Morbid - 6 in Hindi Fiction Stories by Srishtichouhan books and stories PDF | नासाज़ - 6

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नासाज़ - 6

अध्याय छह

ग्रीन कॉन्क्लेव

लड़की की जुबानी


मेरे अन्दर डर का एक अजीब सा माहौल था, एक कोतूहल था, और मेरे हाथ कपकपा रहे थे, ना जाने मेरे भाग्य में क्या लिखा हुआ था, मै अपनी सुंदरी को चला रही थी, हा मेरी स्कूटर जिसका हिंदी नाम सुंदरी था और अंग्रेज़ी में मै इसे डीवा बुलाया करती थी, यह स्कूटर मेरी मा की थी, अब वो इस दुनिया में नहीं रही, मेरी मा और मेरी नानी , इन दोनों के ही साथ मै रहा करती थी , जब मै बेहद छोटी थी पर नानी को जब मेरी मा के नाजायज औलाद के बारे में पता चला तो मेरी नानी ने मा को धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया था, मेरे नाना जी एक नेवी पायलट थे, पर उनकी एक युद्ध में शहादत हो गई, वो मेरे मा से बेहद प्यार करते थे , लेकिन मेरी नानी को जब मां के गर्भवती होने के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरी मा को घर से बाहर निकाल दिया , अब मा ने मेरे पिता जी से इस बारे में बात की, उनका नाम जॉन रेडवुड था, और मेरी मा का नाम क्लोविया रेडक्लिफ , दोनों कॉलेज में साथ में पढ़ते थे और पढ़ाई पढ़ाई में कब आंख लड़ाई हो गई पता ही नहीं चला , जवानी के दौर की दिल्लगी कभी सीरियस नहीं होती यह उस बदलते वसंत के मौसम की तरह है जहा प्यार के नए अंकुर तो फूटते है लेकिन पत्तों के पुराने लिबाज़ झड़ जाया करते है, पिता जी ने मुंह फेर लिया , उनकी हिम्मत नहीं थी कि वो एक और व्यक्ति का किराया चला सके, उनके घर वालों ने साफ साफ बच्चा गिराने की बात कह डाली,


मेरे पिताजी और मां का तब से कभी कोई बात नहीं हुआ, रिश्ता टूट चुका था, अब मा के पास बेसहारा गर्भवती औरत होने का दाग लग चुका था, और मा लाचार थी, कहते है जब औरत लाचार और बेबस हो जाती है तो धंधा करने लग जाती है और जब मर्द लाचार होता है तो वो मक्कारी, पर मेरी मा ने मेहनत का रास्ता चुना, उसने एक सुपरमार्केट में सेल्स वुमन का काम किया , और उसके बाद वो घर घर जाकर चूहे मारने वाली दवा भी बेचती थी, आधी पढ़ाई उसकी कॉलेज की हो चुकी थी , तो वो एक टाइम में वेट्रेस का भी काम करती थी, आखिर उसने अपने आपको इस बेरहम दुनिया में एक भारी पेट के साथ जमा लिया था, अभी वो एक वूमेन हॉस्टल में चार लड़कियों के साथ रहती थी, किराया कम था, लेकिन लड़कियां फर्जंट थी, कोई कॉल गर्ल का काम करती थी, तो कोई अवैध तरीके से ड्रग्स और नशीली चीजों को कॉलेज स्टूडेंट्स को सप्लाई, कोई लड़कियों की दलाल थी और कोई स्ट्रीपर का काम करती थी, उनलोगो ने मा को बहुत परेशान किया था,


पर शायद मा के खुद्दारी और कभी ना हार मानने वाले जज़्बे से वे लोग भी अछूते नहीं रहे, उन लोगो ने ही मा के डिलीवरी के समय सबसे ज्यादा साथ दिया, और फिर चार पांच घंटे के दर्द के बाद मै पैदा हुई , मेरा नाम एक नर्स ने पूछा, " बच्ची का नाम क्या है?" मा ने मुझ चोट नाजुक जान को अपने कमजोर हाथों से मुझे उठाते हुए कहा, " एम्मा रेडक्लिफ" , मेरा नाम एम्मा है , लेकिन मैंने अपना नाम अब मेलिस्सा मडगन रख लिया है, और पड़ोस के लोग मुझे बिना नेमप्लेट वाली लड़की के नाम से जानते है ,


जब मै करीब दो साल की हो गई और मा ने भी अब नाइट स्कूल में अपने कॉलेज के पढ़ाई के लिए प्राइवेट आवेदन दे दिया था, तब मेरी नानी अचानक ही मुझसे मिलने आगई, मेरी नानी को देखते ही मा रो पड़ी थी, मै उस वक़्त छोटी थी, तो मुझे ज्यादा बातें याद नहीं है, पर मा ने मुझे बड़े होने पर यह सब बातें बताई थी, उस वक़्त भी मा उन्हीं चार लड़कियों के साथ उस वूमेन हॉस्टल में रहा करती थी, नानी को वो कमरा बेहद अजीब और अटपटा सा लगा था, क्योंकि नॉर्थ कालचिरौंध में नानी आराम से एक अरिस्ट्रो क्रेटिक बंगलो में रहा करती थी जो नाना जी के पोस्ट के वजह से ही नानी को मिला था, पर अब नानी को वहां के ऑफिशल्स ने वो घर खाली करने को कह दिया था, अब नानी बेघर थी,


और उन्हें घर खाली करते वक़्त नाना जी की एक वसीयत मिली, जो कि मा के नाम पर थी,नानी ने उस खत को खोला जो उसी वसीयत के साथ आज पांच सालों बाद मिला था, उसमे लिखा था,


प्रिय कलोविया,


मै कुछ ही हफ्तों में याजकसबान के खिलाफ हो रहे युद्ध में लड़ने को चला जाऊंगा, मुझे नहीं पता कि मै इस बार लौट कर आऊंगा या नहीं, क्योंकि वहां के हालात बेहद गंभीर है, और हमारे देश की हारने की बातें भी सामने आ रही है, पर उससे पहले मै एक जरूरी काम करना चाहता ही, यह बात मैंने तुम्हारी मा से भी छुपाई है, तुम्हारा सत्रहावा जन्म दिन आने वाला है, और मैंने वेस्ट गदर गली में तुम्हारे लिए एक खुद का बैचलर्स अपार्टमेंट में एक रो हाउस खरीद लिया है, हालांकि तुम्हारा जन्मदिन इस अगस्त के आठहरावे दिन में पढ़ रहा है , पर शायद मै तुम्हारे जन्म दिन के खास मौके पार भी नहीं मौजूद रहूं, और तुम भी इसी साल से अपनी कॉलेज के जीवन में कदम रखोगी, मुझे पता है तुम्हे अंग्रेज़ी साहित्य कितना पसंद है, यह रो हाउस, माउंट रेडवुड यूनिवर्सिटी से काफी नजदीक है, इसलिए तुम अब इसी रो हाउस में शिफ्ट हो जाना, अपने मा की जरा भी फिक्र ना करना, मै मारिया को समझा लूंगा, और उस प्रॉपर्टी के कागजात मेरे कमरे के बाई ड्रॉअर के सबसे नीचे वाले चेस्ट में है,


तुम्हारी याद हमेशा आएगी,

लौटने का इंतजार करना,

तुम्हारा डेड


यही खत और इस रो हाउस में शिफ्ट होने के लिए नानी अब मा से मिलने आई थी, मा ने उस खत को बार बार पढ़ा और मेरी मा के आंखों में आंसू आ गए क्योंकि यह उनके पिता जी की आखिरी निशानी थी, अब वो कभी नजर नहीं आने वाले थी, और ना ही वो कभी उनको गले लगाने वाले थी, नानी अपने साथ वो कागजात लेकर आई थी, और फिर कुछ सरकारी काम के बाद मेरी मा और मेरी नानी और मै दो साल की सबसे छोटी बच्ची उस रो हाउस में आ गए, और फिर वो रो हाउस का 7 बी अपार्टमेंट तब से मेरा घर बन गया, नानी घर में ही रहा करती थी, सिर्फ मा ही घर का सारा खर्च उठाती थी, अब मेरी मा की उम्र तेईस साल हो गई थी, उनको अपनी कॉलेज की डिग्री भी मिल गई थी, वो लिटरेचर में ग्रेजुएट थी, और फिर उनका जॉब एक लाइब्रेरी में एक लाइब्रेरियन के तौर पर लग गया, और फिर उसने वो स्कूटी ली अपनी पहली कमाई से, नानी को स्कूटी लेना अच्छा नहीं लगा, लेकिन जब हर शनिवार को हम तीनों पाल्टा बीच के चौपाटी में शैर को जाते तो नानी इन सब में सबसे आगे को रहती, नानी ने भी अब स्कूटर चलाना सीख लिया था, इस गदर गली में कई बूढ़े दम्पत्ति उनके दोस्त बन गए थे, कभी हैलोवीन तो कभी गुड फ्राइडे में आए दिन पार्टी होते थे, और अब मै भी बड़ी हो रही थी, और ठीक मेरे सतरहवे जन्म दिन पर मेरी मा गुज़र गई, पर मेरी नानी अभी भी जिंदा थी, मेरी मा को ब्रेस्ट कैंसर था, और उसने यह बात हम सबसे छुपाई थी, मुझे याद है उस दिन बेहद घनघोर बारिश हो रही थी, मेरी मा बिस्तर पर तड़प रही थी, उसने पानी मांगा और जैसे ही मै गिलास भर पानी के लिए दौड़ी मेरी मा की सांसें ऊपर नीचे होने लगी, नानी ने डॉक्टर को फोन लगाने के लिए फोन घुमाया, लेकिन तब तक मा ने अपनी आंखें मूंद ली थी, बाहर अब बारिश के साथ साथ बादल और बिजली भी कड़क रहे थे, मेरे आंखों में आंसू उमड़ आए, मेरी मा मेरा साथ छोड़ चुकी थी, मैंने अपने नानी के आंखों में देखा, अब उन बूढ़ी आंखों में मेरे लिए हर वक़्त का वो नफ़रत और घृणा नहीं थी बल्कि एक हमदर्दी थी, हालांकि मेरी नानी ने मुझे अपने जीवन भर कभी पसंद नहीं किया था, क्योंकि मै ही उसके बेटी का दुख कारण थी, लेकिन फिर भी मेरी मा हर समय मेरे और मेरी नानी के बीच तालमेल बैठाने की भरपूर कोशिश करती थी पर अब वो कोशिशें नहीं होने वाली थी, अब वो कोशिशें करने वाली नहीं रही थी


यह स्कूटर तब से मेरी सवारी बन गई कुछ सालों बाद नानी भी भगवान को प्यारी हो गई, मै उस वक़्त अपने केमिस्ट्री ब्रांच के फाइनल ईयर में थी, मुझे कैमिस्ट्री सब्जेक्ट शुरू से पसंद था, और मा के जाने के बाद मैंने पार्ट टाइम जॉब भी करना शुरू कर दिया था, उसमे से एक था चमकदार फिनायल कंपनी की सेल्स गर्ल बनना,


परेशानियां हज़ार थी और लाइफ बेरंग, मै समय से पहले ही उम्रदराज हो चुकी थी, मुझे अभी भी याद है कि जिस वक़्त मेरे उमर की लड़कियां महंगे पर्स और लिपस्टिक के ब्रांड सेलेक्ट कर फिगर और एक्सपेंसिव कपड़े पहनने के बारे में सोचती थी तो उस वक़्त मुझे यह चिंता रहती थी कि मेरे घर का नल टूट चुका है तो प्लम्बर कहां से मिलेगा, जब लड़कियां ऊंची ऐड़ी वाली पेंसिल हील्स में टिक टोक चलने की कैटवॉक करती तो उस वक़्त मै झड़ रहे प्लास्टर की रिपैरिंग के लिए परेशान रहती, मेरे पास गिन के पांच कपड़े थे, जिसमें से दो मेरी मां के थे और तीन मुझे मेरे ड्रिल बनाने वाले कंपनी के मालिक ने अपनी हमउम्र बेटी के पुराने कपड़े दे दिए थे, जिन्हें मै कोई त्योहार या खास मौकों पर पहनती,


मैंने एक बाइकर लड़की जिसका नाम डैनी था, उससे दोस्ती कर ली थी, उसकी अपनी एक बाइक सुधारने वाली गैराज थी, डैनी के पिता एक मछुआरे थे, वो अक्सर टोलविच लेक से बड़े बड़े सेलमोन फिशेस और क्रेब्स पकड़ कर लाया करते थे, उनका नाम हंटर था, हंटर शलोज़ , लेकिन हंटर की बेटी भी बहुत ही जांबाज थी, मेरी इकलौती दोस्त , और हमराज,


मै अपने आप से यह बात कबूल सकती हूं कि डैनी का बेफिक्रना अंदाज़ मुझे बेहद लुभाता था, इस हद तक कि मेरे अंदर रोमांच और एक नई उमंग पैदा हो जाया करती थी, वो हर कुछ थी जो मै कभी बन नहीं पाई थी, हर कुछ , एडवेंचरस, खतरों की खिलाड़ी, रहस्य और खतरनाक, लेकिन मौलाना अंदाज़ वाली छोटे बालों वाली धाकड़ लड़की, कभी कभी मुझे लगता था कि जब भी मै उसके साथ रहती हूं तो मै खुद को एक अलग सा पहचान दिलवा जाती हूं , मै अलग हो जाती हूं, मेरे जज्बात बदल जाते है, मै जिंदगी को खुलकर जीने का हिम्मत कर पाती हूं, उसके बाइक की लंबी लंबी सवारियां और वो पहाड़ों के सैर, अंधेरे वाली गुफाओं से होते हुए लंबे टनल्स के कभी ना ख़तम होने वाले अंडर ग्राउंड सुरंग, सब कुछ मेरे लिए रोमांचकारी था, पर अभी इस वक़्त मुझे अपनी जान का डर है क्योंकि मेरे पीछे इस वक़्त एक खूंखार गैंगस्टर बैठा हुआ है , और मेरे हलक से अभी सिर्फ दमघोंटू आवाज़ आ रही थी, मेरे हाथ कपकपा रहे थे, उसने मेरे पीठ पर अपने नाखून से वार किया था, उसके सांसों की गरमाहट मुझे मेरे कानो में महसूस हो रही थी , और यह एक अजीब सा पागलपन मेरे अंदर पैदा कर रही है , मेरे पुराने स्कूटर की अभी इतनी भी हालत नहीं थी कि वो अस्सी के लगभग की स्पीड से और आगे बढ़ सके लेकिन , यह गैंगस्टर मेरी बात बिल्कुल भी नहीं मान रहा था, वह मुझे अपनी एक अजीब सी गन दिखा कर बस स्पीड बढ़ाने को कहता, आखिर जिस खुफिया रोड से उसने मुझे गदर गली पहुंचने को कहा था, उस गली में जाते जाते मेरे स्कूटर की फ्यूल ख़तम हो गई और अब मेरा दिमाग सातवे आसमान में था, मुझे उस पागल अपराधी के ऊपर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था, क्या वो एक मुजरिम होने के साथ साथ कोई साइको आदमी भी था, क्योंकि बार बार बोलने पर भी वो मेरी बातों को नजरअंदाज कर दे रहा था, जैसे उसने आज की सुबह मेरे पचास फिनायल बॉटलों को टकरा कर बर्बाद कर दिया, और ऊपर से मुझे मेरे ही स्कूटर में किडनैप कर चुका था, मुझे बदबूदार बोल चुका था और ऊपर से यह इलज़ाम लगा चुका था कि मै नहाती नहीं हूं, जबकि मै हर दिन नहाती हूं, चाहे गर्मी हो या कड़ाके की सर्दी, लेकिन उसने मेरी बात कभी नहीं मानी, पता नहीं खुद को वो बहुत बड़ा हैवान समझता है या क्या, मेरे ब्रेड रोल्स भी वो खा चुका है इस डेढ़ घंटे के सफर में, बस हम अपनी स्कूटर में चक्कर ही लगाते फिर रहे है और अब मेरे स्कूटर का पेट्रोल भी ख़तम हो चुका है मुझे अपनी जान का बहुत खतरा महसूस हो रहा है पर यह साइको किलर ना जाने मेरे से किस जन्म का बदला ले रहा है ,