London Tour ki Yaaden 3 Last Part in Hindi Travel stories by S Sinha books and stories PDF | लंदन टूर की यादें - भाग 3 - अंतिम

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लंदन टूर की यादें - भाग 3 - अंतिम

लंदन टूर की यादें - अंतिम भाग 3

एडिनबर्घ और लंदन टू पेरिस ट्रेन यात्रा . लंदन से पेरिस लौटने समय मुसीबत के समय एक अजनबी ने कैसे सहायता की …


चौथा दिन


हमने पिछली रात ही सोच लिया था कि अब और लंदन में देखने के लिए कुछ खास नहीं बचा है . हमारे पास अभी तीन दिन और थे . हम लोगों ने स्कॉटलैंड में एडिनबरा जाने का प्रोग्राम बनाया . यह लगभग अनप्लांड था . हमने वहां कोई होटल बुकिंग पहले से नहीं की थी . लंदन के होटल वाले ने बताया आप वहीँ जा कर स्टेशन से बुक कर सकते हैं . एडिनबरा स्टेशन पर आपको हेल्प बूथ दिखेंगे , वहां से इंस्टेंट होटल आदि बुक कर सकते हैं .


हमने होटल को बता दिया था कि अगले दिन ब्रेकफास्ट के बाद चेक आउट कर जायेंगे . हम लोगों को एडिनबरा से सीधे पेरिस लौटना था . हालांकि पेरिस लौटते समय लंदन होते हुए ही जाना था और वहां चार पांच घंटे रुकना पड़ता पर इतने कम समय के लिए होटल में रुकने का कोई मतलब नहीं था . बेकार का बहुत पैसा बर्बाद करना था .


लंदन से सुबह नाश्ता कर हम स्टेशन गए .एडिनबरा का टिकट रात में ऑनलाइन बुक कर लिया था . साढ़े चार घंटे बाद हम एडिनबरा रेलवे स्टेशन पर थे . स्टेशन पर एक ‘ मे आई हेल्प ‘ बूथ से ही होटल बुक किया हालांकि होटल जाने पर पता चला कि डायरेक्ट होटल बुक करने से 15 पाउंड कम लगता , 15 पाउंड उस बूथ वाले का कमीशन था . हमारा अच्छा चूना लग गया .


एडिनबरा का मशहूर कैस्ल ( किला ) गए . किला तो भव्य था ही साथ में किले में वॉर मेमोरियल , वन O clock गन , युद्ध बंदियों की गैलरी , पुरानी महारानी के ड्रेस , हाफ मून बैटरी आदि देखने लायक थे . मरकट टूर भी देखने लायक है हालांकि कुछ भूतहा कहानी और आवाजें डरावनी थीं . दूसरे दिन लगातार बारिश हो रही थी इसलिए बस और टैक्सी में बैठे बैठे शहर घूम सके थे .


पांचवा दिन


आज एडिनबरा से लंदन होते हुए पेरिस लौटना था . हम लोगों का पेरिस का टिकट यूरो स्टार से कल का था . चाहते तो एक दिन और लंदन रुक सकते थे पर वह पैसों की बर्बादी होती . हमलोग लंदन किंग क्रॉस स्टेशन पहुँच कर कल वाला टिकट कैंसिल कर आज का लेना चाहते थे . पर बुकिंग ऑफिस ने बताया कि 150 पाउंड प्रति टिकट देना होगा . यह बहुत बड़ी रकम थी . हमलोग उदास हो कर एक कोने में बैठे विचार कर रहे थे कि एक भारतीय दिखने वाला रेलवे का अफसर नज़र आया . मेरे पति की तबीयत भी कुछ ठीक नहीं लग रही थी .


मैं बेटी के साथ उसके पास गयी और हमने अपनी समस्या बताई . उसने हमारा कल वाला टिकट ले कर कहा “ आप लोग घबराएं नहीं , मैं देखता हूँ मैं कैसे आपकी मदद कर सकते हैं . मैं गारंटी नहीं देता पर उम्मीद है कोई हल निकल आएगा . आप यहीं रुकें मुझे कुछ समय लगेगा . “


इधर हम घबरा रहे थे कि हमारा टिकट भी ले गया वह , कहीं कोई फ्रॉड नहीं हो . कोई 20 -25 मिनट बाद वह आदमी आता दिखा . उसने आ कर कहा “ ये रहे आपके तीन बोर्डिंग पास . आपकी ट्रेन सामने वाली प्लेटफार्म पर 45 मिनट बाद है .आप जल्दी करें . “


परदेस में एक अजनबी से मुसीबत में मदद मिलने से हम बहुत खुश हुए . मैंने उसे धन्यवाद और दुआएं दी और हमलोग प्लेटफार्म की ओर बढ़ गए . हमने देखा कि तीनों बोर्डिंग पास पर उसने लिखा था “ ऐज अ गुड विल गेस्चर . “ और नीचे में उसका सिग्नेचर था . उस सिग्नेचर से हम लोग उसका नाम नहीं जान सके .


जल्दबाजी मैं उसका नाम पूछना भूल गयी . साथ में यह भी नहीं पूछ सकी कि वह इंडिया में कहाँ का रहने वाला था या वह इंडियन था या नहीं . पर जो भी रहा हो बिलकुल सही लिखा था उसने यह एक गुड विल गेस्चर ही था उस अजनबी का .


करीब साढ़े पांच घंटे बाद हमलोग फिर पेरिस गार डु नॉर्ड स्टेशन पहुंचे . वहां से टैक्सी ले कर फाउंटेन ब्लू पहुंचे जहाँ बेटी का बिजनेस स्कूल, इनसियाड , है . वहीँ स्कूल के पास ही एक वन रूम अपार्टमेंट में बेटी रहती थी . बेटी ने कहा आज आप लोग दिन भर आराम करें फिर शाम को लोकल घूमने चलेंगे . एक दिन बाद बेटी का कन्वोकेशन समारोह था

.

दीक्षांत समारोह में जाने के लिए इनसियाड की ओर से बस का प्रबंध किया गया था . समारोह जिस हॉल में था वह स्कूल से करीब आधा घंटे की दूरी पर था . वह हॉल वर्साई में था जिसके ठीक सामने फ्रांस का मशहूर शैटो था . यह विशाल शैटो यानि महल 17 वीं और 18 वीं शताब्दी के फ्रांस के राजाओं का महल है और एक विश्व धरोहर कहा गया है.


चूंकि इनसियाड बिजनेस स्कूल एक अंतर्राष्ट्रीय स्कूल है यहाँ दुनिया के अनेक देशों से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं . समारोह में कुछ विदेशी विद्यार्थियों और उनके माता पिता से भी मिलने का सुअवसर मिला . कुल मिला कर एक सुखद अनुभव रहा .


समाप्त