शैव्या- हाँ भाई।ये इनका ही प्लान था कि मै इनका साथ दूं। पहले तो मुझे यकीन नही था लेकिन जब इन्होने मुझे सारी बातें बताई तब मै सच का पता लगाने के लिये इनके साथ यहाँ आ गयी।भाई इतनी गलत हरकत कैसे कर गये आप्।ये बात तो मै जानती हूँ कि आपको गुस्सा बहुत जल्दी आता है और अगर कोई आपकी बात काटे तो आपको वो पसंद भी नही है।लेकिन भाई इन्होने गलत क्या कहा आप ही बताइये अगर आप किसी से गलत बात बोलोगे तो आपको कोई फुलोकी माला थोड़े ही पहनायेगा बल्कि जुते ही तो सर पर उठाकर मारेगा न्। लेकिन आप ... ।जब बात अपने घर पर आई तो आप पिघल गये और जब इन्की दोस्त जैसी बहन के साथ आपने गलत किया तब आप पत्थर बन गये।आप भूल कि आपकी घर भी दो बेटियां है।आपकी भी दो बहने है।अब अगर आपको सच मे रियलाइज हो गया हो तो इन दोनो से माफी मांगिये और सब ठीक करने की कोशिश किजिये।नही तो सबूत अभी भी है इनके पास आपका कंफेशन वाला वीडियो।जो अगर सब ने देख ली न तो आपकी जो बची खुची अच्छी छवि है न उसे खराब होने में समय नही लगेगा।माफी मांगिये।
शैव्या गुस्से में अपने भाई से सब बोल जाती है अर्पिता उसके पास आती है और उसके आंसुओ को पोंछ कर गले से लगजाती है।श्रुति सात्विक और प्रशांत अर्पिता का ये रूप देख हैरान हो जाते हैं। वहीं प्रशांत जी अर्पिता को देख मुस्कुराते हुए मन ही मन कहते है
इश्क की दुनिया के रंग भी कमाल है
कहीं चमकीले है तो कहीं लाल है
इसी इश्क़ की दुनिया में मैंने
तुम श्वेत रंग पहने थी इसका
फिर जब मिली लगी गुलाबी सी
मेरी ख्वाहिशो को जगाती सी
अब जब मिली हो तो ये लाल है
इसके हर रंग सच में बेमिसाल है...।
प्रशांत जी खुद से कहते हुए मुस्कुराते है और अर्पिता के पास आकर उसके सामने खड़े हो जाते हैं।अर्पिता अपनी आंखे खोलती है तो प्रशांतजी अपने सामने खड़ा पाती है। प्रशांत जी को अपने इतने पास देख उसकी ह्रदय की धड़कने बढ जाती है।वो शैव्या से अलग होती है और तुरंत ही श्रुतिके पास चली जाती है।एवम उसके आंसू पोछ उसे गले लगा लेती है।
श्रुति रोते हुए कहती है आज मै तुम्हे थैक यू नही कहूंगी काहे कि तुमने आज मुझे दोस्ती का सही अर्थ समझा दिया है।सच ही कहते है लोग दोस्ती के नाम पर लम्बी फ्रेंड लिस्ट रखने से अच्छा है कि एक मित्र हो लेकिन वो एसा हो जो तुम्हारे साथ हर कदम पर खड़ा रहे।उससे कभी मदद करने के लिये कहना न पड़े और मै अब कह सकती हूँ कि मेरे पास भी एक ऐसा ही दोस्त है जिसे अगर मै एक बार याद करुंगी तो वो मेरे सामने आकर खडी हो जायेगी। लव यू यार्।लवयू अप्पू कहते हुए श्रुति भावुक हो जाती है।
अर्पिता हैरानी से कहती है अप्पू? हमारा नाम तो अर्पिता है और हमें अपने नाम से बहुत प्यार है।फिर ये अप्पू काहे?
अप्पू ! इसीलिये क्युकि मुझे अच्छा लगा।और ये नाम तो मैंने तुम्हे प्यार से दिया है और अब से मै तुम्हे इसी नाम से बुलाउंगी।
ठीक है हमें कोई ऐतराज नही है।दोस्तो के बीच में चलेगा लेकिन दोस्तो के अलावा कोई और ना ले इस नाम को ये ध्यान रखना काहे कि हमने पहले ही कहा है कि हमें हमारे नाम से बहुत प्यार है। अर्पिता कहती है और चोर नजर से प्रशांत जी को देखती है और फिर से नजरे फेर उस लीडर से कहती है अब तुम्हारे लिये क्या हम निमंत्रण पत्रिका छपवाये तब जकर सॉरी कहोगे देखो बहुत समय हो गया अब शुरु हो जाओ...।तब तक वहाँ और छात्र भी आ जाते है तो वो लीडर अपने कान पकड़ उठक बैठक करते हुए कहता है
है – मै अपनी गलती एडमिट करता हूँ।श्रुति और अर्पिता के बारे में मैंने जो भी कहा वो सब झुठ था मै तो बस इनसे अपनी इंसल्ट का बदला लेना चाहता था और इसीलिये मैंने श्रुति को डरा धमका दिया। सॉरी श्रुती।सॉरी अर्पिता...।कह लीडर चुप हो जाता है।
वहाँ बाकि के छात्र और भी होते हैं उन्हे देख अर्पिता कहती है अरे तुम लोग भी आ गये।बहुत बढिया।अब तुम लोग भी तो बराबर के भागीदार हो तो सजा अकेले ये काहे भुगते।तुम लोग भी शुरु हो जाओ नही तो फिर हम शुरु हो जायेंगे।अर्पिता ने अपना हाथ उपर करते हुए कहा।अर्पिता की ये हरकत देख प्रशांत जी के मुख पर अनायास ही मुस्कान आ जाती है।बाकि के चारो भी शुरू हो जाते हैं।
कुछ देर बाद जब वो थक जाते है। उनके चेहरे पर पसीना आने लगता है ये और सांसे फूलने लगती है लेकिन उठक बैठक बंद नही करते है तो श्रुति उनके पास आते हुए कहती है आपकी सजा पूर्ण हो चुकी है।आप लोग बस करिये और जाइये यहाँ से।याद रखना शेर को सवा शेर मिल ही जाता है। हर लड़की श्रुति के जैसी कमजोर नही होती कुछ अर्पिता जैसी भी होती है । और अब से मै भी कमजोर नही हूँ।गॉट इट्।
हाँ सभी ने एक स्वर में कहा।ओके यू कैन गो नाउ अर्पिता ने कहा तो सभी वहाँ से रफूचक्कर हो जाते है।
शैव्या - अर्पिता जी सॉरी।मेरे भाइ ने जो किया वो गलत था… अरे उन्हे सजा मिल गयी न और सबक भी।अब सॉरी की कोई जरुरत नही है। अर्पिता मुस्कुराते हुए कहती है।
शैव्या- आप सच में बहुत अच्छी है।किसी और की गलती की सजा किसी और को नही देती है।थैंक यू। हमेशा ऐसे ही रहना ।अब मै भी जाती हूँ भाई को मेरी जरूरत है।वो यहाँ से सीधा घर ही जायेंगे।और आज जो हुआ है उस कारण उनका इगो हर्ट हुआ है।अच्छा लगा आपसे मिलकर।आपका झुठ भी मुझे पसंद आया कि आप और श्रुति बहने है।जबकि आप दोनो तो दोस्त है।जो भी हो आपका रिश्ता बड़ा प्यारा है।
शुक्रिया। और हमें भी आपसे मिलकर खुशी हुई ।मिलते रहेंगे।बाय् अर्पिता ने कहा।शैव्या वहाँ से चली जाती है।
प्रशांतजी बस खड़े खड़े अर्पिता की बात सुन कर हौले हौले मुस्कुरा देते हैं। वो अपना फोन निकालते है और अपने सोशल अकाउंट को ओपन करते है और अभी अभी जो चंद लाइने उनके मन में आई है उन्हे अपने पेज पर अपने फैंस से शेयर कर देते हैं..।
इश्क़ की दुनिया के रंग भी कमाल है
कहीं चमकीले है तो कहीं लाल है
इश्क़ की इसी दुनिया मे मैंने
तुम श्वेत रंग पहने थी इसका
फिर जब मिली लगी गुलाबी सी
मेरी ख्वाहिशो को जगाती सी
अब जब मिली हो तो ये लाल है
इसके हर रंग सच में बेमिसाल है...।
प्रशांत जी अपना फोन रख देते हैं।और श्रुति के पास आ जाते हैं।उन्हे अपने इतने पास देख अर्पिता एक बार फिर से अपनी धड़कनो को बढा हुआ महसूस करती है। उसकी न प्रशांत जी के हाथ पर जाती है जहाँ उनके चोट लगी हुई है।ओह ग़ॉड आपके तो चोट लग गयी प्रशांत जी अर्पिता मन ही मन कहती है और बिन कुछ कहे आगे बढ कर प्रशांत जी का हाथ पकड़ कर उन्हे वहाँ से ले जाती है।अर्पिता की इस हरकत का कारण प्रशांत जी समझ नही पाते हैं लेकिन बिन कुछ कहे उसके साथ चलने लगते हैं।
अर्पिता पास ही पडी बेंच पर जाकर उन्हे बैठा देती है और अपने बेग मे से पानी की बॉटल निकाल कर उनका हाथ आगे करती है।और उनके हाथ को साफ करती है। और धीरे धीरे कहती भी जाती है क्या जरुरत थी आपको हाथ उठाने की बिन मार कूट के भी किसी को सबक सिखाया जा सकता है।लगा ली न खुद से चोट्। देखो तो हाथ में कैसे नील पड़ गये हैं। पता नही आज कल लोगो को गुसा इतना जल्दी आता काहे है।
अर्पिता के मन में अपने लिये फिकर देख प्रशांत जी मन ही मन खुश होते हुए कहते है ये तो बहुत अच्छा साइन है मेरे लिये।अगर तुम इसी तरह मेरी परवाह करती रहो तो मै जख्म खाने के लिये भी तैयार हूँ अप्पू।
जख्म साफ होने पर अर्पिता अपने बेग मे रखा एक्स्ट्रा रुमाल निकालती है और उनके हाथ मे बांध देती है। अपनी नजरे उठा कर कुछ क्षण वो उन्हे देखती है फिर किरण का ख्याल आने पर हम अभी आये श्रुति कह कर वो तुरंत ही वहाँ से निकल जाती है।और पीछे छोड़ जाती है अपने पैरो में पहनी हुई एक लड़ी वाली साधारण सी पायल।प्रशांत जी की नजर उस पर पड़ती है और वो झुक कर उसे उठा लेते है।
“तुम्हारी पायल का यूं इस तरह मेरे पास आना ये कायनात का इशारा है किसी कहानी के शुरू होने का” और इस कहानी की शुरूआत बता रही है कि ये कहानी इस दुनिया से परे ही होगी...।इंतजार रहेगा अगली मुलाकात का।
“अप्पू” तुम्हारी ये पायल मुझे उतनी ही प्यारी है जितनी कि तुम..।मन ही मन कह कर प्रशांत जी वो पायल अपने पास रख लेते हैं।सात्विक भी अर्पिता के पीछे पीछे वहाँ से चला जाता है।
प्रशांत जी श्रुति से कहते हैं श्रुति इतनी मुश्किल में थी तुम भाई को एक बार बोलना तो चहिये था न्।प्रेम भाई यहाँ नही है तो क्या मुझसे अपनी परेशानी शेयर नही करोगी।क्या इतना डरती हो मुझसे?वैसे तो अपनी हर छोटी से छोटीसे बात मुझसे शेयर करती हो लेकिन अपनी परेशानी शेयर करने मे डरती हो काहे?
वो भाई.. वो मै डर गयी थी।कि आप न जाने कैसे रियेक्ट करो।श्रुति ने डरते हुए धीरे धीरे कहा।जिसे सुन कर प्रशांत ने कहा।तुम्हे मुझसे डरने की कोई जरुरत नही है।तुम तो हम भाइयोकी लाडली बहन हो फिर डरती काहे हो।अर्पिता को देखा घर में घुस कर धमका कर आई है।है तो वो भी लड़की ही और तुम्हारे ही उम्र की है फिर डर किस बात का।ये तो बहुत अच्छा है कि अर्पिता जैसी स्मार्ट और सुलझी हुई लड़की तुम्हारी दोस्त है जिसके निर्णय लेने की क्षमता भी कमाल की है।चुटकियो में सही निर्णय लेती है उसका साथ कभी मत छोडना।
हाँ भाई कभी नही छोड़ेंगे श्रुति ने कहा।प्रशांत जी ने एक बार फिर चारो ओर देखा लेकिन अर्पिता उसे कहीं नही दिखी।ओके श्रुति अब मै निकलता हूँ एक क्लाइंट के साथ कुछ देर बाद मीटिग है सो बाय्।और हाँ अपने दोस्तो को ट्रीट देना मत भूलना।प्रशांत जी ने जाते जाते श्रुति से कहा।जी भाई...
अर्पिता वहीं एक झाडी नुमा फूल वाले पोधे के पास बेंच पर बैठी हुई है वो प्रशांत को जाते हुए देख खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहती है... प्रशांतजी हमारा आपके सामने रहना हमारे लिये बहुत मुश्किल हो रहा है।हम आपकी तरफ खुद ब खुद खिंचे चले आते हैं जो कि गलत है। आपका रिश्ता हमारी बहन के साथ तय हो रहा है हमें पूरे मन से कोशिश करनी होगी आपके सामने न पड़ने की।यही सही रहेगा सबके लिये।
अर्पित.. तो तुम यहाँ हो।सात्विक ने अर्पिता के पास आते हुए कहा।
हम्म आज का कोटा पूरा हो गया तो चुपचाप यहाँ आकर बैठ गये हम्।वैसे तुम यहाँ कैसे? श्रुति कहाँ है प्रशांत जी तो चले गये फिर वो कहाँ रह गयी ।
अर्पिता वो यहीं है तुम्हारे पीछे।सात्विक ने कहा तो अर्पिता पीछे मुड़ कर देखती है।उसके पीछे ही श्रुति खड़ी होती है।
अर्पिता – तो अभी तक हमारे दोनो दोस्त अपने दुखी दिखने वाले किरदारो से बाहर नही निकले।जो अभी तक ये लटका हुआ चेहरा बना कर घूम रहे हो।
अर्पिता की बात सुन सात्विक खुशी से उछलते हुए कहता है तो इसका मतलब तुमने मुझे अपना दोस्त मान लिया। सच में अर्पिता बोलो न अब से मै भी तुम्हारा दोस्त हूँ न हमारी दोस्ती सच में हो गयी न्।
हाँ जी हो गयी।इस मुश्किल समय में तुमने श्रुति का साथ नही छोड़ा इसका मतलब यही हुआ कि तुम दोस्ती के लायक हो इसे ताउम्र निभा सकते हो।अर्पिता ने कहा तो सात्विक खुश होते हुए अपना हाथ आगे बढा देता है जिसे देख अर्पिता अपने दोनो हाथ जोड़ लेती है।अर्पिता की इस हरकत पर सात्विक और श्रुति दोनो ही हंस पड़ते है। इसी बात फाइव स्टार हो जाये सात्विक ने कहा और अपने बेग में रखी हुई चॉकलेट निकाल कर अर्पिता की ओर बढा देता है और तीनो मिल कर उसे फिनिश करते हैं।
कुछ देर बाद तीनो वहाँ से अपने अपने घर के लिये निकल जाते हैं। मासी हम आ गये हैं अर्पिता ने घर मे प्रवेश करते हुए बीना जी से कहा।
बीना जी – अच्छा किया बिटिया जो आज कुछ जल्दी आ गयी है। शोभा जी का फोन आया था दुलहन के लिये शॉपिंग करनी है तो उनका कहना है किरण को राधिका बिटिया के साथ भेज दे दोनो साथ में मिलकर शॉपिंग कर लेगी तो तुम भी किरण के साथ चली जाना।शाम के पांच बजे मॉल में पहुंचना है।
ठीक है मासी।अर्पिता ने कहा और वहाँ से कमरे में चली जाती है।कुछ देर बाद किरण भी कॉलेज से आ जाती है।दोनो तैयार हो जाती है और कुछ देर बाद दोनो मॉल के लिये निकल जाती है।राधिका श्रुति और परम तीनो मॉल के कैंटीन एरिया में बैठ कर अर्पिता और किरण का इंतजार कर रहे होते हैं।
अर्पिता राधिका जी ने कहा था कि वो कैंटीन एरिया में बैठी हुई है।हमे वही चलना होगा।ओके किरण्। अर्पिता और किरण दोनो कैंटीन में पहुंचती है।
किरण राधिका से मुस्कुराते हुए हेल्लो कहती है राधिका मुस्कुराते हुए उठती है और हाथ जोड़ कर उसे नमस्ते कहती है।राधिका का अभिवादन सुन किरण अपनी जीभ दांतो तले दबा लेती है और हाथ जोड़ कर नमस्ते करती है।
राधिका :: इट्स ओके। किरण कोई बात नही आप कुछ देर यहाँ बैठिये हम एक फोन कॉल करके आते हैं।फिर हम लोग शॉपिंग कर लेते हैं।हाँ किरन धीमी आवाज में कहती है और वहीं बैठ जाती है।राधिका वहाँ से चली जाती है।
अप्पू चलो हम लोग चल कर वहाँ बैठते हैं। हमने यहाँ बैठ कर बातें करी न तो इन दोनो को डिस्टर्ब हो जाना है।श्रुति ने परम की ओर देख कर कहा जो अपने मोबाइल की दुनिया में घुसा हुआ होता है।
हम कुछ समझे नही अर्पिता ने कहा।तो श्रुति उसके कानो के पास जाकर कहती है अरे यार समझा कर न प्राइवेसी नाम की भी कोई चीज होति है।और अब ज्यादा बातें न बना हम वहाँ जाकर बैठते है।चलो अब श्रुति ने अर्पिता से कहा।
अर्पिता श्रुति की बातो से कनफ्युज हो जाती है और कहती है लेकिन श्रुति हम सच में नही समझे कि तुम्हारे कहने का क्या मतलब है।
मै समझाती हूँ तू बैठ यहाँ। श्रुति ने कहा।
ओके कह दोनो दूसरी टेबल पर जाकर बैठ जाती है।
तब तक राधिका वहाँ आ जाती है और उन दोनो के ही साथ बैठ जाती है।
राधू अर्पिता की ओर देख उससे कहती है आप अर्पिता है श्रुति की दोस्त्। कल भी हम लोग मिले थे लेकिन अच्छे से बातचीत ही नही हो पाई।
कोई बात नही हम भी यहीं है और आप भी आराम से बातें करते हैं।अर्पिता ने कहा।
हाँ सही कहा आपने। तो अपने बारे में कुछ बताइये कहाँ से है आप क्या करती है?
जी हम आगरा से हैं।अभी तो पढाई कर रहे है संगीत क्षेत्र में करियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं।इसीलिये लखनऊ आये हैं क्यूंकि भारत में संगीत के लिये प्रसिद्ध कॉलेज में से एक यहाँ लखनऊ में स्थित है।अर्पिता ने सीधे शब्दो में सलीके से कहा।
ये तो अच्छी बात है।रधिका कहती है। ये दोनो बातेंकर ही रहे होती है कि अर्पिता की नजर उसके सामने बैठे हुए प्रशांत जी पर पड़ती है जो अपने क्लाइट के साथ मीटिंग में व्यस्त होते हैं।उन्हे देख अर्पिता एक दम से खामोश हो जाती है और कहती है ये यहाँ.....?