(9)
रेवती रात दिन ईश्वर से प्रार्थना करती रहती थी कि कोई राह निकालें जिससे वह इस स्तिथि से निकल सके।
एक दिन उसका धैर्य और विश्वास रंग लाया। जिस कमरे में वह बंद थी उसके वॉशरूम की नाली बुरी तरह चोक हो गई। पहले तो उपेंद्र ने खुद नाली ठीक करने का प्रयास किया पर बहुत कोशिश के बाद भी ठीक नहीं कर सका। उसे हार कर नाली ठीक करने के लिए किसी को बुलाना पड़ा।
उस आदमी के आने से पहले उपेंद्र ने रेवती को एक दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया। उसने रेवती को धमकी दी कि अगर उसने कोई होशियारी की तो अच्छा नहीं होगा। रेवती भी समझ रही थी कि शोर मचाने से कुछ हासिल नहीं होगा। लेकिन कोशिश तो करना था। अतः उसने समझदारी से काम लेने का फैसला किया।
रेवती ने अपनी स्केचबुक का एक पन्ना फाड़कर उस पर एक संदेश लिखकर अपने पास छुपा लिया था। अब वह उस मौके की तलाश में थी जब उस संदेश को उस आदमी तक पहुँचा सके। जिस कमरे में रेवती को शिफ्ट किया गया था वह उस कमरे के ठीक ऊपर था जिसमें रेवती बहुत समय से कैद थी। उस कमरे में एक खिड़की थी जो खुली हुई थी। उसने नीचे झांककर देखा। नाली ठीक करने के लिए आया हुआ आदमी नीचे बने ड्रिनेज चेंबर को खोलकर कुछ देख रहा था। उपेंद्र कुछ दूर खड़ा फोन पर किसी से बात कर रहा था।
रेवती को लगा यही समय हो सकता है जब वह उस आदमी का ध्यान अपनी तरफ खींच सकती है। उसने इधर उधर नज़र दौड़ाई। कमरे में प्लास्टिक की एक खाली बोतल रखी थी। उसने बोतल का ढक्कन खोलकर नीचे फेंका। ढक्कन उस आदमी के ऊपर गिरा। उसने ऊपर देखा। रेवती ने अपना लिखा हुआ संदेश नीचे फेंक दिया। उसने इशारे से उस आदमी से कहा कि वह चुपचाप उसको पढ़ ले। उस आदमी ने वह संदेश उठाकर अपनी पॉकेट में रख लिया। रेवती फौरन खिड़की से हट गई।
संदेश तो उस आदमी तक पहुँच गया था। रेवती सोच रही थी कि वह आदमी उसे समझकर सही कदम उठा ले। करीब पौन घंटे बाद उपेंद्र ने आकर बताया कि नाली ठीक हो गई है और वह आदमी जा चुका है।
रेवती वापस उसी कमरे में कैद हो गई थी। वह इंतज़ार कर रही थी कि शायद उसके संदेश को समझकर वह आदमी उसे इस कैद से निकालने के लिए पुलिस को लेकर आ जाए। करीब तीन घंटे बीत गए पर कुछ नहीं हुआ। रेवती ने उम्मीद छोड़ दी थी। निराशा में उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। उसे लग रहा था कि अब ना जाने कब तक उसे इस कैद में रहना पड़ेगा।
दुखी और हताश होकर रेवती अपने घुटनों में सर छिपाकर बैठी थी। तभी अपने कमरे के बाहर उसे कुछ आवाज़ें सुनाई पड़ी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ लोग कमरे के बाहर हों। रेवती के मन में एक बार फिर उत्साह की लहर दौड़ गई। वह बचाओ बचाओ करके चिल्लाने लगी। दरवाज़ा खुला और दो पुलिस वाले उस आदमी के साथ भीतर आए। उपेंद्र को उन्होंने पकड़ रखा था।
दस महीनों की कैद के बाद रेवती को छुड़ा लिया गया था। उपेंद्र को उसके गुनाह के लिए हिरासत में ले लिया गया। रेवती अपने पापा के पास चली गई। उन्होंने बताया कि पहले तो गुस्से में उन्होंने कोई भी संबंध ना रखने की बात कही थी। पर बाद में उन्हें अपने कहे पर पछतावा हुआ। इसलिए उन्होंने उसके मोबाइल पर फोन किया था। फोन उपेंद्र ने उठाया था। उसने उनसे कहा था कि रेवती उनके व्यवहार से बहुत आहत है। इसलिए उनसे बात नहीं करना चाहती है। उसने कहा था कि कुछ समय दीजिए वह रेवती को समझाकर आपके पास ले आएगा। कुछ समय के बाद जब उन्होंने फिर फोन किया तो उसका नंबर स्विचऑफ बता रहा था। उन्होंने सोचा कि शायद रेवती उनसे अभी भी नाराज़ है। इसलिए अपना नंबर बदल दिया है।
अपने पापा के पास रहते हुए रेवती ने अपने को संभालने की कोशिश की। पर वह अपना मन उन दस महीनों के दुख से हटा नहीं पा रही थी। उसके पापा ने सलाह दी कि वह अपना मन किसी काम में लगाए। उसने चेन्नई में रहकर ग्रैफिक डिज़ाइनिंग में डिप्लोमा किया। कुछ दिन चेन्नई में नौकरी करने के बाद वह दिल्ली आ गई। यहाँ वह कैलाश अंकल के घर ठहरी। रेवती भी आगे बढ़ना चाहती थी। अंकल आंटी के व्यवहार ने भी उन दस महीनों की कड़वाहट भुलाने में उसकी मदद की।
धीरे धीरे वह अपने काम में पिछली तकलीफों को भूल गई। अपने क्षेत्र में उसने अपना अच्छा नाम बना लिया। वह नौकरी करने की जगह फ्रीलांस काम करने लगी।
मुकुल के अपनी ज़िंदगी में आने से वह खुश थी। वह मुकुल की अपने लिए भावनाओं को समझ रही थी। वह भी उस पल की राह देख रही थी जब मुकुल उससे अपने मन की बात कहेगा।
पर आज अचानक ना जाने कहाँ से उपेंद्र उसके सामने आ गया।
अपनी कहानी सुनाकर रेवती चुप हो गई। कुछ देर तक मुकुल और नीली भी कुछ नहीं बोले। मुकुल के मन में एक बात चल रही थी। कुछ सोचने के बाद उसने कहा,
"उपेंद्र को सज़ा हुई थी ?"
रेवती ने कहा,
"मुझे जबरन कैद करके रखने के लिए उसे सज़ा मिली थी। इसलिए मैं निश्चिंत थी।"
"कितना समय हुआ होगा ?"
"यही कोई छह साल।"
मुकुल ने मन में कुछ हिसाब लगाकर कहा,
"हो सकता है कि जेल में अपने अच्छे बर्ताव के कारण उपेंद्र कुछ पहले छूट गया हो।"
"हो सकता है..."
नीली ने कहा,
"पर उसे कैसे पता चला कि रेवती दिल्ली में है ?"
मुकुल ने जवाब दिया,
"रेवती के कारण ही उसे सज़ा मिली थी। जेल से छूटकर उसने इसके बारे में पता किया होगा। मुझे लगता है कि दिल्ली में एक दो दिन से तुम्हारा पीछा कर रहा होगा।"
रेवती ने कहा,
"अचानक ही आइसक्रीम पार्लर में मेरे सामने आ गया। मुझसे कहने लगा कि मुझे जेल भिजवाकर तुम यहाँ मौज कर रही हो। अब तुम्हारी खैर नहीं है। वह और भी ना जाने क्या क्या कह रहा था। मैं बुरी तरह डर गई थी।"
नीली ने कहा,
"मुकुल मुझे लगता है कि हमें पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए।"
"आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं दी। बल्कि मैं तो कहता हूंँ हमें अभी चलना चाहिए। देर करने से कोई फायदा नहीं है।"
रेवती भी उनकी बात से सहमत थी। वह जाने के लिए तैयार हो गई। मुकुल ने कहा,
"दी सबकुछ आजी के सामने घटा था। मुझे लगता है कि आजी को भी ले जाना ठीक रहेगा।"
नीली कुछ सोचकर बोली,
"ठीक है तुम आजी को लेकर जाओ। मैं बच्चों के साथ यहाँ रहती हूँ।"
मुकुल रेवती और आजी के साथ पुलिस स्टेशन जाने के लिए नीचे उतरकर आया। वह कार निकालने गया था। आजी और रेवती उसका इंतज़ार कर रही थीं। तभी अचानक रेवती के चिल्लाने की आवाज़ उसके कानों में पड़ी। वह दौड़कर आया। उसने देखा कि रेवती डर कर ज़मीन पर घुटनों के बल बैठी है। आजी भी परेशान हैं। कुछ लोग आसपास इकठ्ठे हो गए हैं। आजी ने बताया कि फिर वही आदमी आया था जो आइसक्रीम पार्लर में मिला था। वह रेवती को धमका रहा था। रेवती के चिल्लाने पर वॉचमैन और कुछ और लोग आ गए। वह आदमी सबको देखकर भागा। वॉचमैन उसके पीछे गया है।
मुकुल ने सबसे कहा कि वह लोग जाएं वह संभाल लेगा। उसने रेवती को तसल्ली दी कि वह डरे नहीं वो लोग पुलिस के पास चल रहे हैं। तभी वॉचमैन ने आकर कहा कि वह आदमी हाथ नहीं आया। पर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया है। उसमें उसकी तस्वीर है। मुकुल फौरन रेवती और आजी को लेकर पुलिस स्टेशन चला गया।
रेवती ने पुलिस स्टेशन में सारी बात खुलकर बताई। आइसक्रीम पार्लर और बिल्डिंग के कंपाउंड में घटी घटना के बारे में भी बताया। आजी ने भी अपना बयान दिया। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट दर्ज कर ली। मुकुल ने कहा,
"उपेंद्र की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं लग रही है। आज ही दो बार उसने रेवती को धमकी दी है। यह जानते हुए भी कि वह पकड़ा जा सकता है वह रेवती के पास आने की हिम्मत कर रहा है। वह कुछ भी कर सकता है। सर प्लीज़ उस इंसान को जल्दी से जल्दी पकड़िए।"
पुलिस इंस्पेक्टर ने आश्वासन दिया कि वह जल्दी ही उपेंद्र को पकड़ने की कोशिश करेंगे। उन्होंने रेवती से सावधान रहने को कहा। उसी समय इंस्पेक्टर ने आदेश दिया कि आइसक्रीम पार्लर और बिल्डिंग के सीसीटीवी कैमरा की फुटेज निकाली जाए। उसे सर्कुलेट करके उपेंद्र की खोज की जाए।
पुलिस ने जल्दी ही कार्यवाही का आश्वासन दिया था। लेकिन रेवती बहुत डरी हुई थी। नीली और मुकुल अभी भी उसके साथ थे। मुकुल उसे तसल्ली दे रहा था कि वह घबराए नहीं। सब उसके साथ हैं। मुकुल के द्वारा तसल्ली देने पर रेवती कुछ शांत हुई थी।
नीली चाहती थी कि मुकुल और रेवती कुछ देर अकेले एक दूसरे के साथ रहें। उसने कहा,
"मुकुल तुम रेवती के साथ रहो। मैं जाकर खाने की व्यवस्था देखती हूँ। जब खाना बन जाएगा तो फोन कर दूँगी। तुम रेवती को लेकर आ जाना।"
नीली चली गई। मुकुल ने रेवती से कहा,
"तुम मुझ पर यकीन रखो। मैं उस उपेंद्र को तुम्हारे आसपास भी फटकने नहीं दूँगा।"
रेवती ने कहा,
"आई ट्रस्ट यू मुकुल।"
मुकुल को अच्छा लगा कि रेवती उस पर यकीन करती है। लेकिन वह उसके सामने एक बार फिर अपने मन की बात रखकर उसका जवाब जानना चाहता था। पर समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। रेवती उसके मन की बात समझ रही थी। वह उठकर उसके पास आकर बैठ गई। उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली,
"मुकुल तुमने मुझसे कहा था कि तुम मुझे प्यार करते हो। मैं भले ही तुम्हारे प्यार को स्वीकार करूँ या नहीं लेकिन तुम मुझे इस मुसीबत से बाहर निकालोगे।"
मुकुल ने सर हिलाकर हामी भरी। रेवती ने आगे कहा,
"तुम जानना चाहते हो कि मेरा जवाब क्या है ?"
"हाँ रेवती.... मैं चाहता हूँ कि तुम अपना जवाब दो। लेकिन कोई भी फैसला करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना। किसी दबाव में फैसला मत करना। एक बात का ध्यान रखना की तुम्हें मेरे साथ साथ अनय को भी अपनाना पड़ेगा।"
रेवती कुछ देर सोचती रही। कुछ क्षणों के बाद उसने कहा,
"मुकुल मैं अपना फैसला सोच समझकर ही लूँगी। दबाव की तो कोई बात ही नहीं है। रहा अनय का सवाल तो मुझे पता है कि तुम्हारे लिए वह कितना खास है। पर मैं तुम्हारी पत्नी के बारे में जानना चाहती हूँ।"
मुकुल ने गंभीरता से कहा,
"मैं भी तुम्हें सब बताना चाहता हूँ ताकि तुम अपना फैसला सही तरह से ले सको।"
मुकुल ने रेवती को अपने और नेहा के बारे में सबकुछ बता दिया। सब बताने के बाद वह बोला,
"नेहा ने उसके बाद कभी पलट कर नहीं देखा। अनय के लिए उसका पापा और मम्मी मैं ही हूंँ। तुम समझ सकती हो कि अनय की मेरी ज़िंदगी में क्या जगह है।"
कुछ देर मुकुल और रेवती दोनों शांत रहे। रेवती अपने फैसले के बारे में विचार कर रही थी। तभी कॉलबेल बजी। मुकुल को लगा कि शायद नीली होगी। उसने उठकर दरवाज़ा खोल दिया।
सामने एक आदमी खड़ा था। आँखों पर मोटा चश्मा था। लंबी दाढ़ी और मूंछ थी। सर पर पगड़ी बंधी हुई थी। एक अंजान आदमी को देखकर मुकुल सावधान हो गया। लेकिन जब तक वह कुछ करता उस आदमी ने अपने बैग से पिस्तौल निकाल कर उस पर तान दी। उसे धक्का देकर अंदर चला गया।
दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।