Diary :: the truth of magic beyond imagination - 9 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 9

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डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 9

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''तुम ! तुम! तारुश तुम यहाँ कैसे ? बाकि सब कहाँ हैं ?'' यास्मिन ने हैरान होकर पूछा । सब लोग जंगल से निकल गए। तारुश ने ज़वाब दिया । ''तुम नही गए ? तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं हैं?'' यास्मिन ने उसकी आँखों में देखकर सवाल किया । ''ज़िन्दगी प्यारी है। मगर तुम्हें इस तरह अकेले छोड़ने का मन नहीं किया।'' तारुश ने बड़े ही प्यार से ज़वाब दिया। ''चलो, डायरी ढूँढते हैं। दादाजी ने एक संदूक लाने के लिए कहा था। यास्मिन यह कहकर उसकी खोज में जुट गई। तारुश भी उसकी मदद करने लगा। और ड्रैगन बाहर खड़े लनबा के सैनिको को देखने लग गया कि कहीं वो अंदर न आ जाये। जब नीचे कुछ नहीं मिला तो यास्मिन को याद आया कि छत पर भी एक कमरा हुआ करता था, जहाँ वो बचपन में खेला करती थीं। छत के कमरे में ताला लगा देख तारुश ने उसे पत्थर से तोड़ दिया । कमरे में घास- फूस और रस्सियाँ और न जाने कितनी किताबें रखी हुई थीं। सारा सामान हटाने पर काले रंग का संदूक दोनों को नज़र आया।

दोनों ने देखा कि संदूक पर पीतल का ताला लगा हुआ हैं, ''हों न हों डायरी इसी संदूक में होग ।'' यास्मिन ने कहा। ''तुम इसी डायरी की वजह से मुश्किल में हों''। तारुश ने संदूक देखते हुए कहा । हाँ, तुम सही कह रहे हों पर अब तो उस लनबा ने मेरे परिवार को भी पकड़ लिया हैं और डायरी मिलते ही वह हम सबको मार देगा। इसलिए यह डायरी देकर भी कुछ फ़ायदा नहीं होने वाला है। संदूक की चाबी भी नहीं हैं?'' यास्मिन ने परेशान होकर कहा। हम नेयसी की मदद ले सकते हैं। आख़िर, उसने मुझे तुम तक पहुँचाया हैं। यह कहकर तारुश ने आँखें बंद की ।और मन ही मन कुछ कहा और नेयसी आ गई । ''एक बुरी खबर हैं, तुम्हारे दोस्तों को क़ैद कर लिया गया हैं । नेयसी ने दुखी स्वर में कहा । ''क्या !!! मगर कैसे? तुम तो उन्हें जंगल के बाहर छोड़ने गई थीं।' तारुश ने घबराकर पूछा।''हाँ छोड़ दिया था, मगर सीप्रा जादूगरनी वहाँ आ गई और उन्हें अपने साथ ले गई। वो लनबा के दरबार की हैं, उसके पास मुझसे ज्यादा शक्तियाँ हैं। और मैं उसका मुक़ाबला नहीं कर सकती। दूसरा, मेरे पिताजी को पता चल गया कि मैं तुम्हारी मदद कर रही हूँ तो मेरी शादी उस लनबा से करवा देंगे।'' और उसके साथ मैं नहीं रह सकती। तभी चाहकर भी तुम्हारे दोस्तों को बचा नहीं पाई। नेयसी ने अपनी बेबसी जाहिर की । ठीक है, तुम यह संदूक खोल दों , इतना तो कर सकती हों। तभी नेयसी ने अपना डंडा घुमाया और संदूक खुल गया ।

एक बड़ी और चौड़ी सी हरे रंग की डायरी थीं । जिस पर जो कुछ लिखा था । वो उनकी समझ में नहीं आया। मगर नेयसी समझ गई । इस पर लिखा हैं "" फ़िर से ज़िन्दगी दे सकती हूँ, मैं मौत को हरा सकती हूँ ''''''' !!!!! ''डायरी पर एक ताला था। अब इसकी चाबी कहाँ से आएँगी?''

यास्मिन ने पूछा । नेयसी ने कई बार कोशिश की । मगर कुछ नहीं हुआ । ''शायद कोई इस डायरी की रक्षा कर रहा हैं ?'' '' कौन रक्षा कर रहा है'? तारुश ने पूछा । और सब थोड़ा डर गए। तभी यास्मिन ने ज़ोर से बोलना शुरू किया,''कोई हैं तो वो सामने आये। प्लीज! सामने आये, हमारे पास वक़्त नहीं हैं । कहकर यास्मिन' ज़ोर- ज़ोर से रोने लगी और गुस्से में डायरी के ताले को इतनी ज़ोर से घुमाया कि एक हलकी पीले रंग की रोशनी निकली और एक आवाज़ सुनाई दीं।

''मैं हूँ लॉर्डो, तुम्हें यह डायरी क्यों चाहिए?'' आवाज़ ने पूछा। यास्मिन ने सारी आपबीती बता दी। लनबा इस मंत्रो की शक्ति से तबाही मचा देंगा। ''उस लनबा की वजह से पहले ही मैंने अपनी जान दे दी थीं । मैंने तुम्हारे परदादा को डायरी सौपी थीं । मगर अब तुम्हारा सहारा लेकर वह हर सदी के राक्षस को जीवित कर देंगा ।'' लॉर्डो की आवाज़ में चिंता झलक रही थीं। इतना सुनते ही ड्रैगन ऊपर आ गया और बोलने लगा, ''जल्दी करो लोग अंदर आ रहें हैं। लार्डो ने कहा । ''तुम यह डायरी ले जाओ। मैं तुम्हें एक मंत्र बताता हूँ, तुम उस मंत्र को लनबा को बताना । मगर ध्यान रहें, यह मन्त्र वो जीवन देने वाले मंत्र से पहले पढ़ लें । और डायरी सिर्फ़ तुम्हारे दादाजी खोल पाएंगे समझी ।' तभी शोर मचा, ''कहाँ हों तुम लोग?'' राक्षस सैनिको की आवाज़ आई और तारुश को वहीं छोड़ दोनों नीचे आ गए । ''बस डायरी ढूंढ रहे थें, लो मिल गई,अब चले । यास्मिन ने संभलकर कहा। और सब के सब उस घर से बाहर निकल आये और वापिस लौटने लगें।