What was that in Hindi Short Stories by मनिष कुमार मित्र" books and stories PDF | वो क्यां था

Featured Books
Categories
Share

वो क्यां था

मातृभारती परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम आज मैं थोड़ी सस्पेंस भरी कहानी लेकर आया हूं। आइए ज्यादा बात ना करते हुए कहानी की शुरुआत करता हूं।

संध्या की कालीमां छा रही थी, सूरज जैसे दिन भर की थकान से क्षितिज कि ओर तेज़ी से बढ़ रहा था। और अंधेरा धिरे धिरे घना हों रहा था। ऐसे सुनसान माहौल में और विराने जंगल में कुछ दबे कदमों की आवाज सुंन से माहौल में भी सुनाई देती है। रोंगटे खड़े हो जाए ऐसे शर्द बर्फीले ठंडे माहौल में भी पसीना छूट रहा था। रोहन चलते चलते रुक गया क्योंकि इस वक्त ऐसे माहौल में सिर्फ वह अकेला ही था। रोहन जिस तरफ से आवाज आ रही थी उस तरफ देखने की कोशिश कर रहा था अगर अंधेरे में कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था।

अचानक से रोहन की नजर झाड़ियों की और गई, झाड़ियों में उसे कुछ टिमटिमाते जुगनू की तरह दो सितारे जैसा लग रहा था। पहले तो रोहन निसंदेह और निडर होकर वहीं रुक गया उसे पता नहीं था कि वो क्या है। मगर फिर झाड़ियों में थोड़ी हलचल सी हुई और धीरे-धीरे वह टिमटिमाते दो जुगनू रोहन की तरफ आगे बढ़ रहे थें। अब तक निसंकोच और निडर होकर खड़ा रोहन अब थोड़ा डर लगने लगा था ् ्।

जैसे जैसे वह टिमटिमाते जुगुनू रोहन के करीब बढ़ रहे थे, वैसे ही रोहन का डर भी बढ़ रहा था। और इस शर्द से माहौल में बर्फीली हवाओं के बीच उसको पसीना छूट रहा और डर की वजह से पेंट गीली हो गई । उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें , उसकी सोचने समझने की क्षमता जैसे सुनती हो गई वह चाह कर भी आवाज नहीं कर पा रहा था। और ना ही वहां से भागने की कोशिश कर पा रहा था उसको ऐसे लग रहा था, जैसे उसके पांव जमीन में घड चुके हैं। और वह जाकर भी वहां से एक कदम भी आगे या पीछे नहीं हो पा रहा था।

रोहन अब बहुत ही डरा हुआ और सहेमा सा हो रहा था। और धीरे-धीरे उसकी हालत नाजुक होते डर की वजह से खौफ की वजह से वह बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा।

दोस्तों अब थोड़ा फ्लेक्स बेक में चलते हैं। रोहन और उसके कॉलेज के स्टूडेंट गिर के नेशनल पार्क मेंं घूमने को एवं प्रकृति के मनमोहक नजारो का आनन्द लेने आए थे। दोपहर 1:00 बजे भोजन का कार्यक्रम पूरा कर थोड़ा आराम करके सब स्टूडेंट एवं गाइड के साथ वन दर्शन को निकले थे। घूमते घूमते करीब संध्या काल होने आया था। और ऐसे में रोहन अपने दोस्तों एवं गाइड से बिछड़ कर जंगल में भटक गया। काफी समय हुआ लेकिन शायद दोस्तों एवं गाइड को रोहन अपने साथ ना देखते हुए वनरक्षक कर्मियों की सहायता लेने का फैसला किया और सारी बात वनरक्षक कर्मियों को बताई और उन्हें खोजने मेंं जुड़ गए।

इस तरफ रोहन के हाथ से डर के मारे मोबाइल फोन गीर गया और वह भी जमीन पर गिरा था , मगर नेटवर्क मिलने के कारण रोहन का लोकेशन का पता लगाना आसान हो गया। और तेजी से परिस्थितियों ने करवट ली , वन करीमी रोहन का पता लगाने में सफल होने की वजह से रोहन की जान बच गई। रोहन को वहां से केम्प पर लाया गया और प्राथमिक उपचार से रोहन होश में आ गया। होश आंतें ही उसके मुंह से एक ही सवाल उठा।

रोहन- वो कयां था......?

रोहन को अभी भी पता नहीं था वह क्या था और वन कर्मियों एवं गाइड को भी पता नहीं था। वह क्या था उन्होंने भी रोहन से यही सवाल किया , कि तुम बेहोश क्यों हो गए तुमने जो देखा - वो क्या था .....?

{ ✍️मनिष कुमार "मित्र" 🙏}