till when ?? - 2 in English Moral Stories by Heena_Pathan books and stories PDF | आखिर कब तक ?? - 2

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आखिर कब तक ?? - 2

आखिर कब तक भाग 2 में अब तक आपने देखा दुनिया के अजीब रीति रिवाज और पर्थाए जो हमारा देश हो या विदेश इतने विकसित देश होने के बावजूद जान को और महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार और हमारे मानव जाती पर अत्याचार है यह कुछ प्रथा इस भाग में बताई गई है।

1)
काटनी पड़ती है उंगली

यह रिवाज इंडोनेशिया की दानी जनजाति में प्रचलित है। जब परिवार के किसी सदस्य की मौत हो जाती है तो महिलाओं को अपनी अंगुली का थोड़ा सा हिस्सा काटना पड़ता है। हालांकि पिछले कुछ साल से यह प्रथा यहां प्रतिबंधित कर दी गई है। लेकिन यहां के कुछ बुजुर्ग लोग अब भी इन परंपराओं को मानते हैं।

जापान और रूस के रिमोट एरिया में रहने वाली आइनू ट्राइब में भालू की बलि देने का चलन है. ये भालू को पवित्र मानते हैं. मान्यता है कि इनकी बलि देने से मानवजाति का भला होता है. हालांकि, इनके लिए भले ही यह एक प्रथा हो, लेकिन जानवरों के लिए यह क्रूरता है. भालू को मारने के बाद आइनू ट्राइब के लोग इसका खून पीते हैं और मांस खाते हैं. मरे हुए भालू की खाल और खोपड़ी की हड्डी की पूजा भी की जाती है.

ये अजीब रिवाज किर्गिस्तान, मोल्दोवा और चेचन्या में है। इसमें जो भी लड़का जिस लड़की से शादी करना चाहता है। वो अपने दोस्तों या परिवार वालों की मदद से उस लड़की को किडनैप कर लेता है। ऐसा करना वहां कोई अपराध नहीं माना जाता और इस रिवाज़ के मुताबिक किडनैपिंग के बाद लड़के और लड़की के परिवार वाले इनकी शादी करा देते हैं।

हमारे देश में किसी के मरने की खबर काफी दुख भरी बात होती है। मरने वाले के दोस्त, रिश्तेदार अंतिम संस्कार के दौरान शोक मनाने के लिए रोते हैं। लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां शव यात्रा के दौरान बार बालाओं को नचाया जाता है। ताइवान में एक ऐसा रिवाज है जिसमें दाह संस्कार के वक्त बार बालाओं से मुजरा कराया जाता है और यह बालाएं अश्लील डांस करते हुए लोगों को खुश करती है। यहां की परंपरा के अनुसार जब कोई मरता है तो उसकी शव यात्रा के दौरान उसके जनाजे के काफिले के साथ बार डांसर भी रहती है और यह बाकायदा मृतक की गाड़ी के साथ नाचते हुए श्मशान तक जाती है। अब आप हमें कमेंट करके बताइए की आपको सबसे अजीब परंपरा कौन सी लगी। धन्यवाद।


आज भी कर्नाटक के कुछ भागों में यह विवादित परंपरा को मनाया जाता है। इसमें 2 वर्ष से छोटी लड़की को लगभग 30 फीट की उंचाई से मंदिर के गुंबद तक उछाला जाता है। इसके बाद एक कंबल की मदद से लड़की को नीचे खड़े लोगों के द्वारा पकड़ लिया जाता है। हालांकि लड़की को सुरक्षित रोक लिया जाता है लेकिन उम्र को देखकर ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है।

दुनिया में और देश में भी कई प्रथाए है जो सदियों से चली आ रही है! जो ना तो बंध हुई ना किसी ने विरोध किया कई बच्चों और महिला ओं पर अत्याचार हो रहा है !

इस के लिए जिम्मेदार कौन है? समाज या हमारी सोच .