नाम था टमाटर बाग.
मगर वहां तरह-तरह के फूलों के पौधे भी थे.
लाल-पीले-हरे टमाटरों के बीच सफेद-नीले-नारंगी रंग के फूल भी खिले थे.
इनके बीच एक बैंगन का पौधा भी उग आया था. कांटेदार पौधा. जिस पर एक गोल-मटौल बैंगन लगा था.
इस बैंगन ने एलान कर दिया था कि वह सबका राजा है,
क्योंकि उसके सिर पर हरा ताज है.
वैसे टमाटर बाग में एक तोतला मेंढक भी था. जो हमेशा रटता रहता था.
टम-टम-टमाटर, टमाटर-टम-टम
मालिक है हम-हम. मेंढक.
लेकिन बात टमाटर, बैंगन, फूलों और मेंढक की नहीं है.
बात है टमाटर बाग की शान रंग-बिरंगी तितलियों की.
बाग में तरह-तरह की तितलियां थी.
एक रंगी पंचरंगी
दुरंगी छठरंगी
तिरंगी सतरंगी
चौरंगी
और एक नटखट तितली.
नटखट तितली अभी उड़ना सीख रही थी.
सो वह सारा दिन इधर से उधर से किधर,किधर से जिधर मंडराती रहती थी .और एक दिन आंख मूंदकर उड़ने की कोशिश में नटखट तितली जा टकरायी बैंगन के पत्ते से. गुस्सैल बैंगन का पौधा जोर से हिला. और अपना कांटा तितली के पैर में चुभा दिया.
‘‘ अईऽऽऽऽ’’ बहुत जोर से चिल्लाई नटखट तितली. उसका पैर कट गया था और उससे खून बहने लगा था.
वह धप्प से एक टमाटर पर जा गिरी.
और इसकी खबर तोतले मेंढक को हो गई. तुरंत सारी तितलियां जमा हो गई.
सबने मिलकर पत्तियों और डंठलों से एक स्ट्रेचर बनाया, उस पर नटखट तितली को लिटाया. तभी एक भौंरा उड़ता-उड़ता आया और बोला- हटो-हटो, मुझे देखने दो, इलाज करने दो.’’
भौंरे ने गेंदे की पत्तियों का रस निचोड़ा और नटखट तितली के घाव पर लगा दिया.
तुरंत ही खून बहना बंद हो गया.
तोतला मेंढक बोला:
ये है बैंगन की शरारत,
करो उसकी हजामत.
ये बैंगन है गंदा,
करो इसको शर्मिन्दा.
भौंरे ने नटखट तितली की आंखों में झांकते हुए कहा, ‘‘ कमजोरी है. इसे हल्दी-शहद वाला दूध पिलाओ-दो बूंद.’’
‘‘ मगर लाएगा कौन?’’ टमाटर की एक डाल से गिरगिट बोला.
‘‘ मैं लाऊंगा!’’ एक सफेद चूहें ने अपने बिल से बाहर आते ही कहा.
‘‘ कैसे?’’ तोतले मेंढक ने पूछा.
‘‘नीम के पेड़ से. देखो पेड़ पर मधुमक्खी का छत्ता है. उस छत्ते से शहद टपकता है. नीचे हल्दी के पौधे उगे हैं. वहां से हल्दी खोदूंगा. और वहां घास चरती नाटी बकरी जब सो जाएगी, चुपके से दो बूंद दूध निकाल लाऊंगा. अब मुझे कोई पत्तियों का एक दोना बनाकर दो.’’
इसमें चीटियों ने मदद की.
अब सफेद चूहां चला दोना लेकर शहद-हल्दी वाला दूध लेने.
और तोतला मेंढक बोला, ‘‘ मैं जाता हूं दीमकों की रानी के पास. उनसे कहता हूं
इस दुष्ट बैंगन की जड़ों को खा जाओ. इसका नामोनिशान मिटा दो’’.
मगर भौंरा उसे रोकते हुए बोला, ‘‘ दुश्मन को घर बुलाने की गलती मत करना. पहले वो तुम्हारे दुश्मन को नष्ट करेगा, फिर तुम्हें भी नहीं छोड़ेगा.
सबको भौंरे की बात सही लगी.
शाम ढले सफेद चूहां एक दोने में हल्दी और शहद वाला दूध लाया. उसने हल्दी-शहद वाला दूध थोड़ा ज़्यादा बनाया था , इसलिए आधार खुद पी गया. बाकी नटखट तितली को पिलाया. दूध पीकर तितली एक फूल पर सो गई.
अगली सुबह
नटखट तितली का पैर ठीक हो गया था. इसलिए वह फिर से एक फूल से दूसरे पर उड़ रही थी. शरारत कर रही थी.
मगर पूरे दिन पत्तियों के स्ट्रेचर पर सोने से उसके पंखों का रंग थोड़ा उड़ गया था, इसलिए एक पतंगा ब्रश में फूलों के रंग लिए उसके पीछे-पीछे उड़ रहा था.