नमस्कार मित्रो, उम्मीद है आप सभी कुशल मंगल होंगे। कुछ महीनों पहले हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने अपने देश हित के संबोधन में 'आत्मनिर्भर' शब्द का प्रयोग किया। कोरोना वायरस की महामारी पूरे विश्व में हाहाकार मचा रही है उस समय पर भारत देश के पास सबसे सुनहरा मौका है 'आत्मनिर्भर' बनने का और इसी संदर्भ में हमारे प्रधानमंत्रीजी ने भी देश को संबोधित किया। आइए देखते है और समझने की कोशिश करते है कि क्या है ये 'आत्मनिर्भरता'?
प्रधानमंत्रीजी ने अपने भाषण में इस बात का बार बार ज़िक्र किया कि हमें 'आत्मनिर्भर भारत' बनना चाहिए। उनके भाषण के अनुसार समझा जाये तो, उन्होंने ये कहीं पर ज़िक्र नहीं किया है कि हमें किसी भी देश का विरोध करना है या फिर किसी भी देश की साधन सामग्री का बहिष्कार करना है। उन्हीं के शब्दों में कहा जाए तो, हमें 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी पूरा 'विश्व एक परिवार' की सोच को आगे बढ़ाते हुए आत्मनिर्भर बनना है। प्रधानमंत्रीजी ने ये ज़ोर देकर कहा कि आत्मनिर्भरता कोई आत्मकेंद्रित व्यवस्था नहीं है, मतलब की भारत को अगर आत्मनिर्भर बनना है तो सिर्फ अपने देश को केंद्रित कर के नहीं सोचना है परंतु पूरा विश्व एक परिवार है ये सोच रखकर हमको आत्मनिर्भर बनना है। यहीं सोच हमें आगे प्रगतिशील बना सकती है और भारत की प्रगति में विश्व की भी प्रगति का अवसर है। अब तो पूरी दुनिया को भी भारत से बहुत उम्मीदें है कि भारत इस विश्व में बहुत ही अच्छा बदलाव ला सकता है। बस हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना है। पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या हम ये कर रहे है? सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हम अपने आप से किसी की भी बात को अपने मतलब की या फिर अपने फायदे की बात में तब्दील कर देते है। आत्मनिर्भर बनना मतलब चीन देश का विरोध करना बिल्कुल नहीं है, परंतु कुछ लोगो ने ये बात कुछ ज़्यादा ही serious ले ली है और निकल पड़े है चीन देश का और चीन की प्रोडक्ट का बहिष्कार करने। चीन देश की राजनीति चाहे जो कुछ भी हो परंतु जब हमारे देश के प्रधानमंत्री की बात का कुछ और ही मतलब निकाला जाने लगे तो हमें एक नागरिक के तौर पर सावधान हो जाना चाहिए। प्रधानमंत्रीजी ने अपने भाषण में कहा, इस समय में भारत जो कुछ भी करता है उसका पूरे विश्व पर असर पड़ता है यहां तक कि इस देश में खुले में शौच जाना बंद करने की बात का भी पूरे विश्व पर असर पड़ता है ये बात भी प्रधानमंत्रीजी ने बड़ी सहजता से कही थी। टी.बी., कुपोषण और पोलियो के खिलाफ भारत जो अभियान कर रहा है उसका भी पुरे विश्व पर काफी असर पड़ा है। भारत देश ने ऐसी तो कई उपलब्धियां प्राप्त की है जिसने पूरे विश्व को चौकाया है और साथ ही पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। प्रधानमंत्रीजी ने International Solar Alliance यानी आंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का भी ज़िक्र किया जो सौर ऊर्जा पर आधारित 121 देशो का सहयोग संगठन है और इसकी पहल सर्वप्रथम भारत ने की थी। भारत ने विश्व को International Yoga Day यानी विश्व योगा दिवस की भी भेट दी है, जिसका ज़िक्र भी प्रधानमंत्रीजी ने किया। भाषण में और इस लेख में भारत ने पूरे विश्व को क्या क्या अर्पित किया है ये बता पाना असंभव है पर कहने का तात्पर्य ये है कि भारत अगर चाहे और ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। 'आत्मनिर्भर भारत' बनने के लिए हमें Best Product Manufacture करनी होंगी, Product की Quality भी upgrade करनी पड़ेगी, Supply की chain भी मजबूत बनानी होगी। ऐसा करने के लिए हमें दृढ़ संकल्प लेना होगा और जैसा कि प्रधानमंत्रीजी ने कहा, हमारे पास अब 'चाह' भी है और 'राह' भी है, बस देर है तो सिर्फ अपने अंदर बदलाव लाने की।
आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्रीजी ने हमें 5 Pillars पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है, जिनमें से पहला है Economy। भारत की Economy हमें हंमेशा ऊपर की ओर रखनी है और इसके लिए एक Quantum Jump लाना बहुत जरूरी है जो Best Product Manufacture, Quality Upgrade और Supply की chain मजबूत करने से ही संभव है। दूसरा pillar है, Infrastructure, जो अर्वाचीन भारत का प्रतिनिधित्व करता है। तीसरा pillar है System, जो पुराने भारत को नहीं बल्कि 21वीं सदी के भारत के सपने को आकार देगा और जो सही मायने में Technology Driven होगा। चौथा pillar है Demography, यानी जनसंख्या जो इस democracy में भारत की मजबूती बनेगा। पांचवा pillar है Demand, जाहिर है जब हम हर तरह से मजबूत होंगे तो पूरे विश्व में हमारी बनाई गई प्रोडक्ट की Demand बढ़ेगी और जैसा कि हमें पढ़ाया जाता है, Demand बढ़ेगी तो Supply की chain भी मजबूत होंगी और Supply की chain मजबूत होंगी तो Demand भी बढ़ेगी। इस प्रकार से Demand और Supply एकदूसरे के पूरक है। इसके उपरांत प्रधानमंत्रीजी ने 'आत्मनिर्भर भारत योजना' अंतर्गत 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज भी देने की घोषणा की। दोस्तो आत्मनिर्भर भारत या फिर Make In India ये पहल आजकल के नहीं है पर अगर हम इतिहास पर नजर करे तो ख्याल आएगा ये 'स्वदेशी आंदोलन' का ही एक हिस्सा है जो अलग अलग समय पर अलग अलग लोगो के नेतृत्व में चली थी। 1850-1904 के बीच दादाभाई नवरोजी, गोखले जी, इत्यादि। 1905-1917 तक Bengal के Partition पर इस आंदोलन ने फिर नया रुख लिया और इसके बाद 1918-1947 तक भारत की आज़ादी के लिए महात्मा गांधीजी का सबसे महत्वपूर्ण हथियार साबित हुआ। इस बात पर गौर करे तो हमें जानने को मिलेगा की हर समय में भारत ने स्वदेशी आंदोलन किया है बस हर बार उसके नए नाम और रूप रंग रहे है। जब कि एक कड़वी सच्चाई ये भी है दोस्तो की इस युग में कोई भी देश पूरी तरह से 'आत्मनिर्भर' नहीं है। अगर हम आज से भी शुरू करे तो भी हमें पूरी तरह से 'आत्मनिर्भर' बनने में कई साल लग जाएंगे। इसलिए हमें पूरे विश्व को साथ रखकर अपने देश को आत्मनिर्भर बनाना है।
हंमेशा की तरह इस लेख का भी समापन कुछ हँसी बिखेरनी वाली बात से करूंगा। एक दोस्त ने 'आत्मनिर्भर' की बात सुनकर ही एक नए आंदोलन की शुरुआत कर दी। उसने अपने मोबाइल पर tiktok app को uninstall किया और playstore में जाकर उसको 1 स्टार की rating और review दिए और तो और उसने दूसरे लोगो को भी ये करने को कहा। मुझे जब उसने ये कहा तो मैंने उससे कहा, "मैं तो ये app इस्तेमाल भी नहीं करता, पर तूने ये आंदोलन शुरू ही किया है तो ये भी बता की अब तू अपने चीनी product Xiaomi के फ़ोन का कब बहिष्कार करेगा। किसी गरीब को दे देना शायद उसके काम आ जाए।" ये कहकर में हँसने लगा और उस मित्र ने फोन कांट दिया। tiktok app के बारे में फिर कभी विस्तृत में चर्चा करेंगे। खैर दोस्तो मैंने तो अपनी सोच आपके सामने रखी है इसे मानना ना मानना आपके हाथ में है, पर अगर आप वाकई में आत्मनिर्भर भारत चाहते है तो प्रधानमंत्रीजी द्वारा दिये गए निर्देशन का पालन करे और किसी अंधी दौड़ में मत उतर जाइए। यहीं हमारे और हमारे देश के हित में होगा।
जय हिंद।
✍️ Anil Patel (Bunny)