Broken with you... - 3 in Hindi Moral Stories by Alone Soul books and stories PDF | Broken with you... - 3

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Broken with you... - 3

ये जो बनारसी रंग है , आज भी जहा जाता है अपनी छाप दे जाता है।
बस मन ले कर अपनी गंगा मईया के पास बैठ जाओ तुम तो वहीं रहोगे पर दिल , मन , आत्मा गहरे पानी में चले जाए गे क्यों ~ साहब

दो हफ्ते हो गए है ना , हा दो हफ्ते ही लगभग हो गए होगे प्रिया को गुम हुए क्या हुआ होगा उसके साथ ...
क्या मतलब क्या होता है

!!!! शब्दो के जाल मत बुनो तुम दो साल से यही बन्द हो?!
दो हफ्ते बोल रही हो अंजली क्यों ?~ वकील ( किशोर प्रकाश)

मै जानता हूं तुम बे गुनाह हो , तुमको किसने फसाया है ,
कभी कुछ नहीं बोलती हो ,
किससे छुपा रही हो अपने पीछे ,

हां हा हा हा हा ! क्यों वकील साहब आज कैसे याद आ गया ?
तुम साले दो हाथ लो फिर दो साल चुप रहोगे लगता है ।
कितनी बार बोलू मैने ~मैने मारा है प्रिया को


क्या करू साहब सब इस दिमाक का दोष है ,

कभी ये सोचता है , कभी वो सोचता है जानते हो वकील की अवलाद दुनिया का सबसे ख़तरनाक चीज कोई है तो ये दीमक अगर ये चल गया बहुत कुछ खा जाता है ....


उस रात अस्पताल में भी साले ने कुछ कर ही दिया होगा

क्यों वकील की आवलाद तुमको क्या लगता है मै सही हूं या मेरी अनसुनी कहानी ?


तुम मुझे खूनी नहीं लगती हो~ वकील


क्यों शादी करोगे का बे वकील , जब बोल दिए एक बार में हम मारे है तो का तुमको अपना मुंह मारने चले आते हो ~ अंजली

चलो मै चलता हूं पर मै कल फिर लौटकर आगे की कहानी सुनने ~ वकील


सुनो वकील मेरी कहानी क्या सुनोगे , रोज लाखो कहानियां छपती है कई आंखो में चमक दे जाती है नहीं तो रद्दी तो बीक ही जाती है मेरी भी कुछ इसी तरह मेरी भी छाप जाओगे तुम तेरे खून मे ये उबाल आ रहा है क्यों बे....
नहीं तुम गलत समझ रही हो~ वकील
तुम दसवें वकील हो जिससे मेरे बाप ने दो सालो में मेरे पास भजा है।
सब की भूख सिर्फ पैसे से ही थी । तुमको क्या है बे


(इतने में हवलदार आता है वकील साहब बस करो ये नहीं बोलेगी चलो समय ख़तम हुआ तुम भी चलो कहीं और , किशोर जी थोड़े परेशान से , अपना कोट पहन कर निकलने लगे )



सुनो वकील मत आना कुछ नहीं पता चलेगा , और मेरे बाप से बोल दो बेटी को भूल जाए आराम से जिये समझे वकील


ठीक है मगर तुम मुझे सब बता दो मै तुमको बचा लूगा
अच्छा मै चलता हूं फिर अपना ध्यान रखना .......

फिर क्या अंजली फिर अपने वहीं पुराने गाने गुनगुनाती अपने मन पसन्द चित्र बनाने लगी ....

( किसी कि मुस्कुराहटों पे हो निसार ...........
किसी का दर्द मिले उधार ..........
किसी के वास्ते हो दिल में प्यार ................)




( तो क्या लगता है दोस्तो अंजली ने क्यों मारा होगा प्रिया को या किसी और ने अंजली को फसाया या कुछ अलग ही पन्ना है इस कहानी शेष भाग में ).....