Diary :: the truth of magic beyond imagination - 6 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 6

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डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 6

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सब उस शीशे में देखकर हैरान हो रहे थें, गौरव एक पेड़ पर बैठा हुआ था और अब उल्लू बन चुका था । जो फल उसने खाया था, वह फल सिर्फ उल्लू खाते थें। हाय ! मेरा गौरव क्या वो कभी ठीक हो सकेगा।" नितिशा ने मायूस होकर पूछा तो नेयसी के पास इसका कोई ज़वाब नहीं था । "नाटे राक्षस किस लड़की की बात कर रहे थें ? क्या हम जानबूझकर इस जंगल में फँसाया गया हैं?" तारुश के सवाल बढ़ते जा रहे थें और सब ख़ामोशी से सुन रहे थें। तभी नेयसी ने डंडा फिर घुमाया और मुँह में कुछ बोला, तभी सबको यास्मिन का चेहरा शीशे में नज़र आने लगा। "इसका मतलब क्या है ?" कोई समझ नहीं पाया खुद यास्मिन भी स्वयं को शीशे में देखकर हैरान हो रहीं थीं । "यह क्या है ?" ऋचा ने पूछा। "यहीं वो लड़की है, जिसकी वो लोग बात कर रहे थें, और मेरा जादू कभी गलत नहीं हो सकता । " सब यास्मिन को घूरकर देख रहे थें। मानो एक बिजली सी उनके ऊपर गयी हों। "यास्मिन तभी तुम हमारे साथ हो ली ? क्या तुम भी कोई शैतान या भूत का हिस्सा हों।" ऋचा ने चिल्लाकर यास्मिन से पूछा। "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मैं तो खुद इस जंगल से बाहर निकलना चाहती हूँ। यास्मिन की बातों पर किसी ने यकीन नहीं किया। तब तारुश ने बड़े आराम से पूछा, " यास्मिन तुम हमें सच-सच पूरी कहानी सुनाओ।"

"मैं सच कह रही हूँ, मैं अपने दादाजी के गॉंव जा रही हूँ । वह बहुत बीमार है, मुझे उनका सामान लाकर उन्हें देना है। यही उनकी आख़िरी इच्छा है। बोलते -बोलते यास्मिन की आँखों में आँसू आ गए । " क्या है वह सामान ?" नितिशा ने पूछा। "एक संदूक है और कुछ नहीं।" मगर किसी को उसकी बातों पर यकीन न करता देख, "वह बोली ठीक है, अगर तुम्हें लगता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ और मुझे तुम्हारे साथ नहीं होना चाहिए । मैं जा रही हूँ । यह कहकर वह चली गयी उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा भी, मगर कोई उसे रोकना नहीं चाह रहा था । उस जगह से बचते-बचाते वह चलती गयी और उसे जो रास्ता दिखा, उसी पर चलती रहीं । सामने एक दरवाज़ा था, उसमे से निकल एक बार फिर वहीं जंगल के भयानक रास्ते पर चलती जा रही थीं ।

तभी उसके सामने विकराल रूप धारण किए चमगादड़ आ गई और वह ज़ोर से चिल्लाई। "अरे ! मेरी तरफ़ आ जाओ लड़की, " यह आवाज़ उसके कानो में पड़ी और वो ज़ंज़ीर को पकड़ पेड़ पर चढ़ वहीं छुप गई । जब उसे लगा कि अब कोई शोर नहीं है तो वह थोड़ा संभलकर पेड़ से बोली, आपकी ही आवाज़ थीं ? बड़ी-बड़ी आँखें और मुँह उस पेड़ पर निकल आये। "हाँ, मैंने ही आवाज़ लगाई थीं ।" "कौन है आप ? " यास्मिन ने फ़िर पूछा। मुझे बरगद बाबा कहते हैं, इससे पहले वह पेड़ कुछ कहता, "आप ही वो राजा हैं ?" तुम्हें तो सारी कहानी मालूम है"" ..... " मेरा नाम यास्मिन हैं ।" " अकेले कैसे इस जंगल में ?" पेड़ ने पूछा। जादूगर के राक्षस मेरे पीछे पड़े हुए हैं । पहले कुछ दोस्त थें मेरे साथ। मगर...... अब नहीं है और मैं अकेले इस जंगल से निकलने की कोशिश कर रहीं हूँ । यास्मिन की आवाज़ में निराशा थीं ।

"तुम्हारे पीछे क्यों पड़ गए ? तुम्हारा उनसे क्या लेना -देना है ? वैसे सबका कसूरवार मैं हूँ , आज मेरी पत्नी, बेटी, दामाद कई सालों से उस राक्षस जादूगर की कैद में हैं । मुझे एक जादूगर मिला था , क्या पता था वो हमें ही अपने गुलाम बना लेगा ।" मुझे लॉर्डो ने मना भी किया था कि मैं अपने मरे रिश्तेदार को ज़िंदा न करवाओ। मगर मैं नहीं माना और नतीजा हम सब भुगत रहें हैं। पहले उसने मुझे पेड़ बनाया । फ़िर उन बच्चों की मदद करने पर ज़ंजीरो से बांध दिया । कितना तड़पता हूँ मैं" राजा की आवाज़ में' दर्द था । "मैं आपका दुःख समझ सकती हूँ , मगर मुझे अब इस जंगल से बाहर निकलने का कोई रास्ता बताए, प्लीज़ मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूंगी।" यास्मिन ने निवेदन किया।

"यहाँ से निकलना है तो जहाँ मैं हूँ वहाँ से पश्चिम दिशा की तरफ़ बढ़ती जाना और ध्यान रखना। बीच में बिलकुल नही रुकना न किसी की बात सुनना। रास्ते में कई शक्तियाँ और जादूगरनियाँ भी मिलेंगी। मगर रुकना मत जैसे ही कोई टीला सा देखो वहाँ पहुंच जाना । तभी इस जगह से बचकर निकल पाऊँगी ।' राजा ने बताया और धन्यवाद कह यास्मिन पश्चिम दिशा की तरफ़ बढ़ गई। रास्ते में उसने देखा कि एक अंग्रेज़ जोड़ा उसे बुला रहें हैं । Yasmin Come Here!! ! ये तो वहीं अंग्रेज़ कपल है जो रशिया से आये थें और वह इनकी गाइड बनी थीं ? यह यहाँ क्या कर रहें हैं ? यास्मिन हैरान थीं।