Charlie Chaplin - Meri Aatmkatha - 25 in Hindi Biography by Suraj Prakash books and stories PDF | चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 25

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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 25

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

25

आखिरकार उन्होंने कहा,"हम चलें डिनर के लिए चलें?"

मेरी हैरानी का ठिकाना न रहा जब मैंने डाइनिंग हॉल में पाया कि वहां पर सिर्फ हम दो ही थे।

आकर्षक होने के अलावा मिस फीली बेहद अलग थलग रहने वाली महिला थीं। मेज़ के पार उनकी तरफ देखते हुए मैं इस बात को ले कर हैरान होता रहा कि इस तरह की मुलाकात का मकसद क्या हो सकता है। मेरे दिमाग में शरारतपूर्ण और गंदे ख्याल आने लगे लेकिन ऐसा लगा कि वे मेरी अशोभनीय अटकलों पर उनका कोई ध्यान नहीं था। इसके बावजूद मैंने यह पता लगाने के लिए अपने कान खड़े कर लिये कि मुझसे आखिर उम्मीद क्या की जा रही है।

"ये वाकई मज़ेदार है," मैंने उत्तेजना से कहा, "इस तरह से आपके साथ खाना खाना!"

वे सौम्यता से मुस्कुरायीं।

"चलो, हम डिनर के बाद कुछ मौज मज़ा करें," कहा मैंने,"चलो किसी नाइट क्लब में चलें या ऐसा ही कुछ करें।"

उनके चेहरे पर मामूली सी अलार्म की झांई उभरी, और वे हिचकिचायीं,"मुझे डर है कि मुझे आज जल्दी ही सोने के लिए जाना पड़ेगा क्योंकि मुझे कल जल्दी ही मैकबेथ की रिहर्सल शुरू करनी है।"

मेरे कान खड़े हुए। मैं पूरी तरह से हैरान परेशान था। संयोग से खाने का पहला कोर्स आ गया और हम थोड़ी देर तक चुपचाप खाते रहे। कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है, ये हम दोनों ही जानते थे। मिस फिली हिचकिचायीं,"मुझे अफसोस है कि आज की शाम आपके लिए बहुत फीकी रही।

"नहीं तो, शाम तो बहुत ही शानदार गुज़री।"

"मुझे अफसोस है कि आप तीन महीने पहले उस वक्त यहां पर नहीं थे जब मैंने पावलोवा के सम्मान में एक डिनर दिया था। मुझे पता है कि वे आपके दोस्त हैं। लेकिन, मुझे ऐसा लगता है कि उस वक्त आप यहां पर नहीं थे।"

"माफ कीजिये," मैंने कहा, और तपाक से जेब से मिस फिली का पत्र निकाला। पहली बार मैंने उस पर तारीख देखी। तब मैंने पत्र उन्हें थमाया, "देखिये," मैं हँसा,"मैं तीन महीने देरी से पहुंचा हूं।"

1910 में लॉस एंजेल्स वेस्टर्न के अगुआ लोगों और धनकुबेरों के युग के अंत का समय था और उनमें से अधिकतर ने मेरा सत्कार किया था।

इनमें से एक स्वर्गीय विलियम ए क्लार्क थे। वे करोड़पति असामी थे और रेल के महकमे से जुड़े थे और कॉपर किंग माने जाते थे। वे शौकिया संगीतकार थे जो फिलहॉरमोनी आर्केस्ट्रा को हर बरस 150000 डॉलर का दान दिया करते थे। वे खुद उस आर्केस्ट्रा में बाकी लोगों के साथ दूसरा वायलिन बजाया करते थे।

मौत की घाटी वाले स्कॉटी एक फैन्टम चरित्र थे जो हँसमुख, मोटे से चेहरे वाले आदमी थे। वे दस गैलन हैट, लाल कमीज़, और डंगरी पहना करते थे। वे हर रात स्प्रिंग स्ट्रीट में दारू के अड्डों और नाइट क्लबों में हज़ारों डॉलर लुटाया करते, पार्टियां देते, वेटरों को सौ सौ डॉलर की टिप दिया करते और फिर अचानक ही गायब हो जाते। फिर वे महीनों बाद वापिस आते और फिर से पार्टियां देने लगते। ऐसा वे बरसों तक करते रहे। कोई भी नहीं जानता था कि उनके पास पैसे आते कहां से थे। कुछ लोगों का विश्वास था कि डैथ वैली में उनकी कोई गुप्त खदान थी। लोगों ने उनका पीछा करने की कोशिश की लेकिन वे हमेशा उन्हें वहां पर चकमा दे देते और आज तक कोई भी उनका रहस्य नहीं जान पाया है। 1940 में उनकी मृत्यु से पहले उन्होंने डैथ वैली में रेगिस्तान के बीचों बीच एक बहुत ही भव्य महलनुमा घर बनवाया था। ये बहुत ही शानदार इमारत थी जिसके बनने में पांच लाख डॉलर से भी ज्यादा लगे थे। आज भी ये इमारत धूप में खंडहर सी खड़ी है।

पेसाडोना की मिसेज क्रेनेय गैट्स चार करोड़ डॉलर की हैसियत वाली महिला थीं जो घनघोर समाजवादी थीं और कई अराजकों, समाजवादियों और इंडस्ट्रियल वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड के सदस्यों की कानूनी सुरक्षा के लिए धन दिया करती थीं।

ग्लेन कर्टिस उन दिनों सेनेट के लिए काम किया करते थे और हवाई जहाज के स्टंट किया करते थे और बेसब्री से आज जिसे गेट कर्टिस एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कहते हैं, उसके लिए बेताबी से वित्त जुटाने का काम देखा करते थे।

ए पी गियानिनी दो छोटे बैंक चलाया करते थे। बाद में जा कर ये युनाइटेड स्टेट्स के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक, द बैंक ऑफ अमेरिका बने।

हावर्ड ह्यूज को अपने पिता, आधुनिक आयल ड्रिल के आविष्कारक से बहुत बड़ी सम्पदा विरासत में मिली। हावर्ड एयराक्राफ्ट उद्योग में चले गये और उन लाखों डॉलरों को करोड़ों डॉलर में बदला। वे सनकी आदमी थे जो अपना कारोबार एक घटिया से होटल के कमरे से टेलिफोन के जरिये चलाया करते थे और वे शायद ही किसी से मिलते थे। वे मोशन फिल्मों में भी हाथ आजमाने आये, और हैल्स एंजेल्स जैसी फिल्मों से अपार सफल्ता हासिल की। इस फिल्म के नायक स्वर्गीय जीन हारलो थे।

उन दिनों रोज़ के आनंद उठाने के मेरे ठीये होते थे, वेर्नान में जैक डॉयल की शुक्रवार की रात की कुश्तियां देखना, सोमवार की रातों को ऑरफीम थियेटर में रंगारंग कार्यक्रम देखना, गुरुवार के दिनों में मोरोस्को स्टॉक कम्पनी के कार्यक्रम देखना और कभी कभार, क्लूंस फिलहार्मोनिक ऑडिटोरियम में कोई सिम्फनी सुनना।

लॉस एंजेल्स का एथलेटिक क्लब एक ऐसा केन्द्र था जहां पर स्थानीय सम्पन्न वर्ग और कारोबारी लोग कॉकटेल के समय इकट्ठे होते। ये जगह विदेशी बस्ती की तरह लगती।

एक नौजवान जो बिट बजाता था, लाउंज में अकेले बैठा रहता। उसका नाम वेलन्टिनो था और वह हॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने आया था लेकिन कुछ खास कर नहीं पा रहा था। एक अन्य बिट प्लेयर जैक गिल्बर्ट ने उससे मेरा परिचय कराया था। उसके बाद मैंने एकाध बरस तक वैलन्टिनो को नहीं देखा था। इस बीच वह अचानक स्टार बन गया था। अगली बार जब हम मिले तो वह दूसरा ही शख्स था। तब मैंने उससे कहा,"जब हम पिछली बार मिले थे उसके बाद तो तुम अमर लोगों की कतार में जा बैठे हो।" इसके बाद वह हँसा और अपना मुखौटा उतार फेंका और काफी दोस्ताना व्यवहार करने लगा।

वैलन्टिनो में उदासी का तत्व था। उसने अपनी सफलता को गरिमापूर्वक तरीक से स्वीकार किया। लगता था मानो वह सफलता के बोझ से दबता चला जा रहा है। वह समझदार, शांत और बिना किसी टीम टाम के था और औरतों का बहुत बड़ा रसिया था। लेकिन वहां उसकी दाल ज्यादा नहीं गलती थी। और जिन औरतों से उसने शादी की थी, वे उससे खराब तरीके से पेश आतीं। उसकी एक शादी के तुरंत बाद ही उसकी बीवी ने उसी की डेवलेपिंग लेबारेटरी में काम करने वाले आदमियों में से एक के साथ इश्क लड़ाना शुरू कर दिया। उसके साथ वह डार्क रूम में ही गायब हो जाती। वैलेन्टिनो में औरतों के प्रति जितना आकर्षण था, किसी में भी नहीं रहा होगा। और कोई दूसरा आदमी भी ऐसा नहीं होगा जिसे औरतों ने इतना ज्यादा धोखा दिया हो।

अब मैंने 670000 डॉलर का करार पूरा करना शुरू करने की तैयारियां शुरू कर दीं। मिस्टर कॉलफील्ड, जो म्यूचुअल फिल्म कार्पोरेशन के प्रतिनिधि थे और सारे कारोबारी इंतज़ाम देख रहे थे, ने हॉलीवुड के बीचों बीच एक स्टूडियो किराये पर लिया। सक्षम सितारों की कोई कमी नहीं थी, उनमें एडना पुर्विएंस, एरिक कैम्पबेल, हेनरी बर्गमैन, एल्बर्ट ऑस्टिन, लॉयड बेकन, जॉन रैंड, फ्रैंक जो कोलमैन और लिओ व्हाइट, इन सबके साथ मुझे काम शुरू करने का पूरा विश्वास था।

मेरी पहली फिल्म द फ्लोर वॉकर बहुत अधिक सफल गयी। इसका सेट एक डिपार्टमेंट स्टोर का था जिसमें मैंने चलती हुई सीढ़ियों पर पीछा करने का दृश्य दिखाया। जब सेनेट ने इस फिल्म को देखा तो बोले,"हे भगवान, मुझे कभी चलती हुई सीढ़ियों का ख्याल क्यों नहीं आया।"

जल्दी ही मैं अपनी पराकष्ठा पर था और हर महीने दो रील की एक फिल्म बना कर दे रहा था। फ्लोर वॉकर के बाद, जो फिल्में आयीं, वे थीं, द फायरमैन, द वैगाबाँड, वन ए एम, द काउंट, द पॉनशॉप, बिहाइंड द क्रीन, द रिंक, ईज़ी स्ट्रीट, द क्योर, द इमिग्रैंट, द एडवंचरर, इन बारह कॉमेडी फिल्मों को बनाने में कुल सोलह महीने लगे और इसमें वह समय भी शामिल था जो ठंड या मामूली बाधाओं की वजह से गया।

कई बार कोई कहानी समस्या खड़ी देती और मैं उसने सुलझाने में मुश्किल पाता। ऐसे मौकों पर मैं काम बंद कर देता और सोचने की कोशिश करता, इस यातना में अपने ड्रेसिंग रूम में चहल कदमी करता या सेट के पिछवाड़े घंटों तक बैठा रहता, और समस्या से जूझता रहता। मेरी तरफ देख रहे मैनेजमैंट के या स्टाफ के किसी आदमी को देखते ही मेरी देह सुलग जाती, खास तौर पर इसलिए भी कि म्युचूअल निर्माण की लागत अदा कर रही थी और मिस्टर कॉलफील्ड वहां पर यह देखने के लिए मौजूद थे कि सब कुछ ठीक ठाक चलता रहे।

दूर से ही मैं उन्हें देख लेता कि वे लोगों के बीच से हो कर आ रहे हैं। मैं अच्छी तरह से जानता था कि वे क्या सोच रहे होंगे, कुछ भी नहीं हो रहा है और ऊपरी खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। और मैं उन पर मीठी छुरी से वार कर देता कि जिस वक्त मैं सोच रहा होऊं, उस वक्त किसी का आस पास होना या ये सोचना कि वे चिंता कर रहे हैं, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।

बेकार जा चुका दिन के खत्म होने के बाद, जब मैं स्टूडियो छोड़ कर जा रहा होता, वे जानबूझ कर अचानक ही मुझसे टकरा जाते और पूछते,"और कैसे चल रहा है, बात बनी कुछ?"

"वाहियात, मेरा ख्याल है, मैं चुक गया हूं, मैं कुछ सोच ही नहीं पाता।"

और वे खोखली आवाज़ निकालते जिसका मतलब हँसी होता,"चिंता मत करो, सब ठीक हो जायेगा।"

कई बार ऐसा होता कि समस्या का हल शाम को उस वक्त सूझता जिस वक्त मैं हताशा के आलम में होता और सब कुछ पर सोच चुका होता और दरकिनार कर चुका होता। और तभी हल अचानक ही सामने आ जाता मानो संगमरमर के फर्श पर से धूल की मोटी पर्त हटा दी गयी हो और सामने चमचमाता फर्श निकल आया हो जिसे मैं कब से तलाश रहा था। तनाव गायब हो जाता और सारे स्टूडियो में चहल पहल मच जाती। देखने की बात होती कि मिस्टर कॉलफील्ड के चेहरे पर हँसी कैसे आती है।

हमारी किसी भी पिक्चर में कभी भी कोई कलाकार जख्मी नहीं हुआ। हिंसा की भी बाकायदा रिहर्सल की जाती और उसे कोरियोग्राफी की तरह माना जाता।

चेहरे पर थप्पड़ मारने में भी ट्रिक इस्तेमाल की जाती। कितनी भी झड़प हो, हर कोई जानता था कि अंत में क्या होने वाला है। सब कुछ समय के हिसाब से चलता। घायल होने के लिए कोई बहाना नहीं चलता क्योंकि फिल्म में सभी इफेक्ट हिंसा, भूकंप, जहाज का टूटना, और बड़ी बड़ी घटनाएं, सब को झूठ मूठ किया जा सकता है।

उस पूरी सीरीज़ में मात्र एक ही दुर्घटना हुई।

ये बात ईज़ी स्ट्रीट की है। जिस वक्त मैं स्ट्रीट लैम्प को जलाने के लिए उसे एक बड़ी सी घिरनी पर खींच रहा था तो लैम्प का ऊपरी हिस्सा गिर गया और उसका इस्पात का नुकीला टुकड़ा मेरी नाक के सिरे पर आ लगा जिसकी वजह से मुझे दो टांके लगवाने पड़े।

मेरा ख्याल है कि म्युचूअल के करार को पूरा करना मेरे कैरियर के सबसे अच्छा अरसा था। मैं अपने आप को हलका और बिना किसी बोझ के महसूस कर रहा था। मैं सिर्फ सत्ताइस बरस का था और मेरे सामने अनंत सम्भावनाएं थीं, और थी मेरे सामने एक दोस्तानी दुनिया। थोड़े से ही अरसे में मैं करोड़पति हो जाऊंगा। ये सारी बातें कुछ कुछ पगला देने वाली थीं। धन मेरी तिजोरियों में बरस रहा था। हर हफ्ते मुझे दो हज़ार डॉलर मिल रहे थे जो लाखों में बदल रहे थे। इस समय मेरी हैसियत चार लाख डॉलर की थी और अब पांच लाख की। मैं कभी इस सब की कल्पना भी नहीं कर सकता था।

मुझे जे पी मोर्गन के एक दोस्त मैक्सिन ईलियट की याद है। उसने एक बार मुझसे कहा था, धन तभी तक अच्छा है जब भुला दिया जाये।

लेकिन ये कुछ ऐसी शै भी है जिसे याद रखा जाये।

इस बात में कोई शक नहीं कि सफल आदमी अलग अलग दुनिया में रहते हैं। जब मैं लोगों से मिलता हूं तो उनके चेहरे दिलचस्पी से दिपदिपाने लगते हैं। हालांकि मैं नया नया रईस बना था, मेरी राय को गम्भीरता से लिया जाता था। जो परिचित थे वे मुझसे प्रगाढ़ संबंध बनाने के लिए लालायित रहते और मेरी समस्याएं सुलझाने के लिए वैसे ही आगे आते मानो मेरे नातेदार हों। ये सब बहुत चाटुकारिता लगती लेकिन मेरी प्रकृति इस तरह की आत्मीयता को घास नहीं डालती। मैं दोस्तों को वैसे ही पसंद करता हूं जैसे संगीत को पसंद करता हूं। अलबत्ता, इस तरह की आज़ादी कभी कभार के अकेलेपन की कीमत पर ही होती।

एक दिन, जब मेरा करार पूरा होने ही वाला था, मेरा भाई एथलेटिक क्लब में मेरे बेडरूम में आया और प्रसन्नता से बोला,"सुनो भई चार्ली, अब तुम करोड़पतियों की जमात में आ गये हो। मैंने अभी अभी तुम्हारे लिए एक सौदा तय किया है जिसमें तुम फर्स्ट नेशनल के लिए दो दो रील की आठ कॉमेडी फिल्में बनाओगे और तुम्हें इसके एवज में बारह लाख डॉलर मिलेंगे।

मैंने अभी अभी स्नान किया था और अपनी कमर पर तौलिया लपेटे अपने वायलिन पर द टेल ऑफ हॉफमैन की धुन बजा रहा था। "हम . . हम. . मेरा ख्याल है, ये वाकई शानदार है, नहीं क्या!!"

सिडनी अचानक ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा,"ये बात मेरे संस्मरणों में जायेगी। तुम, चार्ली, अपनी चूतड़ पर तौलिया लपेटे, वायलिन बजा रहे हो, और मैं तुम्हें जब बताता हूं कि मैंने तुम्हारे लिए साढ़े बारह लाख डॉलर का करार किया है, तुम्हारी ये प्रतिक्रिया!!"

मैं स्वीकार करता हूं कि इसमें आडम्बर का थोड़ा सा तंज था क्योंकि इसमें एक काम भी था कि ये सारा धन कमाया जाना था।

सारी बातों के बावजूद, धन सम्पदा के इन सारे वायदों ने मेरी जीवन शैली पर कोई प्रभाव नहीं डाला। मैं धन के आगे झुकता था लेकिन इसके इस्तेमाल के आगे नहीं। जो धन मैं कमाता था वो काल्पनिक था, दंत कथा की तरह था। ये सब आंकड़ेबाजी थी क्योंकि दरअसल ये धन मैंने सचमुच देखा भी नहीं था। इसलिए मुझे कुछ ऐसा करना था कि सिद्ध हो सके कि मेरे पास ये धन है। इसलिए मैंने एक सचिव रखा, एक खिदमतगार और एक शोफर रखे। एक कार ली। एक दिन एक शोरूम के आगे से गुज़रते हुए मैंने एक सात सीटर यात्री कार देखी। उन दिनों अमेरिका में ये सबसे अच्छी कार मानी जाती थी। वो इतनी शानदार और भव्य लग रही थी कि मुझे ये लगा ही नहीं कि ये बिक्री के लिए हो सकती है। अलबत्ता, मैं दुकान में गया और पूछा," कितने की है?"

"चार हज़ार नौ सौ डॉलर"

"पैक कर दीजिये," मैंने कहा।

वह आदमी हैरान परेशान, उसने इतनी जल्दी हो गयी बिक्री में कुछ रोक लगाने की नियत से कहना चाहा, "क्या आप इंजिन वगैरह नहीं देखना चाहेंगे?"

"इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि मैं उनके बारे में कुछ भी तो नहीं जानता।" मैंने जवाब दिया। अलबत्ता, मैंने अंगूठे से एक टायर दबा कर अपनी व्यावसायिक समझ दिखा दी।

लेनदेन बहुत आसान था। इसका मतलब एक कागज के टुकड़े पर अपना नाम लिखना था और कार मेरी हो गयी।

पैसे का निवेश करना एक समस्या थी और मैं इनके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। सिडनी अलबत्ता, इन सारी चीजों के नामों से वाकिफ था। वह बुक वैल्यू, पूंजीगत लाभ, वरीयता प्राप्त और दूसरे स्टॉक, ए और बी रेटिंग, कर्न्विटबल स्टॉक और बाँड, औद्यौगिक कम्पनियों, और सेविंग बैंकों की कानूनी प्रतिभूतियों के बारे में खूब जानता था। उन दिनों निवेश करने के अवसरों की कोई कमी नहीं थी। लॉस एंजेल्स के ज़मीन जायदाद के एक एजेंट ने एक बार मुझसे कई बार कहा कि मैं उसके साथ भागीदारी करके लॉस एंंजेल्स घाटी में ज़मीन का एक टुकड़ा खरीद लूं और दोनों पच्चीस पच्चीस हज़ार डॉलर का निवेश करें। अगर मैंने उस परियोजना में निवेश कर लिया होता तो मेरा हिस्सा बढ़ कर पांच कऱोड़ डॉलर का हो चुका होता क्योंकि वहां पर तेल निकल आया था और वह कैलिफोर्निया के सबसे अमीर क्षेत्रों में से एक हो गया था।