भ्रूण हत्या
उसकी सजल करुणामयी आँखों से
टपके दो आँसू
हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारो पर
लगा रहे हैं प्रश्नचिन्ह?
कन्या भ्रूण हत्या
एक जघन्य अपराध और
अमानवीयता की पराकाष्ठा है,
सभी धर्मों में यह है महापाप,
समय बदल रहा है
अपनी सोच और
रूढ़ियों में लायें परिवर्तन,
चिन्तन, मनन और मंथन द्वारा
सकारात्मक सोच के अमृत को
आत्मसात किया जाये
लक्ष्मीजी की करते हो पूजा पर
कोख में पल रही लक्ष्मी का
करते हो तिरस्कार
उसे जन्म के अधिकार से
वंचित मत करो
घर आई लक्ष्मी को
प्रसन्नता से करो स्वीकार
ऐसा जघन्य पाप किया तो
लक्ष्मी के साथ-साथ
सरस्वती को भी खो बैठोगे
अंधेरे के गर्त में गिरकर
सर्वस्व नष्ट कर बैठोगे।
प्रश्न और समाधान
अब प्रश्नो को विश्राम दो
एक प्रश्न का समाधान
दूसरे प्रश्न को जन्म देता है
प्रश्न से समाधान
समाधान से प्रश्न
उलझनें बढ़ाता है
समाधान से बढ़ती है
ज्ञान की पिपासा
यही पिपासा संवेदनशीलता बनकर
राह दिखाती है
प्रश्न और समाधान
करते हैं भविष्य का मार्गदर्शन
और सिखाते हैं
जीवन जीने की कला।
सपनों का शहर
हमारा भी सपना है
शहर हमारा अपना है
जब खुली आँखों से देखता हूँ
यह मात्र एक कस्बा है
बिजली सड़क और पानी
हैं विकास की प्रमुख निशानी
पर इनका है नितान्त अभाव
फिर भी इसे कहते हैं संस्कारधानी।
बिजली का कभी भी कितना भी कट,
खो गईं हमारे शहर से
स्वच्छ और सुन्दर सड़क,
विकास के नाम पर
हर नेता लड़ रहा है
गड्ढों में सड़क को
खोजना पड़ रहा है।
जनता कर रही है
पानी के लिये हाय! हाय!
नेता सपनों मे खोये हैं
करके जनता को बाय-बाय!
इन्तजार है उस मसीहा का
जो करेगा
बिजली, पानी और सड़क का उद्धार
जिसे होगा विकास से सच्चा प्यार
तब हम गर्व से कहेंगे
यही है हमारे सपनों का
सुन्दर और वास्तविक शहर।
नारी व आर्थिक क्रान्ति
हम अपनी धुन में
वे अपनी धुन में
नजरें हुई चार
पहले मित्रता फिर प्यार
पत्नी के रूप में
कर लिया स्वीकार।
जिन्दगी को मिल गयी
मनचाही सौगात,
दोनों के जीवन में
हो गया नया प्रभात।
वह मेरे साथ
कार्यालय आने-जाने लगी,
मेरे काम में हाथ बंटाने लगी।
उसकी होशियारी के आगे
कटने लगे मेरे कान और नाक
आमदनी बढ़ने लगी और
लगने लगे उसमें चार चाँद।
उसने नारी का सम्मान बढ़ाया
और समाज में अपना
विशिष्ट स्थान बनाया।
उसने बता दिया नारी को अवसर मिले
तो वह कम नहीं है पुरुष से
यदि देश में ऐसा परिवर्तन आ जाये
हर परिवार में नारी होगी स्वाबलंबी
वह राष्ट्र की विकास दर में योगदान करेगी
आर्थिक क्रान्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी
सृजन का नया इतिहास बनेगा
और तब हमारे राष्ट्र में आयेगी समृद्धि
बढ़ेगा उसका और राष्ट्र का गौरव,मान और सम्मान
अंतिम रात्रि
आज की रात मुझे
विश्राम करने दो
क्या पता
कल का सूरज देख सकूं
या न देख सकूं,
चांद की दूधिया रौशनी को
आत्मा पर दस्तक देने दो
वह ले जा रही है
अंधकार से प्रकाश की ओर।
विचारों की आंधी को
भूत, भविष्य और वर्तमान का
चिन्तन और दर्शन करने दो।
हो जाने दो हिसाब
पाप और पुण्य का,
प्रतीक्षा और प्रेरणा में
जीवन बीत गया
अब अंत है
अनन्त में भी आत्मा प्रकाशित रहे
प्रभु की ऐसी कृपा होने दो
हमने किये जो धर्म से कर्म
उनका प्रतिफल मिले
परिवार और समाज को
प्रार्थना कर लेने दो
सोचते-सोचते ही सो गया
प्रारम्भ से अन्त नहीं
अन्त से प्रारम्भ हो गया।