shreelal shukla-bishrampur ka sant in Hindi Book Reviews by राज बोहरे books and stories PDF | श्रीलाल शुक्ल बिश्रामपुर का संत

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श्रीलाल शुक्ल बिश्रामपुर का संत

श्रीलाल शुक्ल बिश्रामपुर का संत
राजनीतिज्ञों के भीतरी सिद्धांत की खोखली गाथा:
राजनारायण बोहरे
हिन्दी उपन्यास की जोरदार खेप पिछले पाठकों के समक्ष आई है, इस समृद्ध खेप में सब तरह के उपन्यास मौजूद है, खुशी की बात यह है कि इन दिनो सृजन में जुटे रचनाकारों को जहां तमाम नए लोग पूरी तैयारी तथा होमवर्क के साथ आए है, वही पुराने लोग अपने सामर्थ्य और क्षमता का बेहतर प्रयोग करके रचनाकर्म कर रहे हैं, अपने एक सशक्त और बेजोड़ उपन्यास राग दरबारी से बहुचर्चित व प्रशंसित हुए लेखक बिश्रामंपुर का संत भी हिन्दी उपन्यासों मे मील का एक पत्थर कहा जाएगा। श्री लाल शुक्ल हिन्दी उपन्यास राग दरबारी जेसा कालजयी और बेजोड़ उपन्यास लिखकर अपने विलक्षण सृजन सामर्थ्य का परिचय दे चुके हैं।
आलोच्य उपन्यास दरअसल बुजुर्ग राजनीतिज्ञ बाबू जयंती प्रसाद सिंह की आत्मा मंथन की कथा है राज्यपाल के पद पर अपने कार्यकाल के अंतिम दिन पूरा करते जयंती प्रसाद सिंह की दिनचर्या से आरंभ होकर अतीत की एक घटना की ग्लानी से दुखी होकर उनके प्राणांत करने तक फैली कथ्यभूमि में एक गांधीवादी राजनीतिज्ञ की भीतरी उठा-पटक का सूक्ष्म वर्णन है, जागीरदार और सामंत घराने के युवा जयंती बाबू भूदान गा्रमदान आंदोलन में अपने दो गांव दान करके चर्चित हो चुके थे सत्तारूढ़ पार्टी ने देखा कि उसी घराने में जयंती के बड़े भाई जन आंदोलनों के अगुआ है और इस कारण प्रायः जेल मे बंद रहते है तथा सरकार विरोधी स्वभाव के है, तो पार्टी जयंती बाबू को पद और अवसर मिलते चले जाते हैं और अंततः वे गवर्नर का पद प्राप्त करते हैं।

उनकी भीतरी इच्छा दुसरी बार राज्यपाल बनने की भी है पर प्रधानमंत्री उन्हें यह मौका नहीं देते तो कुछ दिन अपने पचास वर्षीय एकांकी बेटे विवके के साथ दिल्ली रहते हैं और वे एकाएक ( बुन्देलखण्ड में बने गांधीवादी आश्रम ) बिस्त्रामपुर मंे जाकर रहने का निर्णय ले लेते हैं, पहला तो यही की यह गांव उनके जन्म स्थान के पास हैं और दूसरा यह कि इस जगह से सुंदरी की स्मृतियां जुड़ी है। सुंदरी का नाम पाठक के मन में बार-बार पूरे उपन्यास में कौंधता है, लेखक टुकड़ांे-टुकड़ांे में फ्लेश बैक में कहानी बताते हैं जो कि जयंती बाबू की पुरानी यादों के बहाने पाठक तक पहुंचती है, सुंदरी एक समृद्ध परिवार की गांधीवादी समाज सेविका नवयुवती थी जो अपनी सखी सुशीला के साथ गुजरात में अपना घरबार छोड़कर उत्तर प्रदेश के इस सुदूरवर्ती गांव में भूदान आंदोलन के पश्चातवर्ती कामों को अंजाम देने आई हुई है।

सुंदरी पर मुग्ध हो उठे जयंती बाबू उसके इर्द-गिर्द बने रहते हैं कि एक दिन सुंदरी को बिस्त्रांमपुर के नए केन्द्र पर जाने का निर्देश मिलता है, हालांकि जयंती बाबू किसी भी किसी जिम्मेदारी के पद पर राजनीतिक नियुक्त पाने वाले है, फिर वर्षो बाद एक बार अचानक मौका आने पर प्रोढ़ हो चुके सद्गृहस्थ जयंती बाबू अपने मन की बात अपने बीस-पच्चीस साल छोटी सुंदरी को बता देते है तो स्तब्ध सी रह गयी सुंदरी वहां से चल देती है, उसकी स्तब्धता आजीवन एक गूढ़ पहेली सी बनी रहकर जयंती बाबू को परेशान करती है, जिसका रहस्य सुंदरी की मृत्यु के बाद गवर्नर पद से मुक्त होकर बिस्त्रामपूर में रह रहे जयंती बाबू को सुंदरी की अंतरंग सखी सुशीला सुंदरी के एक पत्र को पढ़वाकर बताती है तो जयंती बाबू ग्लानी से गढ़ जाते है दरअसल सुंदरी से जयंती बाबू का बेटा विवेक भी प्रणस प्रस्ताव कर चुका था और ठीक उन दिनों जबकि सुंदरी हा कहने वाली थी जयंती बाबू वह हरकत कर उठे थे, तो बोखलाई हुई सुंदरी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय ले लिया था उधर विवेक भी विवाह नही करता इस सबके लिये वे खुद को मानते हैं और अपने जीवन का व्यर्थ व बोझल समझ कर एक दिन बेतवा नदी में खुद को विसर्जित कर देते हैं, पहले तो काफी हो हल्ला होता है कि उन्हे डुबाया गया है, पर स्वयं उनका लिखा एक नोट स्थिति स्पस्ट कर जाता है कि वे स्वेच्छा मृत्यु का वरण कर रहे हैं, प्रस्तुत उपन्यास मे राजनीतिज्ञों के खोखले सिंद्धांतो के भीतरी गाथा जयंती प्रसाद सिंह की मानसिक विकृति व भुदान जैसे आंदोलनों के असफल रहने की मीमांसा, जन नेता के विरोध में तनी हुई सत्ता धनुर्धरों की प्रत्यंचा का प्रसगानुकुल वर्णन है, पूरा उपन्यास द्वंद्व का उपन्यास है और यह द्वंद्व इतना सहजगम्य व प्रभावी है कि पाठक खुद को बुढ़ियाते राजनीतिज्ञों के निकट बैठा पात्रों का दुख,दर्द,विचार, अनुभूति भोगता महसूस करता है, उपन्यास का कैनवास बड़ा होना चाहिए, एसी आलोचकों की मान्यता है प्रस्तुत उपन्यास का फलक विस्तृत होते हुए भी उसमें विविध पक्षों का गहरा विवरण व विश्लेषण नहीं है, लेकिन तमाम सीमाओं के बाद भी प्रस्तुत उपन्यास सराहना के योग्य है और यह संग्रहणीय है।