Ajib Dastan hai ye - 1 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | अजीब दास्तां है ये.. - 1

Featured Books
  • लोभी

          "लोभी आधुनिक माणूस" प्रस्तावनाआजचा आधुनिक माणूस एकीकडे...

  • चंद्रासारखा तो

     चंद्र आणि चंद्रासारखा तो ,जवळ नाहीत पण जवळ असल्यासारखे....च...

  • दिवाळी आनंदाचीच आहे

    दिवाळी ........आनंदाचीच आहे?           दिवाळी आनंदाचीच आहे अ...

  • कोण? - 22

         आईने आतून कुंकू आणि हळदची कुहिरी आणून सावलीचा कपाळाला ट...

  • कथानक्षत्रपेटी - 4

    ....4.....लावण्या sssssss.......रवी आणि केतकी यांचे लव मॅरेज...

Categories
Share

अजीब दास्तां है ये.. - 1

(1)

शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे।

लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे।

अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा,

"जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है।"

"बस हो गया..."

कहते हुए मुकुल उसका टिफिन लेकर किचन से बाहर आया। टिफिन उसके बैग में रखकर बैग उसके कंधे पर टांगने में मदद की। उसके बाद अनय के साथ उसे बिल्डिंग के बाहर तक छोड़ने गया।

अभी स्कूल बस गई नहीं थी। अनय भागकर बस पर चढ़ गया। पीछे से मुकुल ने कहा,

"ऑल द बेस्ट... ठीक से टेस्ट देना।"

स्कूल बस चली गई। मुकुल अपनी बिल्डिंग में वापस लौट गया। उसे भी तैयार होकर ऑफिस जाना था। लिफ्ट के पास ही उससे एक फ्लोर नीचे रहने वाला रमन पंजवानी मिल गया। उसने कहा,

"परसों सोसाइटी की मीटिंग है। याद है ना।"

"हाँ याद है.... आऊँगा भी।"

"और कैसा चल रहा है सब कुछ ?"

"कुछ नया नहीं है। वही पुराना रुटीन। अभी अनय कोई स्कूल बस में बैठा कर आ रहा हूँ। अब जाकर खुद तैयार होऊँगा। उसके बाद ऑफिस।"

"सुना है तुम्हारे सामने वाले फ्लैट में कोई आ रही है। वह भी सिंगल है।"

"मुझे नहीं पता। पर पंजवानी तुम्हें बहुत खबर रहती है। अपनी दुकान जाते हो या दिन भर यह सब खबरें बटोरते हो।"

"दुकान नहीं जाऊँगा तो घर कैसे चलेगा। पर इन सबके लिए वक्त निकाल लेता हूँ।"

"खैर मुझे तो अपने लिए भी वक़्त नहीं मिल पाता है। चलता हूँ नहीं तो ऑफिस के लिए निकलने में देर हो जाएगी।"

यह कहकर मुकुल लिफ्ट में घुस गया।

मुकुल सबसे पहले अपने लिए चाय बनाने किचन में चला गया। चाय की उसे सख्त ज़रूरत थी। कल शाम देर से ऑफिस से लौटा था। बचा हुआ काम घर के लिए लेकर आया था। वही करते हुए साढ़े बारह बज गए थे। सुबह देर से नींद खुली। वह भी तब जब अनय ने जगाया था।

चाय का मग लिए हुए वह बालकनी में जाकर हैंगिंग चेयर पर बैठ गया। अनय को भेजने के बाद वह कुछ पल इसी तरह बिताता था। चाय पीते हुए मुकुल ऑफिस के बारे में सोचने लगा। जबसे उसकी फर्म को नया प्रोजेक्ट मिला था काम बहुत बढ़ गया था।

वह एक ईवेंट प्लानर था। उसकी फर्म को एक सॉफ्टवेयर कंपनी के सिल्वर जुबली समारोह के आयोजन का काम मिला था। कल रात देर तक जागकर उसने डेकोरेशन और बाकी अरेंजमेंट्स के प्लान बनाए थे। ऑफिस पहुँच कर उसे उस प्लान पर अपने पार्टनर के साथ चर्चा करनी थी।

अपने काम से हटकर उसका दिमाग अनय पर चला गया। इधर अनय उससे कुछ नाराज़ चल रहा था। शहर में फन कार्नीवाल लगा था। पर अपनी व्यस्तता के कारण वह उसे दिखाने नहीं ले जा सका था। कल कार्नीवाल का अंतिम दिन था।

अनय दो तीन बार शिकायत कर चुका था। उसका कहना था कि पापा आप बस अपने काम में बिज़ी रहते हैं। मेरे साथ टाइम स्पेंट नहीं करते हैं। मुकुल को भी इस बात का एहसास था। पिछले दो संडे को भी उसे ऑफिस जाना पड़ा था। जबकी अनय बेसब्री से संडे की राह देखता था। वही एक दिन होता था जब दोनों एक दूसरे के साथ वक्त बिता पाते थे।

सब जानते हुए भी मुकुल की मजबूरी थी कि वह काम पर अधिक ध्यान दे। अभी उसकी फर्म को महज़ एक साल ही हुआ था। मेहनत करके ही फर्म को स्थापित किया जा सकता था। इसलिए मुकुल जी तोड़ मेहनत कर रहा था।

 

ऑफिस के लिए तैयार होने के बाद मुकुल ने सारी चीज़ें अच्छी तरह से चेक कीं। उसके बाद देखा कि कहीं फैन या लाइट तो नहीं चल रहा। तसल्ली करने के बाद वह बाहर आया। दरवाज़ा लॉक करने के बाद उसने बगल वाले फ्लैट की घंटी बजाई। दरवाज़ा खुला तो उसने कहा,

"नीली दी आज आप ऑफिस नहीं गईं ?"

नीली ने कहा,

"आज मूड किया छुट्टी मार लूँ।"

"अच्छा किया... कभी कभी छुट्टी लेनी चाहिए।"

"सही कहा तुमने। पर इस पर अमल भी किया करो।"

मुकुल नीली की बात सुनकर मुस्कुरा दिया। नीली ने कहा,

"तुम्हारी समस्या समझती हूँ। लेकिन अनय अभी बच्चा है।"

"दी... कोशिश करूँगा कि छुट्टी लेकर उसे कहीं घुमा लाऊँ।"

नीली को चाभी देकर वह लिफ्ट की तरफ बढ़ गया।

 

नीली उसकी चचेरी बहन की देवरानी थी। पर उनका रिश्ता दूर का होते हुए भी संबंध गहरा था। वह रोज़ फ्लैट की चाभी उसकी सास को दे जाता था। सब उन्हें आजी कहते थे। बाद में उसकी मेड पुनीता आकर आजी से चाभी लेकर घर की सफाई करती थी। अनय के स्कूल से लौटने पर उसे खाना खिलाकर और शाम का खाना बनाकर अपने घर चली जाती थी।

इतना ही नहीं नीली और आजी मुकुल की और भी मदद करती थीं। अनय को अकेलापन महसूस ना हो इसके लिए रोज़ शाम को आजी अपनी पोती रिया के साथ उसे भी नीचे खेलने के लिए ले जाती थीं। जब भी मुकुल को लौटने में देर होती तो अनय नीली के घर चला जाता था। एक दो बार तो अनय उनके घर पर ही सो गया था। क्योंकी मुकुल को लौटने में बहुत अधिक देर हो गई थी। मुकुल अक्सर सोचता था कि अगर नीली दी और आजी ना होते तो उसके लिए अकेले काम और अनय पर ध्यान दे पाना कितना मुश्किल हो जाता।

 

शाम के सवा पाँच बजे थे। अनय अपना होमवर्क कर रहा था। वह चाह रहा था कि जल्दी से होमवर्क खत्म कर ले। रोज़ की तरह छह बजते ही आजी और रिया उसे नीचे खेलने के लिए ले जाने आएंगे। वह जल्दी जल्दी अपना आंसर लिखने लगा। तभी दरवाज़े की घंटी बजी। अनय ने एक बार फिर घड़ी की तरफ देखा। अभी तो छह बजने में वक्त था। उसने पीप होल से झांक कर देखा। रिया खड़ी थी। उसने दरवाज़ा खोल दिया।

"आज इतनी जल्दी आ गई। अभी तो बहुत टाइम है।"

रिया ने अंदर आकर कहा,

"तैयार हो जाओ। मम्मी हम लोगों को घुमाने ले जा रही हैं।"

अनय याद करते हुए बोला,

"अरे हाँ.... आज तो बुआ छुट्टी पर थीं। मैं अभी तैयार हो जाता हूँ।"

अनय ने दरवाज़ा बंद किया और डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया। अपनी नोटबुक खोलकर लिखने लगा। रिया ने कहा,

"तुम तो होमवर्क करने लगे। जल्दी तैयार हो। ‌ घूमने नहीं चलना है क्या।"

अनय ने लिखते हुए कहा,

"सिर्फ दो लाइन बची थीं। वह लिख लूँ तो यह होमवर्क पूरा। फिर एक बचेगा। वह मैं बाद में आकर कर लूंँगा।"

रिया ने इतराते हुए कहा,

"मैंने तो अपना सारा होमवर्क कर लिया।"

अनय को बुरा लगा। उसने अपने बड़े होने का एहसास दिलाते हुए कहा,

"तुम मुझसे एक क्लास छोटी हो। जब मेरी क्लास में आओगी तो पता चलेगा।"

उन दोनों के बीच इस तरह की नोकझोंक चलती रहती थी। रिया खुद को स्मार्ट दिखाने की कोशिश करती थी। अनय उसे एहसास दिलाता था कि वह बड़ा और ज्यादा समझदार है।

अनय ने अपना काम पूरा कर लिया। नोटबुक और बाकी का सामान अपने बैग में रख दिया। उसके बाद वह तैयार होने के लिए अपने रूम में गया। रिया भी उसके पीछे-पीछे रूम में चली गई। अनय ने सर पर हाथ रखकर कहा,

"स्टुपिड... मुझे चेंज करना है।"

रिया ने उसे घूरा और बाहर चली गई। कपड़े बदल कर अनय बाहर आया तो रिया सोफे पर चुपचाप बैठी थी। अनय ने कहा,

"आई एम रेडी..."

रिया ने कुछ नहीं कहा। अनय समझ गया कि वह नाराज़ हैं। उसने खुश करने के लिए कहा,

"स्ट्राबेरी मिल्क शेक पिओगी। फ्रिज में है।"

मिल्क शेक की बात सुनकर रिया के चेहरे पर मुस्कान आ गई। पर वह बोली,

"रहने दो... हम लोग बाहर चलकर अपनी पसंद की आइसक्रीम खाएंगे।"

घर से निकलते समय अनय ने सब कुछ चेक किया। रिया को समझाते हुए बोला,

"घर से निकलते समय सब चेक कर लेना चाहिए। नहीं तो कुछ भी हो सकता है।"

बाहर निकल कर दरवाज़े को लॉक करते हुए फिर समझाया,

"दरवाज़ा भी अच्छी तरह लॉक करना चाहिए।"

रिया ने तुनक कर कहा,

"जल्दी करो। देर हो रही है।"

कुछ ही देर में नीली अनय, रिया और आजी को घुमाने ले गई।

 

अनय और रिया बहुत खुश थे। उन लोगों ने बहुत मस्ती की थी। मोमोज़ और अपनी पसंदीदा आइसक्रीम खाई थी। नीली कार पार्क करने के लिए गई थी। आजी दोनों बच्चों के साथ उसके आने का इंतजार कर रही थीं। सोसाइटी के कंपाउंड में एक टेंपो खड़ा था। उसमें से सामान उतारा जा रहा था। एक लड़की सामान उतारने वालों को निर्देश दे रही थी।

"अरे भैया उसमें कांँच का सामान है जरा संभाल के उतारो। सिक्सथ फ्लोर पर ले जाना है। संभाल कर ले जाना।"

आजी ने कहा,

"लगता है हमारे सामने वाले फ्लैट में रहने के लिए आई है।"

नीली कार पार्क करके आ गई। चारों लोग लिफ्ट से ऊपर चले गए। नीली ने अनय को उसके फ्लैट की चाभी देते हुए कहा,

"अपना होमवर्क कंप्लीट करके आराम करना। अगर मन ना लगे तो आ जाना।"

"थैंक्यू बुआ... आज बहुत मज़ा आया।"

अनय दरवाजा खोलकर अपने फ्लैट में चला गया।

अपना होमवर्क पूरा करने के बाद अनय ने अगले दिन के लिए बैग तैयार कर लिया। उसके बाद वह टीवी चलाकर कार्टून देखने लगा। उसे पता था कि पापा के आने में अभी वक्त है।

वह आराम से बैठा टीवी देख रहा था कि एक बार फिर दरवाज़े की घंटी बजी। वह खुश हुआ कि पापा जल्दी आ गए। लेकिन दरवाजा खोलने से पहले अपनी आदत के अनुसार उसने पीप होल से झांक कर देखा। उसने देखा की दरवाजे पर वही आंटी हैं जो नीचे सामान उतरवा रही थीं। पहले उसे अपने पापा की हिदायत याद आई। किसी भी अजनबी के लिए दरवाजा मत खोलना। फिर कुछ सोचकर उसने चेन लगाकर दरवाजा खोल दिया।

"हैलो बेटा..."

"हेलो आंटी.... मेरे पापा घर पर नहीं हैं।"

"अपनी मम्मी को बुला दो..."

अनय कुछ कहने जा रहा था। लेकिन रुक गया। वह बोला,

"मम्मी भी नहीं हैं...."

अनय ने देखा कि आंटी कुछ सोचने लगीं। उसने कहा,

"आपको क्या चाहिए ?"

"बेटा... मैं तुम्हारी नई नेबर हूँ। सामने वाले फ्लैट में रहने आई हूंँ। मुझे ठंडा पानी मिलेगा।"

"ठीक है... आप वेट करिए मैं लाता हूंँ।"

अनय फ्रिज से एक बॉटल निकाल कर लाया। चेन हटाकर दरवाजा खोल दिया।‌ उसने बॉटल आंटी को दे दी।

"थैंक्यू बेटा... क्या नाम है तुम्हारा ?"

"अनय..."

"स्वीट नेम..अनय तुम रुको। मैं अभी बॉटल वापस कर देती हूँ।"

अनय वहीं रुक कर इंतज़ार करने लगा। कुछ समय बाद ही आंटी ने बॉटल लाकर दे दी। साथ में एक चॉकलेट उसे पकड़ाते हुए बोलीं,

"गुड ब्वॉय...."

अनय ने कहा,

"नो थैंक्यू आंटी....नेबर तो एक दूसरे की हेल्प करते हैं।"

उसी समय मुकुल आ गया। उसने पूँछा,

"क्या बात है अनय ?"

अनय ने कहा,

"पापा आंटी हमारी नई नेबर हैं। ठंडा पानी लेने आई थीं।"

मुकुल ने देखा कि उसके सामने बड़ी बड़ी आँखों और सांवले रंग वाली एक लड़की खड़ी थी। उस लड़की ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा कर कहा,

"हैलो... मैं रेवती कृष्णन हूँ। सामने वाले फ्लैट में रहने आई हूंँ। आपका बेटा बहुत स्वीट है।"

मुकुल मुस्कुरा दिया। अनय ने कहा,

"पापा आंटी ने ये चॉकलेट दी है। मैंने मना किया था।"

रेवती ने कहा,

"रख लो...."

कहकर उसने मुकुल की तरफ देखा। मुकुल ने अनय के कंधे पर हाथ रखकर उसे चॉकलेट रख लेने का इशारा किया। रेवती ने कहा,

"ओके तो मैं चलती हूँ मिस्टर ???"

मुकुल को याद आया कि उसने अभी तक अपना परिचय नहीं दिया है।

"माई सेल्फ मुकुल नंदा।"

"ओके मुकुल चलती हूँ।"

रेवती अपने फ्लैट में चली गई। मुकुल अनय को लेकर अंदर चला गया।