Ek Duniya Ajnabi - 30 in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | एक दुनिया अजनबी - 30

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एक दुनिया अजनबी - 30

एक दुनिया अजनबी

30-

उन्होंने उड़ा दिया बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था | जबकि ऐसा तो था ही नहीं |लोगों के मन में पचास सवाल उठ रहे थे, यदि मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था तब भी उसकी अंतिम क्रिया तो करनी थी | पिता उस मृत बच्चे को घर तो लेकर आते, उसको विदा करने के लिए परिवार के व कुछ सगे-संबंधी तो जाते | यहाँ तो जैसे नीरव सन्नाटा था, बस--माँ के आँसू रुकने के लिए ही कोई तरक़ीब नहीं थी | शेष सब चल ही रहा था |

पता नहीं इतनी इंसानियत पिता में कैसे जाग गई कि उन्होंने डॉक्टर की मदद से बच्ची को पालने के लिए अच्छा-ख़ासा धन देकर एक ऐसी माँ को दूध पिलाने के लिए राज़ी कर लिया जिसने उसी दिन एक मृत बच्चे को जन्म दिया था | डॉक्टर के घर काम करने वाली महिला थी वह जिसका बच्चा आठवें मास में हुआ था और गले में नाल लिपट जाने के कारण माँ के पेट में ही उसकी मृत्यु हो गई थी | उसकी डिलीवरी भी उसी डॉक्टर के नर्सिंग-होम में उसी डॉक्टर के द्वारा की गई थी |

पैसे के लालच में उस सुबकती हुई औरत ने बच्ची को अपना दूध पिलाया |बच्चा डॉक्टर की निगरानी में उनकी बाई पालने लगी थी लेकिन वह पैसे व बच्चे को लेकर अपने गाँव भाग गई गई थी |

बच्चा लगभग छह माह का होगा, न जाने कहाँ से खबर पाकर लक्ष्मी किन्नर का ग्रुप आया और उसे अपने साथ ले गया |लक्ष्मी उस समय जवान थी और कुछ ही दिन हुए अपनी गुरु की मृत्यु के बाद उसकी गद्दी पर बैठी थी |

डॉक्टर की सेविका के पास धन आ ही चुका था, गाँव में आ जाने के कारण उसने डॉक्टर का काम भी छोड़ दिया था |बच्चे के पिता से धन मिलने से वह खुश थी पर उसे बच्चा अब बोझ लगने लगा था | उसने आराम से बच्चे को किन्नरों को सौंप दिया |

किन्नर उस नन्हे बच्चे को बड़े दुलार से पालने लगे |उनके पास जैसे कोई खिलौना आ गया था, वे सब ही उसके माता-पिता थे | जब सब काम पर जाते, उस बच्चे के पास कोई न कोई ज़रूर रहता | इस प्रकार बच्चे की परवरिश बहुत दुलार से हो रही थी |

कुछ वर्षों पश्चात लक्ष्मी को बच्चे में कुछ नैसर्गिक बदलाव दिखाई देने लगे |सातेक वर्ष की रही होगी मृदुला कि उसके शारीरिक बदलावों ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया | पूरा समाज परेशान हो उठा, उन्होंने कभी ऎसी घटना देखी, सुनी नहीं थी जो उनकी आँखें देख रही थीं | ये सभी एक अजीब सी मानसिकता में घिर आए |

आपसी सलाह-मंत्रणा के बाद बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाया गया |अंगों में परिवर्तन की जाँच होने पर शारीरिक अँगों के बदलाव के बारे में डॉक्टर भी चकित रह गई | उसने अपने सीनियर डॉक्टर्स से सलाह-मशवरा किया जिससे यह तथ्य निकला कि कभी हज़ारों में से किसी केस में ऐसे परिवर्तन देखे जाते हैं |किन्तु अभी सब कुछ बहुत स्पष्ट नहीं था, कोई शल्य-चिकित्सा भी ख़तरे से ख़ाली नहीं थी |

मृदुला एक सुंदर लड़की में परिवर्तित होती लग रही थी |लक्ष्मी ने उन सबसे चर्चा की जिनसे वह कर सकती थी किन्तु सब व्यर्थ ! भगवान की लीला क्या है, किसीको कुछ समझ में नहीं आ रहा था| शनैः शनैः उसके भीतर पूरा बदलाव होता जा रहा था, जो स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगा |

बच्चे के अंग-प्रत्यंग एक पूरी लड़की के से बदलने लगे और कुछ समय में वह एक नॉर्मल लड़की बन गई | उसकी माहवारी शुरू हो गई, अंग सुडौल हो गए | अब किन्नरों के मन में बहुत से से प्रश्न उठने लगे, कैसे उस भरी-पूरी लड़की को अपने पास कैद करके रख लिया जाए ? उनकी दृष्टि व समझ से वह अपराध था |बेशक मृदुला के बिछड़ने की कल्पना से ही सब उदास होने लगे थे किन्तु उसके साथ अन्याय करने का भी कोई औचित्य नहीं था, कोई मानसिक रूप से अपने आपको तैयार नहीं कर पा रहा था |बच्ची के प्रति संवेदना व मोह ने उन्हें हिला दिया था |

आपस में सलाह करके वे उस गरीब स्त्री को तलाशने निकले जिससे बच्चे को लेकर आए थे | इस बात को बारह वर्ष के करीब हो गए थे | काफ़ी तलाश करने पर भी वह स्त्री नहीं मिली |