Kaisa ye ishq hai - 16 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 16)

Featured Books
Categories
Share

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 16)

आज न जाने कैसी खामोशी का एहसास हो रहा है हमें जैसे कि कहीं कुछ सही नही है।आज श्रुति सात्विक भी नही दिखे हमें आये नही है क्या अब तक। या हम ही लेट हो गये हैं समय तो देखे जरा, कितना बज रहा है सोचते हुए अर्पिता अपने को ब्लिक कर उसमे समय देखती है तो सुबह के दस बज रहे हैं।


हम ही लेट हो चुके हैं पांच मिनट।दोनो क्लास में होगे।नाराज होंगे तभी यहाँ नही रुके हैं नही तो ऐसा कभी नही हुआ कि अगर हम में से कोई नही आया तो उसके बिना क्लास में चला जाये।चलो क्लास में जाकर देखते हैं दोनो से सॉरी कह देंगे। सोच अर्पिता मुस्कुराते हुए लेक्चर रूम की ओर आगे बढ आती है चलते हुए उससे एहसास होता है कि वो जहाँ से भी आगे बढ रही है उसके पीछे कॉलेज के छात्रो की नजरे आ रही है।




वो रुक कर अपने आस पास देखती है तो पाती है कि उसके पीछे पीछे लड़के लड़्किया चले आ रहे हैं। उसे ये देख अजब महसूस होता है वो रूक जाती है और पीछे मुड़ कर उनसे कहती है, “आप लोग हमारे पीछे पीछे काहे आ रहे हैं” आप लोगो को अगर कुछ कहना है तो साफ साफ कहिये यूं इस तरह किसी के पीछे आना कहाँ तक सही है।




अर्पिता की बात सुनकर वो सभी उससे कहते हैं हम देख रहे हैं कि तुम मे क्या खास बात है जो तुम्हारे और तुम्हारी दोस्त श्रुति के पूरे कॉलेज में चर्चे हो रहे हैं।वरना तुम्हारी जैसी लड़की के पीछे पीछे आने में हम में से किसी को रुचि नही है।


क्या क्या कहा आप सब ने हमारे और श्रुति के पूरे कॉलेज में चर्चे हो रहे है लेकिन किस कारण से हो रहे है हमें कुछ समझ नही आ रहा है न जाने आप सब किस बारे में बात कर रहे हैं।अर्पिता ने हैरानी से उन लोगो से पूछा।




हम काहे बताये बोल तो ऐसे रही हो जैसे स्वयं अनजान हो इन सब बातों से। आगे खड़े कुछ छात्र रोषपूर्ण लहजे का उपयोग करते हुए कहते है।अर्पिता कुछ समझ ही नही पाती है तो आगे बढ जाती है जहाँ उसकी नजर कॉलेज के बागीचे में बैठी हुई श्रुति पर पड़ती है उसके साथ ही सात्विक भी होता है।अर्पिता इस बात से अंजान कि उसके एक दिन कॉलेज ना आने की वजह से क्या से क्या हो चुका है वो मुस्कुराते हुए श्रुति के पास पहुंचती है और उसे बिना देखे पीछे से उसके गले लग जाती है।और उससे कहती है हम बहुत खुश हैं आज श्रुति क्युंकि हमारी बहन अब तुम्हारी भाभी बनने जा रही है।कितनी खुशी की बात है न ये श्रुति। अर्पिता मुस्कुराते हुए कहती है।लेकिन श्रुति कोई जवाब नही देती है।


अच्छा तो अब समझे हम तुम हमारे कल न आने से नाराज हो लेकिन तुम तो सब जानती हो हम कल क्यूं नही आ पाये थे श्रुति।


अब भी नाराज हो?क्या हुआ श्रुति? हमसे बात क्यूं नही कर रही हो?श्रुति कुछ हुआ है क्या? इतना कहने पर भी जब श्रुति कोइ जवाब नही देती है तो अर्पिता उसके सामने आ कर बैठ जाती है और उसके चेहरे को अपने हाथ में लेती है तो उसे देख वो चौंक जाती है। उसका चेहरा आंसुओ से भीगा होता है। अर्पिता के चेहरे पर परेशानी दिखाई देने लगती है वो घबरा कर उससे पूछती है, श्रुति क्या हुआ है?तुम रो क्यूं रही हो? कुछ हुआ है क्या किसी ने कुछ कहा है क्या तुमसे हमें बताओ श्रुति?कुछ तो बोलो?


लेकिन श्रुति कुछ नही कहती है तो अर्पिता सात्विक की ओर देखती है और उससे पूछती है सात्विक क्या हुआ है? श्रुति क्यूं रो रही है।हमें कुछ समझ नही आ रहा है कॉलेज के छात्र भी हमें बड़े अजीब तरीके से देख रहे थे और यहाँ तुम दोनो परेशान बैठे हो कुछ तो मसला है सात्विक बोलो।


अर्पिता जी मै आपको कुछ नही बता सकता जब तक श्रुति आपको खुद से नही बतायेगी। अभी मै इतना बोल सकता हूँ कि तुम दोनो एक अनचाही मुसीबत में पड़ गयी हो।जिन लड़को से तुमने पंगा लिया न उन्होने हमारे एक दिन कॉलेज में न होने की वजह से श्रुति को थोड़ा टॉर्चर किया और कुछ ऐसा किया है जिससे बहुत कुछ गलत हो सकता है।


क्या उन लोगो ने इसे फिर से परेशान किया है।हम अभी जाकर उनकी खबर लेते हैं।कहते हुए अर्पिता खड़ी होती है तो श्रुति उठ कर उसके गले से लग जाती है।और फफक फफक रोने लगती है। अर्पिता उसके रोने का कारण समझ तो नही पाती है लेकिन उसके सर को सहलाने लगती है।


कुछ देर बाद जब श्रुति रोना कम करती है तब अर्पिता उसे पानी की बॉटल देती है। श्रुति पानी पीती है। जब वो शांत हो जाती है तब अर्पिता उससे पूछती है, श्रुति क्या हुआ है, क्या बात हो गयी है जिसने तुम्हे इतना परेशान कर दिया है हमें बताओ शायद हम तुम्हारी कुछ मदद कर सके।


श्रुति कुछ नही कहती है बस अपना फोन अर्पिता की ओर बढा देती है।अर्पिता श्रुति का फोन लेती है और उसे देखती है।लेकिन कुछ समझ नही पाती है।


अर्पिता ‌- श्रुति तुमने हमे अपना फोन क्यूं दिया है। इसका हम क्या करे।


श्रुति अर्पिता के हाथ से वापस से फोन लेती है और उसमें गैलरी निकाल कर अर्पिता को देखने के लिये कहती है।


अर्पिता फोन देखती है तो ये देख कर उसे गहरा धक्का लगता है कि फोन मे श्रुति की फोटोज के साथ छेड़छाड़ कर उसे गलत तरीके से किसी के साथ इस तरह से जोड़ दिया गया है कि देखने वालो तक श्रुति के बारे में गलत संदेश पहुंचे।तस्वीर देख अर्पिता गुस्से से उसकी ओर देखती है श्रुति ये सब किसने किया? अर्पिता ने पूछा?


जब श्रुति ने कुछ नही कहा तो सात्विक कहता है ये सब उन्ही पांचो का किया धरा है लेकिन.....। उन लोगो ने हमारे कॉलेज न आने का लाभ उठाया और हमारी श्रुति को परेशान कर ये कांड कर डाला है। हमें तो ये तक नही पता है कि कहीं कॉलेज में ये तस्वीर वायरल तो नही कर दी उन्होने। कुछ नही पता है।क्या करे कुछ समझ नही आ रहा है अर्पिता।


सात्विक ये कोई छोटी मोटी बात नही है ये अपराध है।वो भी कोई सामान्य अपराध नही है


अगर उन लोगो का दिमाग फिर गया तो बहुत कुछ हो सकता है।हमें अब जो भी करना होगा बहुत सोच समझ करा करना होगा।और श्रुति तुम डरना बिल्कुल नही हम सब तुम्हारे साथ है।


अर्पिता की बात सुन कर श्रुति सात्विक की ओर देखती है तो सात्विक हल्के से गर्दन न में हिला कर चुपचाप खड़ा हो जाता है जैसे कि अभी भी वो लोग कुछ छिपा रहे हो।अर्पिता श्रुति और सात्विक तीनो ही खामोश से वहीं बैठ जाते हैं एवम सोच विचार करने लगते हैं।अभी जो कुछ भी घटित हो रहा था उनके जीवन में वो कहीं से भी सामान्य रहने देने वाला नही था।


अर्पिता और श्रुति ने ये कभी नही सोचा था कि कॉलेज में पढने वाले कुछ छात्र इतने भी बददिमाग हो सकते हैं कि जरा सा सही गलत समझाने पर इस हद तक गिर जायेंगे।


अर्पिता श्रुति और सात्विक तीनो ही परेशान होकर कॉलेज के गार्डन में बैठे हैं कि तभी वो पांचो घूमते घामते उनके पास आते हैं।वो उन्हे देख हंसते हुए कहते हैं अरे वाह क्या हुआ और आज ये मनहूसियत कैसी फैली हुई है इस टीम में।लगता है कि कुछ बुरा हो गया है। अरे अगर बताने लायक हो तो हमें भी बता दो हो सकता है कि हम लोग ही कुछ कर सके।वैसे मिस श्रुति मिश्रा वो फोटो तो दिखा दी न अपने दोस्तो को।काहे कि हमने सुना है कि तुम अपने दोस्तो से कुछ नही छिपाती हो।कहते हुए वो पांचो एक दुसरे की तरफ देख जोरो से हंसते हैं।उनकी बात सुन अर्पिता को गुस्सा तो बहुत आ रहा है लेकिन वो खामोश रहना बेहतर समझती है।इसीलिये चुप चाप बैठी रह जाती है।




अरे भाई । देखो न आज ये दोनो ही एक असली और एक बनावटी शेरनी दोनो ही दहाड़ छोड़ भीगी बिल्ली बन बैठ गयी हैं।उनमे से एक कहता है।तो दूसरा भी हाँ में हाँ मिला कहता है, “हाँ भाइ बिल्कुल सही कहा आपने”।अब ये किसी से भी उलझना चाहेंगी तो एक बार हमें याद जरुर करेंगी।श्रुति जी अब अगर आपने या आपकी दोस्त अर्पिता ने हम में से किसी से उलझने की कोशिश की तो मै क्या क्या करुंगा ये मुझे कहने की जरुरत तो नही है।


और अर्पिता जी अब आपकी लाइफ में क्या भूचाल आने वाला है उसका एक नमूना तो आपने आते हुए ही देख लिया रही सही कसर शाम तक पूरी हो ही जायेगी।अब कहावत तो सुनी होगी जो बोयेगा वही पायेगा तेरा किया ..... वैसी भरनी॥और अब हम जो कहेंगे वो तुम्हे करना होगा नही तो...?


नही तो क्या करेंगे आप लिटिल बॉय...? कुछ सोचते हुए अर्पिता उनसे कहती है...? और अपने हाथ में पकड़े हुए श्रुति के मोबाइल को चलाने लगती है,,।वो तुरंत ही एक संदेश सात्विक को सेंड करती है जिसमे लिखा होता है सात्विक, “हमारी बातचीत का विडियो रिकॉर्ड करो” और खुद भी श्रुति के फोन में ये संदेश टाइप कर फोन चुपके से उसे दिखा देती है जिसे श्रुति उसकी बात समझ जाती है।तीनो एक दुसरे की ओर देखते है‌ और खडे हो जाते हैं।वहींसात्विक भी एक संदेश छोड़ देता है.. “झग़ड़ा करो”।


श्रुति उसकी बात का अर्थ समझ नही पाती है।लेकिन उनके पास इतना समय नही होता है कि वो किसी को कुछ समझा सके।उसे कुछ समझ नही आता है तो वो अर्पिता से कहने लगती है,” अर्पिता तुम चुप करो अगर इन लोगो का दिमाग फिर गया न तो तुम समझ रही हो न क्या कर सकते हैं लोग हमें इनकी बातें माननी ही पड़ेगी।इसके सिवा कोई और रास्ता नही है।तुम समझो न इस बात को।


अर्पिता श्रुति के व्यवहार को समझ नही पाती है वो उससे कहती है क्या हुआ है श्रुति। हम तब से सुने जा रहे है इन लोगो वो भी चुप रह कर्।ये तो हमे अपना गुलाम समझने लगे हैं।




श्रुति‌ ‌‌- तो समझने दो न हम लोग कुछ नही कर सकते इसमे जब तक पूरी बात पता नई चल जाती।


लो भाई हम लोगो को कुछ कहने की जरुरत ही नही पड़ी यहाँ तो इसका असर भी दिखने लगा है।चलो हम लोग भी चलते हैं बहुत मजे ले लिये अब कुछ देर बाद आयेंगे वापस। अब बाद के लिये भी तो बचा कर रखना है रोज धीरे धीरे कर के ही मजे लेने है।बहुत बेइज्जती की थी इन दोनो ने पूरे कॉलेज के सामने। और तो और अब ये किसी से कुछ कह भी नही पायेगी कि हम लोगो ने इनके साथ क्या किया है। ठीक है अभी के लिये टाटा बाय बाय फिर मिलेंगे।कह वो पांचो वहाँ से चले जाते हैं।


उनके जाते ही अर्पिता गुस्से मे श्रुति की ओर देखती है और उससे कहती है क्या हो गया था तुम्हे तुम क्या कह रही थी...। अगर तुम बीच में नही बोलती न तो हम इस परेशानी से आज ही बाहर निकल आते।श्रुति...। तुम कहते हुए अर्पिता रुक जाती है और आंखे बांद कर कुछ देर गहरी सांस ले कर छोड़ने लगती है और खुद से कहती है नही अर्पिता गुस्सा नही करना है।शांत शांत शांत... ।जब उसका गुसा शांत हो जाता है तो वो श्रुति से कहती है हमने तुम्हे वीडीयो बनाने के लिये इसीलिये कहा था कि हमारे पास उनका कंफर्मेशन सबूत के तौर पर मिल जाये कि इन लोगो ने साइबर क्राइम किया है।जिसका उपयोग कर हम लोग आसानी से इस परेशानी से बाहर निकल सकते थे।लेकिन अभी ये मौका हाथ से निकल गया है।


अर्पिता की बात सुन श्रुति उससे कहती है कि मैने अपनी मर्जी से नही किया था सात्विक ने मुझसे कहा था कि मैं झगड़ा करूं।लेकिन इसने ये नही बताया कि किससे झगड़ा करूं। तो मैंने सोचा कि तुमसे ही कुछ कहती हूँ शायद तुम्हे इस बारे में पता हो।तुम समझ जाओ और शुरु हो जाओ..।।कहते हुए श्रुति चुप हो जाती है।


अर्पिता घूरते हुए सात्विक की तरफ देखती है। तो सात्विक एक छोटे बच्चे की तरह अपनी गर्दन नीचे झुका लेता है।अर्पिता उससे कहती है ये हमने आपको संदेश में नही कहा था फिर ये क्यू आपने श्रुति को बोला और श्रुति से ये बात हमने पहले ही बोल दी थी।लेकिन तुम दोनो न... ? अब न जाने कितनी देर तक इस बात से परेशान रहना पड़े अब अगर हम लोग सामने से गये न उनके पास तो वो सब हम सब लोगो का मजाक बनायेंगे।जो हमे बिल्कुल पसंद नही।हम उनके पास तो तब खुद से बात करने जायेंगे जब हमारे पास अंतिम विकल्प के रूप में बात करना बचे..। उससे पहले तो हम खुद से इन्हे हराने का और सबक सिखाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे..।लड़की हूँ तो क्या हार जाउंगी इनसे...न..।


श्रुती और सात्विक जी एक काम करियेगा अब से आप दोनो जब भी ये लोग आस पास हो तो इनके साथ हो रही बातचीत को रिकॉर्ड जरुर करना। और हाँ श्रुति इनसे डरना नही बल्कि इन्हे अपनी हिम्म्त दिखा कर उकसाना जिससे इन्होने जो कारनामा किया है न उसे ये दोबारा अपनी जबान से रिपीट करे और हमारा काम हो जाये।हम तब तक इनको मजा चखाने के लिये दूसरा तरीका खोज निकालते हैं... टेढे मेढे रास्तों से निकाल कर इन्हे सीधी सड़क पर सरपट न दौड़ाया तो हमारा नाम भी अर्पिता नही है...।यहीं उठक बैठक करवाउंगी इनसे... वो भी ऐसे कि दोबारा कुछ करने से पहले हमें जरुर याद करेंगे...।


अर्पिता उन दोनो से कहती है और वहाँ से कॉलेज के बाहर की ओर चली आती है आते हुए अपना फोन निकालती है और उसमें कुछ जानकारी सर्च करने लगती है....




क्रमश;….