Banaras - Ek Prem Ras II - 2 in Hindi Love Stories by शिवाय books and stories PDF | बनारस - एक प्रेम रस II - 2

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बनारस - एक प्रेम रस II - 2

अब समझिये लम्बी दूरी के रिश्ते कितने आकर्षक और लुभावने होते है चंद्र और भव्या पूरे दिन मैसेंजर पर लगे रहते थे सोचिए यहाँ तो पल भर में मैसेज मिल जाता है अब पुराने समय के लम्बी दूरी के रिश्ते में एक खत लिखना और उसके उत्तर की प्रतीक्षा करना उस का अलग ही आनंद है वो पल आज कहाँ अब तो पलक झपकते ही उत्तर मिल जाता है । चलिये कहानी की ओर चलते है----
कुछ एक महीना गुज़र जाता है आमने सामने चंद्र और भव्या
को मिले हुये, एक रात कॉल पर
चंद्र भावुक होते हुए भव्या को कहता है कि हमे फिर मिलना है तुमसे अंदर से बहुत उथल पुथल हो रही है
फिर भव्या पूछती है ऐसा क्यो ?
चंद्र - बहुत अजीब लग रहा है
भव्या - क्या हुआ बताओ
चंद्र - ऐसा लग रहा कल तुम्हारे साथ कुछ होने वाला है
भव्या - क्या होने वाला ?

अब यहाँ भव्या कैम्पिंग के लिए गंगा घाट पर जा रही थी और चंद्र घबरा रहा था कि कुछ हो ना जाये फिर चंद्र बताता है कि तुम्हारे साथ वहाँ कुछ हो सकता है अपना ध्यान रखना। इतना कह कर दोनों कॉल कट करके सो जाते है।
सुबह भव्या मैसेज करती है चंद्र मैं जा रही हूँ आ कर बात करूंगी । भव्या कैम्पिंग में पहुँच जाती है और वहाँ अपने काम मे लग जाती है दोपहर का खाना खा कर भव्या वापस पहुँचती है कि कुछ भगदड़ मच जाती है गंगा किनारे बहुत लोग आए होते है स्नान के लिए और उस भगदड़ में भव्या को बहुत चोट आ जाती है इधर चंद्र को पता चलता है और वो बहुत घवरा जाता है पर भव्या उसे जैसे तैसे मनाती है कि आगे से ऐसा नही होगा ये तो अभी शुरुआत थी इस प्रेम कहानी की।

चलिये भव्या के बारे में जान लेते है भव्या अपने माता पिता और अपने एक भाई के साथ बनारस के भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर के पास रहती थी एक पुरानी हवेली जो कि श्रापित होती है । भव्या पंडित का जन्म होने से पहले उसकी बुआ की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी मतलब भव्या के उस घर मे एक ही बेटी रहेगी । ये भव्या के पूर्वजो से अब तक ऐसा ही होता आ रहा था।

आपको बता दे कि भव्या और चंद्र की बाते एक रहस्यमयी तरह से आगे बढ़ी थी -

भव्या से बात होने से पहले चंद्र अपने दोस्तों के साथ सुबह टहलने और दौड़ने जाया करता था जिसमे एक घटना घटी थी जिस रोड पर वो दौड़ने जाते थे उस रोड पर किसी बड़ी शक्ति का सात किमी के दायरे में यानी एक पवित्र मजार से पवित्र श्री हनुमान मंदिर के बीच। एक सुबह जब चंद्र अपने दोस्त समीर और कमल के साथ टहलने निकला और वही खुरापाती दिमाग कि आज खेतो की तरफ चलते है तो सड़क से कुछ दूरी पर वहीं एक खेत मे एक ही पेड़ था उसके अलावा दूर दूर तक कोई पेड़ नही था वहाँ एक मिट्टी का बर्तन रखा था जिसे उठाकर तीनो लोग खेलने लगे और खेलते खेलते उस बर्तन को उठाकर कहीं और रख दिया उसके बाद तीनों घर आ गए और अपने काम पर लग गए शाम हुई और चंद्र के साथ कुछ ऐसा हुआ जो बाकई डराने के लायक था दरसल वो अपनी भाभी के साथ रसोई में अण्डे तल रहा था उसकी भाभी उसके पास खड़े होकर उसे कुछ बता रही थी कि इतने में चम्मच उठी और गर्म तेल चंद्र के मुँह पर गिरता है ये देख कर उसकी भाभी बहुत डर जाती है उसका एक तरफ से चेहरा थोड़ा सा जल जाता है ये चंद्र के साथ हुआ, अब ठीक रात में 12 बजे समीर देखता है कि वो उसी सड़क पर दौड़ रहा है कि अचानक कोई उसका आकर गला पकड़ लेता है समीर आंख खोलकर देखता है कि उसके होश उड़ जाते हैं एक काला चेहरा जिसकी आंखे किसी भैंसे से भी बड़ी बड़ी और मुछे मानो लटक रही हो बालो में गंदगी और कीड़े, ये देखकर समीर घबरा जाता है पर हिम्मत करके वो भगवान का स्मरण करता कि कुछ ही देर में वो शैतान भाग खड़ा होता है और समीर पूरी रात जागकर गुजारता है कुछ ही देर में सुबह हो जाती है कि इतने में सुबह चंद्र फिर से बुलाने आता है समीर मना कर देता है फिर भी उसे चंद्र ले जाता है अब मजार के पास जैसे ही पहुँचता है समीर मना कर देता है इससे आगे नही जाऊंगा कमल और चंद्र दोनों चले जाते है आगे जाकर चंद्र किसी ट्रक से टकराने ही वाला होता है कि कमल उसे खींच कर बचा लेता है कमल उसे जैसे वहाँ से समीर के पास लेकर आता है और मजार पर बैठ कर चंद्र थोड़ा होश में आ जाता है और उसे दर्द महसूस होता है देखता है कि उसके पैरों से खून निकल रहा होता है फिर बताता है कि दौड़ते वक़्त कोई मुझे नीचे से रॉड से मार रहा था वो उड़ रहा था मेरे पैरों के पास, तीनो घर चले जाते है डरते हुए, इस बात से कमल बहुत घबरा जाता है और दोनो के घर जाकर सच सच बता देता है घर मे दोनों को बहुत डांट लगती है और इसके उपाय के लिए दोनों के परिवार वाले मिलकर मजार पर पूछते है तो मजार बैठे पीर बाबा बताते हैं कि तुम्हारे बच्चे बहुत मुसीबत में फंस गए जिसका आखिरी छोर मृत्यु है पीर बाबा बताते है कि जिस मिट्टी के बर्तन को इन्होंने खिलौना समझ कर खेला था वो बर्तन उस शैतान के खाना खाने का बर्तन था अब आपको कोई भूखा रखे तो आप क्या करेंगे? वही वो शैतान कर रहा है । उन्होंने उपाय बताया और वहाँ से बचा लिया।

यही बात भव्या को चन्द्र बताता है इन्ही बातो में उनकी बातें आगे बढ़ जाती है भव्या से मिलने के बाद चंद्र में मानो अजीब सी शक्ति आ गयी हो भव्या के साथ होने वाली हर घटना को पहले परखने लग गया था चंद्र।

खैर अगली मुलाकात का सफर नजदीक आ गया था भव्या चंद्र को अपना समय बता देती है कि उसे इस दिन चंद्र से मिलना है भव्या बहुत खुश होती है कि चंद्र आ रहा है । एक बात तो है इश्क़ या मुश्क छुपाए नही छुपता, रेलगाड़ी का सफर मिलने की बेकरारी एक अजीब सी मीठी सी चुभन अंदर से कि कल कैसी लगेगी, चंद्र काले कपड़ो में मानो राजकुमार लग रहा था और वही स्टेशन पर मिलने आयी भव्या भी किसी राजकुमारी से कम लग रही थी भव्या भी काले कपड़ो में खिल रही थी दोनों आमने सामने स्टेशन पर मिलते है दोनों के चेहरे खिल उठे थे मिलते ही दोनों पहले मंदिर दर्शन को जानते है और फ़िल्म थेटर की ओर बढ़ते है फ़िल्म शुरू हो चुकी है थेटर की लाइट बुझते ही भव्या चंद्र को गले लगा लेती है और कहती है कि इस पल का बेसब्री से इंतजार था और उसे चूम लेती है बस फिर क्या था आधी फ़िल्म उनके रोमेंस और बातो में गुज़र जाती है इतने में इंटरबेल हो जाता है चंद्र भव्या के लिए कॉफ़ी ले कर आता है और पॉपकॉर्न, दोनों खाते हुए फ़िल्म दुबारा शुरू होने का इंतजार करते हैं थोड़ी ही देर में फ़िल्म शुरू हो जाती है कि चंद्र भव्या को गले लगा लेता है और कंधे पर सर रख लेता है दोनों फ़िल्म छोड़ बातो में लग जाते है फ़िल्म खत्म हो जाती है फिर दोनों किसी पार्क में जाकर बैठ जाते है। खूब सारी बाते होती है लम्बी दूरी में मानो बाते इकट्ठी हो जाती है और उनको करने का वक़्त चाहिए होता है । बहुत खास पल होते है ये प्यार के जो जिंदगी भर याद रहते है दोनों आगे बाते करते है कि हम कैसे साथ रहेंगे एक दूसरे का कभी साथ नही छोड़ेंगे ये प्यार भी न बड़ा ही अजीब है हो जाये तो बस सपने ज्यादा देखते है अतरंगी दुनिया मे चले जाते हो जैसे, कि मानो गुड्डा गुड़िया ही हो जिन्दगी, खैर शाम हो जाती है चंद्र की वापिसी की समय हो जाता है कि भव्या उसे जोर से गले लगाकर रोती है और कहती है कि चंद्र तुम मुझे छोड़ कर कभी जाना मत और मैं बस तुम्हारी ही रहना चाहती हूँ चंद्र मुस्कुराता है और कहता है पगली ये बता छोड़ना ही होता तो इतनी लंबी दूरी तय करके तेरे पास आता। दोनों की आंखों में प्यार एक सीमा से ऊपर जा चुका था। चंद्र घर वापस आता है और कुछ दिन मायूस रहता है ।
अरे भाई दूरी का मिलन ऐसा ही होता है ।
दोनों कॉल पर बात करते है रात तो बस कहने के लिए दोनों के लिए हर लम्हा महोब्बत बरस रही थी ।

अभी और भी रहस्मयी है इन दोनों का प्यार ।

आप सभी पढ़ते रहिए भव्या और चंद्र को आगे जल्द ही लिखूंगा 🙏🙏🙏🙏🙏

बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏


To be continue.....