Me and my feeling - 27 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | मे और मेरे अहसास - 27

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मे और मेरे अहसास - 27

 

हाथो की लकीरों मे नहीं है l
उसका दिल में टैटू गया है ll

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छोटी छोटी बातों मे दिल मत दुखाया कीजिए l
हर बार जान को तुम यू मत जलाया कीजिए ll

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सलीक़ा होता है पीने का महफ़िल मे दोस्तों सुनो l
दिल बहलाने के लिए कुछ जाम बचाया कीजिए ll

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खुश होना और खुशी का दिखावा करना हुन्नर होता है l
दिल की बातें दिल में ही छुपाने रखना हुन्नर होता है ll

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प्यार की डोरी से बंधकर
बहुत दूर नीले आसमान में
उड़ना चाहतीं हू l

खुली हवा में मौजूद
मीठी तरंगें सांसों में
भरना चाहतीं हू ll

विशाल गगन मे उड़कर के
आज़ादी को महसूस
करना चाहतीं हू ll

हवाओ मे लहराते हुए
नीले पीले पतंगों से बाते
करना चाहतीं हू ll

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आंख से जाम छलकाना बंध कर l
पीना है मना तड़पाना बंध कर ll

इतनी भी क्या नाराजगी सनम l
मौन से बात भटकाना बंध कर ll

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मुहब्बत है तो फिर जताते क्यों नहीं हो l
हाल - ए - दिल बताते क्यों नहीं हो ll

साज श्रृंगार कर के फिरते हो शाम सवेरे l
आईना खुद को दिखाते क्यों नहीं हो ll

नशीली निगाहों से पलकें उठाकर आज l
आँखों से जाम पिलाते क्यों नहीं हो ll

यादो को दिल से लगाए रखा है हरपल l
दिल का रिश्ता निभाते क्यों नहीं हो ll

प्यार है तो जानेजा  मुस्कराते हुए l
साथ कुछ पल बिताते क्यों नहीं हो ll

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इतना भी आसां नहीं है इज़हार ए मुहब्बत l
किसीका हो जाना अपनेआप मे बड़ी बात है ll

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प्यार उनको भी है हमसे l
बस उन्हें जताना नहीं आता ll

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नजरे झुकाके बात किया करते हैं l
कहीं कोई तुम्हें ना देख ले हमारी नजरों में ll

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पूरी उम्र गूजर गई एक आश मे l
उन्हें भी याद आती होगी काश के ll

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उनके फोन की रिंग क्या बज़ी l
होठो पे गुले तब्बसुम खिल उठे ll

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प्यार मे तेरे गुनेगार बन गये l
इंतजार करके गुनाह दोहरा रहे हैं ll

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कुछ बाते अनकही रहने दो l
बात निकली तो बात करने को कुछ ना बचेगा ll

  

बड़ी नायाब दौलत हाथ लगी है l
उनकी मुहब्बत मिलने लगी है ll

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फिजाओ मे प्यार का वायरस फेला देना चाहते हैं l
उससे बचने की वेक्सीन कभी नहीं देना चाहते हैं ll

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मेरी सुबह तू मेरी शाम तू l
मेरा दर्द तू मेरा इलाज तू ll

कैसे मे भूला दू तुमको दिल से l
मेरी हर साँस मे सामिल है तू ll

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इंसान की जाति सब पूछते हैं l
दौलत की पहचान कोई नहीं पूछता ll

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नये साल का स्वागत हर्षो उल्लास के साथ मिलकर करिए l
मन में नयी उमंगें भर के नयी आशा से साथ आगे बढ़िए ll

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दिल मे आश लिए आई हू l
दास्तान सुनाने आई हू ll

करने इजहार - ए -मुहब्बत l
फूल ताजा लेके आई हू ll

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चल रही है बात आहिस्ता आहिस्ता l
ढल रही है रात आहिस्ता आहिस्ता ll

दबे पांव सोने मे ना जाने कब से ही l
पल रही है बात आहिस्ता आहिस्ता ll

चांदनी रात मे उनकी आँख मे नमी देख ll
गल रही है बात आहिस्ता आहिस्ता ll

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आज तेरी यादों की बारिस हुईं हैं l
आज फ़िर तूने प्यार से याद किया है ll

दिन हो या रात होश मे ही कहां है हम l
जब से तेरी जुदाई का जाम पिया है ll

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निगाहों का तो कोई ज़ुर्म नहीं था l
तेरे गालों की लाली का कसूर था ll 

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आज कल निगाहें मेरी बंध रखता हूं l
लोग कहते हैं इनमें तू नज़र आती है ll

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पल दो पल का साथ नहीं चाहिए l
जन्म-जन्म का साथ निभाना है ll

उम्मीद का दामन पकड़कर चले l
वक़्त खुशी के साथ बिताना है ll

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खुद खुदा ने भेजा है तुम्हें हमारे पास l
हम कैसे करें तुम्हें ठुकराने का साहस ll

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बड़ी फ़ुरसत से बनाया है उनको रबने l
बड़ी बेदर्दी से दिल तोड़ा है ज़ालिम ने ll

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चाल उसकी गहरी है l
बात कही पे ठहरी है ll

संभल के जो भी कहो l
बाबु जरा शहरी है ll

रूप-ए-अप्सरा पर l
आँख देखो ज़हरी है ll

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टूटा है तो जोड़ लेगे l
रूठा है तो मना लेगे l
दूर है तो पास बुला लेगे l
गया वक्त नहीं है के वापस ना आ सके l
हम उन्हें दिल से लगा लेगे ll

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