Friendship of humanity in Hindi Short Stories by Ambika Jha books and stories PDF | दोस्ती इंसानियत की

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दोस्ती इंसानियत की

अपने परिवार में खुल कर बात करते हैं जैसे:- अपने मम्मी-पापा से, भाई अपनी बहन से... एक दोस्त की तरह होते हैं ।
जो बचपन से साथ खेलते हैं पढ़ते और खाते हैं।
बचपन की दोस्ती।
हम साथ ही बिजनेस करते हैं। अपने काम से कभी हम उनके घर जाते हैं कभी वह हमारे घर आते हैं। आते-जाते दोस्तों जैसा व्यवहार हो जाता है और फिर हम उसे दोस्ती का नाम दे देते हैं।
यह है व्यावहारिक दोस्ती।
एक दोस्ती होती है पड़ोसियों से उनके सुख-दुख में हम जाते हैं वह हमारे पास आते हैं साथ रहते-रहते हम उन्हें दोस्ती का नाम दे देते हैं।
एक दोस्ती होती है इंसानियत की दोस्ती ।
इस दोस्ती में हम एक दूसरे को नहीं जानते हैं।
रास्ते में कहीं भी जा रहे हैं आते जाते किसी को गलत काम करते हुए देख लेते हैं, और फिर उसे अपनी सूझबूझ से इस तरह से समझाते हैं कि वह गलत काम करना छोड़ कर सही कामों में जुट जाता है।

तो चलिए बात करते हैं सुमन और नेहा की।
सुमन अपनी सहेलियों के साथ घूमने आती है पहाड़ों पर।
सारी सहेलियाँ खिल-खिलाकर हँसती हुई एक दूसरे के साथ मजाक मस्ती में लगी हुई हैं।
पर सुमन वही कुछ दूर पर बैठी हुई नेहा को देख रही है। उसके हाव भाव से उसे महसूस होता है जैसे नेहा खुदकुशी करने की कोशिश कर रही है। उसके आँखों में दर्द, बेबसी और निराशा दिखती है।
उसे गौर से देखने के बाद उसे ऐसा महसूस होता है पढ़ी-लिखी संस्कारी लड़की है।
....शायद अपने पाँव पर खड़ी भी।
फिर सुमन नेहा के पास जाती है
और नेहा से कहती है मैं भविष्य देख सकती हूँ और हम देख रहे हैं तुम्हारा भविष्य दो साल बाद का।
नेहा चकित होकर सुमन को देखने लगती है कि हम तो इसे जानते ही नहीं और यह हमें हमारा भविष्य बता रही है। जबकि हमारा भविष्य यह है कि हम कुछ पलों बाद इस दुनिया में ही नहीं रहेंगे।
उसे झूठ लगता है।
उसका दिमाग काम करना शुरू कर देता है जो कुछ समय पहले तक बंद हो गया था किसी हार की वजह से।
वो कहती है झूठ दो साल बाद क्या होगा तुम्हें कैसे पता। सुमन कहती है हमें पता है तुम कहो तो हम बताएँ। फिर नेहा कहती है हाँ कहो।
हम देख रहे हैं दो साल बाद एक बहुत ही सुंदर सा घर है और ढेर सारे बच्चे हैं ढ़ेर सारी महिलाएं भी हैं जो काम कर रहे हैं। हर कोई तुमसे आ करके अपने काम के बारे में बता रहा है ।
और पूछ रहा है कोई दीदी कोई बहन कोई बेटी कह के तुम्हें संबोधित कर रहा है और तुम खुश हो।
बहुत सारे अनाथ बच्चे हैं जिसकी देखभाल कर रही हो। बहुत सारी महिला है साथ में मिलकर काम कर रही है। तुम्हारे अपने इस डिसिजन से बहुत खुश हैं।

नेहा के अंदर का आत्मविश्वास जागृत हो जाता है
और वो सुमन को गले से लगा लेती है।
फिर वो बताती है दो साल पहले उसने अपने साथ ही काम कर रहे लड़के से माता-पिता के आज्ञा के बिना शादी कर ली थी और हम बहुत खुश थे।
अचानक दो महीने पहले हमारा एक्सिडेंट हुआ।
डाक्टर के अनुसार अब हम माँ नहीं बन सकते।
हमारे ससुराल वालों का रवैया बदल गया।
अब वो अपने बेटे की दूसरी शादी करवाना चाहते हैं।
दुख इस बात का है, जिसके लिए हम अपने परिवार और समाज को छोड़कर उसके साथ आई
उसने भी हमसे मुँह मोड़ लिया।
माता-पिता ने कहा हमारी इच्छा के विरुद्ध तुमने जो फैसला लिया वो ग़लत निकला।
अब इसमें हम क्या कर सकते हैं।गलत डिसिजन
लिया है तो परिणाम तो भुगतना पड़ेगा।
हम बिल्कुल अकेले हो गए हम क्या करें? समझ नहीं आ रहा था।
पर अब हमें पता है हमें क्या करना है।

फिर नेहा ने एक फैसला और लिया अपने पति से डिवोर्स लेने का।
अपना अलग संसार बसाने का। काम वो पहले से करती थी, तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
एक अलग सा आत्म विश्वास आ गया उसके अंदर।
अपने जैसे जीवन से निराश व्यक्ति की सहायता करने की, उसने मन में ठान लिया।
और दो साल बाद एक दिन सुमन ने फैसला किया की अनाथ आश्रम के लिए वह अपने जन्मदिन पर ढेर सारे खिलौने और चॉकलेट बांटने जाएगी।
और वह अपने नजदीक ही नेहा अनाथ आश्रम गई।
नेहा नाम सामने आते ही उसे दो साल पहले की घटना याद आ गई।
और सामने नेहा को देखकर चेहरे पर मुस्कान आ गई।
नेहा सुमन से गले मिलते हुए शुक्रिया करती है।उसका और कहती है ,आज उसकी वजह से वह इतनी खुश है वह कुछ कर पाई किसी और के लिए ,

बदले में उसे ढेर सारी खुशियाँ मिली।
अपने बच्चों को पास बुलाती है और कहती है मिलो यह है सुमन हमारी फ्रेंड।
दो साल पहले इन्होंने हमारे अंदर एक आत्मविश्वास भरा था जिसकी वजह से आज हम तुम्हारे साथ हैं।
यह भविष्य देख सकती हैं।
सुमन ने कहा नहीं हम भविष्य देख नहीं सकते। पर शायद बना जरूर सकते हैं अगर हम चाहे तो।
हमने तुमसे झूठ कहा था। तुम्हें देखकर हमें ऐसा लगा था कि तुम आत्महत्या करने वाली हो।
तुम्हें बचाने के लिए हमने बस ऐसे ही कह दिया था।
पर हमारी कही हुई बात सच साबित हुई इसमें तुम्हारी कठिन मेहनत, परिश्रम और आत्मविश्वास तुम्हें औरौं के लिए कुछ करने की चाह और तुम्हारी खुद की मेहनत है।
फिर सुमन हर साल यहाँ अपने जन्मदिन पर बच्चों से मिलने आती और नेहा से ढेर सारी बातें करती।
आज नेहा के माता-पिता भी नेहा के साथ ही रहते हैं।
अम्बिका झा 🙏🙏
समाप्त