Charlie Chaplin - Meri Aatmkatha - 31 in Hindi Biography by Suraj Prakash books and stories PDF | चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 31

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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 31

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

31

टॉम हैरिंगटन एक तरह से मेरी सेवा में आ गया, लेकिन उसने मेरी ज़िंदगी बदलने में बहुत ड्रामाई भूमिका अदा की। वह मेरे दोस्त बर्ट क्लार्क, जो कि कीस्टोन कम्पनी द्वारा रखा गया बहुंगी कलाकार था, का ड्रेसर और ऊपर के काम करने वाला आदमी हुआ करता था। बर्ट जो कि लापरवाह और अव्यावहारिक आदमी थे लेकिन बहुत ही शानदार पिआनोवादक थे, ने एक बार मुझसे कहा था कि मैं उनकी संगीत निर्माण कम्पनी में उनके साथ भागीदारी कर लूं। हमने शहर के बाहरी हिस्से में दफ्तरों वाली इमारत में तीसरी मंजिल पर एक कमरा किराये पर लिया और दो बहुत ही खराब गानों और मेरी संगीतबद्ध की गयी रचनाओं की दो हज़ार प्रतियां प्रकाशित कीं। इसके बाद हम ग्राहकों का इंतज़ार करने बैठ गये। सारा मामला अल्हड़पने का और पागलपन भरा था। मेरा ख्याल है, हमने तीन प्रतियां बेचीं। एक प्रति चार्ल्स कैडमेन को, जो कि अमेरिकी कम्पोजीटर थे और दो प्रतियां हमने राह चलते आदमियों को बेचीं जो नीचे उतरते समय हमारे दफ्तर के आगे से गुज़रे थे।

क्लार्क ने हैरिंगटन को अपने दफ्तर का कार्यभार सौंप रखा था लेकिन एक महीने बाद क्लार्क वापिस न्यूयार्क चले गये और दफ्तर बंद कर दिया गया। अलबत्ता, टॉम वहीं रुक गया और कहने लगा कि वह जिस हैसियत में क्लार्क के साथ काम करता था, उसी हैसियत में मेरे लिए भी काम करना चाहेगा। मुझे सुन कर हैरानी हुई जब उसने मुझे बताया कि उसे क्लार्क से कभी भी वेतन नहीं मिलता था सिर्फ ग़ुज़ारे के नाम पर कुछ मिल जाया करता था जो कि कभी भी हफ्ते के सात आठ डॉलर से ज्यादा नहीं होते थे। शाकाहारी होने के नाते वह सिर्फ चाय, ब्रेड और मक्खन तथा आलू खा कर गुज़ारा कर लिया करता था। निश्चित ही इस खबर से मेरा दिल पसीज गया और मैंने उस अरसे के लिए जिसके लिए उसने संगीत कम्पनी में काम किया था, उसे विधिवत वेतन दिया और इस तरह से टॉम मेरा हैंडीमैन, खिदमतगार और सचिव बन गया।

वह बहुत ही भला आदमी था। उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। व्यवहार में वह बहुत ही उत्साही, और विनम्र व्यक्ति था। उसके चेहरे को देख कर लगता मानो सेंट फ्रांसिस का त्यागमयी मूर्ति देख रहे हों। पतले होंठ, ऊंची उठी हुई भौंहें और आंखें जो जगत को उदासीन भाव से देखती प्रतीत होतीं। वह आयरिश वंश का था और अपने आप में मस्त रहने वाली जीव था। वह थोड़ा सा रहस्यवादी चरित्र था। वह न्यू यार्क के पूरब की तरफ से आया था लेकिन वह शो बिजिनेस के फोर्थ में रोजी रोटी कमाने के बजाये किसी मठ के लिए ज्यादा सही लगता था।

वह सुबह सवेरे ही एथलेटिक क्लब में आ जाता और मेरे लिए मेरी डाक और अखबार आदि लेता आता। वह मेरे नाश्ते के लिए आर्डर देता। अक्सर वह मेरे लिए बिना किसी टीका टिप्पणी के लिए मेरे सिरहाने किताबें छोड़ जाता। लाफकाडियो हर्न और फ्रैंक हैरिस। ये ऐसे लेखक थे जिनका मैंने कभी नाम भी न सुना था। टॉम की ही वज़ह से मैंने बोसवैल की लाइफ ऑफ जॉनसन पढ़ी थी। उसका कहना था,"ये किताब रात के वक्त नींद लाने के लिए राम बाण दवा का काम करती है।" जब तक उससे बात न की जाये, वह अपनी तरफ से बात भी न करता। उसे इस बात की महारत हासिल थी कि जिस वक्त मैं नाश्ता कर रहा होता, वह आपको नगण्य बना डालता। टॉम मेरे अस्तित्व का अनिवार्य हिस्सा बन गया। मैं उसे कोई काम करने के लिए कहता भर था, वह सिर हिलाता और काम हो चुका होता।

जिस वक्त मैं एथलेटिक क्लब छोड़ रहा था, अगर उसी वक्त टेलिफोन की घंटी न बजी होती, तो मेरी ज़िंदगी का रुख कुछ और ही हुआ होता। ये टेलिफोन कॉल सैम गोल्डविन की तरफ से था,"क्या मैं उनके बीच हाउस पर तैराकी करने के लिए आना चाहूंगा?" ये 1917 के ढलते दिनों की बात है।

ये खुली खुली, शांत दोपहरी थी। मुझे याद है कि खूबसूरत ऑलिव थॉमस और दूसरी कई खूबसूरत लड़कियां वहां पर मौजूद थीं। जैसे जैसे दिन ढला, मिल्ड्रेड हैरिस नाम की एक लड़की वहां पहुंची। वह अपने एक साथी मिस्टर हैम के साथ आयी थी। मुझे लगा कि वह खूबसूरत थी। किसी ने फिकरा कसा कि वह ईलियेट डैक्सटर पर जान छिड़कती है। उस वक्त वह भी वहां पर मौजूद था और मैंने नोट किया कि ऑलिव पूरी दोपहरी उसी के चक्कर काट रही थी। मैंने देखा कि जनाब उसकी तरफ कोई तवज्जो ही नहीं दे रहे थे। मैंने उसकी तरफ तब तक और ध्यान नहीं दिया जब तक मैं वहां से जाने के लिए तैयार नहीं हो गया। तभी उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं शहर जाते समय उसे रास्ते में छोड़ता चलूंगा? उसने स्पष्ट किया कि वह अपने साथी के साथ झगड़ बैठी है ओर वह पहले ही जा चुका है।

कार में मैंने मज़ाक में कहा कि शायद उसका दोस्त ईलियट डैक्स्टर को ले कर ईर्ष्यालु हो रहा होगा। ऑलिव ने स्वीकार किया कि उसके ख्याल से ईलियट बेहतरीन शख्स है।

मैंने महसूस किया कि उसका ये नौसिखियेपना लिये तरीका अपने बारे में दिलचस्पी पैदा करने का सहज ही औरताना तरीका था। "वह बहुत ही खुशकिस्मत इन्सान है।" मैंने उद्दंडता से कहा। ये सारी बातें हम हल्के फुल्के तरीके से ड्राइव करते हुए कर रहे थे। उसने मुझे बताया कि वह लुई वेबर के लिए काम करती है और अब उसे पेरामाउंट पिक्चर में भूमिका मिली है। मैंने उसे उसके अपार्टमेंट के पास ही छोड़ दिया, अलबत्ता, मुझ पर उसकी यही छाप पड़ी कि वह बहुत ही बेवकूफ किस्म की नवयौवना है और मैं एथलेटिक क्लब में राहत मिलने वाले अहसास के साथ लौटा क्योंकि अब मैं अकेला होने के नाते खुश था। लेकिन अपने कमरे में आये हुए मुझे पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि टेलिफोन की घंटी बजी। लाइन पर मिस हैरिस थी,"मैं सिर्फ यही जानना चाहती थी कि इस वक्त आप क्या कर रहे हैं?" उसने बचपने के लहजे में कहा।

मैं उसका नज़रिया देख कर हैरान था मानो हम बहुत लम्बे अरसे से एक दूसरे के अंतरंग स्वीटहार्ट रहे हों। मैंने उसे बताया कि मैं अपने कमरे में ही डिनर लूंगा, और सीधे ही बिस्तर में चला जाऊंगा और एक किताब पढूंगा।

"ओह," उसने अफसोस के साथ कहा और जानना चाहा कि किस किस्म की किताब है ये और मेरा कमरा कैसा है। वह मेरी एकदम अकेले बिस्तर में दुबके हुए कल्पना करना चाहती थी।

ये बेवकूफी भरी बातचीत भली लग रही थी और मुझे उसके साथ चुहलबाजी करने में मज़ा आने लगा।

"मैं आपसे दोबारा कब मिल सकती हूं?" पूछा उसने और मैंने पाया कि मैंने मज़ाक ही में उस पर फिकरा कसा कि वह ईलियट को धोखा दे रही है और उसके आश्वासनों को सुनता रहा कि वह सच में ईलियट की परवाह नहीं करती। इस बात ने शाम के लिए किये गये मेरे संकल्पों को बहा दिया और मैं उसे बाहर डिनर करने के लिए आमंत्रित कर बैठा।

हालांकि उस शाम वह खूबसूरत और खुशमिजाज लग रही थी, मैं अपने आप में उस उत्साह और जोश की कमी महसूस कर रहा था जो किसी खूबसूरत लड़की की मौजूदगी में अक्सर में आम तौर पर नज़र आती है। मेरे लिए उसका संभवत: एक ही इस्तेमाल हो सकता है और वो था सैक्स और इसके लिए रोमांटिक रूप से पहल करना, जिसकी मेरे ख्याल से मुझसे उम्मीद की जाती, मुझे बहुत भारी काम लग रहा था।

मैंने उसके बारे में अगले तीन चार दिन तक नहीं सोचा। तभी मुझे हैरिंगटन ने बताया कि उसका फोन आया था। अगर हैरिंगटन ने चलताऊ ढंग से उसका जिक्र न किया होता तो मैंने उससे दोबारा मिलने की जहमत भी न उठायी होती, लेकिन हैरिंगटन ने इस बात का जिक्र कर दिया कि शोफर ने उसे बताया था कि मैं सैम गोल्डविन के घर से इतनी खूबसूरत लड़की के साथ वापिस आया था कि उसने अब तक ऐसी लड़की नहीं देखी थी। इस वाहियत से लगने वाले जुमले ने मेरी अस्मिता को छू लिया था और ये शुरुआत थी।

अब डिनर, नृत्य, चांदनी रात में और समुद्र की सैरें होने लगी थीं और वही हो गया जिसके बारे में सोचा न था।

मिल्ड्रेड परेशान होने लगी।

हैरिंगटन ने जो कुछ भी सोचा, अपने तक सीमित रखा। एक दिन सुबह के वक्त जब वह मेरा बेकफास्ट ले कर आया तो मैंने यूं ही घोषणा की कि मैं शादी करना चाहता हूं, उसने अपनी आँख तक न झपकायी।

"किस दिन?" उसने शांत स्वर में पूछा।

"आज कौन सा दिन है?"

"आज मंगलवार है।"

"तो शुक्रवार को रख लो।" अखबार से निगाह उठाये बगैर मैंने कहा।

"मेरा ख्याल है ये मिस हैरिस ही हैं!!"

"हां।"

उसने वस्तुपरक तरीके से सिर हिलाया,"अंगूठी है आपके पास?"

"नहीं, बेहतर होगा तुम एक अंगूठी का इंतजाम कर लो और बाकी सारी तैयारियां भी कर लो। लेकिन सारे काम गुप चुप तरीके से करना।"

उसने फिर से सिर हिलाया ओर फिर इसके बाद शादी के दिन तक इस बारे में कोई जिक्र नहीं हुआ। इसने इस बात का इंतज़ाम किया कि हम दोनों की शादी शुक्रवार की रात आठ बजे हो जाये।

उस दिन मैं देर तक स्टूडियो में काम करता रहा। साढ़े सात बजे टॉम चुपचाप सेट पर आया और मेरे कान में फुसफुसाया,"मत भूलिये कि आठ बजे का आपका अपाइंटमेंट है।" जैसे मेरा दिल डूब रहा हो, उस भाव के साथ मैंने अपना मेक अप उतारा और कपड़े पहनने लगा। हैरिंगटन मेरी मदद कर रहा था। जब तक हम कार में बैठ नहीं गये, हम दोनों में एक भी शब्द का आदान प्रदान नहीं हुआ। तब उसने मुझे समझाया कि मुझे आठ बजे मिस्टर स्पार्क्स, स्थानीय पंजीयक के यहां मिस हैरिस से मिलना है।

जब हम वहां पहुंचे तो मिस हैरिस हॉल में बैठी हुई थी। जैसे ही हमने प्रवेश किया वह 'शरारतन मुस्कुरायी तो मुझे उसके लिए थोड़ा सा अफसोस हुआ। उसने साधारण गहरे स्लेटी रंग का सूट पहना हुआ था और बहुत आकर्षक लग रही थी। जैसे ही एक लम्बा दुबला सा, गर्मजोशी से और आत्मीयता से भरपूर एक आदमी वहां आया, और उसने हमें भीतर आने के लिए कहा तो हैरिंगटन ने तेजी से मेरे हाथ में एक अंगूठी सरका दी। ये मिस्टर स्पार्क्स थे।

"तो भई ठीक है चार्ली," कहा उन्होंने, "आपके पास वाकई बहुत ही शानदार सचिव है। आधा घंटा पहले तक मुझे मालूम ही नहीं था कि मुझे आपकी शादी करानी है।

सर्विस बेहद आसान और तयशुदा थी। जो अंगूठी हैरिंगटन ने मेरे हाथ में सरकाई थी मैंने हैरिस की उंगली में सरका दी। अब हम शादीशुदा थे। रस्म पूरी हो चुकी थी। जिस वक्त हम बाहर निकलने को थे, मिस्टर स्पार्क्स की आवाज सुनायी दी,"दुल्हन को चूमना मत भूलना मिस्टर चार्ली।"

"ओह हां हां ज़रूर, ज़रूर।" मैं मुस्कुराया।

मेरी संवदेनाएं मिली-जुली थीं। मैं महसूस कर रहा था कि मैं बेवकूफी भरे हालात का शिकार हो गया हूं जो कि उतावली भरे और गैर जरूरी थे। एक ऐसा गठजोड़ जिसका कोई ठोस आधार नहीं था। इसके बावजूद मैं हमेशा से एक अदद बीवी चाहता रहा और मिल्ड्रेड खूबसूरत और युवा थी। वह अभी उन्नीस की भी नहीं हुई थी और हालांकि मैं उससे दस बरस बड़ा था, हो सकता है सब कुछ ठीक ठाक निभ जाये।

अगले दिन मैं भारी दिल के साथ स्टूडियो पहुंचा। एडना पुर्विएंस वहीं पर थी। उसने सुबह के अखबार पढ़ लिये थे और जब मैं उसके ड्रेसिंग रूम के आगे से गुज़रा तो वह दरवाजे पर आयी और मृदु स्वर में बोली,"बधाई हो।"

"शुक्रिया।" मैंने जवाब दिया और अपने ड्रेसिंग रूम की तरफ चल दिया। एडना ने मुझे परेशान महसूस करा दिया।

मैंने डगलस के कान में ये बात डाली कि मिल्ड्रेड के दिमाग की मंजिल कुछ खाली सी ही है। मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि किसी एन्साइक्लोपीडिया से शादी करूं। मैं अपनी सारी दिमागी उत्सुकताएं किसी भी पुस्तकालय में जा कर शांत कर सकता हूं। लेकिन ये आशावादी थ्योरी एक भीतरी चिंता पर निर्भर करती थी। क्या इस शादी से मेरे काम में खलल पड़ेगा? हालांकि मिल्ड्रेड खूबसूरत और युवा थी, क्या मुझे हर वक्त उसके आस पास मंडराने की ज़रूरत होगी। क्या मुझे इसकी चाहत थी? मैं पसोपेश में था। हालांकि मैं प्यार में नहीं था, अब चूंकि मैं शादीशुदा था, मैं शादीशुदा ही रहना चाहता था और चाहता था कि मेरी शादी सफल हो।

लेकिन मिल्ड्रेड के लिए शादी का मतलब किसी सौन्दर्य प्रतियोगिता को जीतने जैसा रोमांचकारी और उत्तेजनापूर्ण था। उसके लिये ये सब कुछ वैसा था जैसा उसने किसी कहानी की किताब में पढ़ा था। उसे वास्तविकता का कोई आभास नहीं था। मैं उसके साथ गम्भीरता से अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा करना चाहता लेकिन उसके दिमाग में कुछ घुसता ही नहीं था। वह हर वक्त व्यग्रता के आलम में होती।

हमारी शादी के दूसरे दिन मैट्रो गोल्डविनमेयर कम्पनी के लुई बी मयेर ने वर्ष में छ: फिल्में बनाने के लिए मिल्ड्रेड को 50,000 डॉलर पर अनुबंधित करने के बारे में बातचीत शुरू की। मैंने उसे ये समझाने की कोशिश की कि वह ये अनुबंध न करे, "अगर तुम फिल्मों में काम करना जारी ही रखना चाहती हो तो मैं तुम्हें एक फिल्म के लिए पचास हज़ार डॉलर दे सकता हूं।"

मैंने जो कुछ भी कहा, उस पर वह मोना लीसा सरीखी मुस्कान के साथ सिर हिलाती रही लेकिन बाद में उसने वह अनुबंध कर लिया।

पहले यह सिर हिलाना और सहमति देना था और बाद में करना ठीक इसके विपरीत था। ये बात कुंठित करने वाली थी। मैं उससे और मयेर, दोनों से ही नाराज़ था। क्योंकि मयेर ने उस वक्त उस पर झपट्टा मारा था जिस वक्त तक हमारी शादी के लाइलेंस की स्याही भी नहीं सूखी थी।

एकाध महीना ही बीता होगा कि कम्पनी के साथ उसकी परेशानियां शुरू हो गयीं। मिल्ड्रेड अब चाहती थी कि मैं मामले को सुलटाने के लिए मयेर से मिलूं। मैंने उसे बताया कि मैं किसी भी हालत में मयेर से नहीं मिलूंगा। लेकिन वह पहले ही मयेर को डिनर पर आमंत्रित कर चुकी थी और उसने मुझे इसके बारे में मयेर के आने से कुछ ही पल पहले बताया। मैं गुस्से के मारे पागल हो रहा था और मेरी हालत खराब थी,"अगर तुम उसे यहां लायी तो मैं उसका अपमान कर बैठूंगा।" अभी मैंने ये अल्फाज कहे ही थे कि सामने वाले दरवाजे की घंटी बजी। मैं खरगोश की माफिक ड्राइंगरूम के साथ सटे कमरे वनस्पति कक्ष में जा कूदा। ये कांच घर की तरह था जिससे बाहर निकलने की कोई राह नहीं थी।

वहां पर छुप कर बैठने का यह समय मेरे लिये की अनंत काल की तरह था और मिल्ड्रेड तथा मयेर मुझसे कुछ ही फुट की दूरी पर बैठे हुए कारोबार की बातें कर रहे थे। मुझे ये अहसास हो रहा था कि मयेर को पता है कि मैं वहां पर छुपा बैठा हूं क्योंकि उनकी बातचीत सम्पादित और उखड़ी उखड़ी लग रही थी। एक पल के मौन के बाद मुझे तसल्ली हो गयी जब मिल्ड्रेड ने जिक्र किया कि शायद मैं घर पर नहीं हूं। इस पर मैंने मयेर को अपनी जगह से उठते हुए सुना और मैं डर के मारे ये सोच कर पसीना पसीना हो गया कि कहीं वे मेरे वाले कमरे में ही न आ जायें और मुझे वहां पर खोज लें। मैंने ऐसा नाटक किया मानो सो रहा होऊं। अलबत्ता, मयेर ने कोई बहाना बनाया और डिनर के लिए रुकने के बजाये चला ही गया।

हमारी शादी हो जाने के बाद पता चला कि मिल्ड्रेड के गर्भ धारण की खबर झूठी थी। कई महीने बीत चुके थे और मैं सिर्फ तीन ही रील की एक कॉमेडी द सनीसाइड ही बना पाया था और इसे बनाना भी मेरे लिए नाकों चने चबाने जैसा रहा। इसमें कोई दो राय नहीं थी कि शादी से मेरी सृजनात्मकता पर असर पड़ रहा था। सनीसाइड के बाद तो ये हाल था कि मुझे सूझता ही नहीं था कि विचार कहां से आयें।

मैं इस हताशा की हालत में ध्यान बंटाने के लिए जब एक बार ऑरफीम थियेटर में चला गया तो ये एक बहुत बड़ी राहत की तरह था और दिमाग की इसी हालत में मैंने एक विलक्षण नर्तक देखा। हालांकि उसमें कुछ भी असाधारण नहीं था, फिर भी अपने अभिनय की समाप्ति पर वह अपने साथ अपने छोटे से बेटे को लाया। चार बरस का बच्चा, ताकि वह उसके साथ झुक कर सलाम करके विदाई ले सके। अपने पिता के साथ झुकने के बाद, उसने कुछ मज़ेदार कदम उठाये, और फिर सायास दर्शकों की तरफ देखा, और उनकी तरफ देख कर हाथ हिलाता हुआ भाग गया। दर्शक गण हँसते हँसते दोहरे हो गये और नतीजा ये हुआ कि बच्चे को दोबारा मंच पर आना पड़ा। इस बार उसने बिल्कुल अलग तरह का डांस किया। ये किसी दूसरे बच्चे के लिए बेहूदगी भरा हो सकता था लेकिन जैकी कूगन प्यारा बच्चा था और दर्शकों ने उसका भरपूर आनंद लिया। उसने जो कुछ भी किया, उस नन्हीं मुन्नी जान में बांध लेने वाला व्यक्तित्व था।

मैंने उसके बारे में अगले हफ्ते तक नहीं सोचा। उसका ख्याल तभी आया जब मैं खुले स्टेज पर अपनी कलाकार मंडली के साथ बैठा हुआ था और अपनी अगली फिल्म के लिए आइडिया सोचने के लिए छटपटा रहा था। उन दिनों में अक्सर उनके सामने बैठ जाता था क्योंकि उनकी मौजूदगी और प्रतिक्रियाओं से ही प्रेरणा मिल जाया करती थी। उस दिन मैं बिलकुल हताश बैठा हुआ था और कुछ भी सूझता नहीं था और उनकी विनम्र मुस्कुराहट के बावजूद मैं जानता था कि मेरी कोशिशें भूसे में लट्ठ चलाने की तरह हैं।

मेरा दिमाग घूमता रहा और मैं उन्हें ऑरफीम में देखे गये नाटक और उस नन्हें मुन्ने जैकी कूगन के बारे में बताने लगा जो अपने पिता के साथ सलाम करने के लिए मंच पर आया था।

किसी ने बताया कि उसने सुबह के अखबार में पढ़ा था कि जैकी कूगन को रोस्को ऑरबक्कल ने अपनी अगली फिल्म के लिए अनुबंधित कर लिया है। इस खबर ने मुझ पर बिजली के झटके का सा असर किया,"ओह मेरे भगवान, मैंने इसके बारे में क्यों नहीं सोचा?" बेशक, वह फिल्मों में तहलका मचा देगा और तब मैं उसकी संभावनाओं के बारे में विस्तार से बात करने लगा, उसकी खिलखिलाहट के बारे में, और उन कहानियों के बारे में जो मैं उसके साथ कर सकता था।

मुझ पर विचार तारी होने लगे,"क्या आप किसी ऐसे ट्रैम्प की कल्पना कर सकते हैं जो खिड़कियों के कांच लगाने का काम करता हो और एक नन्हां सा छोकरा है जो सारे शहर में खिड़कियों के कांच तोड़ता फिरता है और फिर ट्रैम्प आता है और खिड़कियों की मरम्मत करता है। बच्चे और ट्रैम्प के एक साथ रहने के रोमांचकारी करतब और इसी तरह की हरकतें।"

मैं बैठ गया और सारा दिन कहानी बुनने में सिर खपाता रहा। एक दृश्य के बाद दूसरा दृश्य उन्हें बताता रहा जबकि सारे कलाकार मुंह बाये मेरी तरफ हैरानी से देखते रहे कि जो मौका अब हाथ से जा चुका है उस पर मैं क्यों इतने उत्साह से माथापच्ची कर रहा हूं। घंटों तक बैठा मैं हँसी के पल और परिस्थितियां बुनता रहा। तभी अचानक मुझे याद आया, "लेकिन इस सब का फायदा? ऑरबक्कल ने उसे अनुबंधित कर लिया है और शायद उसके दिमाग में भी इसी तरह के ख्याल कुलबुला रहे होंगे। मैं भी कितना मूरख हूं कि इसके बारे में पहले क्यों नहीं सोचा?"

उस पूरी दोपहरी और पूरी रात मैं बच्चे के साथ कहानियां बुनने के अलावा और किसी बारे में सोच ही नहीं पाया। अगली सुबह हताशा की हालत में मैंने मंडली को रिहर्सल के लिए बुलवाया। भगवान ही जानता है कि मैंने ऐसा क्यों किया। कारण ये था कि मेरे पास रिहर्सल कराने को कुछ था ही नहीं। इसलिए मैं दिमागी सरसाम की हालत में मंच पर कलाकारों के साथ बैठा रहा।