Sholagarh @ 34 Kilometer - 13 in Hindi Detective stories by Kumar Rahman books and stories PDF | शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 13

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 13

रास्ता


सार्जेंट सलीम इस जोर से यूरेका-यूरेका चिल्लाया था कि उसकी आवाज पूरी गुफा में कई बार गूंज-गूंज कर सुनाई देती रही।

यूरेका शब्द का मतलब होता है, ‘मैंने पा लिया’। इस शब्द के पीछे एक कहानी है। भौतिकशास्त्री आर्कमडीज एक राजा के यहां दरबारी थे। एक बार राजा ने सोने का एक ताज बनवाया। राजा को शक था कि सुनार ने मुकुट में मिलावट की है। मुकुट बहुत सुंदर बना था, इसलिए राजा उसे गलाए बिना ही जानना चाहता था कि उसमें कितनी फीसदी मिलावट है। उसने आर्कमडीज से पता करने को कहा। आर्कमडीज परेशान थे कि कैसे पता किया जाए। एक शाम आर्कमडीज के नौकर ने बाथ टब को पूरा लबालब भर दिया। आर्कमडीज जब उसमें नहाने के लिए घुसे तो उनके शरीर के अनुपात में पानी टब से बाहर गिर गया। आर्कमडीज ने इसी से नया सिद्धांत पा लिया। वह खुशी से राजा के महल की तरफ नंगे ही यूरेका-यूरेका चिल्लाते हुए भागने लगे।

“क्या हुआ… क्यों चिल्ला रहे हो?” श्रेया ने सलीम से पूछा।

“बताता हूं।” सार्जेंट सलीम ने कहा।

सलीम रेंगते हुए काफी दूर तक आ गया था। गहराई में उतरने पर उसने अपने चेहरे पर साफ तौर से ताजी हवा का झोंका महसूस किया। उसने उठकर बैठने की कोशिश की तो उसका सर पत्थर से टकरा गया। चोट ज्यादा तेज नहीं लगी थी। वह लेटे ही लेटे आस-पास टटोलने लगा। हवा कहां से आ रही थी, वह यह नहीं समझ पा रहा था।

वह लेट कर कुछ देर तक अंदाजा लगाने की कोशिश करने लगा। कुछ देर बाद ही उसने दिशा का अंदाजा कर लिया था। वह अब पीछे की तरफ वापस जाने लगा। दरअसल वह होल पीछे ही छोड़ आया था। उल्टे साइड में सरकने में उसे पसीने छूट गए। आगे बढ़ना आसाना होता है। दोनों हाथ का सहारा होता है। पीछे सरकना उतना ही मुश्किल।

कुछ पीछे सरकने के बाद उसने हाथ ऊपर किया तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। वह आराम से लेट कर सीटी बजाने लगा। उसके दिल को चैन आ गया था। दरअसल उसने गुफा से बाहर निकलने का होल तलाश लिया था। वह इतना बड़ा था कि एक आदमी आसानी से बाहर निकल सके।

अचानक उसकी सीटी की आवाज धीमी पड़ गई। उसे एक बात याद आ गई थी। अब उसे उलटे रेंगते हुए वापस जाना था। यह आसान नहीं था, लेकिन ऐसा किया जाना ही था।

पहले उसे श्रेया को बाहर निकालना था। बाद में वह वह खुद अपने हाथों के जोर से ऊपर चढ़ सकता था। श्रेया के लिए यह आसान नहीं होता।

सार्जेंट सलीम पथरीली जमीन पर लेटा हुआ धीरे-धीरे वापस सरकने लगा। इस पूरी जद्दोजहेद में रात गुजर गई थी और सुबह हो चुकी थी। गुफा में गहरा अंधेरा होने की वजह से सलीम को इस बात का अंदाजा भी नहीं हो सका था।


खबर


इंस्पेक्टर कुमार सोहराब खुफिया विभाग के सुप्रिटेंडेंट के सामने बैठा हुआ था। सुप्रिटेंडेंट मारियो डिसूजा काफी भन्नाया हुआ लग रहा था। इंस्पेक्टर सोहराब के सामने एक हिंदी अखबार रखा हुआ था। उसने कुछ देर पहले ही अखबार को तह करके रखा था। उसमें छपी एक खबर ने सुप्रिटेंडेंट का मूड खराब कर रखा था। उस खबर को सोहराब ने सुबह ही पढ़ लिया था। उसने खबर को कोई खास तवज्जों नहीं दी थी। सुप्रिटेंडेंट के कहने पर उसने वह खबर बहुत ध्यान से दोबारा पढ़ी।

खबर सार्जेंट सलीम के बारे में थी। अलबत्ता उसका नाम नहीं छापा गया था। खबर में लिखा गया था कि खुफिया विभाग का एक जासूस फिल्म इंडस्ट्री की एक असिस्टेंट डायरेक्टर को लेकर फरार हो गया है। खबर में श्रेया का नाम छापने से भी गुरेज किया गया था।

“सोहराब मैं जानना चाहता हूं कि सार्जेंट सलीम कहां हैं?” सुप्रिटेंडेंट मारियो डिसूजा का लहजा काफी गंभीर था।

“सर, वह शेयाली केस की तफ्तीश करने के लिए निकला था। तीन दिन से लापता है। उसकी तलाश की जा रही है।”

“यह बात तो ठीक है.... लेकिन तफ्तीश के लिए साथ में लड़की को क्यों लिए फिर रहा था।”

“उससे कुछ राज निकलवाने थे।”

“उसके लिए लांग ड्राइव पर जाने की जरूरत थी क्या!” सुप्रिटेंडेंट मारियो ने उकताए हुए अंदाज में कहा।

कुछ देर की खामोशी के बाद सुप्रिटेंडेंट मारियो ने कहा, “बहरहाल, तुम लोगों के काम करने का अपना तरीका है। मैं उस पर कोई कमेंट या रोक नहीं लगा रहा हूं... लेकिन इस तरह की खबरें मूड खराब करती हैं।”

“वह जहां भी है सेफ है।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

“मतलब आप जानते हैं कि वह कहां है!” सुप्रिटेंडेंट मारियो ने थोड़ा आगे झुकते हुए आश्चर्य से पूछा।

इंस्पेक्टर सोहराब ने नदी किनारे की गई अपनी तफ्तीश के बारे में सुप्रिटेंडेंट को बता दिया। सोहराब की बात सुनकर उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई।

“तुम बहुत जहीन हो... इसका अंदाजा तो मुझे पीला तूफान केस से ही हो गया था। तुम्हारी तफ्तीश परफेक्ट है... सलीम सुरक्षित है।” सुप्रिटेंडेंट ने कहा, “लेकिन सलीम की तलाश तेज करो। वह भी हमारा काबिल जासूस है... और तुम्हारा प्यारा भी।” सुप्रिटेंडेंट ने आखिरी वाक्य जरा रुक कर और मुस्कुराहट के साथ कहा।

“शुक्रिया सर!” सोहराब ने कहा, “सलीम की तलाश जारी है। जल्द ही हम पता कर लेंगे।”

सोहराब की बात पूरी होते ही प्यून काफी रखकर चला गया।

“आप तो एस्प्रेसो लेते हैं? चलो आज कैफे लट्टे टेस्ट कर लीजिए।” सुप्रिटेंडेंट ने मुस्कुराते हुए कहा।

दोनों काफी पीने लगे। कुछ देर बाद सुप्रिटेंडेंट मारियो ने कहा, “एक बात समझ में नहीं आई कि यह खबर अखबार में लीक कैसे हुई है।”

“लीक नहीं हुई है... प्लांट कराई गई है।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

“मतलब!”

“वक्त आने दीजिए बता दूंगा।”

“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि इसमें कोई साजिश है?”

“जी हां, मैं यही कहना चाहता हूं।”

“ओह!” सुप्रिटेंडेंट मारियो ने आश्चर्य से कहा और किसी सोच में पड़ गया। कुछ देर बाद उसने पूछा, “कौन है इसके पीछे?”

“कुछ वक्त दीजिए सर! जल्द ही मुजरिम आपके सामने होगा। अब मुझे इजाजत दीजिए।” यह कहने के साथ ही इंस्पेक्टर सोहराब उठ खड़ा हुआ।

“ओके सोहराब! बेस्ट ऑफ लक।”

“थैंक्यू सर!”


हमला


विक्रम के खान बंगले पर था। वह सुबह से ही लान में बैठा शराब पीये जा रहा था। रात को दोनों लड़कियां उसे कार से उसके बंगले तक छोड़ गईं थीं। घर आकर उसने खाना खाया था और चुपचाप सो गया था। सुबह उठने के बाद उसे रात वाली सारी घटनाएं किसी फिल्मी सीन की तरह एक के बाद एक याद आती चली गईं।

जुआखाने में बाउंसर के कत्ल से लेकर एक विदेशी के साथ वहां से भाग निकलने के बाद तक और फिर विदेशी के धमकी देने के बाद पेंटिंग मांगने तक सब कुछ दिमाग के पर्दे पर किसी फिल्म की तरह गुजरता चला गया। वह चार पैग पी चुका था और अब पांचवा बना रहा था। शुरू में उसने लाइट पैग ही लिए थे। अब पैग में सोडा कम और शराब ज्यादा होती जा रही थी।

शराब पीने के बावजूद उसका दिमाग पूरी तरह से काम कर रहा था। उसे आज शाम को हाशना वाली न्यूड पेंटिंग उस विदेशी के किसी आदमी के हवाले करनी थी। वह आदमी उसके स्टूडियो आने वाला था।

उसने फैसला किया कि वह किसी भी कीमत पर पेंटिंग उस विदेशी को नहीं देगा। इस मामले में शाम को इंस्पेक्टर सोहराब से मिलकर उसे सारी बात बता देगा। अब वह किसी भी पचड़े में नहीं पड़ेगा। गंभीरता से अपने प्रोफेशन की तरफ ध्यान देगा। विक्रम ने यह भी फैसला कर लिया था।

यह सब कुछ सोचते-सोचते उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। कुछ देर बाद ही वह सिसिकयां लेकर रोने लगा। शेयाली के जाने के बाद आज उसे पहली बार अकेलेपन का बहुत गहराई से एहसास हो रहा था। उसे ऐसा लग रहा था कि शेयाली समुंदर में डूब गई है और वह अथाह समुंदर के किनारे अकेले खड़ा है।

अचानक एक गोली उसके पैरों के पास आकर जमीन में धंस गई। किसी बेआवाज रिलाल्वर से गोली चलाई गई थी। अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाया था कि एक दूसरी गोली उसके दूसरे पांव के पास आकर फर्श में धंस गई। उसके दोनों पैरों के पास लॉन की कच्ची मिट्टी में गहरे सूराख हो गए थे। वह तेजी से उठ कर घर के अंदर की तरफ भागा। भागते हुए भी बोतल उसके हाथ में थी।


गुफा से बाहर


सार्जेंट सलीम पथरीली जमीन पर लेटे-लेटे पीछे की तरफ सरक रहा था। मुश्किल यह हो रही थी कि पैर की तरफ यानी जिधर वह जा रहा था वह थाड़ा ऊंची सतह थी।

कुछ देर सुस्ताने के बाद वह फिर पीछे की तरफ सरकने लगा। कुछ मशक्कत के बाद वह उस पतली सुरंगनुमा ढलान से बाहर आ गया था। अब वह उठकर खड़ा हो गया था। उसने श्रेया को आवाज देकर बुला लिया।

श्रेया के पास आने के बाद उसने कहा, “हमने गुफा से बाहर निकलने का रास्ता तलाश कर लिया है। वहां तक पहुंचने के लिए हमें उसी पतली सुरंग में लेटकर गुजरना होगा। तुम आगे चलो मैं तुम्हारे पीछे आ रहा हूं।”

सार्जेंट सलीम ने श्रेया का हाथ पकड़ लिया और दोनों धीरे-धीरे उस पतली सुरंग की तरफ बढ़ने लगे। सुरंग के नजदीक पहुंच कर उसने श्रेया से लेट कर धीरे-धीरे आगे बढ़ने के लिए कहा।

श्रेया लेट गई और धीरे-धीरे सुरंग में सरकने लगी। इसके साथ ही सार्जेंट सलीम मन ही मन गिनती काउंट करने लगा। श्रेया के कुछ दूर निकल जाने के बाद सलीम भी लेट गया और नीचे की तरफ सरकने लगा।

सलीम ने चार सौ तीस तक गिनती गिनने के बाद श्रेया से कहा, “अब तुम रुक कर ऊपर की तरफ हाथों से एक होल को तलाश करो। वह आस ही पास होगा।”

“हां मिल गया।” श्रेया की आवाज में खुशी का भाव था।

“अब तुम उस छेद में खड़ी हो जाओ। मैं भी आ रहा हूं।”

सार्जेंट सलीम सरकते हुए श्रेया के पास पहुंच गया और उसे सहारा देकर छेद से ऊपर चढ़ा दिया। उसके बाद खुद भी उस छेद से ऊपर चढ़ गया।

सार्जेंट सलीम और श्रेया छेद के जरिए गुफा से आजाद तो हो गए थे लेकिन उनका अंदाजा गलत साबित हुआ था। वह अभी भी खुले आसमान के नीचे नहीं पहुंचे थे। अभी परेशानियां बची हुई थीं।


*** * ***


इंस्पेक्टर सोहराब क्या सार्जेंट सलीम को तलाश सका?
विक्रम के खान पर हमला किसने किया था?
क्या सलीम बाहर निकल सका?
इन सवालों के जवाब पाने के लिए पढ़िए जासूसी उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटरका अगला भाग...