Love (satire) in Hindi Comedy stories by Alok Mishra books and stories PDF | महोब्बत (व्यंग्य )

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महोब्बत (व्यंग्य )

महोब्बत (व्यंग्य )

आजकल मजनु बहुत ही उदास है । वो खोया-खोया रहता है । रेड़ियो पर बज रहे जुदाई के गीत तो उसे रुला ही देते है । उसके यार-दोस्त भी हैरान और परेशान हैं। ये लैला -मजनु का किस्सा कुछ ही दिनों पहले आटा चक्की से प्रारम्भ हुआ । यहाॅं मजनु को लैला मिली ; और लैला को मजनु । बस बातों ही बातों में मोबाईल नम्बरों का आदान-प्रदान हो गया और साथ ही किस्सा चल निकला । मजनु पुराने जमाने का तो था नहीं जो सैकड़ों बार लैला के घर के चक्कर लगाता ; प्यार- मोहब्बत के वादों से भरे प्रेमपत्र लिखता । वो तो एकदम आधुनिक था उसे तो बस एक एस.एम.एस. अर्थात ‘‘शार्ट में समझ’’ या ‘‘लघु समझ संदेश’’ ही करना था । सेकेंड़ों में ही लैला ने हाॅं में जवाब भेज दिया । अब मजनु पर सतारा के गुटके के साथ ही साथ मोबाईल के कॅाल और एस.एम.एस. जैसे अतिरिक्त खर्चों का बोझ और आ पड़ा । अब अक्सर लैला भी उसके मोबाईल पर भी बैलेंस ड़लवाने का आग्रह कर देती । मजनु को अपने मोबाईल के साथ ही साथ लैला के मोबाईल के बैलेंस की भी चिन्ता करनी पड़ती । फिर वे कभी कभार स्कूल ,कोचिंग और दोस्तों के घर जानें के बहाने मिला करते । ऐसे मौकों पर लैला अपना पूरा मुह ढांक कर ही आया करती । इस अवस्था में उसे उसके घर वालों के लिए पहचानना तो कठिन ही था, अक्सर तो मजनु भी पहचान नहीं पाता । फिर वे यहाॅं-वहाॅं घूमते और एक दूसरे से जीने मरने के वादे किया करते । मजनु को भी मालूम है कि उसे पड़ोस के शहर तक जाना भी भारी पड़ता है लेकिन वो चाॅंद-तारों तक जाकर लैला के लिए तोड़ लाने का दम भरता । लैला को भी मालूम है ऐसा झूठ बोलने की पुरानी परम्परा रही है । वो चाॅंद तारों का करेगी भी क्या सो मजनु से पिक्चर , चाट और सूट जैसी हाथ के मैल से खरीदी जा सकने वाली तुच्छ चीजें ही मांगा करती । मजनु तो ठहरा मजनु........... ,उसकी हर मांग को पूरा करने का हर सम्भव प्रयास करता ।

इस बीच मजनु अपने ही पिता की जेब पर हाथ साफ करते हुए पकड़ा गया । लानत- मलानत के साथ ही पिता जी ने अपनी जेब की सुरक्षा व्यवस्था बढा दी । बस विश्व अर्थ व्यवस्था की ही तरह मजनु के लिए भी आर्थिक संकट का दौर शुरु हो गया । विदेशी सहायता के नाम पर भी दोस्तों से उधार कब तक मिलता ? मजनु की प्रेम कहानी में अब आर्थिक तंगी के चलते वादों का दम निकलने लगा । उसके लिए चाॅंद-तारे तो क्या चाट लाना भी कठिन होने लगा । लैला के तेवर भी बदलने लगे । वो भी अब मिलने के झूठे वादे करने लगी । अब वो जब भी मिलने का वादा करती तो न जाने कहीं गायब ही हो जाती । ऐसे समय उसका मोबाईल तो अक्सर ही बंद रहता । मजनु अब ईश्क की दीवानगी में परेशान सा यहाॅं -वहाॅं घूमता । अरे नहीं ............ मजनु पागल-वागल नहीं हुआ है ; वो तो बस लैला को खोजने और किसी और के साथ पकड़ पाने के अंदेशे में ही पूरे शहर की खाक छानता रहता है । मजनु को एक दिन पता लग ही गया कि लैला ने अपने नम्बर के साथ ही साथ मजनु भी बदल लिया है । मजनु ने बहुत बक-झक की लेकिन लैला भी तो लैला ही थी । अब वो किसी के साथ कार में जाया करती और बड़े-बड़े होटलों में खाया करती । मजनु निराश-हताश उसे अकेले में भी गालियाॅं दिया करता ।

अब मजनु बेवफाई के गीत ,गज़ल और कविताएॅं लिखता । गम गलत करता हुआ मधुशालाओं में देखा जाता । एक दिन मधुशाला में उसे उसके जैसा ही एक आदमी मिला । जैसे को तैसा ...............मुलाकातें पैमानों से दोस्ती में बदलती है ...... सो वे दोनों भी दोस्त हो गए । उसने अपना नाम रांझा बताया । उसकी कहानी भी मजनु से कुछ ख़ास अलग न थी । दोनों ठुकराए हुए आशिक थे ,दोनों ही मोहब्बत के मारे थे और दोनों ही अब तक नशे में थे । मजनु ने रांझा से पूछ ही लिया ‘‘ मोहब्बत क्या है ?’’ रांझा ने कहा ‘‘ मै जो हीर से करता हुॅ वही मोहब्बत है । ’’ मजनु बोला ‘‘ अबे ...... तो मै क्या करता रहा ?’’ रांझा भी तुनक गया ‘‘ तेरी तू जान मैने तो मोहब्बत की है ...... बस ।’’ मजनु बोला ‘‘ लैला और हीर ने जो किया वो क्या है ?’’ रांझा झट से बोला ‘‘ बेवफाई .....बेवफाई ।’’ मजनु ने आगे पूछा ‘‘ अब वो जो दूसरों के साथ कर रही है वो क्या है ?’’ रांझा को कोई जवाब न सूझा ।

तभी रोमियो उधर से गुजरा वो पूरी तरह से खुश था और चहक रहा था । रांझा उसे पहले से ही जानता था । उसने उसे भी अपनी टेबल पर ही बुला लिया । रांझा ने रोमियो से पूछा ‘‘ कैसी कट रही है तुम्हारी और जूलियट की आजकल ?’’ रोमियो झटके के साथ बोला ‘‘ कौन ...... कौन जूलियट ....? अरे यार ...... वो किस्सा तो पुराना हो गया । उसके बाद तो रीटा,टीना और उर्मिला भी जा चुकी । अब तो रोजी और रोमियो के किस्से आम है । ये किस्सा भी कितने दिन चलेगा कहा नहीं जा सकता ।’’ रांझा और मजनु हैरान

रह गए ‘‘ ये कैसी मोहब्बत है ?’’ दोनों के मुॅंह से एक साथ ही निकला । रोमियो अदा के साथ बोला ‘‘ क्या यार............. तुम लोग उन्हीं पुराने किस्सों में उलझे हो । पुराना जमाना गया ....... जब मोहब्बत बस एक ही बार होती थी । उस मोहब्बत में दो ही विकल्प होते थे ......... सफल हुए तो शादी और असफल हुए तो मयखाना मिलता था । मोहब्बत का आधुनिक काल तो बहु विकल्प वाला है ; अब तो रोज ही मोहब्बत बदली जा सकती है । मोहब्बत को जितना बांटिए उतना ही बढती है साथ ही इस विचार से हम आधुनिक भी बने रहते है । ’’ मजनु और रांझा को लगा उन्हें गुरु मिल गया दोनों ने एक साथ ही पूछा ‘‘ हमें भी कुछ ज्ञान दें प्रभु ।’’ रोमियो ज्ञानियों सी मुद्रा में बोलने लगा ‘‘ तुम लोग बेवकूफ हो ....... बोलो हाॅं......तुम अभी भी पुराने जमाने में जीने की कोशिश कर रहे हो । अबे........... अब एक लैला या हीर खोजो तो हजारों मिलती है । ये क्या ..........एक से मिले और इश्क - इश्क करने लगे । खोजो और मजे करो ...........वो भी तो आधुनिक हो गई है न .....। अब मोहब्बत बेवकूफी का नाम है ........ समझे ........... ।’’ अब मजनु और रांझा अपनी नई खोज में लग गए है । उन्हें आधुनिक समय में सफल आशिक जो बनना है ।

आलोक मिश्रा "मनमौजी"
mishraalokok@gmail.com
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