Morbid - 5 in Hindi Fiction Stories by Srishtichouhan books and stories PDF | नासाज़ - 5

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नासाज़ - 5

अध्याय तीन

बग्गे की दौड़

पापलॉस की जुबानी


मैं कब कब्र में ही सो गया और मेरी आंख लग गई पता ही नहीं चला , पर अब एक चमकीली सुबह की चिलचिलाती धूप मेरे शरीर में पड़ी, जिससे मेरा शरीर जल उठा, मेरे महंगे कत्थे रंग के अर्मनी सूट में सिलवटें पड़ गई थी , मेरा पूरा शरीर एक अजीब से दर्द से बाहर निकलने कि जद्दोजहद कर रहा था, मेरा पीठ और मेरा पिछ्वाड़ा बहुत जोरों से दर्द कर रहा था, और मेरा सर इस आती हुई धूप की रौशनी में चकराने लगा, तभी मेरे कानो में फोन की घंटी बजी, यह फोन वाली घंटी कहा से आ रही थी, कुछ भी पता नहीं चल रहा था, यह शोर मैंने अपने जेबो के पॉकेट को टटोलना शुरू किया फिर मुझे यह आवाज़ मेरे लेफ्ट पॉकेट से आते मालूम हुई, तो यह मेरे मोबाइल से आ रही आवाज़ थी, मेरी आंखे उस घनघनाती आवाज़ के दिशा के तरफ मुड़ी, मैंने मुंह से ऊंघते हुए फोन हवे में ही उठा लिया, फोन के तरफ से आ रही आवाज़ में एक अजीब तरह की बैचैनी थी, लगता है माॅपी को मुझसे कुछ ज्यादा जरूरी काम था, बहुत जरूरी, मैंने अपने आस पास के माहौल को देखा,

" हा मॉपी बोलो तुम्हे क्या काम था?" मैंने नज़रें मेरे सामने के बरगद पेड़ पर टिका दी, और कब्र के मिट्टी को अपने ऊपर से झाड़ता हुआ मै लडख़ड़ाते कदमों से उठा, मेरा कमर , मेरे कमर में जोर का दर्द सनसना उठा,


" बॉस वो …. आज आपको वसूली करने जाना है , जुनेजा टेक्सटाइल कंपनी में?" उसकी दबती आवाज़ मेरे सुन्न हो चुके कानो में पड़ी , मैंने आस पास के बने कब्रों का जायजा लिया और मौरघुट के कब्र में आखिरी निशानी के रूप में पड़े उस चाकू को मैंने उठाकर अपने जेब में रख लिया , पर मुझे यह बात बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही थी कि जुनेजा टेक्सटाइल कंपनी का आज कोई तारीख नहीं था मेरे दिमाग में, जुनेजा टेक्सटाइल !! यह नाम मेरे दिमाग में घूम रही थी, मेरे नथुनों से आती फुफकारती सांसें एकदम रुक गई,


शायद यह एक खतरे की घंटी थी, मतलब पुलिस मेरे पीछे पड़ी है, जरूर महजबीन के हरामजादे आशिक़ ने पुलिस को मेरे पीछे लगा दिया होगा, हा यही बात थी, और कुछ बात नहीं हो सकती, तो इसका मतलब मुझे यहां से जल्दी भागना था, मेरे जूतों में अब भी कीचड़ लगा हुआ था, जुनेजा का आलीशान फैक्ट्री यहां से कुछ ही दूर में था, और उस सूअर के पिल्ले ने मुझे दो महीने से हफ्ता नहीं दिया था, पर पुलिस मुझे ढूंढते हुए यहां आ सकती है , मुझे अब यह कब्र जलाना होगा , हा मै बस यह कब्र जला सकता हूं , पर आज नहीं , आज मुझे यह चाकू लेकर भागना है , मैंने फिर से इसके ऊंची दीवारों के धसते ईंटों में अपने दलदली पैर जमाने की कोशिश की , और जैसे तैसे उस दीवार को फांदता हुआ मै छुरी गली में आ पहुंचा, छुरी गली अपने धार दार छुरियों के लिए काफी मशहूर था, और साथ ही यहां पर खूबसूरत लड़कियों की भी तस्करी होती थी, मै हालांकि लड़की तस्करी के काम में बिल्कुल भी हाथ नहीं डालना चाहता था, हा पर मेरे माफिया ग्रुप में वैश्या और तवायफों को बार में नौकरी मिली हुई थी, पर वे लड़कियां खुद की मर्ज़ी से इस काम में अ आई थी, किसी ने भी उन्हें जबरदस्ती नहीं डकेला था,


बाज़ार की खूबसूरती देखते ही बनती थी, छुरी गली वाली हसीनाएं दिल को चीर देने वाले हुस्न के खंजर के समान थी थीखी यार धारदार, मैंने कई लड़कियों को अपनी टेढ़ी मुस्कान दी , कई मुझे इशारे से बुलाती थी, कई ने मेरे मुंह पे अपने दाम फेके, एक ने मेरे हाथो को पकड़ लिया

" जनाब ! 100 रुपए में भी चलेगा!" मैंने अपने हाथों को उसके जकड़न वाले पकड़ से आजाद किया और उसे मुझसे दूर किया,


" अरे हट जा संगीता , आज मेरा मूड नहीं है, चल छोड़ मुझे," मैंने उस लड़की से जिसकी आंखें हल्की भूरी और बादामी रंग की थी , को दूर किया, मुझे उस लड़की से सिर्फ रातों का वास्ता था, अब मुझे उस लड़की में कोई रुचि नहीं थी, मै खलनायक था पर हैवान नहीं, मुझे पता है कि उसकी बीमार मा को दमे की बीमारी थी, पर मै उसकी मजबूरी का फायदा नहीं उठा सकती थी, मैंने अपने वॉलेट से पैसे निकाले और उसे देकर उसकी मां के इलाज के बारे में कहा, मुझे अभी जुनेजा से वसूली करना था , मुझे अभी अपने रूटीन चेकअप के लिए मिस नतालिया के पास भी जाना था, मिस नतालिया मुझे जमकर इशारे और कलाबाजियां दिखाती थी, उसे मुझमें खासी दिलचस्पी थी पर मै महजबीन के हुस्न में गिरफ्तार था, और इसलिए मैने नतालिया को दर किनार कर दिया था, पर लगता है रूटीन चेकअप के साथ साथ अब उसका मेरे अतरंगी जरूरतों की भी डॉक्टर बनना जरूरी था,


पर अब सवाल यह था कि मै जुनेजा के पास जाऊं या फिर नतालिया के पास, मुझे नहीं पता कि पुलिस की टीम मुझे महजबीन के खून के इलज़ाम में कहा कहा तलाशी करने के लिए छापा मारेगी , बाबिल के लिए तलाशी नहीं हो सकती थी, वो अपने गैंग का निजी मामला था, पर क्योंकि महजबीन लाला दोहाद की ऑफिशियल रखैल बन चुकी थी तो लाला को तो मुझसे खुन्नस निकालने की चुल सी मच गई थी, मैंने पुलिस के गाड़ी की सायरन सुनी, लगता था कि मेरे बारे में पूछताछ का काम शुरू हो चुका था, लौंडियों और वैश्याओं से मेरे बारे में खोज खबर होने लगी , मैंने पास के कैफे के किनारे लगे बेंच में बैठे एक चाय पीते हुए आदमी के सर की टोपी चुरा कर भागने लगा, वह पीछे से चिल्ला रहा था

" चोर चोर!" मैंने अपने गले में एक गाली को निकलने से दबा लिया, सूअर कहीं का ! मै बिजली की तेजी से भाग रहा था , अब पुलिस के टीम की नजर मेरे ऊपर पड़ चुकी थी, वे लोग मेरी तरफ बड़ी तेजी से बढ़ रहे थे, मैंने हवेे में गोलियां चला दी, आज मुझे एक मामूली चोर के जैसे भागना पड़ रहा था, मेरे औकात से सबसे निचला काम, राह चलते लोग सहम गए, वो टोपी वाला आदमी वहीं रुक गया, पुलिस वालों ने गाड़ी को घुमा लिया और एक किनारे हो गए,


" आगे मत बढ़ना !" मैंने चेतावनी दी और एक पास रखी मोटरसाइकिल को अपनी पॉकेट नाइफ से अनलॉक कर उसको किक करते हुए थोड़ा दूर निकल गया, अब पुलिस वालों को मौका मिल गया, वे मेरे पीछे अपने पुलिस जीप में पीछा करने लगे, मै इस पुलिस वाले को जानता था, इंस्पेक्टर संड्रो गोंजाल्विस, कालचिरौध का सबसे जाबाज़ और ताकतवर इंस्पेक्टर, इसका और मेरा छत्तीस का आंकड़ा था, और बदकिस्मती से लगता है इसे है मेरे केस में पीछे लगाया गया था, मैंने गाड़ी की स्पीड और तेज की, लगता है आज मेरी शामत आयु है, पुलिस की गाड़ी लगातार मेरा पीछा कर रही थी, हरामजादे! चैन से कब्र में भी सोने नहीं दिए,कई छोटे गलियों को पार करता हुआ मै गोडसे चौक से निकलते हुए सिनेमा हाल के तरफ आ चुका था, गाड़ी के आयिने से मुझे मेरे पीछे पागल कुत्ते के तरह पड़े पुलिस कि गाड़ी साफ दिखती थी, वो लोग मेरा टायर पंचर करने की शत प्रतिशत कोशिश कर रहे थे, पर अफसोस की मेरी किस्मत इतनी बड़ी कुतिया थी, कि उस सैंड्रो का निशाना इस बार ठीक मेरे गाड़ी के पिछले टायर में जा लगा, मादरचोद ! मै भौंक उठा, अब वो अपनी पुलिस गाड़ी के खिड़की से बाहर निकल कर लगातार मेरे टायरों को पंचर करने पे तुला था, और इससे बचने के लिए


मैंने धीरे धीरे इत्र वाली दुकान से सटे एक किनारे वाले पतली गली में गाड़ी भगाने की नाकाम कोशिश की पर टायर जवाब दे चुकी थी और मेरे फूल एक्सेलेरेटर देने के कारण मोटरसाइकिल एक ओर जा गिरी और मै वहां कुड़ों के ढेर के एक ऊंचे मलबे को फांदता हुआ, किसी के ऊपर जा गिरा, हालांकि पुलिस उस सकरी गली में अपनी गाड़ी नहीं घुसा सकती थी,

मेरे शरीर का पिछला हिस्सा कंक्रीट से रगड़ खाता हुआ मेरे ऊपर लदे बोझ को झेल रहा था,मैंने एक लड़की को देखा, मतलब मेरे ऊपर एक लड़की आ गिरी थी, वो भी मुझे अपने काले बड़े बड़े आंखों से देख रही थी, मैंने उसे अपने ऊपर से जोर से धकेला,

"आह्ह्हह्ह! " वो जोर से चीखी उसकी तेज आवाज़ से मेरे कान फट गए, पतली तेज मिर्ची वाली जबान के अंगारे, मैंने उसके नाज़ुक कमजोर शरीर को देखा, और अपना कमर सीधा करते और अपनी पीठ की मालिश करते उठ खड़ा हुआ,


" तुम बदतमीज के साथ साथ जाहिल भी हो!" उस लड़की ने अपनी करहाती हुई आवाज़ में कहा, उसकी एक बड़ी थैली जमीन में बिखर गई जिससे फेनाइल जैसी गंध आ रही थी, यह गली फैक्ट्री में काम कर रहे लोगो के रहने का बसेरा था,


" कितनी भयानक बदबू है, तुम नहाती नहीं हो क्या?" मैंने नाक सिकोड़ते हुए उससे दूर से ही पूछा, वह मुझे बड़े अजीब तरीके से घूर रही थीं , उसकी वो काली आंखें जिसमें उसने काजल की एक पतली परत चढ़ा रखी थी, पता नहीं धूप की रौशनी में जैसे झिलमिला उठ रही थी, उस लड़की में कोई ऐसा आकर्षित करने वाला कोई खास जादू या सुंदरता नहीं थी, पर पता नहीं मुझे कुछ खींचाव सा महसूस हो रहा था।


मैंने उसके भूरे बालों को देखा जो उसके कमर तक आता था, वह हल्का नीला सस्ता जीन्स पहनी हुई थी, उसने ऊपर में एक काला टीशर्ट पहना हुआ था, और अपनी भौंहे चढ़ाए मुझे बड़े गुस्से से देख रही थी,


" तुम मुझे एक पागल कुत्ते जैसे लग रहे हो!" उसने पलट कर एक थीखा जवाब दिया, और मैंने अपनी दाई जेब से अपनी सफ़ीना निकाल कर उसके माथे में तान दी,


" अपनी बकवास बंद कर दो!" मैंने सफ़ीना को उसके माथे पर तानते हुए उस अकड़ दिखाई,


पर मुझे उसमें डर की एक भी झलक नहीं दिखाई दी, उल्टा उसने मुझे अपनी टेढ़ी मुस्कान दी,


" तुम्हे मरने से डर नहीं लगता क्या?" मैंने चिढ़ते हुए उससे पूछा, यह मलबे के ढेर वाला सबसे सुन सान इलाका था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि एक लड़की फिनायल वाली बॉटल की एक बड़ी थैली के साथ यहां क्या कर रही थी, उसके कपड़े इतने भी बुरे नहीं थी कि वो मुझे एक कचरे उठाने वाली लगी, मुझे सायरन की आवाज़ फिर से मेरे कानो में पड़ी,

सबसे बड़ी उल्फत! लगता है पुलिस वाले इस गली में कभी भी आ सकते थे, मैंने उसके पतले हाथों को खींच कर उस अपने छाती से सटा लिया इससे हमारा पोजिशन ऐसा होगया कि उसकी पीठ मेरे छाती से सट गई थी, मैंने अपने होठ उसके कानो के किनारे में लाते हुए उसके कलाइयों की कसके मरोड़ दिया,

" बिल्कुल चुप रहना, एक भी आवाज़ मत करना वरना सच में जन्नत चले जाओगी, तेरा घर कहा है?" मैंने उसके कलाइयों को जोर से दबाते हुए पूछा, उसने मुझे नागिन सा फुफकारा , मैंने उसके हाथों को और कसके दबाया,

" मुझे अदाएं और आदाएं दिखाने वाली हसीनाएं बेहद पसंद है! अब मेरी जान बता भी दो कि तुम्हारा बसेरा कहा है, मेरे पास ज्यादा समय नहीं है?" मैंने दांतों को आपस में रगड़ते हुए उसे झकझोरते हुए पूछा

" वेस्ट...वेस्ट गदर गली , रो हाउस नंबर सेवन बी!" उसके लडख़ड़ाते हुए जबान ने मुझे मेरा जवाब दे दिया,


मैंने एक हल्की सी हसी बिखेरी और उसकी उन्हीं काली आंखों में झांकते हुए कहा,

" ओह! तो तुम बेचलर हो?" मैंने उसे पीछे वाली गली से अपने साथ सटा ते हुए लेकर चलने लगा,


" तुम..तुम्हे कैसे पता ?" उस लड़की ने गुस्से और डर दोनों के मिलेजुले भाव से मुझे देखा,

" मै कालचिरौंध के चप्पे चप्पे से उस तरह वाकिफ हूं जैसे, कोई शेर अपने जंगल से, और फिर वेस्ट गदर गली के रो हाउसेस ज्यादातर बैचलर्स के लिए ही मशहूर है ना! " मैंने उसे आंख मारी , उसने कोई जवाब नहीं दिया, मुझे पता था कि वो मन ही मन मुझे बड़ा गाली दे रही थी, पर वो मुझे कुछ बोल नहीं सकती थी,

" गाड़ी है क्या तुम्हारे पास?" मैंने उससे पूछा, उसने फिर जवाब नहीं दिया, मुझे अब बेहद गुस्सा आ रहा था, यह बंद गली में बेहद घुटन महसूस हो रहा था, पर पुलिस वाले चारो तरफ फैले हुए थे, मैंने उसके पीठ पे अपने नाखूनों से खरोंचा,


" मैंने पूछा कि क्या तुम्हारे पास गाड़ी है?"

इस बार उसने हा में सर हिलाया, और मैंने उससे गाड़ी की चाबी मांगी, और उसे उसके गाड़ी के बारे में पूछा उसने बताया कि वो पास के ही बिजली खंबे के पास पार्क थी, मै उस पर अपनी सफ़ीना तानते हुए ही उसके उस गाड़ी के पास ले चला, ओह हो यह तो एक बीस साल पुराने मॉडल की स्कूटर थी, जिसके सीट कवर के चीथड़े उड़ चुके थे,


" बकचोद! तुम क्या यह आदम जमाने की स्कूटर चलाती हो?" मैंने अफसोस करते हुए उससे धिक्कारते हुए पूछा!

इसपर उसने एक जवाब दिया को पता नहीं बिल्कुल अलग ही तरीके से मेरे ऊपर असर कर गया,

" जितनी औकात है उस हिसाब से यह मेरे लिए लैंबॉर्गिनी से भी बढ़कर है!" उसके आंखों में आत्म सम्मान की चमक थी, और वो लड़की अब मेरी हो चुकी थी