Child Story - Wise in Hindi Children Stories by Asha Saraswat books and stories PDF | बाल कहानी - समझदार

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बाल कहानी - समझदार

नानी के घर जाना सब बच्चों को बहुत ही अच्छा लगता है,सुनयना को भी अपनी नानी के घर जाने में बहुत अच्छा लगता था ।वह अपने भाई-बहिनों में सबसे छोटी थी,सबकी प्यारी थी।

जब गर्मी की छुट्टियों में सब लोग नानी के घर जाते तो उसका वहॉं पर बहुत मन लगता ,छुट्टियाँ ख़त्म होते ही सब जाने की तैयारी करते लेकिन सुनयना का मन करता वह और कुछ दिन नानी के घर रहे।उसके सभी भाई-बहन पढ़ाई में व्यस्त हो जाते और वह घर पर ही रहती,मॉं अपने घर के कामों में व्यस्त रहतीं ।सुनयना छोटी थी वह स्कूल नहीं जाती थी,नानी के घर में सब बड़े थे ।नाना जी,मामा जी उसके लिए तरह-तरह की खाने की चीजें लाते तो वह बड़े ही आनन्द लेकर खाती ।

जब भी सुनयना की मॉं को किसी काम से नानी के यहाँ अकेले जाना होता , तो सब भाई-बहन पिता जी के पास रुक जाते लेकिन उसे मॉं अवश्य ले जातीं क्योंकि वह छोटी थी।

गर्मी की छुट्टी हुई ंफिर सबका नानी के घर जाना हुआ इस बार नानी की तवियत ख़राब होने की वजह से सभी उदास थे ।नानाजी,मामाजी तो कभी-कभी हमारे साथ खेल लेते और खाने के लिए अच्छी-अच्छी चीजें भी लाते थे।मौसी के साथ खेलने का बहुत मन होता लेकिन वह बहुत कम ही खेलती थी।नानी की वजह से वह उदास रहने लगीं।

छुट्टियों के बाद सबअपने घर चले गये और कुछ दिनों बाद मॉं अकेले ही पिता जी के साथ नानी के यहाँ गईं सुनयना को वहाँ नहीं लेगईं।तब उसे बहुत रोना आया तो बड़े भाई ने बताया नानी अब नहीं रहीं ।

कुछ दिनों बाद मॉं फिर सुनयना को लेकर वहाँ गईं और मौसीजी के पास ही रहने के लिए छोड़ दिया,सुनयना को बहुत ही ख़ुशी हुई अब मौसीजी ,नानाजी मामाजी के साथ खूब खेलेंगे,आनन्द आयेगा ।

एक दिन मौसीजी ने स्कूल में जाकर सुनयना का प्रवेश फार्म भरकर दाख़िला करा दिया,वह बहुत खुश हुई,क्योंकि मौसीजी के साथ वह स्कूल जायेगी;फिर मौसीजी अपने कॉलेज चली जायेंगीं ।

सुनयना को मौसीजी स्कूल की गली तक छोड़ देतीं ,फिर अपने कॉलेज चली जाती,यही सिलसिला चलता रहा और स्कूल से सुनयना अपने दोस्तों के साथ घर आ जाती,कभी-कभी मामाजी ले आते थे।स्कूल घर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित था तो कोई परेशानी भी नहीं होती थी।

स्कूल से घर आकर सुनयना खूब खेलती मौसीजी के साथ।मौसीजी का खूब प्यार मिलता और सुनयना भी खूब प्यार करती थी।

कुछ दिनों बाद मामाजी की शादी हुई,सभी भाई-बहन ने खूब मस्ती की और मॉं पिताजी से भी मिलना हुआ।मामीजी के साथ भी सुनयना खेलती,बड़ा आनंद आता।

एक दिन मौसीजी के कॉलेज में कोई कार्यक्रम था तो उनका अवकाश जल्दी होगया।मौसीजी सुनयना के स्कूल उसको लेने जा रही थी तभी उन्होंने देखा स्कूल से पहले एक बंद घर था जिसके मालिक कहीं बाहर रहते थे।वहॉं दो बच्चियाँ खेल रही थी उन्होंने नज़दीक जाकर देखा तो अपने ही मोहल्ले में रहने वाली बालिका और सुनयना पत्थर के टुकड़ों से (गुट्टे)खेल रही है ,पता हुआ उस दिन दोनों बालिका स्कूल गई ही नहीं ।

मौसीजी सुनयना को बहुत प्यार करती थी लेकिन यह देखकर उन्होंने सुनयना को बहुत डॉटा और मारा।

सुनयना को जब सजा मिली तो उसने मौसीजी से क्षमा माँगते हुए कहा मैं अब समझदार हो गई हूँ ऐसी कोई गलती नहीं करूँगी ।यह सुनकर मौसीजी ने प्यार से सुनयना को गले लगा लिया ।🥰
आशा सारस्वत