है जहां से आपको कामयाबी हासिल करनी है।
=> पहली गिफ्ट उन्होंने मुझे जो दी थी, (रुकते हुए) उन्होंने मुझे अपना शतरंज का सेट दिया था। जो थोड़ा टूटा-फूटा सा था। मेरे पिताजी हर रोज शतरंज खेलते थे। हनुमान मंदिर के जो मुख्य पुजारी थे, उनके पास रात को जाकर मेरे पिताजी हर रोज शतरंज खेलते थे। मेरे पिताजी ने मुझे कहा था कि, शतरंज से आप ज़िंदगी के बारे में बहुत कुछ सिख सकते है।
* पहली ये कि, co-operation और साथ मिल जुलकर काम कैसे करना है।
* दूसरी ये कि, ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए कभी-कभी पीछे भी हटना पड़ता है।
* तीसरी ये कि, जो छोटे लोग होते है, जो आप समझते है, कई लोग ऐसी बात मानते है, जो pawns होते है, जो प्यादे होते है, उनकी सबसे ज़्यादा इज्जत करना ज़िंदगी के अंदर। कोई भी इंसान छोटा नहीं होता, वो हंमेशा ज़िंदगी में काम आता है।
* और कामयाबी हासिल करने के लिए आखिरी बात शतरंज हमें ये सिखाती है कि, कभी-कभी जिससे सबसे ज़्यादा लगाव होता है; जो अनुमन रानी के साथ हो जाता है; कभी-कभी उसे भी sacrifice करना पड़ता है आगे बढ़ने के लिए।
=> दूसरी गिफ्ट जो उन्होंने मुझे दी थी, वो एक टाइप राइटर दिया था। आज के जमाने में I don’t think किसी को, बहुत सारे बच्चे होंगे यहां पर जिनको मालूम नहीं होगा कि टाइप राइटर लगता कैसा है। अब सब कम्प्यूटर पर काम करते है। पर टाइप राइटर के ऊपर जब आदमी कुछ लिखता है, और अगर कुछ गलत लिखता है, तो उसको मिटाने में बहुत तकलीफ होती है। So, you have to be very diligent, बहुत ध्यान से लिखना पड़ता है। हम गलती नहीं कर सकते, और tipp-ex इस्तेमाल करते थे टाइप की हुई गलती निकालने के लिए। ऐसा करने में कभी उंगली फंस जाती थी उसकी keys के बीच में। मगर बहुत मेहनत से, बहुत diligent से काम करना पड़ता था। तो जब मैं उसमें टाइपिंग सीखा स्कूल में कॉमर्स करते वक्त, So the only thing I realize that, the practice makes you perfect. तो जो भी काम आप ज़िंदगी में करें, उसको diligent से करें। ऐसा करें कि कोई गलती ना हो। अपना पूरा दिमाग लगा कर करें, सोच समझकर करें। ऐसे करें कि जैसे ये काम आपकी ज़िंदगी का पहला काम है और इसके बाद आपको मौका नहीं मिलेगा, और शायद ये काम आपके ज़िंदगी का आखिरी काम है, इसके बाद फिर आपको मौका नहीं मिलेगा। So do it with that kind of diligence.
=> तीसरी गिफ्ट, उन्होंने मुझे एक कैमरा दिया था। क्योंकि वो बहुत गरीब थे, वो कैमरा चलता नहीं था बिल्कुल भी। सिर्फ उसके view finder से तस्वीरें दिख जाती थी अच्छी सी, लेकिन खिंचती बिल्कुल भी नहीं थी। इससे मुझे उन्होंने सिख दी कि, जो हमारी creativity होती है, हम जो भी… (रुकते हुए) हमारी जो भी hobby होती है, कभी-कभी हमारा जिससे प्यार होता है, लेकिन हम उसको अपनी नौकरी नहीं बना पाते, हम अपना काम नहीं बना पाते। बहुत कम लोग ऐसे fortunate होते है, जैसे मैं हूं! जो मेरी hobby थी, जो मेरा प्यार था, वो मेरा पेशा भी बन गया। अनुमन ऐसा होता नहीं। लेकिन हमारी जो कला है, चाहे वो poetry है, चाहे वो लिखना है, चाहे वो painting है, चाहे गाना है, अकेले में गाना है, चाहे जो कुछ भी हो, हमारी जो भी creativity है जरूरी नहीं कि दुनिया उसे स्वीकार करें। जैसे वो कैमरा की तस्वीरें दिखती नहीं है, लेकिन उसमें देखने से अच्छा लगता है। वैसे ही आपकी जो creativity है, वो अपने लिए रखें। क्योंकि ज़िंदगी में कभी ना कभी, कहीं ना कहीं ऐसा मुकाम आएगा जब आप अकेला फील करेंगे, हो सकता है दुःख का समय भी आए। उस वक्त आपकी जो creativity है, वो आपकी सबसे अच्छी दोस्त होगी, दुनिया उसको माने या ना माने। मैं बहुत ही खराब poetry करता हूं, पर जब भी मैं दुःखी होता हूं, मैं लिख लेता हूं। मेरी शायरी भी बहुत खराब है, जैसे 'हमने तुम्हारी याद में रो-रो के टब भर दिए, और वो आए और नहा के चल दिए।' इस लेवल की poetry है, लेकिन जब दुःख होता है, ये भी जब बैठकर लिखता हूं, तब बहुत दिल को शांति मिलती है।
=> चौथी गिफ्ट जो उन्होंने मुझे दी थी, वो थी सेन्स ऑफ ह्यूमर। उन्होंने मुझे कहा था कि जिंदगी में हंमेशा सेन्स ऑफ ह्यूमर रखना, हंमेशा हंसते रहना, एक child like innocence जरूर रखना। जैसे कि एक छोटे से बच्चे की innocence होती है, जो उसका दुनिया के तरफ नज़रिया होता है, वो बड़ा innocence सा होता है। उसमें कोई खामी नहीं होती, गलती नहीं होती, दुनियादारी की बातें नहीं होती, तो वैसी ही सेन्स ऑफ ह्यूमर रखना। कई बार, बचपन में मैंने जब बदतमीजी की या कोई गलत काम किया तो उन्होंने मुझे सेन्स ऑफ ह्यूमर से बचाया और ज़िंदगी भर अगर आप अपने ऊपर, अपने हाल पे, दुनिया पे; क्योंकि लोग आपसे हर कोई बात कहेंगे, वो अच्छी बात भी कहेंगे, वो बुरी बात भी कहेंगे, क्योंकि लोगों का काम है कहना; अगर आप उसे एक सेन्स ऑफ ह्यूमर की नज़र से देख सकेंगे, तो जिंदगी जो है बहुत ही बेहतर रहेगी।
=> Last but not the least, जो गिफ्ट मेरे पिताजी ने मुझे दी और जो मेरी माँ ने भी दी, और जो आप लोगों के parents ने भी आपको दी है, वो गिफ्ट सबसे बड़ी है। वो गिफ्ट है, The Gift of Life. ज़िंदगी की जो… (रुकते हुए) ज़िंदगी एक खुद ही बहुत बड़ा तोहफ़ा है हमारे लिए, और उसको वैसे ही treat कीजिए। ज़िंदगी के अंदर जो भी मुकाम आए, जो भी हो, अच्छा हो, बुरा हो, कभी अंधेरा हो, कभी उजाला हो। हर चीज को respect कीजिए और ज़िंदगी में grace रखिए, हर इंसान की तरफ। हर इंसान जो भी आपसे जो भी बात करेगा वो अपनी मुसीबत के हिसाब से करेगा, अपनी हैसियत के हिसाब से करेगा, कभी गलत बात भी बोलेगा। जब आप लोग काम करेंगे, जब आप बड़ी-बड़ी कंपनी में नौकरी करेंगे; आपका हंमेशा झगड़ा रहेगा, मेरा जो जूनियर जो है वो ऐसी बात करता है, मेरा जो सीनियर है वो ऐसी बात करता है; लेकिन सब जो है वो ज़िंदगी में जूझ रहे है। ज़िंदगी में कुछ बनने की कोशिश कर रहे है। तो वो जो grace जो है वो हर किसी को दीजिएगा। जो आपके साथी है, जो आपके साथ काम करते है, जो आपके साथ काम नहीं भी कर रहा हो, और जो आपका साथ नहीं भी दे रहा हो। Grace की बड़ी चीज़… (रुकते हुए) आप ज़िंदगी को वापस से लौटा नहीं सकते।
तो ये 5 गिफ्ट्स के बारे में आप लोग याद रखिएगा। याद रहे तो याद रखिएगा नहीं रहे तो कोई बात नहीं। आप लोग यहां से बहुत कुछ सिख चुके है और मुझे उम्मीद है और यकीन भी है, आप लोग ज़िंदगी में जरूर कामयाब होंगे और आगे भी बहुत कुछ सीखेंगे।”
समाप्त 🙏
2016 में धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल में दी गई स्पीच के कुछ अंश का हिंदी में अनुवाद। उम्मीद है स्पीच किसने दी ये आप लोग समझ ही गए होंगे।
✍️ Anil Patel (Bunny)