Diary :: the truth of magic beyond imagination - 7 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 7

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डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 7

7

तभी उसे लगा यह कोई भ्रम है या कोई माया जाल होगा। उसे पेड़ की बात याद आई और वो वह वहाँ नहीं रुकी। तभी उन रशियन कपल ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया । उसके कदम और तेज़ हो गए और फ़िर वो भागने लगी । तभी उसके सामने एक बड़ा पक्षी आ गया, वह संभल न सकी और धड़ाम से गिर गई । "तुम ठीक हों ?" "कौन" यास्मिन ने पूछा । "मैं गौरव" पक्षी ने उत्तर दिया। "गौरव तुम यहाँ? मुझे अफ़सोस है कि तुम उल्लू बन गए, यास्मिन ने उसे देखते हुए कहा। 'मैंने भी तुम लोगों की बात नहीं मानी और मेरा यह हाल हुआ। बाकि सब कहाँ हैं ? " गौरव ने पूछा । पूछो! मत बड़ी लम्बी कहानी हैं।" ख़ैर, मुझे अब चलना होगा, मैं रुक नहीं सकती। मेरा कहीं पहुँचना ज़रूरी हैं।" तभी एक ज़ोर की आँधी आई और एक बवंडर सा फैल गया । दोनों गायब हो गए और जब बवंडर हटा तो वह एक महल में थीं। सब कुछ घूम रहा था। गौरव भी उसके साथ था। हैं!भगवान, मैं कहाँ आ गई? उस पेड़ ने मुझे मना किया था । गौरव यह सब तुम्हारी वजह से हुआ हैं ।" यास्मिन उस पर चिल्लाने लगी। इतने में अधकटे सिर वाले आदमी और औरतों ने उसे घेर लिया, उसे पकड़कर ले जाने लगे। उल्लू बना गौरव वहाँ से उड़ गया। पर उसका गला भी पकड़ लिया गया । तुम हम लोगों को कहाँ लिए जा रहे हों? यास्मिन ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, मगर नाकाम रहीं । तभी एक बड़े से दरबार में उन्हें फ़ेंक दिया गया । और यास्मिन ने सिर उठाकर देखा तो पूरा दरबार नाटे कद के राक्षसों और रंग बिरंगे बालों वाली औरतों से भरा हुआ था । उनकी शक्लो और चेहरे से लग रहा था कि वे सभी जादूगर -जादूगरनियाँ हैं । तभी एक आवाज़ सुनकर यास्मिन चौक गई ।

"आ गई, तुम यास्मिन। !!! यह कहता हुआ एक आदमी जिसका आधा चेहरा राक्षस और आधा चेहरा आदमी जैसा था, कपड़े काले थें। सिर पर कई जानवरों के सींग थें और चार हाथ थें । उसे डर लगा पर फ़िर भी यास्मिन थोड़ा हिम्मत करके बोली, "मुझे यहाँ क्यों लाये हों "? "तुम बड़ी बहादुर हों। जो मुझसे कुछ पूछने की हिम्मत कर पा रही हों।" " तुम हों कौन?"यास्मिन ने गुस्से से पूछा । "मैं इस जंगल का राजा और कुछ समय बाद पूरी पृथ्वी का राजा बन जाऊँगा।" मैं लनबा जादूगर लनबा, राक्षस लनबा हा ! हा!! हा!! हां हां यह कहकर वो हँसने लगा और सभी दरबारी भी मुस्कुराने लगे। "भूल जाओं, तुम सिर्फ इस जंगल पर ही कब्ज़ा कर सकते हों। इतने खूबसूरत पेड़ -पौधों का तुमने सर्वनाश कर रखा हैं । तुमने उस राजा और उसके परिवार को भी नहीं छोड़ा जो तुम्हारे अन्नदाता थें ।" "अपना मुँह बंद करो लड़की, वरना मेरे ड्रैगन तुम्हे एक झटके में खा जायेंगे। फिर भूत बन भटकती रहूँगी इस जंगल में समझी ।" जैसे उन अंग्रेज़ो को खा गए थें, आये थे, मेरे राज्य की फोटो खींच पूरी दुनिया को दिखाने। मगर देखो! क्या हुआ? आज यहीं के होकर रह गए ।" लनबा एक बार फ़िर हँसा। "इसका मतलब तुमने उन्हें मारकर उनकी आत्मा को अपना गुलाम बना दिया । यस्मिन की आवाज़ में गुस्सा था । "हाँ, अब बातों में समय बर्बाद न करो । मेरा काम करो, जहाँ तुम जा रही हों वहाँ पहुँचो और जो सामान तुम लेकर जाऊँगी, उसमे एक डायरी भी होगी। तुम उसे लाकर मुझे दो । लनबा ने यास्मिन को धमकाया।

"कौन सी डायरी ? मैं कोई डायरी नहीं लेने जा रही और तुम एक मामूली डायरी का क्या करोंगे?" यास्मिन के सवाल थें । सारा खेल उस डायरी का ही हैं, समझी । यह सारी मौतें इतना ख़ौफ़ उस डायरी' की वजह से है वह कोई मामूली डायरी नहीं । लॉर्डो की डायरी हैं । जिसमे उसने अपनी सभी मन्त्र जिनमे शक्तियाँ हैं, उनके बारे में लिखा था। " खुद तो मर गया मगर वो डायरी तुम्हारे दादाजी के पास छुपा गया। मुझे जादूगर सकनबा ने बता दिया है कि तुम ही वो डायरी ला सकती हों। अब जाओ मेरे राक्षस और यह ड्रैगन भी तुम्हारे साथ जाएगा ।" "तुम्हें सब पता चल चुका है , फिर ख़ुद क्यों नहीं वो डायरी ले आते"? बेवकूफ़ लड़की, इंसान ही डायरी तक पहुँच पाएंगा । तभी तुम्हारे दादा को लार्डो ने इस काम के लिए चुना होगा। जाओ, हमारा समय बर्बाद मत करो । वैसे भी मैं बहुत लम्बे समय से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ अब तो मैं दुनिया पर राज करूँगा । सारी शैतानी ताकतों को फिर से ज़िंदा कर इस धरती पर लनबा राज होगा।" मैं तुम्हारा यह काम कभी नहीं करूँगी, चाहो तो मेरी जान ले लो। यास्मिन ने निडर होकर बोला ।

"ज़रा उस दीवार पर देखो", जैसे ही यास्मिन ने दीवार पर देखा एक दृश्य चलने लगा उसके दादा लनबा की कैद में हैं और उसकी माँ, स्कूल जाता छोटा भाई भी इर्द -गिर्द राक्षसों से घिरे हुए हैं । सब लम्बी-लम्बी तलवारें लेकर उन्हें मारने को तैयार खड़े हैं । यास्मिन से कुछ कहते न बना और वो चुपचाप लनबा के कहने पर सब जादूगर राक्षसों के साथ उसके राजमहल से निकल पड़ी ।