Village in mobile - 10 - Not every snake is poisonous in Hindi Children Stories by Sudha Adesh books and stories PDF | मोबाइल में गाँव - 10 - हर साँप जहरीला नहीं होता

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मोबाइल में गाँव - 10 - हर साँप जहरीला नहीं होता



हर साँप जहरीला नहीं होता-10

सुनयना ने बाहर आकर साँप के बारे में बताया तो ममा तो घबड़ा ही गईं वहीं चाची ननकू को डाँटने लगीं । तब उसने यह कहते हुये ननकू का बचाव किया कि ननकू अंकल उसे लेकर नहीं गये वरन् वही उसके साथ गई थी ।

अभी बात हो ही रही थी कि दादाजी आ गये । सारी बातें पता लगने पर उन्होंने कहा, ‘ बेटा, जैसे हम इंसान साँप से डरते हैं वैसे ही साँप भी हम इंसानों से डरता है । अगर वह काटता भी है तो तभी जब उसे अपनी जान का खतरा होता है । वैसे भी सभी साँप जहरीले नहीं होते । सच तो यह है साँप हम किसानों का शत्रु नहीं मित्र है वह फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले हानिकारक जंतुओं को खाकर किसानों की सहायता ही करता है । अगर साँप न हों तो चूहों की संख्या इतनी बढ़ जायेगी कि वे हमारी फसलों को नष्ट कर देंगे ।’

‘ सच दादाजी, साँप और क्या-क्या खाता है ?’

‘ सर्पो का मुख्य भोजन चूहे, खरगोश, गिलहरी, मेढ़क इत्यादि हैं किंतु कुछ छोटे सर्प कीट पतंगों को भी खाते हैं ।’

‘ दादाजी आप कह रहे हैं कि सभी सर्प जहरीले नहीं होते ।’

‘ हाँ बेटा, संसार में लगभग 2500 प्रकार के सर्प पाये जाते हैं । इनमें से केवल 80 प्रकार के सर्प जहरीले होते हैं । कोई भी जलीय अर्थात पानी में रहने वाला सर्प जहरीला नहीं होता ।’

‘ दादाजी, कौन-कौन से सर्प जहरीले होते हैं ?’

‘ भारत में कोबरा, करैत, रसैल वाइपर इत्यादि जहरीले होते हैं । अजगर कभी जहरीला नहीं होता । ’

‘ मालिक आपसे मिलने कोई आया है ।’ भुलई ने अंदर आते हुये कहा ।

‘ उसे बैठक में बिठाओ मैं अभी आता हूँ ।’ दादाजी ने उठते हुये कहा ।

‘ जी मालिक...।’ कहकर वह चला गया ।

‘ दीदी चलो खेलते हैं ।’

‘ तुम्हारा दर्द ठीक हो गया ।’

‘ हाँ देखो, अब मैं ठीक हो गया हूँ ।’ रोहन ने उसे चलकर दिखाते हुये कहा ।

रोहन सच मे बहुत बहादुर लड़का है । सुनयना ने मन ही मन सोचा तथा उसके साथ चली गई ।
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दोपहर में खाने के समय पापा ने उससे पूछा,‘ कैसा लगा टैक्टर पर सैर करना ?

‘ बहुत अच्छा लगा पापा...चाचाजी ने टियूब वेल भी दिखाया ।’

‘ भइया, बहुत इंटेलिजेंट लड़की है...हर बात की तह में जाने की कोशिश करती है । जब तक संतुष्ट नहीं हो जाती पूछती ही रहती है ।’

‘ क्या मैं इंटेलिजेंट नहीं हूँ ? मुझे तो सब पहले से ही पता था फिर क्या पूछता !!’ रोहन ने तुनकते हुये कहा ।

‘ सच कह रहा है रोहन, उसे सब पता था तो वह क्या पूछता !! रोहन बेटा, अब तुम्हारा दर्द कैसा है ? ’ पापा ने रोहन के कंधे पर हाथ रखकर कहा ।

‘ अब ठीक है ताऊजी । आपको पता है ताऊजी, आज एक लड़का गड्ढे में गिर गया था । वह तो पापा और रामदीन अंकल ने उसे निकाला वरना उसके साथी तो उसे छोड़कर भाग गये थे ।’

‘ उसे भी बहुत चोट आई होगी, बहुत रो रहा था बेचारा ।’ सुनयना ने आगे जोड़ा ।

‘ यह तो बहुत गलत बात है । ‘ कहते हुए दादाजी ने चाचा की ओर देखा ।

उन दोनों की बात सुनकर अन्य सभी चाचाजी की ओर देखने लगे । चाचाजी ने सब बातें विस्तार से बताईं । उस दिन सबने बातें करते-करते खाना खाया । खाने के पश्चात् दादी ने सबको लाल मिठाई दी ।

‘ माँ यह लाल मिठाई है ।’ पापा ने दादीजी से आश्चर्य से पूछा ।

‘ हाँ भइया, अब माँ भी हैल्थ कान्शियस हो गईं हैं । उन्हें लगता है इस तरह से कोई एक पीस ही खायेगा वरना पहले हम लोग अनलिमिटेड खाते रहते थे ।’ चाचाजी ने दादीजी के कहने से पूर्व ही कहा ।

सुनयना ने दादी का दिया लाल मिठाई का पीस खाया तो कह उठी,‘ वेरी टेस्टी दादी...बिल्कुल मिल्क केक लग रहा है । दादी एक पीस और खा लूँ ।’

‘ हाँ...हाँ क्यों नहीं...? मैंने तुम बच्चों के लिये ही तो बनाया है । रोहन तू भी ले ।’ कहते हुये दादीजी ने दोनों की प्लेट में एक-एक पीस और रख दिया ।

‘ बच्चों कल हम सब पिकनिक पर चलेंगे । सुनयना और रोहन तुम अपना क्रिकेट बैट, बैडमिंटन रैकेट इत्यादि रख लेना ।’

‘ सच दादाजी, तब तो खूब मजा आयेगा ।’ सुनयना ने खुशी से उछलते हुये कहा । रोहन ने भी उसके स्वर में स्वर मिला दिया ।

खाने के पश्चात् दादा-दादी, ममा-पापा, चाचा-चाची आराम करने चले गये । सुनयना और रोहन को नींद नहीं आ रही थी वे दोनों बाहर आँगन में खेलने लगे । थोड़ी देर पश्चात् सुनयना को लगा कि कहीं खट्-खट् की आवाज आ रही है । वह उस ओर गई जिधर से आवाज आ रही थी...उसने देखा ननकू एक बड़े से लोहे के बर्तन में एक लोहे की लंबी स्टिक से ठक-ठक कर रहा है ।

‘ आप यह क्या कर रहे हैं अंकल ? ’

‘ बिटिया, आपको पिसी हल्दी ले जानी है न, इसलिये हल्दी कूट रहा हूँ ।’

‘ इसमें...यह क्या है अंकल ।’

‘ बिटिया यह ओखली है और यह मूसल । इससे मसाले इत्यादि कूटे जाते हैं ।’

‘ अच्छा...ओखली...हाँ मैंने पढ़ी है ‘ ओ ’ से ओखली पर देखी आज है ।’ कहते हुये उसे याद आया कि उसकी ममा के पास भी तो एक छोटी सी ओखली है जिससे वह चाय में डालने के लिये अदरक कूटतीं हैं ।
सुधा आदेश

क्रमशः