Freedom struggle in villages of India - 3 in Hindi Moral Stories by Brijmohan sharma books and stories PDF | भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 3

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 3

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रोलट ऐक्ट
सन १९१९ में अंग्रेजी शासन ने ऐक खतरनाक कानून “ रोलट ऐक्ट “ पास कर दिया जिसके अनुसार वे किसी भी भारतीय को बिना कारण बताऐ, कभी भी,कितने समय के लिऐ गिरफ्तार कर सकते थे I इस अंधे तानाशाही कानून से पूरे देश में जनता में रोष की लहर फ़ैल गई I अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जगह जगह हड़ताल प्रदर्शन का सिलसिला चल निकला I

चित्र क्र 5
पंडित शिव भी पुरे जोश के साथ इस आन्दोलन में कूद पड़े I पहले उन्होंने अपने कार्यकर्ताओ के साथ गावों में इस रोलट ऐक्ट की विभीषिका समझाते हुऐ ग्रामीणों में जाग्रति फ़ैलाने का प्रयास किया I यद्यपि अधिकांश ग्रामीण उनके स्पष्टीकरण को समझते नहीं थे किन्तु पंडितजी के पुजारी व कुशल वैद्य होने से वे उनका आदर करते थे I कुछ धनिक कृषक मंदिर व धर्म के नाम पर धन देकर उनकी सहायता करते थे I  यद्यपि इस जन आंदोलन को कुचलने के लिऐ अंग्रेजी सरकार ने लाठी डंडे आदि का प्रयोग किऐ किन्तु आदोलन व प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। पंडितजी ने भी इस आन्दोलन में भाग लेने के लिऐ पुलिस के डंडे खाऐ व जेल की यात्रा की किन्तु भारत माता के लिऐ भारी यातनाऐ रोकने के बजाय उन्हें और जोश से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही I


साइमन कमीशन का विरोध
फरवरी १९२८ में साइमन कमीशन भारत आया I यह कमीशन भारतवासियों को कुछ संशोधनों के साथ अपने प्रान्तों के चुनावो में भाग लेने की आज़ादी देना चाहता था I किन्तु अंग्रेज सरकार के सभी संशोधन सिर्फ ऊपरी दिखावे के अतिरिक्त कुछ नहीं होते थे, जनता उनके धोखे को समझ चुकी थी I अंग्रेज सरकार ने इस आन्दोलन को कुचलने के लिऐ आंदोलनकारियो पर निर्ममता से भारी लाठी चार्ज किया I इस आन्दोलन से देश को ऐक भारी क्षति हुई I पुलिस की लाठी से प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय मारे गऐ I अन्य अनेक नेता सदा के लिऐ अपाहिज हो गऐ I

चित्र क्र 6
लालाजी की मौत का बदला लेने के लिऐ उग्र क्रांतिकारियों ने जनता पर जुल्म करने वाले अंग्रेज अफसरों की हत्या करने के लिऐ अनेक खतरनाक संगठन बना लिऐ I चंद्रशेखर आज़ाद ने काकोरी नामक स्थान पर सरकारी खजाना ले जा रही ट्रेन को लूट लिया I उनके संगठन ने उन सभी अंग्रेज अफसरो की हत्या करने का प्रयास किया जो भारतीयों पर अत्याचार करते थे I

जलियावाला बाग के लिऐ जिम्मेदार अंग्रेज अफसर जनरल डायर क्रांतिकारियों के डर से इंग्लॅण्ड में जा छुपा था I ऐक क्रांतिवीर ने अपना नाम व वेश बदलकर उसे इंग्लॅण्ड में जाकर बड़ी चतुराई से गोली मार दी I

भगतसिंग व बटुकेश्वर दत्त ने भरी विधानसभा में विस्फोट करके कुम्भकर्णी निद्रा में सोई हुई भारत की जनता को जगाने का प्रयास किया I

31 दिसम्बर १९२९ को लाहोर अधिवेशन में नेहरूजी ने रवि के तट पर तिरंगा लहराकर पूर्ण स्वराज की घोषणा कर दी I


पूर्ण स्वाधीनता की घोषणा
दिसम्बर १९२९ को लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरु ने की I इसमें `31 दिसम्बर १९२९ को पूर्ण स्वराज दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया I इस प्रस्ताव के अनुसार २६ जनवरी १९३० को रावी नदी के तट पर भारत को पूर्ण स्वाधीन देश घोषित करते हुऐ राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा लहराया गया I इसी अधिवेशन में अंग्रेज सरकार जो दिखावटी सुधार व बनावटी बातचीत का नाटक करने वाली सरकार से भविष्य में कोई वार्ता न करने का निर्णय लिया गया I बापू द्वारा शीघ्र सविनय अवज्ञा आन्दोलन व आम जनता को कोई कर न चुकाने आदि आंदोलनों की दिशा में शीघ्र बढ़ने के सुझाव दिऐ गऐ I


गांधीजी के आंदोलन
शिवजी ने गांधीजी द्वारा प्रारम्भ किऐ गऐ सभी आंदोलनो मे हिस्सा लिया था।

उसे स्मरण था कि ऐक बार गांधीजी ने स्वदे्शी आंदोलन शुरू किया था । शिव के गॉंव से सौ कि.मी. दूर ऐक बड़ा शहर था। वहां कुछ कार्यकर्ता इकट्टे हुऐ । उन्होने ऐक बैलगाड़ी की व्यवस्था करके पूरे शहर का चक्कर लगाया। उन्होने लोगो से अपने विदे्शी कपड़ों व श्रंगार व अन्य विदे्शी सामग्रियों को उनके झोलों में फेकने की अपील की तथा सरकार को सभी कर चुकाने से मना किया । इससे अंग्रेजी सरकार की सारी कमाई रोकने की योजना थी जो यहाँ सिर्फ धन ऐकत्रित करना चाहती थी । शाम तक उनकी गाड़ी जनता द्वारा फेंके हुऐ सामान से भर गई । अंधेरा होने पर विदे्शी सामान की होली जलाई गई। ऊपर आसमान में उठती हुई लपटें और घना धुंआ दूर दूर तक देखे जा सकते थे ।

फिर वे अपने कुछ चुनिन्दा कार्यकर्ताओ को लेकर आन्दोलन को और प्रचंड रूप देने के लिऐ और कार्यकार्ताओ को भर्ती करने लगे I वे नऐ भारती होने वाले युवक हड़ताल, धरने व स्कूल कॉलेज दुकाने बंद करने में बढ़ चढ़ कर भाग लेने लगे I

पहले दिन कार्यकर्ताओ ने स्कूल कॉलेज बंद करने शुरू कर दिया I उन्होंने कुछ विद्यार्थियो को अपने साथ जोड़ लिया I

कार्यकर्ता जुलुस निकलकर नारे लगा रहे थे :

“स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है,भारत माता की जय, गांधीजी अमरे रहे, स्वदेशी अपनाओ ; विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार करो, सरकारी नौकरी व विदेशी शिक्षा का त्याग करो” आदि आदि I

अगले दिन उन्होंने सुबह से जत्थे बनाकर शहर की दुकानों को समझाइश देकर बंद करवाया I

तीसरे दिन उन्होंने उपरोक्त नारे लगाती हुई ऐक विशाल रैली का आयोजन किया I

किन्तु उनकी ताक में बैठी पुलिस ने उन पर लाठी डंडे बरसना शुरू कर दिया I सभी कार्यकार्ताओ को पंडितजी ने पहले ही पुलिस से बचने व उसे छकाकर बाद में गिरफ़्तारी देने की ट्रेनिंग दे दी थी I अधिकांश कार्यकार्ताओ ने छिपकर, भागकर व पुलिस को छकाते हुऐ खूब दौड़ाया I

अधिकांश कार्यकर्ता बच निकले वही अनेको समर्पित कार्यकर्ताओ ने पुलिस के डंडे खाते हुऐ अपनी गिरफ़्तारी दी I