loc-love oppose crime - 12 in Hindi Crime Stories by jignasha patel books and stories PDF | एलओसी- लव अपोज़ क्राइम - 12

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एलओसी- लव अपोज़ क्राइम - 12

अध्याय -12

" हेलो... लावन्या... मै रीनी बोल रही हूँ l मै और नंदिनी आपसे मिलने आएंगे । रॉयल क्लब के सामने वाले रेस्टॉरंट में ।... अरे हाँ... वही... वही... प्रकाश रेस्टोरेंट । शाम 7 बजे । समय का ध्यान रखना... और हाँ एक बात और यह बात किसी अन्य को पता न चले । ओके बाय । "कहकर रीनी ने फोन काट दिया । उसके बाद नंदिनी की तरफ देखते हुवे कहा कि, "नंदिनी हम यही फोन का इस्तेमाल करेंगे ताकि आगे कोई परेशानी न हो ।"
"हाँ! यह ठीक रहेगा । एक बात और -पापा बाहर गए है । उन्हें वापस लौटनेमें शायद रात के 10 बज जाएं । तब तक हमें लौट आना होगा ।"
"एकदम सही "रीनी ने सहमति में सिर हिलाया ।
"माँ से बता दो कि हम शॉपिंग के लिए जा रहे हैँ ।"
"मैं अभी बताकर आती हूँ ।"रीनी अंदर की और चली गई ।
* * * * *
नंदिनी स्कर्ट -टॉप, सलवार -कमीज़, पेंट -शर्ट, गाउन, सारी किसी भी पोशाक मैं अच्छी लगती थी, लेकिन हरे रंग का शूट उसपर विशेष जचता था । अनुपम... अद्वितीय...।इसलिए वे मॉल के आउटफिट सेक्शन में कुछ समय तक विभिन्न डिज़ाइनों के हरे शूट निहारती रही ।उतरा मन बहलाने के लिए रीनी ने हर हरा शूट दिखलवाकर कहा, "नंदिनी इस हरे सुट को पहनकर माथे पर हरी बिंदी, हरा दुप्पटा और पैरो मेँ हरे सेंडल के साथ तुम अद्वितीय लगोगी ।" यह सुनकर नंदिनी के चेहरे पर मुस्कान तो आई पर वो फीकी थी जबकि कोई और मौका होता तो नंदिनी की उन्मुक्त खिलखिलाहट पुरे माहौल को गुलजार कर देती । खैर, यूही अनन्यमनस्क ढंग से नंदिनीने कुछ शॉपिंग की, उन्हें कार की डिक्की मेँ रखा । इस दौरान रीनी के सामने से एक गाड़ी गुजरी, उसमे नंदिनी के पिता एक महिला के साथ बेक सीट पर दिखे । रीनी को कुछ शंका हुई, उसने तुरंत ड्राइवर को उस गाड़ी का पीछा करने को कहा ।
ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की, तब तक वो गाड़ी -स्कोडा आगे निकल चुकी थी, उसकी रफ्तार तेज थी । फिर भी ड्राइवर कुछ समय मेँ उस गाड़ी के पीछे पहोचने मेँ कामयाब हो गया ।गाड़ी की रफ्तार की तरह ही नंदिनी के विचारों की रफ्तार भी तेज हो गईं थी की कौन हैँ वो महिला जो पिताजी के साथ कार मेँ हैँ?
* * * * *
रीनी के फोन की घंटी बजी । 'मैं लावन्या बोल रही हूँ । आई एम वेंटिंग ।
' ओके लावन्या, थोड़ी देर मेँ हम पहुंच रहे हैँ ।कहकर रीनी ने फोन कट कर दिया ।
इस बिच नंदिनी ने महसूस किया की आगे वाली कार की रफ्तार अचानक तेज हो गईं । शायद उसे भान हो गया हो की उनका पीछा किया जा रहा हैँ । नंदिनी ने ड्राइवर से रफ्तार तेज करने को कहा । ड्राइवर ने ऐसा किया भी पर रिलायंस चौक के सिग्नल पर वो कार तो पास हो गई लेकिन नंदिनी की कार के समय सिग्नल रेड हो गया । यह पुरे 180 सेकेंड का सिग्नल था ।'ओह शीट!'निराश नंदिनी के मुँह से निकला -'ड्राइवर गाड़ी मोड़ो ।वापस मॉल के सामने प्रकाश रेस्टोरेंट जाना है ।'
रेस्टोरेंट के सेकेंड फ्लोर पर स्थित डाइनिंग हॉल की एक टेबिल पर लावन्या बैठी थी । यूं तो बेहद खूबसूरत थी लावण्या -उसकी बड़ी बड़ी आंखे, गुलाबी होंठ, सुन्दर नासिका, कमर तक लम्बे बाल, मांसल उभार तथा नाजुक हाथ पाँव किसी को भी सम्मोहित करने के लिए काफ़ी थे, पर उस समय लावन्या का चेहरा एकदम उतरा हुआ था । वो एकदम बेचैन, उदास और डरी सहमी आँखों से एक चेयर पर बैठी -शून्य मेँ मन से आसपास निहार रही थी ।
उसके पास जाकर नंदिनी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुवे कहा -"लावन्या क्या बात हैँ? बताओ! बिल्कुल भी डरो मत ।"
यह सुनकर लावन्या के चेहरे पर एक अजीब सी चमक आई पर वो थोड़ी घबराई । रीनी ने उसके सामने पानी का ग्लास सरकाया ।लावन्या ने एक घूंट पानी पिया । थोड़ी स्वस्थ हुई । उसने धीरे से नंदिनी का हाथ पकड़ लिया। उस हाथ मे आश्वासन था ।सुरक्षा का भाव था -'लावन्या का हौसला बढ़ा । फिर उसने जो बताया वो सुनकर रीनी और नंदिनी हक्की-बक्की रह गई । उसे सुनकर दोनों के होश उड़ गये ।

* * * * *
कुछ पल बाद नंदिनी ने अपने आप को सँभालते हुवे कहा -" लावन्या तुम मेरे साथ चलो । तुम्हारे रहने की व्यवस्था मैं करती हूँ ।और रीनी हमें यहाँ से तुरंत निकलना होगा, वर्ना देर हो जाएगी ।"पुरे रास्ते तीनो गुमसुम बैठी रही । किसी की जबान ही नहीं खुल पा रही थी । सभी निशब्द थे । कार तेजी से दौड़ रही थी की अचानक ड्राइवर ने कहा -, "मैम वो रहे राजमल साहब?"
"कहां ? " नंदिनी ने चौंक कर कहा, फिर वो दोनों तरफ देखने लगी ।ड्राइवर ने एक कार की तरफ इशारा किया ।" अरे वही स्कोडा कार! " सबने उस तरफ देखा । इस बार गाड़ी मैं उस महिला के साथ एक ओंर लड़की थी । नंदिनी ने कहां -" ड्राइवर इस गाड़ी का पीछा करो । पर एकदम संभलकर । थोड़ा भी शक नहीं होना चाहिए ।"
" ओके मैम ।" ड्राइवर ने कहा ।
आगे एक सिग्नल पर गाड़ी रुकी । नंदिनी के ड्राइवर ने गाड़ी की गति धीमी करते हुवे आगे वाली गाड़ी को ओवरटेक किया । अचानक लावन्या चिल्ला पड़ी, " नंदिनी वो देखो । हमारी वार्डेन मैडम । उनके साथ वाली ही पदमा हैँ ।" नंदिनी को भरोसा हो गया की लावन्या ने जो बताया सच बताया, उसने मन ही मन तय कर लिया की अब बहुत हो चूका । अब वही मानेगी नहीं । पिताजी की सच्चाई सामने लाकर ही रहेगी ।
सिग्नल ग्रीन हुआ । दोनों गाड़ियां आगे बढ़ चली । ज़ब आगे वाली गाड़ी हॉस्टल के रास्ते पर मुड़ गईं तो नंदिनीने कहा- "ड्राइवर गाड़ी को घर ले चलो ।"
घर के पहले नंदिनी ने गाड़ी रुकवा दी और कहा -"रीनी तुम लावन्या को माली काका के घर पर छोड़कर आना । मैं अभी उनसे बात कर लेती हूँ ।"
" ठीक है नंदिनी ।"कहकर रीनी और लावन्या गाड़ी से उत्तर गईं ।
नंदिनी घर पहोची । अंदर घुसते ही माँ ने पूछा -' शॉपिंग हो गई बेटा? और रीनी कहाँ है?'
माँ के सवाल को अनुत्तर रख्खे नंदिनी कमरे में चली गईं ।
वाशरूम में जाकर फ्रेश ही हो रही थी नंदिनी की दरवाजे पर दस्तक हुई । टॉवेल से हाथ पोछते हुवे नंदिनी ने दरवाजा खोला । सामने मां थी । एक बार तो नंदिनी का मन हुआ कि उन्हें अंदर न आने दे, पर पता नहीं क्या सोचकर उसने मां को अंदर आने दिया ।
माँ अंदर आकर चुपचाप बेड पर बैठ गई । नंदिनीने बाथरूम में जाकर माली काका को फ़ोन लगाया,ओर धीमी आवाज़ से बात करने लगी । ताकि माँ को सुनाई ना दे । बात ख़तम कर के बाहर आकर उनके पास नंदिनी भी बैठी । कुछ पल दोनों के दरम्यां ख़ामोशी रही फिर नंदिनी ने ही चुप्पी तोड़ी, क्योकि उसे लगा कि माँ को पिताजी की करतूत बतानी चाहिए ।
" माँ कुछ बात करनी हैँ आपसे ।" नंदिनी ने माँ का हाथ अपने हाथ में लिया । वह आगे कुछ बोलती उसके पहले ही दरवाजे पर दस्तक हुई । मां - बेटी ने एक-दूसरे की तरफ देखा । नंदिनी दरवाजा खोलने के लिए उठ खड़ी हुई । दरवाजे पर रीनी थी । उसे देखकर नंदिनी को सुकून मिला । रीनी के अंदर आने पर नंदिनी ने दरवाजा बंद कर लिया ।
" रीनी तुम एकदम समय से आई हो । मैं मां को पिताजी की हकीकत के बारेमे बताने ही जा रही थी । जब सच्चाई सामने आ ही चुकी हैं तो अब क्यों देरी?"
इतने में मां बोल पड़ी । उनकी आवाज में व्यग्रता थी ।
" क्या बात है? बताओ!"
" मां मैं तुमसे पिताजी के बारेमे कुछ खास बात बताना चाहती हूँ ।
" कौन सी खास बात? " मां ने पूछा ।
" मां, पिताजी एक हॉस्टल की वार्डेन के साथ मिलकर उस हॉस्टल की लड़कीओ से गलत काम करवाते हैं... " फिर नंदिनी ने एक सांस में सारी बात मां को बता दी ।
" मुझे सब पता हैं ।" मां ने एकदम शांति से कहा, मानो यह सब कोई मामूली बात हो ।
" क्या ?" नंदिनी वं रीनी एक साथ चौंक पड़ी ।
* * * * *