LOC - Love Up Crime - 9 in Hindi Crime Stories by jignasha patel books and stories PDF | एलओसी- लव अपोज़ क्राइम - 9

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एलओसी- लव अपोज़ क्राइम - 9


बेहद घबरा गई थी नंदिनी। आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा। फंसे गले से बोली, " एक्सीडेंट कैसे हुआ।"
"मैडम, वो सब तो पता नहीं पर बहुत गंभीर हालत है। सरकारी अस्पताल में भर्ती है।"
नंदिनी ने अपने आप को जैसे- तैसे संभाला। उसे अब यह यकीन होने लगा कि उसके खिलाफ कोई बड़ी साजिश रची गई है । पप्पू का अचानक एक्सीडेंट इसी साजिश का एक हिस्सा है, वर्ना ऐसा होना कोई संयोग भी तो संभव नहीं है ।
नंदिनी और रीनी अस्पताल पहुंचे। पप्पू की हालत सचमुच गंभीर थी। उसका सर फट गया था। एक्सीडेंट लिंक रोड पर हुआ था। एक टेम्पो वाले ने पप्पू को टक्कर मार दी थी ।'ओह माय गॉड! लिंक रोड पर!!' ऐसा कैसे संभव है। नंदिनी हैरान हो गई। जब उसकी बात पप्पू से हुई थी तो वो हाइवे के पास था। वह जगह उसकी दुकान के आसपास ही थी। वह वहां पर दुकान के लिए कुछ सामान खरीदने गया था। वहां से वह 10 मिनट में आने वाला था। 'फिर वो किस काम से लिंक रोड गया था? क्या किसी ने उसे वहां बुलाया था? वो लिंक रोड पंहुचा कैसे?' इस तरह के बहुत सारे सवाल नंदिनी के दीमाग में उमड़- घुमड़ रहे थे।
ऑपरेशन थिएटर से पप्पू को आई सी यू में शिफ्ट कर दिया गया था । पप्पू के सिर पर 23 टांके लगे थे। आई सी यू के सीनियर रेजिडेंट डॉ. मल्होत्रा से नंदिनी की बात हुई। " डोंट वरी मैडम! कंडीशन क्रिटिकल बट स्टेबल। पेशेंट के होश में आने के बाद आप उससे मिल सकती है। " " थैंक यू डॉक्टर! जब उन्हें होश आए तो प्लीज कॉल मी ।","ओके आई विल कॉल यू ।"डॉक्टर ने कहा ।
नंदिनी और रीनी फिर पप्पू की दुकान के पास आई। नंदिनी ने आसपास के कुछ दुकानदारों से पूछताछ की। पर कही से काम की कोई जानकारी नहीं मिली। नंदिनी की थकान निराशा के मारे दुगनी हो गई थी। दरअसल, इंसान जो करना चाहता है, अपनी सुविधानुसार वैसे ही शब्द और तर्क खोज लेते है और इस भ्रम में रहता है कि जो सचमुच होना चाहिए, वही वह कर रहा है। प्रतिदिन सूर्य किसलिए निकलता है? क्या उसे कोई पगार मिलती है? फूल किसलिए खिलते हैं? क्या उन्हें कोई बड़ा लाभ होता है खिलने में? सुबह होते ही पंछी क्यों गाते हैं? क्या ये उनकी नौकरी है? हवाएं क्यों चलती हैं? नदिया क्यों बहती है? मोर क्यों नाचते हैं? क्या उन्हें कोई फायदा होता है? क्या उनको कोई सुख मिलता है? क्या ऐसा करने में उनका कोई विशेष स्वार्थ है? नहीं! ये सब बिना स्वार्थ अपना कार्य कर रहे हैं। ये सब भरे हुए हैं भीतर से, और बस बह रहे हैं, पूरी दुनिया में एकमात्र इंसान ही ऐसा है जो फल के लिए जी रहा है । भविष्य की कामना में जी रहा है। नंदिनी भी आज जो मेहनत कर रही है रही है, वह भविष्य की कामना में कर रही है। वह अपना भविष्य अभी को मानती है ।
उस भविष्य के लिए वह कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती ।थककर चूर होने के बावजूद, निराशा से भरी होने के बावजूद भविष्य की अभिलाषा ने उसके अंदर ऊर्जा संचित करने का काम किया। पप्पू की दुकान से थोड़ा आगे हाइवे के रास्ते पर पान की एक दुकान देखकर नंदिनी को ऐसा लगा कि कुछ सकारात्मक हो रहा है। यंत्रवत वह पानवले के पास पहुंची और उससे पप्पू के बारे में पूछ लिया।
" हां मेम साहब, मैं जानता हूं पप्पू चायवाले को। वह बहुत अच्छा इंसान है। उसके साथ बहुत बुरा हुआ। एक्सीडेंट से पहले मैंने उसे देखा था।"
"कहां देखा था भैया?" नंदिनी उत्सुकता से बोल पड़ी।
" वो सामने मैडम! ( पानवाले ने सड़क के पार इशारा किया ), पप्पू आ रहा था, तभी एक कार आकर वहां रुकी और उसमे पप्पू बैठ गया ।"
" फिर क्या हुआ? "
" फिर कार स्टार्ट हुई और चली गई।"
मामला सुलझने की बजाय और उलझता जा रहा था ₹। पप्पू अगर कार में चुपचाप बैठ गया तो इसका मतलब यह है कि वो कारवाले को जानता था । वो उसके साथ लिंक रोड पर क्यों गया? और लिंक रोड पर एक्सीडेंट कैसे हो गया? क्या कोई सोची- समझी साजिश। कोई षड़यंत्र के तहत।
" नंदिनी! नंदिनी!! " रीनी की आवाज ने नंदिनी की तंद्रा तोड़ी
" हां रीनी । "
" क्या सोच रही हो नंदिनी? "
" रीनी, यह सब जो हो रहा है । उसके पीछे किसका हाथ हो सकता है? ऐसा कौन कर सकता है? "
" मेरी भी समझ में नहीं आ रहा है कि कोई ऐसा क्यों करेगा? पप्पू की क्या किसी से दुश्मनी.....? "नंदिनी ने उसकी बात को बीच में काट दिया-
" रीनी, पप्पू की क्या किसी से दुश्मनी होगी? मेरा मानना है कि इसके पीछे अभी का हाथ है।"
" मुझे भी ऐसा ही लग रहा है।" रीनी और कुछ कहती कि उसके मोबाइल की घंटी बज उठी।
नंदिनी की तरफ देखते हुए रीनी ने कहा, " नंदिनी घर से फ़ोन है। "
नंदिनी ने कहा '' मत उठाओ । "
" नंदिनी क्या हम पुलिस को बता दें?" रीनी ने कहा।
" नहीं! बिल्कुल नहीं! वैसे भी हमारे पास कोई खास जानकारी भी तो नहीं है। "
"पुलिस में प्रॉपर कंप्लेन करने से वह कुछ तो करेगी?"
"रीनी, मुझे अब किसी पर कोई भरोसा भरोसा नहीं रहा। हमें चुप रहना होगा। जब तक सच्चाई का पता नहीं चल जाता तब तक।"
बातचीत का दौर आगे बढ़ता, उससे बीच अस्पताल से डॉ. मल्होत्रा का फोन आ गया कि, "पप्पू को होश आ गया है।"
इस खबर से नंदिनी ने चैन की सांस ली -'थैंक्स गॉड! पप्पू सही सलामत है। अब कोई न कोई सूत्र मिल ही जायेगा।' एक्सीडेंट की बात सुनते ही नंदिनी डरी हुई थी क्योंकि वह पप्पू की मदद के बिना सच की तह तक पहुंच न पाती। ईश्वर का धन्यवाद कि पप्पू ठीकठाक है। उस बेचारे को कुछ होना नहीं चाहिए । उसके और अभी के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है पप्पू । उससे कुछ न कुछ पता चल ही जायेगा।
अस्पताल पहुंचने पर नंदिनी और रीनी दोनों आई सी यू पहुंची । पर यह क्या, वहां तो पुलिस मौजूद थी। एक पल के लिए तो डर गई नंदिनी, पर दूसरे ही पल ख्याल आया कि, यह तो रूटीन प्रोसीजर है । एक्सीडेंट का केस है... तो मामला स्वतः मेडिको लीगल हो गया है, ऐसे में पुलिस भी मौजूदगी जायज ही है । नंदिनी पूछताछ ख़त्म होने का इंतजार करने लगी।
पुलिसकर्मियों के बाहर जाते ही नंदिनी रूम में जाने लगी तो एक नर्स ने उसे रोक दिया, " मैडम प्लीज, 2 मिनट रुकिए । एक जरूरी इंजेक्शन लगाना है पेशेंट को। "
इंजेक्शन के बाद नंदिनी की पप्पू से मुलाक़ात हुई । वह काफ़ी कमजोर लग रहा था।
" पप्पू क्या बात है बताओ? " नंदिनी ने अधीरता से कहा । उसने कम से कम एक मिनट तक कोई हरकत किए बिना शांति से सांस भरी, जैसे संगीत समारोह में पियानों बजाने वाला कोई उस्ताद अपने साज की तार को अपनी कुशल उंगलियों से छूने से पहले करता है । वह विराम अर्थपूर्ण था, कुछ कहने लगता था और उसके कारण नंदिनी को अहसास हुआ कि जैसा अहसास वह नंदिनी को कहना चाहता था कि कोई गहरे राज की बात बताना चाहता है।
" मे'म साब, मे'म साब... वो अभी साहब ने मुझे... एक चिट्ठी दी... और कहा कि...।"
पप्पू अपनी बात पूरी करे कि उसकी सांसें तेजी से चलने लगी। वो बहुत ही मुश्किल से बोल पा रहा था।
" हां...हां... बोलो पप्पू... साहब ने क्या कहा था... पप्पू!" नंदिनी एकदम उतावली हो गई।
इतने में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर वहां आ गये। उसने नंदिनी से कहा... " मैडम, प्लीज! पेशेंट अभी ज्यादा बात करने की कंडीशन में नहीं है। वह बोल नहीं पा रहा है। प्लीज डोन्ट डिस्टर्ब हिम।"
" लेकिन डॉक्टर!"
" नो मैडम । पेशेंट को अभी आराम करने दीजिए। अभी आप जाइए। जब वो बात करने की हालत में होगा तब हम आपको इतिला कर देंगे।"
मजबूरन नंदिनी को वहां से निकलना पड़ा । वह दरवाजे की तरफ बढ़ ही रही थी कि उसके कानों में पप्पू की आवाज आई - " मे'म साब। "
नंदिनी पप्पू के पास पहुंची, उसने पप्पू का हाथ पकड़ा और बोली -
" बोलो, पप्पू बोलो...। "
" मे'म साब आपका छोटा भाई दीपक। " पप्पू की आवाज़ बंद हो गई, वह बेहोश हो गया।
नंदिनी भौचक्की रह गई। डॉक्टर ने पप्पू की जांच की और एक इंजेक्शन दिया।
"मैडम अब आप जाइए, प्लीज ।"
नंदिनी हजारों सवालों के साथ अस्पताल से बाहर निकली। उसके मन में जो सबसे अहम सवाल था, वह यह था कि ' आख़िरकार पप्पू दीपक के बारे में क्या बताना चाहता था?
* * * * *