RAAZ in English Motivational Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | राज़

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राज़




किताबे पढना बहत पसन्द है मुझे और साथ ही लीखने में रूची रखती हुं । उस दिन भी कुछ यैसे किताब लेकर बैठ गयी थी । पता नहीं कब मेरी आखं लगगयी पर उसके बाद जो हुआ बहत अच्छा हुआ । में सरमा गयी थी जब वो मेरी हात पकडा और मुझे गले से लगाया । तभी अचानक पापा के बुलाने की आवाज आई तो पेहले में ध्यान नहीं दिया । फिर थोडी देर बाद जब दुबारा बुलाये तो मेरा सपना टुट गयी । खडी हो कर देखी तो पापा सामने थे और बोल रहे थे देखना तेरी माँ को क्या हुआ है ।


में जब देखी तो मेरी माँ दर्द से जमीनपे लेटी हुई थी । माँ को जाके पुछी तो वो अपनी पेट को जोर् से पकडी थी और सायद वहीं पर दर्द हो रही थी इसलिए वो ठीक् से बात भी नहीं कर पायी । रात के बक्त थी किसको बुलाऊ समझ में नहीं आ रही थी । माँ मेरी दर्द से मरे जा रही थी और में चाहकर भी कुछ नहीं करपाती थी । पास बैठके बस् थोडी हीम्मत दे रही थी । जैसे तैसे करके रात बितगयी ।


सुबह हुई नहीं की मैंने पापा को बोली आप जल्दी से माँ को हस्पताल ले जाउो । पापा भी जल्दी से माँ को हस्पताल लेके गये । वहां जाके डाक्तर् को दिखाये तो डाक्तर् कुछ दर्द कम् करनेबाली दबाई दी । और बोले की ये सब ग्यास् की बजाह से हो रही है । फिर सात दिन तक दबाई चली पर कोई फायेदा नहीं हुई । वही दर्द अभी भी है । में ठानली की यहां वहां दिखाने से अच्छा में माँ को बडी डाक्तरखाना लेजाऊ । और मैने वही भी किया । रात के दर्द को में नहीं देखपाई सुबह लेकर चलीगयी ।


जब डाक्तरखाना पहुंची तो डक्तर् नहीं थे वहां । जाकर पता करनेपर मालुम चली की आज डाक्तर् देर से आनेबाले हैं । यहां मेरी माँ की तकलीफ मुझसे देखी नहीं जा रही थी और वहां डाक्तर् भी नहीं आये थे । समझमें नहीं आ रही थी करूं तो क्या करूं ? कहीं और ले जाऊं क्या ? या फिर कहीं और लेगेये तो वहां का डाक्तर् अच्छे होगेंना ? मेरी माँ एकदम् से ठीक् तो हो जायेगीना ? ये सब सोचने में बक्त बीता गया और थोडी देर बाद डाक्तर् आये ।


माँ को चेक् किये और कुछ test करवाने केलिए कहे । मैंने सारे test करवादिये । करीब दो या ढाई़ घन्टे के बाद रिपोट् भी आ गेयी । रिपोट् देखकर डाक्तर् कुछ दबाई लिखे और करीब एक महीने तक continue करने केलिए बोेले । फिर हम घर चलेआये ।


घरमें सबको पता थी की माँ को ग्यास् की problem हुई है पर मुझे पता थी असलीयत क्या है । जब डाक्तर् के पास गयी थी तो वो रिपोट् देखकर बताये थे की माँ की पेट में घा हुई है । इसलिए ये सब हो रही है । मगर ये बात में किसीको नहीं बताई । अपनी अन्दर छुपाके रखी । क्युंकी में जानती थी की अगर ये बात किसीको पता चलेगी तो वो लोग टुट जायेगें । कम करने केलिए तो दबाई खा ही रहे हैं तो देखाजाऐ क्या हो रही है ?


फिर एक महीनेतक दबाई चली । उस दबाई से आधा से ज्यादा दर्द खतम हो गेयी थी । फिर एक महीना पुरा हुआ और उसके बाद फिरसे माँ को लेकर हस्पताल गयी । फिरसे डाक्तर् कुछ test करवाने केलिए बोले तो में झट् से करली । फिर रिपोट में सब clear आयी । में बहत खुस थी की अब सब normal है । फिर कुछ दबाई लीखे और हम वो दबाई लेकर घर आये ।


कुछ दिन दबाई का असर सब अच्छा कर दिया । माँ अब मेरी बिलकुल ठीक् है । दर्द नहीं है बस् खानपान की सही देखभाल हो रही है । ये सब जब में सोचती हुं तो मुझे एक आश् नजर आती है की अगर हीम्मत से काम करोगे तो बडे से बडे मुसीबतों का हल भी नीकल सकती है ।


मुझे सुकून् है की मेरी माँ अब पुरी तरहा से ठीक् है । सायद उस बक्त में घरवालों को कुछ ना बताके सही किया । मगर वो बात मेरी अन्दर एक राच बनकर रेह गयी । जीसको में कभी किसीको नहीं बता सकती ।



** END **