One flower two gardener (last part) in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | एक फूल दो माली (अंतिम भाग)

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एक फूल दो माली (अंतिम भाग)

"मर्द औरत सिर्फ बच्चा पैदा करने के लिए हमबिस्तर नही होते।शारीरिक भूख मिटाना भी जरूरी है।पति पत्नी एक दूसरे की शारीरिक भूख मिटाते है।लेकिन तुम नामर्द हो।मेरे शरीर की भूख जगा तो सकते हो पर शांत नही कर सकते।फिर मुझे किस मुह से रोक रहे हो।"
दीना अपनी शारीरिक कमजोरी से वाकिफ था।वह यह भी जानता था कि रेवती पराये मर्द से सम्बन्ध जोड़ना नही चाहती थी।लेकिन बच्चे की खातिर दीना ने ही मोहन से सम्बन्ध जोड़ने के लिए पति पर दबाव बनाया था।पति के कहने पर भी उसने मोहन से सम्बंध नही तोड़े और वह एक और बच्चे की माँ बन गई।।
मोहल्ले के लोगों ने पहले ध्यान नही दिया।लेकिन जब मोहन ,दीना की गैर हाजरी में रोज उसके घर आने लगा,तो लोगो के कान खड़े हो गए।दीना की अनुपस्थिति में मोहन का रेवती के घर मे घुसे रहना अखरने लगा।औरते कानाफूसी करने लगी।तब एक दिन कुछ लोगो ने दीना से कहा,"तुम्हारे न रहने पर मोहन आता है।इसका दुसरो पर भी गलत असर पड़ेगा।तुम उसे अपने घर आने से रोको".
"लोगो को क्या एतराज है अगर वह मेरे पास आता है।"
दीना चाहता था।मोहन उसके घर न आये।उसने पत्नी को समझाया।लेकिन वह चाहकर भी पत्नी को रोक नही सका।
तब कुछ लोग बोले,"बीबी दीना के काबू में नही है".
"फिर क्या करे कुछ लोग बोले थे।"
"हमे ही कुछ करना पड़ेगा।"
दीना के काम पर जाने के बाद एक रात मोहन रेवती के पास आया।तब लोग उसके घर मे घुस गए।उन्होंने रेवती और मोहन को बांध दिया।वे रात भर बंधे रहे।सुबह होने पर उन्होंने पुलिस बल ली।पुलिस रेवती और मोहन को अपने साथ ले गई।सुबह दोनो को एस डी एम के सामने पेश किया गया।
"रात को मोहन तुम्हारे घर मे था?" एस डी एम ने रेवती से पूछा था।
"जी था," रेवती ने जवाब दिया था।
"मोहन पति की अनुपस्थित में तुम्हारे घर मे क्यो आता है"?एस डी एम ने फिर प्रश्न किया था।
"हुजूर, मैं मोहन से प्यार करती हूँ".
"तुम विवाहित हो"?
"हा मै विवाहित हूँ।मेरी दीना से शादी हुई है।दीना मेरा पति है और मेरे बच्चे भी है।मै दो बच्चों की माँ हू".
"एक विवाहित औरत का जो दो बच्चों की माँ भी हो।परपुरुष प्यार करना।उससे शारीरिक स्थापित करना।नैतिकता के खिलाफ होने के साथ सामाजिक रूप से भी गलत है।क्या तुम इस बात को जानती हो"?एस डी एम ने रेवती से पूछा था।
"हुजूर जो आप कह रहे है सत्य है।इन बातों से में पूरी तरह से वाकिफ हूँ।"रेवती बोली थी।
"क्या तुम्हारे पति को मालूम है कि तुम्हारे मोहन से अवैध सम्बंध?"
"हुजूर मेरे पति को सिर्फ मालूम ही नही है।मुझे पतिव्रता से पतिता बनाने का जिम्मेदार ही मेरा पति है।उसी ने मुझे मोहन से सम्बंध जोड़ने के लिए दबाव डाला था।"
"यह क्या कह रही हो तुम?"रेवती की बात सुनकर एस डी एम चोंकते हुए आश्चर्य से बोले थे।
"सच कह रही हूँ।मेरा पति नामर्द है।वह बच्चा पैदा नही कर सकता था।लेकिन बच्चा मेरी कोह से ही चाहता था।मैं नही चाहती थी फिर भी उसने मुझ पर दबाव डालकर मुझे मोहन से सम्बंध बनाने के लिए मजबूर किया,"रेवती सच्चाई बयान करते हुए बोली,"लोग क्या कहते है इसकी मुझे परवाह नही है।मैं मिहान के बिना नही रह सकती।पति चाहे तो मेरे साथ रह सकता है।चाहे तो मुझे छोड़ सकता है।मैं द्रोपदी बनने को तैयार हूँ लेकिन पतिव्रता नही।"
रेवती ने अपना निर्णय सुना दिया था।