प्रशांत को गुस्से में देख श्रुति चुपचाप अपने कमरे में चली जाती है।परम कमरे के दरवाजे पर खड़ा हो प्रशान्त के शांत होने का इंतजार करने लगता है।किरण और आरव दोनो घर के लिए निकल चुके होते है।
प्रशान्त : आप लोगो को पार्टी देनी ही थी।तो मुझे बताकर ही दे देते इस तरह सरप्राइज के चक्कर मे अर्पिता को इतनी रात को बाहर जाना पड़ा।इतना तो मैं उसे जानता हूँ कि वो सात्विक के घर नही गयी होगी यानी रात के बारह बजकर पन्द्रह मिनट पर वो कहीं सिमटी हुई बैठी होगी।ये लड़कीं भी न दुनिया का अलग ही नमूना है।यार इतना कौन सोचता है दूसरों के लिए।। खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहते है और तुरंत दरवाजे से बाहर निकल जाते हैं।उनके जाते ही परम दरवाजे से बाहर आ कहते है तो भाई आखिर आप खुद को रोक नही पाये और ढूंढने चले ही गये अर्पिता जी को।
प्रशान्त पैदल ही उसे ढूंढते हुए आगे बढ़ने लगते है जहां कुछ ही दूरी पर एक पार्क के पास पडी बेंच पर उन्हें अर्पिता और सात्विक दिखाई दे जाते हैं।अर्पिता का सर सात्विक के कंधे पर देख पहले तो उन्हें अच्छा नही लगता लेकिन फिर बाद में ये सोच इग्नोर कर देते है कि कम से कम इसने अर्पिता को अकेला तो नही छोड़ा।वो सात्विक के पास आते है और उसके हाथ को पकड़ हिलाते हैं।
सात्विक जो नींद में होता है अनजान स्पर्श पाकर तुरंत अपनी आंखें खोलता है।और प्रशान्त को देख उठने को होता है तो प्रशान्त उसे चुप रह बैठने का इशारा कर देते हैं।वो धीमे से अर्पिता को उठाते है और सात्विक को अपने पीछे आने का इशारा कर अर्पिता को रूम पर ले जाने लगते है।
सात्विक प्रशान्त के इस व्यवहार पर थोड़ा हैरान होता है।वो धीमी आवाज में कहता है --
'माफ कीजिये मुझे अभी अपने घर जाना है'। उसकी बात सुन प्रशान्त पीछे मुड़ हौले से कहते हैं ठीक है।
सात्विक एक बार फिर से अर्पिता को देखता है जो नींद में भी मुस्कुरा रही होती है।उसे देख वो हल्का सा मुस्कुराते हुए अपनी बाइक ले वहां से चला जाता है।वहीं प्रशान्त अर्पिता के चेहरे की ओर देखते हुए धीरे धीरे रूम की ओर बढ़ रहे है कुछ ही पलों वो रूम पर पहुंच जाते है।और अर्पिता को ले जाकर श्रुति के बेड पर लिटा खड़े हो वापस लौटने के लिए कदम बढ़ाते है।लेकिन हर बार की तरह इस बार भी अर्पिता का दुपट्टा उन्हें रोक लेता है।ये देख श्रुति उठ कर उनके पास आती है और मुस्कुराते हुए उसे अलग कर वापस जाकर टेबल पर बैठ जाती है।प्रशान्त बाहर निकल जाते हैं।उनके निकलते ही अर्पिता फटाक से करवट बदल अपनी आंखें खोल मुस्कुरा देती है एवम मन ही मन कहती है हाय,आज पहली बार हम प्रशांत जी के इतने करीब थे कि..शरमा जाती है और फिर प्रशांत के विषय मे सोचते हुए वो नींद की आगोश में चली जाती है।
अर्पिता:- क्यों करते है आप हमारी इतनी परवाह शान?
शान:किसने कहा?
अर्पिता:कहेगा कौन दिखता है।
शान :- तो फिर तुम अपनी आंखों का इलाज कराओ।
अर्पिता:तो नही करते?
शान : नही।
अर्पिता: ओके कह मुड़ते हुए दीवार से टकराने का अभिनय करती है।
शान(परेशान हो डांटते हुए): ओह हो।लगा ली न काहे करती हो तुम ऐसा?
अर्पिता:डाँट खाने के लिए।
शान: खा ली।
अर्पिता:हां।और जान गए कि आपको परवाह है।
शान: हां।है लेकिन तुम्हारी नही खुद की।तुम मैं,मैं तुम।समझी।
अर्पिता :हम्म समझ गए।
सुबह का अलार्म और अप्पू जाग जाती है .तो सपना था।हाय कितना प्यारा सपना था बिल्कुल रात के उन गोल्डन मूमेंट्स की तरह।अर्पिता ने मुस्कुराते हुए खुद से कहा और उठ कर काम पर लग जाती है।उधर प्रशान्त भी उठ जाते है और प्रतिदिन की कार्य करते हुए अपने कमरे से बाहर आते हैं।और रसोई में कार्य करती अर्पिता को देखते हैं।जो अपने लिए कॉफी तैयार कर रही होती है।
अर्पिता (कार्य करते हुए बिन देखे) :गुड मॉर्निंग!सुप्रभात।प्रशान्त जी।
प्रशान्त : कैसे पता?
अर्पिता : बस ऐसे ही।
प्रशान्त मुस्कुरा कर रह जाते हैं।तब तक परम भी वहीं आ जाते हैं।परम को देख अर्पिता अपनी कॉफी मग उठा वहां से निकल हॉल में बैठ जाती है।और कॉफी पीने लगती है।
अर्पिता :- ओह गॉड।हमारा बैग और स्लीपर्स।वो तो नीचे बाथरूम मे ही है कहीं आँटी जी या किसी और ने देख लिया तो कांड हो जाना है सोचते हुए वो कॉफी मग वहीं टेबल पर रखती है और सरपट नीचे दौड़ती है।
प्रशान्त उसकी जगह आकर खड़े हो जाते हैं तो उनकी नजर कॉफी डब्बे के नीचे पड़ती है जिसके नीचे नोट रखा होता है।प्रशान्त मुस्कुराते हुए चुपके से उसे उठा अपनी पॉकेट में रख लेते है जो परम देख लेता है।वो कुछ सोचता है और कहता है-
भाई क्या छुपाया?दिखाओ मुझे।भाई क्या छुपाया?कहते हुए वो तुरंत लपकते हुए प्रशान्त के पास पहुंचता है और उसकी पॉकेट में हाथ डाल वो नोट निकाल वहां से बाहर की ओर दौड़ लगा देता है।
छोटे नही!ये मस्ती नही।मुझे वो नोट वापस करो।
छोटे दो मुझे वापस।प्रशान्त परम के पीछे दौडते हुए कहते हैं।
वहीं शरारती परम प्रशान्त को परेशान करने के फूल मूड में होते हैं सो वो कभी सोफे के इधर कभी खम्भे के उधर प्रशान्त को पूरे फ्लोर पर दौड़ा लेते हैं।
कुछ सेकंड बाद प्रशान्त रूक जाते हैं और वहीं सोफे पर बैठ जाते हैं।कॉफी मग दिखता है तो उठा कर कॉफी पीने लगते हैं।अर्पिता नीचे से आते हुए प्रशान्त को कॉफी पीते हुए देख लेती है।
अर्पिता : अब हम इनसे कहे क्या चल अर्पिता अब खुद के लिए दूसरी कॉफी बना लाओ।कह वो वहां से गुजरती है तो प्रशांत कॉफी मग छोड़ वापस से परम् के पास पहुंचते है।
परम मुस्कुराने लगता है और नोट प्रशान्त को वापस करते हुए धीमे से कहता है भाई मुझे सब पता है सो मुझसे तो छुपाओ ही नही।लो आप उनका (अर्पिता की ओर इशारा करते हुए) संदेश आराम से बैठ कर पढ़ो।कह वो नोट प्रशान्त को दे वहां से रसोई में चला जाता है।और अर्पिता कुछ सोचते हुए आती है और टेबल से कॉफी मग उठा वहां से श्रुति के कमरे की ओर चलती बनती है।
प्रशान्त उसकी ये हरकत देख बस मुस्कुराते भर है और खुद वहीं बैठ वो संदेश पढ़ने लगते हैं।
कल हमें सड़क से उठा कर लाने के लिए धन्यवाद☺️! हम वहीं बैठे बैठे कब सो गए हमे पता ही नही चला।
प्रशान्त :- तो इसका मतलब तुम कल जाग रही थी अप्पू।खुद से ही कहते हैं।और परम के साथ जाकर काम पर लग जाते हैं।परम् प्रशान्त के इस सीक्रेट लव में उसका राजदार बन चुका है सो दोनो भाई एक दूसरे को छेड़ते हुए कार्य करते जाते हैं।
वहीं अर्पिता कॉफी खत्म कर मग रखने किचन में आती है।उसे देख परम् वहां से अपना फोन निकाल चलते बनते है तो अर्पिता प्रशान्त के पास जा उससे कहती है -
क्या बना रहे है आज आप?
प्रशान्त :- कुछ खास नही।।तुम बताओ तुम्हे कुछ स्पेशल चाहिए..!
अर्पिता:- नहीं।
प्रशान्त :- ठीक।कह चुप हो जाते है।अर्पिता प्रशान्त के कार्य करने के तरीके को ऑब्जर्व करने लगती है।और यदा कदा उसकी मदद भी कर देती है।
कुछ ही देर में सारा कार्य हो जाता है तो अर्पिता और प्रशांत दोनो ही वहां से चले जाते हैं।जाते हुए प्रशान्त को अचानक कुछ याद आता है सो वो वापस रसोई में आते है और फ्रिज में रखा केक का टुकड़ा देखते हैं।
प्रशान्त :- थैंक गॉड यथा स्थान ही है।कह वो नोट बुक उठा अर्पिता के लिए एक छोटा सा नोट लिखते हैं।
कल तुम बिन केक लिए चली गयी थी तुम्हारे लिए फ्रिज में एक टुकड़ा रख छोड़ा है भूलना नही☺️!
और वो बाहर अर्पिता को देखते हुए जाते है।अर्पिता जो श्रुति के साथ मिल फ्लोर की साफ सफाई करने में व्यस्त होती है।उसे देख वो नोट वहीं टेबल पर मैगजीन के नीचे रख देते हैं।अर्पिता प्रशान्त को नोट रखता हुआ देख लेती है और नजर नीची किये हुए ही मुस्कुरा देती है।
प्रशान्त वहां से चले जाते है तो अर्पिता हाथ पोंछ फुर्ती से टेबल के पास पहुंचती है और चिट उठा मुट्ठी भींच श्रुति से कहती है-
हम अभी आये श्रुति और अंदर कमरे में चली जाती है।जहां वो दरवाजे के पीछे सट कर नोट पढ़ती है -
कल तुम बिन केक लिए चली गयी थी तुम्हारे लिए फ्रिज में एक टुकड़ा रख छोड़ा है भूलना नही☺️!
हम नही भूलेंगे कहते हए वो रसोई में जाती है और वो टुकड़ा देख मुस्कुराते हुए कुछ सोचती है।
वो उसी नोट को पलट उस पर लिखती है शेयरिंग इज गुड हैबिट।।सो हमे इंतजार रहेगा..!☺️
और उसे प्रशान्त के पैक किये हुए टिफ़िन के नीचे रख रसोई से बाहर चली आती है।
बाहर दोनो काम निपटा कर तैयार हो जाती है और कुछ ही समय मे आ बाहर सोफे पर बैठ जाती हैं।
परम् :- श्रुति।चले अब।
श्रुति :- हां भाई लेकिन मुझे कॉलेज नही ऑफिस जाना है।
परम् :- ठीक है मैं छोड़ दूंगा।तभी प्रशान्त कमरे से निकल कर आते है तो परम् उनकी ओर देख शरारत से कहता है वैसे भी प्रशान्त भाई के पास कहाँ इतना समय होगा कि वो तुझे भी साथ ले सके उनकी बाइक पर तो केवल एक ही व्यक्ति की जगह है न और वो भी कोई खास..समझी तो चलो ...! कह परम हंसने लगता है उसकी मुस्कुराहट देख प्रशान्त कहते है लगता है चाबी भरवानी पड़ेगी ...न न भाई।।ऐसे ही ठीक हूँ ये बस थोड़ी सी मस्ती की और कुछ नही..कहते हुए वो बाहर निकल जाता है।उसके पीछे श्रुति भी निकल जाती है।
अर्पिता दोनो की बाते समझ मुस्कुराते हुए मैगजीन पढ़ रही है।प्रशान्त अपना टिफ़िन लेने अंदर जाते है तो टिफ़िन के नीचे नोट देख मुस्कुराते हुए उसे पढ़ते हैं...
हाय शेयरिंग..सो स्वीट कहते हुए प्रशान्त वो टुकड़ा निकालते है और उसे एक प्लेट में रख हॉल में बैठी अर्पिता के पास पहुंचते हैं।
अप्पू।तुम्हारे लिए केक! कह वो टेबल पर रख देते हैं।और खुद वहीं बैठ जाते हैं।
अर्पिता :- सिर्फ हमारे लिये तो नही प्रशान्त जी।हमने कुछ कहा था।
प्रशान्त:- जी।मुझे पता चला तभी तो यहां बैठा हूँ।
अर्पिता :- धन्यवाद।कह उसमे से आधा हिस्सा उठा खाने को ही होती है कि तभी प्रशान्त जी उठते है और उसका हाथ मोड़ खुद केक खा उठकर वहां से चले जाते हैं।
अर्पिता हैरानी के साथ साथ सवालिया नजरो से प्रशान्त की ओर देखती है तो प्रशान्त उसके पास आ हौले से कहते है ज्यादा सोचो नही सिर्फ केक ही खाया है तुम्हारे हाथ से इतना हक तो है न मेरा।
अर्पिता :- हम्म।इतना ही कह पाती है।प्रशान्त के उसके पास आने की वजह से उसके हृदय की गति हमेशा से तेज हो जाती है।
प्रशान्त:- तो अब ऑफिस चले।
अर्पिता :- जी।
प्रशान्त उठते है और टिफ़िन ले वहां से बाहर चले आते हैं।उनके पीछे पीछे अर्पिता भी चली आती है।
कुछ ही देर में दोनो ऑफिस पहुंचते हैं।अर्पिता को आया देख नीलम उसके पास आती है।
अर्पिता :- गुड मॉर्निंग मैम।।
नीलम :- वेरी गुड मॉर्निंग अर्पिता।आपका केबिन अब चेंज कर दिया गया है।आपको वो बॉस के सामने वाला केबिन दिया गया है अब से आप वहीं जाकर अपना कार्य प्रारंभ कीजिये।
अर्पिता :- जी।कह उस केबिन में जाकर बैठ जाती है।श्रुति भी वहीं मौजूद होती है सो दोनो अपने कार्य मे लग जाती हैं।
प्रशान्त वहां से गुजरते है और अर्पिता को काम मे तल्लीन देख मुस्कुराते हुए अपने केबिन में चले जाते हैं।और जाकर अपने काम मे लग जाते हैं।
चित्रा प्रशान्त के पास एक फाइल लेकर आती है उसे देख प्रशान्त उससे कहते है, "अब तो आपके पास असिस्टेंट है तो आप क्यों कष्ट करती है बार बार आने का"
चित्रा :- वो मुझे आदत नही थी न तो बस इसीलिए।अब से सात्विक को ही भेज देंगे।वैसे मुझे कुछ पूछना था आपसे?
प्रशान्त :- बिना चित्रा की ओर देखे ही।पूछना है तो पूछो।इसमें इतना सोचना काहे?
चित्रा :- वो आपने क्या सोच कर सात्विक को यहां अपॉइंट करा लिया।
प्रशान्त :- तो आप कल के बारे में सोच रही है।
चित्रा :- जी।
प्रशान्त :- अब उसकी निजी लाइफ में क्या चल रहा है क्या नही ये हमारी परेशानी नही होनी चाहिए।मेरे लिए जो उसके कागजात कह रहे वही सच है।अब ये उसका अपना मैटर है कि वो सिंगल है या मैरिड है।
चित्रा :- ओके।मैं समझ गयी सॉरी।कि मैंने आपके फैसले पर सवाल किया।।
प्रशान्त :- (अभी तक बिन देखे ही) कोई नही।अब आप अपने कार्य पर जा सकती हैं।
चित्रा :- जी।कह वहां से चली जाती है।और सोचती है ये हो क्या गया है इन्हें।।ऐसे तो नही थे ये?तभी उसे कुछ याद आता है और वो लौटकर आती है और कहती है -
वो मुझे आपको बताना था कि हमारे प्रतिद्वंदी मिस्टर तलवार ने आज फिर धमकी दी है कि हम लोग इस सर्वश्रेष्ठ बिजनेसमैन की रेस से अपने कदम पीछे हटा लें.. नही तो अच्छा नही होगा।
क्रमशः ...