Bahurani in Hindi Short Stories by Ambika Jha books and stories PDF | बहुरानी

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बहुरानी

वैंपायर एक बहुरानी

अजय बहुत दिनों बाद शहर से पढ़ाई करके वापस अपने गाँव आ रहा था। उसे रास्ते में ही तेज तूफान और बारिश ने घेर लिया... वह जिस बस से आ रहा था वो बस भी खराब हो गई। बस में बैठे सभी यात्री घबरा गए क्योंकि अब रात होने को आई और बस खराब हो गई अब वे सब कैसे घर पहुंचेंगे? तूफान अपने चरम पर था कब क्या हो किसी को कुछ नहीं पता...।
सभी यात्री विचलित भूख और प्यास से व्याकुल होने लगे उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वहीं पास में ही पेड़ के पास एक चाय की दुकान दिखाई दी...।
दुकान पर आने पर देखा चाय वाला घबराकर घर जाने के लिए अपनी दुकान बंद कर रहा था।
उन लोगों ने उससे पूछा कि क्या यहाँ आसपास कोई रहने की व्यवस्था है?
चाय वाले ने कहा, "पास में ही एक छोटा सा गाँव है जहाँ से हम रोज यहाँ चाय बेचने आते हैं। मेरे पास साइकिल है उस पर हम सिर्फ किसी एक व्यक्ति को ही लेकर जा सकते हैं। तूफान बहुत तेज है पर यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं...।"

घबराहट से चाय वाले के चेहरे की उड़ती रंगत और पीले पड़ते चेहरे से बुरा हाल था।
उसकी इस हालत को देखकर कन्डेक्टर ने पूछा, "तूफान तो आता रहता है यह तो नॉर्मल बात है। फ़िर तुम्हारा यह डरा डरा सा चेहरा पीला हुआ क्यों पड़ा है? क्यों इतने परेशान हो। थोड़ा रुक जाओ, हम लोगों को चाय पिलाकर फिर चले जाना।"
चाय वाले ने कहा यह कोई साधारण तूफान नहीं है यहाँ हर महीने की अमावस्या को ऐसा ही तूफान आता है।
ये तूफान वैंपायर के आने का संकेत हैं...।
इन्सान तो इन्सान तो यहाँ पशु-पक्षी और जानवर भी दिखाई नहीं देंगे।
इतनी खतरनाक वैंपायर है जो किसी भी जीव को जिंदा नहीं छोड़ती उसके आने से जो आग की ज्वाला निकलती है उससे पेड़-पौधे भी झुलस जाते हैं।
सारे यात्री डर गए...।
...और चाय वाले के साथ पैदल ही गाँव की तरफ रवाना हो गए।
वहीं पेड़ के नीचे एक बहुत ही खूबसूरत कन्या बैठी हुई थी। उसे गांव जाने की कोई जल्दी नहीं थी।
ना ही उसके चेहरे पर घबराहट के कोई भी भाव थे।
तभी उस वृक्ष की टहनी टूटकर उस कन्या के ऊपर गिरने ही वाली थी कि तभी अजय ने उस लड़की को बचा लिया।
उस लड़की चेहरे पर विचलित करने वाली कोई भी परेशानी नहीं देखकर अजय को बहुत ही आश्चर्य हुआ। अजय ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है?
कहाँ से आई हो और यहाँ क्यों बैठी हो?
उसने कहा मैं यहीं पास के गाँव में ही रहती हूँ और रजनी नाम है मेरा।
तुम कौन हो?
अजय ने कहा मैं शहर पढ़ाई करने गया था। अभी गाँव जा रहा हूँ। बस खराब हो गई और तूफान भी बहुत तेज है। लड़की ने कहा चलो यहाँ से किसी सुरक्षित स्थान पर चलते हैं।
कन्या के सुन्दर रूप और उसके मधुर वचनों को सुनकर अजय मंत्रमुग्ध हो उसे देखता-सुनता ही रह गया।
उसके रूप और लावण्य को देखकर इस तरह से मोहित हो गया कि उसे तूफान की या किसी वैंपायर की आने की कोई भी चिंता ही नहीं रही।
उस कन्या ने अजय से उसके गाँव का नाम पूछा।
अजय ने कहा 'सुमेरगढ़' मेरे गाँव का नाम है।
बातें करते-करते अजय को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह जब उसकी नींद खुली तो अपने गांव के पास ही , रजनी के साथ एक वृक्ष के नीचे लेटा हुआ था।
उसने उठते ही रजनी को उठाया, रजनी ने पूछा हम कहाँ हैं?
लगता है चलते-चलते किसी गाँव के पास आ गए और इस वृक्ष के नीचे आते ही हम दोनों ही थक कर सो गए।
अजय ने कहा चलो हम तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आते हैं रजनी ने कहा हमारा कोई घर नहीं हम अनाथ हैं।
अजय को बहुत ही दुख हुआ। उसने कहा क्या मुझसे शादी करोगी?
क्या हमारे घर को अपना घर बनाओगी। रजनी ने झट से हाँ कर दी।
अजय ने घर आकर अपने माता-पिता से रास्ते में हुई सारी बात बताइए और यह भी कि रजनी ने उसे उस तूफान से बचाया।
और दोनों ही एक दूसरे को पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं।
उसके रूप गुण की प्रशंसा सुनकर माता-पिता के साथ सारे ही गाँव वासी बहुत ही प्रभावित हूए और बहुत ही सुंदर विधि-विधान के साथ दोनों की शादी करवा दी।

उसके गाँव में आते ही जैसे लक्ष्मी की कृपा होने लगी। उस साल बहुत ही अच्छी फसल हुई।
सारे ही गाँव वाले उससे बहुत ही खुश और प्रभावित हुए।अब उसके बिना गाँव में कोई भी शुभ या अशुभ काम नहीं होता था।
वह चौबीसों घंटे वह हर ग्रामवासी की सहायता के लिए तैयार रहती है। सास-ससुर भी उसके सेवाभाव से बहुत खुश थे।
रजनी घर के सारे काम हँसी-खुशी और कुछ ही पलों में निपटा कर गाँव वालों की सेवा में लग जाया करती थी।

अब गाँव वाले उसे बहुरानी कहकर पुकारते थे। उसने एक साल के बाद एक बहुत ही सुंदर पुत्र को जन्म दिया।
सारे गाँव में खुशी व उत्साह की लहर दौड़ गई।
एक दिन अचानक कहीं से एक सर्प आया और एक बच्चे को काटने ही वाला था।
...सारे गाँव वाले डर गए तभी रजनी ने वहाँ आकर उस सर्प को पकड़कर दूर फेंक दिया।
सभी ने कृतज्ञता व्यक्त की। गाँव में कोई भी संकट आने पर वो बहुत ही आसानी से दूर कर देती थी।
गाँव वालों के लिए वो किसी फरिश्ते से कम नहीं थी।
सब बहुत ही खुश थे कुछ दिनों बाद गाँव में बहुत ही बारिश हो रही थी तभी दूध वाला अजय के घर दूध देने आया जब उसने बहुरानी दूध ले लो करके आवाज दी तो रजनी ने घर के अंदर से ही हाथ बढ़ा कर दूध की बाल्टी ले ली।
ग्वाला ये देखकर अचंभित हो गया कि बहुरानी घर से बाहर आई ही नहीं और दूध की बाल्टी कैसे ले ली?
कुछ बच्चे आम के पेड़ पर से आम तोड़ने की कोशिश कर रहे थे और उसके पत्थर सही-सही नहीं लगने की वजह से आम नहीं टूट रहे थे। रजनी ने नीचे से ही हाथ बढ़ाकर आम तोड़कर बच्चे को दे दिए।
बच्चे बहुत खुश हुए, तभी ये सब होते दूर से ही एक स्त्री ने देख लिया और उसे बहुत ही आश्चर्य हुआ वह समझ गई...।
यह साधारण इंसान नहीं जरूर ही कोई दूसरी शक्ति है...।
गाँव में इस बात की चर्चा होने लगी, बहुरानी साधारण इन्सान नहीं है।
भूत प्रेत वैंपायर या फिर कोई दूसरी ही शक्ति है।
फिर सारे गाँव वाले अजय के घर आए और उन्होंने दूर से ही देखा दूध उबलने को आ रहा था।
रजनी ने बिना कपड़े के ही दूध के टोकने को उतार कर नीचे रख दिया और उसके हाथ में जलने का कोई निशान या कोई दर्द भी नहीं हुआ।

उन लोगों ने आकर अजय से और उसके माता-पिता से इस बारे में बताया।

फिर अजय ने रजनी से कहा हम शहर जा रहे हैं, कुछ जरूरी सामान लेने।
...अजय से रजनी ने कहा आप बताइए क्या-क्या सामान लाना है।अजय ने अपने सारे सामान की लिस्ट रजनी को दे दी।
दूसरे ही पल रजनी सारा सामान लेकर अजय के पास आती है और कहती है कि, "यह सारा सामान तो घर में पहले से ही मौजूद है...।"
फिर अजय ने पूछा कि, "तुम कौन हो? पिछले दो वर्षों से हमारे साथ रहती हो हमारे बच्चे की माँ भी हो हम तुम्हारी बहुत इज्जत करते हैं और तुमसे प्यार भी बहुत करते हैं।"
इस तरह एक बार फिर से अजय ने दोहराया कि तुम सब सच-सच बताओ कि तुम कौन हो हमारे घर में यह सामान पहले से नहीं था। तुम कहाँ से और इतनी जल्दी कैसे ले आई...?
फिर गाँव वालों की कही हुई सारी बातें अजय ने रजनी से कही।
तब रजनी ने कहना शुरू किया... हम वही वैंपायर हैं जिसके आने के संकेत से उस दिन तूफान आया था।
एक अनजान लड़की को अकेले वृक्ष के नीचे देख कर तुम हमें वहाँ अकेले छोड़कर नहीं गए और हमारी चिंता में वहाँ खड़े रह गए...। तुम्हारे निस्वार्थ रूप को देखकर हम तुम पर मोहित हो गए।
इस तरह इन गाँव वालों के साथ रहते-रहते इतना सारा प्यार पाकर हमें भी मोह हो गया और हम इस गाँव में रह गए।
हम वैंपायर जरूर हैं पर हमने किसी भी गाँव वाले को कभी भी कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाया।
पर अब हम यहाँ नहीं रह सकते...। पर कभी भी कोई भी संकट इस गाँव या हमारे परिवार पर आए तो हमें याद कर लेना।
हम बचाने जरूर आएंगे और इस गांव के हर घर में चूल्हा उत्तर की ओर ही रखना। हम हमेशा तुम लोगों के सहायक बनकर रहेंगे।
....कोई भी गाँव वासी नहीं चाहता था कि वह जाए पर उसने कहा जो सम्मान आप लोगों ने हमें दिया।
वह हमेशा ही बना रहे इसलिए हमें जाना ही होगा।
और वहां से चली गई।
पर आज भी बहुरानी के नाम से वहाँ पर पूजा होती है। उस गाँव में आज भी चूल्हा उत्तर की ओर ही रखा जाता है...।
'समाप्त'
अम्बिका झा 👏