HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-4) in English Fiction Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-4)

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HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-4)



अबतक आप पढे हैं की जानुआ अपनी भैया और भाभी को अपने प्यार के बारे में बताता हैं । वो दोनो इस बातपे राजी भी हो जाते हैं और सादी करवाने केलिए केहते हैं । अब आगे.......



कुछ देर बाद जानुआ अपनी रूम् से आता है और बोलता है, भैया मैंने उसकी घरवाले से बात की वो भी राजी है कल सादी करने केलिए । बुढा बोलता है तेरा खुसी में मेरा खुसी । अगर तु चाहता है उस लेडकी से सादी करना तो में क्युं मना करूगां ? तु चिन्ता मत कर । जैसा तु चाहेगा वैसा ही होगा । जानुआ बोलता है हाँ भाई आप महान हो । आजतक यैसा कुछ भी नहीं है जो आप हमसे मना की हो । वो जो भी हो, आपके मुहँ से सीफ् हाँ ही सुना है मैंने । और भाभी आप.......आप भी कम् नहीं हो । हम सबका खेयाल अपनी बच्चों की तरहा रखते हो । कभी मेहसुस् होने भी नहीं देते हो की हम लोगों का मा-बाप इस दुनियां में नहीं है । बुढी बोलती है, यैसे क्युं बोलते हो ? तुम सब तो मेरी दुनियां हो । मेरी परिबार हो । फिर ये सब क्युं ? अब बस् भी करो केहके रोते हुये जानुआ को गले लगा लेती है ।



बुढी बोलती है, बस् बस् हाँ । अब रोना धोना बहत हो गेया यार । चलो में सबकी मुहँ मीठा करवाती हुं । ये केहके रषोइ से मिठाई लाके सबके मुहँ मीठा करती है । जानुआ बोलता है, ये कीस् खुसी में भाभी ? बुढी बोली तुम आज जो इतनी बडी खुसी का तोफा दिये हो उस खुसी में । बुढा बोलता है सारी मिठाई उसे ही खीलाती रहेगी क्या ? कुछ हमे भी खिलाउो भाई । आखीर हम भी इस खुसी का हिस्सा हैं । बुढी बोलती है, हाँ हाँ तुम भी लो । ओर लो, खायो । खुसी की माहोल है । जानुआ झट् से कुर्सी से उठगया और बोला आरे भाभी में आपीके चक्कर में भुलगई की आज DECEMBER 25 है । बुढी बोलती है, हाँ तो क्या हुआ ? जानुआ बोलता है, आरे भाभी मेरी दिन जो आ रही है । में बहत खुस हुं । बुढा दुःखी हो जाता है । फिर जानुआ ठीक् है भाभी, में आता हुं बोलके वहां से निकल जाता है । बुढी बुढा को उदास देखकर बोलती है, तुम मायुस् मत हो । जीतना दिन हमको सम्भालना था हम हमारे काम किये, अब किसी ओर की बारी है । हमको अभी जाना होगा । तुम समझ रहे हो ना में क्या केह रही हुं ? बुढा बुढी को पकडके रोता है । बुढी बोलती है, तुम रो मत । उनको उनकी दुनियां बसाने दो ।




बुढा सुबह बगीचा में पानी दे रहा था, बुढी उसको बोलती है सुनो तो ! में ज्यौतिष् को बोली थी आने केलिए । वो आते ही होगें, जरा देखना । और हाँ अगर जल्द आ गये तो उनको बिठाना में मन्दीर हो के आती हुं । बुढा बोलता है, हाँ में देखता हुं तुम जाउ । कुछ समय के बाद ज्यौतिष् आये । बुढा बोलता है, आरे लो ज्यौतिष् भी आ गये । बुढा ज्यौतिष् के पास जाता है और उनको घर के अन्दर बुलाता है । ज्यौतिष् को लेके बीठाता है । फिर ज्यौतिष् अपने कामपे लग जाते हैं । कुछ गिनतीयां कर रहे हैं ज्यौतिष् तभी बुढी आती है और बोलती है अच्छे से गिनना पण्ङिंत । ज्यौतिष् बोलता है, हाँ वही तो देख रहा हुं पर क्या कहुँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है । बुढा बोलता है, सबकुछ ठीक् तो है ना पण्ङिंत जी । ज्यौतिष् बोलता है, हाँ सबकुछ ठीक् तो है पर आज सादी का मोहरत अच्छा नहीं है । दो दिन के बाद अच्छे दिन है, अगर चाहो तो उसदिन सादी करबा सकते हो पर आज नहीं । बुढी बोलती है तो ठीक् है 28 तारीख को सादी फिक्स् हुई । ज्यौतिष् बोलता है ठीक् है तो फिर में आता हुं । मुझे ओर कहीं भी जाना है । बुढी बुढा को बोलती है उनको उसके दक्षिणा दे दो । बुढा कुछ पैसे ज्यौतिष् के हात में थमा देता है फिर वो आर्शीबाद करके चला जाता है । बुढी बोलती है, अब सादी की तारीख भी पक्की हो गेयी । में जाती हुं उनको बता देती हुं तुम चाये पिउो । बुढी अन्दर चली जाती है । बुढा आसमान के ओर देखता है और बोलता है जैसी तेरी लीला प्रभु हम क्या करें ?




TO BE CONTINUE.......







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