Its matter of those dyas - 13 in Hindi Fiction Stories by Misha books and stories PDF | ये उन दिनों की बात है - 13

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ये उन दिनों की बात है - 13

सागर बहुत ही परेशान था |

रामू काका.........रामू काका.........

जी, सागर बाबा |

मैगज़ीन वाले की बिल रिसीट देना |

जी, अभी लाया |

सागर ने नंबर देखकर फ़ोन लगाया |

आपकी सर्विस बिलकुल भी ठीक नहीं है | जिस मैगज़ीन के लिए मैंने आर्डर दिया था, उसकी जगह आपने ये वल्गर मैगज़ीन भेज दी है | अब ये मैगज़ीन वापस ले जाओ, सागर बहुत गुस्से में था |

सॉरी सर...........शायद अदला बदली हो गयी | हॉकर की गलती की वजह से आपकी मैगज़ीन किसी और के यहाँ चली गई और उसकी मैगज़ीन आपके यहाँ आ गई | आपकी प्रॉब्लम जल्दी ही सॉल्व हो जाएगी |

इट शुड बी सॉल्व इमिजेटली |

और इधर मैंने दादी को सब बता दिया |

दादी आप आ गई !! दादू कहाँ है ?

दादी ने कोई जवाब नहीं दिया | सीधे रसोई में चली गई |

रामू !! दादाजी, अपने किसी दोस्त के यहाँ रुक गए हैं | उनके लिए नाश्ता मत बनाना और मेरे लिए भी नहीं | वैसे भी कुछ हरकतें सुनकर मेरा पेट वैसे भी भर गया है | अब कुछ खाने की इच्छा नहीं है | मैं अपने कमरे में जा रही हूँ और ध्यान रखना मुझे कोई परेशान ना करे |

सागर परेशान था | आखिर ऐसी क्या बात हो गयी जो दादी उससे बिलकुल बात ही नहीं कर रही |

और कमरे में जाते वक़्त उन्होंने सागर की तरफ देखा भी नहीं
सागर समझ गया था कि शायद उसी से कोई भूल हुई है तभी दादी बात करना तो दूर उसकी तरफ देख भी नहीं रही | पर वो समझ नहीं पा रहा था |

जो भी हो...अभी दादी ने कहा है कि उन्हें कोई डिस्टर्ब ना करे मतलब कोई भी नहीं | "नॉट इवन आई" |

शाम के सम....................

दादी........क्या हुआ आपको ? आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रही ? आखिर मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई ? प्लीज टेल मी !! व्हाई आर यू बिहैविंग लाइक दिस ? वो बिलकुल मायूस हो गया था |

दादी ने कोई जवाब नहीं दिया |
सागर ने फिर पूछा |
तू जानना चाहता है ना............

वो ऊपर गई, सागर के कमरे में और जब नीचे आई तो उनके हाथ में वो मैगज़ीन थी |

क्या है सागर ये सब? क्या हमने तुझे यही संस्कार दिए है? बता.........मुझे तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी |

दादी, जो आप समझ रही हो, ऐसी कोई बात नहीं है | ये मैगज़ीन तो..................

अब तो झूठ मत बोल | दिव्या ने मुझे सब कुछ बता दिया है............दादी ने बीच में बोलकर रोका |

दिव्या? कौन दिव्या? सागर हैरान था |

सागर बाबा, वो जो केर सांगरी की सब्जी देने आई थी ना, वो दिव्या बिटिया थी, रामू काका ने कहा |

चापलूस कहीं की........इडियट गर्ल......... एक्चुअली शी हेज़ नो सेंस | सागर ने मन ही मन कहा |

"मेरी दादी मुझ पर विश्वास ना करके किसी अजनबी लड़की पर विश्वास कर रही है.......शायद मुझमें ही कोई कमी है | क्या मैं एक बुरा लड़का हूँ.....तभी तो माँ मुझे छोड़कर बहुत दूर चली गयी | इतनी दूर.....की वहां से लौटकर वापस आना मुमकिन नहीं है | मैं ही अच्छा बेटा बनने के लायक नहीं | मेरी वजह से मेरी दादी परेशान है और पापा भी......तभी तो उन्होंने मुझे खुद से अलग कर दिया | मुझसे कोई प्यार नहीं करता......सब मुझसे नफरत करते हैं.........ये सोचकर उसकी आँखों में आंसू आ गए" |

दादी.....मैं सच कह रहा हूँ | वो मैगज़ीन मैंने नहीं मंगवाई | वो तो किसी और की थी.....जो गलती से हॉकर हमारे यहाँ डाल गया | अभी मेरी उससे बात हो गई है | एक-दो दिन में आकर ले जायेगा |

उसकी आँखों में आंसू देखकर दादी पिघल गई थी |

मुझे पता था....मेरा सागर कभी ऐसा काम नहीं करेगा जिससे उसके दादा-दादी को चोट पहुंचे |

आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा, दादी पर आप मुझसे गुस्सा मत होइए | आप दोनों के सिवा मेरा है ही कौन......माँ तो छोड़कर चली ही गई | अगर आप भी मुझसे ऐसे ही नाराज़ रही तो मैं जी नहीं पाऊंगा | मैं मर..........

चुप.....ऐसा नहीं कहते | तेरे सिवा भी हम दोनों का और है ही कौन.........तेरे ही तो सहारे ज़िंदा है हम, ये कहकर दादी ने सागर को सीने से लगा लिया |

आज शाम को सारी सहेलियां ने मिलकर रामनिवास बाग चिड़ियाघर जाने का प्लान बनाया था और मैं अपनी साइकिल लेकर निकल पड़ी | उधर सागर भी मेरा पीछा करते हुए अपनी साइकिल लेकर निकल पड़ा |

मैं ही पहुंची थी सबसे पहले | अभी तक कोई भी नहीं आई, मैंने अपनी घड़ी देखते हुए कहा |

और जब मैंने नजर उठाकर देखा तो सागर को ठीक बिलकुल सामने खड़ा पाया |

तुम? तुम....मेरा पीछा कर रहे हो, मैंने जोर से कहा |

लिसेन.....ना ही मैं तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ और ना ही मुझे तुममें कोई इंटरेस्ट है | इसलिए ज़ोर से बोलने की कोई ज़ररत नहीं है | मैं तो सिर्फ इतना कहने आया हूँ, जो तुमने प्लान बनाया था, यू फेल्ड इन इट |

मेरी दादी और मेरे बीच जो भी प्रॉब्लम तुमने क्रिएट की थी, वो सॉल्व हो चुकी है | सो नेवर एवर डू दिस अगेन......और एक बात.......अबसे मेरे घर कभी मत आना | मैं तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहता | जब भी कोई डिश दादी को देनी हो तो तुम तो कभी मत आना या तो तुम्हारी मॉम आ जाएँगी या सिस्टर-ब्रदर जो भी हो, ये कहकर वो वहां से चला गया |

और मैं बस खड़ी खड़ी देखती रह गई | "ये क्या दिव्या तुझे कितने कुछ सुना गया वो और तूने उसे ऐसे ही जाने दिया", मैंने अपने आपसे कहा |

ये लड़का अपने आपको समझता क्या है, जैसे मैं इससे मिलने के मरी जा रही हूँ ना, इसलिए इसके घर जाती हूँ | मुझे भी कोई शौक नहीं है ऐसे लोगों के घर जाने का | अबसे मैं भी इसके घर कभी कदम नहीं रखूंगी, ये दृढ़ निश्चय कर लिया था मैंने |

बड़े दिनों बाद तो आज चिड़ियाघर देखने का प्लान बनाया था और वो इसने आकर सब ख़राब कर दिया | सब लडकियां मज़े से शेर, चीते, भालू, हिरन, पक्षियों का झुण्ड, मगरमच्छ, सांप, अजगर, बन्दर आदि देख रही थी और मैं पक्षियों की मीठी चहचहाट और जानवरों को भागते, दौड़ते, गुर्राते, दहाड़ते हुए देखकर भी खुश नहीं हो पा रही थी |