Badalte pyar ki paribhasha - 3 in Hindi Moral Stories by Aarav Ki Kalam books and stories PDF | बदलते प्यार की परिभाषा - 3

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बदलते प्यार की परिभाषा - 3

घर आकर अहाना फ्रेश होकर स्टडी टेबल पर बैठ कर आराम से फोन यूज़ करती है।

टिंडर ओपन करती है। वहा मेसेजेस की बौछार हो रही होती है।

"हेल्लो मैडम"

"हेल्लो अहाना"

"हेल्लो फैशन डिज़ाइनर"

"आप जवाब क्यो नही देती?

"हेल्लो आर यू देयर?"

इतने सारे मैसेज देखकर अहाना के अंदर ही अंदर खुशी के लड्डू फूट रहे थे। लेकिन उसे सिर्फ ओर सिर्फ उदित ओर शौर्य के मैसेज में ही रुचि थी।

आहाना उदित को रिप्लाई करने के लिये उसका मैसेज खोलती है की अचानक एक मैसेज को देखकर अहाना परेशान हो जाती है।

"अहाना तुमने ये अच्छा नही किया :( "

"महिमा ने ऐसा मैसेज क्यो किया?"
वॉट्सएप्प खोलकर उसे रिप्लाई करती है।

क्या हुआ महिमा?
मैने क्या किया?

"यार तुमने कहा था की तुम आज पार्टी दोगी। हम लोग क्लबिंग के लिये चलेगे ओर अभी तक तुम्हारा कोई मैसेज नही आया।
जरुर शौर्य के साथ बिज़ी होगी तुम।"
महिमा ने अपना गुस्सा दिखाते हुए कहा।

"मैने तो आमिर से भी बात कर ली थी। वो भी तैयार था।"
अपने नये बॉयफ्रेंड के बारे मे बताते हुए महिमा ने कहा।

"महिमा मेरी बात तो सुनो। मेरा हल्का सा सिर दर्द है। ओर कल शनिवार है। कल ओर ज्यादा मजा आएगा। कल हौज़ खास विलेज मे पार्टी मेरी ओर से।

ओर आज के लिये सॉरी। मैं तुम्हे बता नही पायी। आमिर को भी मेरी ओर से सॉरी बोल देना। "
अहाना ने सफाई देते हुए कहा।

"चल इट्स ओके। लेकिन कल कोई बहाना नही चलेगा।
बाय, गुड नाइट।"
महिमा ने अहाना की बात मे हामी जताते हुए कहा।

"अहाना डिनर कर लो बेटा।
पता नही इस लड्की ने सुबह से कुछ खाया है भी नही?"
अहाना की माँ ने चिल्लाते हुए उसे बाहर बुलाया।

रुम मे आते आते 10 बज गए। आज पापा ऑफ़िस ट्रिप से वापस आये थे तो उनके साथ टाईम लग गया।

आते ही अहाना ने चार्जर से फोन हटाया ओर सीधा बैड पर कूद गयी।
"ये क्या कोई भी मस्सगे नही है ऐसा कैसे?"

अहाना शौर्य का मैसेज खोलती है।
"हेल्लो फैशन डिज़ाइनर "

"हाय शौर्य
क्या कर रहे हो?"
अहाना उसके मैसेज मा रिप्लाई करती है।

ओर फिर उदित का मैसेज खोलकर देखती है।
"हेल्लो अहाना"

"येस उदित
तो कैसा रहा आपका दिन?"

थोड़ी देर दोनो के रिप्लाई का इन्तज़ार करने के बाद फोन को साइड मे रख कर रिया अपनी स्टडी टेबल से कुछ निकालने चली जाती है।

वापस आकर अपना फोन लेकर लिया बालकोनी मे कुर्सी लेकर बैठ जाती है।
एक हाथ मे मोबाइल था ओर दुसरे में फ्रूट बियर।

शौर्य से बाते शुरू होती है।
शौर्य अहाना के मैसेज का रिप्लाई करता है।

"कुछ नही अहाना
बस अभी डिनर कर के रुम मे आया हूँ ।
आप बताईये"

"हाँ हाँ मैं भी बस डिनर करके आयी हू ओर बालकोनी मे बैठी हूँ।"

"ओके
तो आप इस ऐप्प पर क्या कर रही हो।
सॉरी माइंड मत करना "

"नही नही इट्स ओके शौर्य
सच कहुँ तो मैं एक अच्छा दोस्त ढूंढ रही हो।
जो मुझे समझ सके ओर हाँ एक ट्रैवल पार्टनर भी
हाँ हाँ हाँ
आप बताईये?"

"गुड अहाना
मैं भी एक अच्छी दोस्त ढूंढ रहा हूँ ।
तो आज का दिन कैस्क़ रहा आपका?"

"नोट सो गुड
ओके ओके था।
आपका कैसा रहा?"

"हाँ हाँ हाँ
ऐसा क्या हुआ?
मेरा भी ओके ओके था। बहुत काम था ऑफ़िस मे।"

"नही ऐसा कुछ नही बस कॉलेज के काम के कारण ऐसा बोला।
ओर बताओ कुछ।"

"अहाना इफ यू डोनट माइंड
क्या हम वॉट्सएप्प पर बात कर सकते है।
यहा थोडा कम्फर्टेबल नही लग रहा।"

"अहाना थोडा असमंजस में पड़ जाती है की क्या करें?
लेकिन वो शौर्य को इतना पसंद करती है की एक झटके मे अपना नम्बर शेयर कर देती है।"

"थैंक्स फ़ॉर यऊर ट्रस्ट अहाना।
चलो मैं आपको वहाँ मैसेज करता हूँ।"

इसी बीच उदित का मैसेज आता है। ओर अहाना उसे खोलकर देखती है।
"हांजी अहाना जी
आज का दिन बहुत अच्छा था।
आपका कैसा था?"

अहाना उदित के मैसेज को ऐसे ही छोड कर शौर्य से बात करने लग जाती है।

शौर्य से कुछ देर वॉट्सएप्प पर चैट करने के बाद शौर्य उसे फोन करता है। दोनो लगभग एक घन्टा फोन पर बात करते है।
एक दुसरे के बारे मे कम ओर अपने कॉलेज ओर ऑफ़िस के बारें मे ज्यादा बात करते है।

"शौर्य अब हम लोग कल बात करेगें। बहुत ज्यादा टाईम हो गया है। ओके बाय। आपसे बात कर कर बहुत अच्छा लगा। थैंक्स"
अहाना ने टाईम देखा तो 2 बज गए थे।

"ओके अहाना। मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
ओर हाँ पता नही तुम कैसे रिऐक्ट करोगी।
लेकिन आई लाइक यू अहाना।"
शौर्य ने अपने मन की बात रखते हुए कहा।

अहाना बिना कुछ बोले फोन काट देती है।

अहाना के दिमाग मे सिर्फ शौर्य ही घूम रहा था। शौर्य का प्रोफाइल खोलकर उसकी फोटो को किस्स करते हुए कहती हैं।
"आई लाइक यू टू मिस्टर हैंडसम"

उदित का मैसेज देखकर उसे भी रिप्लाई करने का सोचती है।
"सॉरी उदित
थोडा प्रोजेक्ट मे बिज़ी थी
गुड नाइट
कल बात करते है"

फोन को साइड मे रखकर दोनो हाथ जोड़ कर भगवान से प्रार्थना की
"हे भगवान मुझसे आज कोई भी गलती हुई हो तो उसे माफ करना। मुझे हमेशा आगे बढने की प्रेरणा देना। मैने तो दोनो मे से किसी एक से मैच करवाने के लिये बोला था ओर आपने तो दोनो से करवा दिया। थैंक्यू सो मच भगवान जी।

अगले दिन अहाना पूरा दिन सोती है की अचानक से महिमा की कॉल से उसकी आंख खुलती है।

"सो मैडम आज का प्लान ऑन है ना?"
महिमा ने पुछा।

अहाना घड़ी देखती है दिन के 12 बज गए है। आज इतनी देर तक सोई।

"ऑफ़कोर्स महिमा
ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या?
एक काम करना तू शाम मे यही आ जाना साथ मे चलेगे।"
अहाना ने उसे कहा।

"वैसे तो मैं आमिर के साथ आने वाली थी। लेकिन तेरा ऑप्शन मुझे अच्छा लगा। ओके शाम मे मिलते है।"
हँसते हुए महिमा ने कहा।

"अहाना तुम दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही हो।
लेट नाइट तक फोन पर लगी रहती हो।
हर हफ्ते तुम्हे क्लब जाना होता है।
ओर ये बियर कबसे पीना शुरू कर दिया?"
अहाना की माँ ने हाथ मे बियर की बॉटल पकडे हुए सवाल किया।

"यार मॉम
इट्स जस्ट अ फ्रूट बियर
इसमे इतना चिल्लाने वाली कौनसी बात है?
मॉम यही तो लाइफ है। महीने मे दो बार ही तो क्लब जाती हूँ ।
ओर रात को फोन पर मैं प्रोजेक्ट करती हूँ।"
इतना कहकर अहाना अपनी माँ को फोन पर कुछ स्क्रीनशॉट दिखाती है।

"अच्छा जो भी है।
लेकिन हमारी छूट का ज्यादा फायदा मत उठाना।
ओर चल खडी हो कुछ खाकर अपने कमरे की सफ़ाई करो।
देखो कितना बिखरा हुआ पड़ा है।"
अहाना का माथा चूमते हुए उसकी माँ उसे कहती है।

ओके मॉम चलो आप नाशता लगाओ इत्ने में मैं फ्रेश होकर आती हूँ ।

"ट्रिंग ट्रिंग
शौर्य का फोन?

"हेल्लो गुड नून शौर्य"
फोन उठाते ही अहाना बोलती है।

"गुड नून अहाना
कहा हो सुबह से,कोई मैसेज का रिप्लाई नही कोई फोन का जवाब नही?
सब ठीक है ना?"

"अरे मैं बस अभी उठी हूँ। कल रात को लेट सोयी थी ओर आज कॉलेज भी नही है तो सोचा आराम से उठूँ "

"ओके तो आज के छुट्टी के क्या प्लानस है आपके?"

"शौर्य क्या तुम क्लब जाते हो?"

"हाँ कभी कभी
क्यो क्या हुआ?"

"अरे कुछ नही
आज रात को मैं ओर मेरी दोस्त हौज़ खास विलेज मे जा रहे है।
तो मैने सोचा अगर तुम फ़्री हो तो शाम को वही मिलते है।"

"कुछ देर सोचने के बाद शौर्य जवाब देता है।
ओके अहाना, वैसे तो मैं महीने या दो महीने मे एक बार ही जाता हूँ । चली आज चलते है। इसी बहाने आपसे मिलना भी हो जायेगा। चलो मैं ऑफ़िस मे काम कर रहा हूँ। शाम को मिलते है।"

"ओके बाय शौर्य"

फ्रेश होकर अहाना बाहर मॉम के साथ नाशता करने जाती है। वापस आकर कमरे के गेट पर खडे होकर अपने रुम को देखती है। सच मे कितना बिखरा हुआ है।

अपने म्यूज़िक बॉक्स पर गाने चलाकर अहाना कमरे की सफाई करनी शुरू करती है।

"कभी जो बादल बरसे,
मैं देखूं तुझे आँखें भर के
तू लगे मुझे, पहली बारिश कि दुआ

तेरी पहलु में रह लूं
मैं ख़ुद को पागल कह लूं
तू ग़म दे या ख़ुशियाँ, सह लूं साथिया…"

ओर दरवाज़े पर महिमा की दस्तक होती है।

........ शेष अगले भाग में .......