Broken with you... -4 in Hindi Moral Stories by Alone Soul books and stories PDF | Broken with you... - 4

Featured Books
  • You Are My Choice - 41

    श्रेया अपने दोनो हाथों से आकाश का हाथ कसके पकड़कर सो रही थी।...

  • Podcast mein Comedy

    1.       Carryminati podcastकैरी     तो कैसे है आप लोग चलो श...

  • जिंदगी के रंग हजार - 16

    कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उ...

  • I Hate Love - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 48

    पिछले भाग में हम ने देखा कि लूना के कातिल पिता का किसी ने बह...

Categories
Share

Broken with you... - 4

अंजली, अंजली अंजली, उठो आज तो अपना बयान दर्ज करा दो ... क्या हुआ था कुछ तो बता दो .... (वकील साहब अपनी पूरी आश ले कर पहुंच गए थे )

क्या बे वकील तू फिर आ गया साले मना किया था ना निकल निकल बाहर तू ~अंजली

{ जब शोर ज्यादा होने लगा तब थानेदार साहब मुंह में पान खाते आए }
क्या वकील बाबू अभी इंजेक्शन लगा है इस पागल को आप चले जाइए इसकी उम्र कैद को कोई नहीं टाल सकता है - थानेदार


मगर वो बेगुहान है ये मै साबित कर के रहूंगा - वकील

क्यों इतना दिलचस्पी है तुमको इस पागल में - थानेदार

देखो दरोगा तुम सिर्फ आंखो देखा काम करते हो हम वकील है हमको पता है कि क्या क्यों कैसे करना होता है और दूसरी बात पागल नहीं है अंजली दुबारा बोले तो तुमको साले ठीक कर देगे ठीक है यही मिट्टी में मिला देगे तुमको बता रहे है हम साले (( बहन)) है मेरी

[बस इतने में सारा माहौल ही बदल गया सब चुप हो गए और वकील साहब कुर्सी पर बैठ गए ]

थानेदार साहब पानी ले कर आए और प्यार से वकील को गले लगा लिया माफ कर दो वकील
वकील साहब ने मुस्कुराते हुए बोले - कभी कभी इंसान को कई चीजे महसूस हो कर सबक सिखा देती है
आज जो हालत है सब देख रहे है पर जो मेरी बहन थी वो तो खो गई है ।
पता नहीं क्यों और क्या छुप रही है। " हम इंसानों ने ज़िन्दगी को प्रॉफिट और लॉस का सौदा बना लिया है "

कब वो मुझे सच बताएगी ये में सोच ही नहीं पा रहा हूं ।

########दोपहर १ बजे ######



"किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो के उधार "🎶🎶🎶🎶🎶🎶🎶
अंजली को गाते सुन वकील फिर उसके पास जाता है ।

आ गए फिर तुम गए नहीं अपनी आम्मा के पास हो - अंजलि


वकील बाबू - बता दो अंजली तुम्हारे हाथ जोड़ रहा हूं

(अच्छा ठीक है आओ बैठो बता रही हूं क्यों मारा साली को )


👉रात थी 14 feb 8 बजे सब अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ जाने को ले के बात कर रही थी मै प्रिया को समझा रही थी कि मत जाओ मगर वो नहीं मान रही थी और उसने ज़िद पकड़ी थी कि मै भी उसके साथ जाऊं

मन तो मेरा था में ठहरी छोटे से शहर की रामपुर की मगर में अपने दिल की सुन नहीं रही थी इतने में प्रिया ने ब्लैक कलर की ड्रेस ले कर आई जो में कई दिन सपने में देख रही थी मगर फिर मैने मना कर दिया ।

फिर प्रिया बोली कि मेरे mom & dad भी आ रहे है अब तू चल सकती है ।


बस फिर क्या मै भी उसके साथ उसके फॉर्म हाउस पर जाने के लिए तैयार हो गई।







(तो दोस्तो आगे की कहानी शेष भाग में तब तक आप सोच की क्या ऐसी वजह होगी की एक लाजवाब दोस्ती किस हद तक दफन हुई कि मौत ने सहारा दिया )