janjeevan - 6 in Hindi Poems by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | जनजीवन - 6

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जनजीवन - 6

आस्था और विश्वास

आस्था और विष्वास

हैं जीवन का आधार

दोनों का समन्वय है

सृजनशीलता व विकास।

विश्वास देता है संतुष्टि

और आस्था से मिलती है

आत्मा को तृप्ति।

इनका कोई स्वरूप नहीं

पर हर क्षण

कर सकते हैं इनका

एहसास व आभास।

विश्वास से होता है

आस्था का प्रादुर्भाव,

किसी की आस्था एवं विश्वास पर

कुठाराघात से बड़ा

नहीं है कोई पाप,

परमात्मा के प्रति हमारी आस्था और विश्वास

दिखाते हैं हमें

सही राह व सही दिशा

बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय

हो हमारी आस्था और विश्वास

यही होगा

हमारी सफलता का प्रवेश द्वार।

कवि की संवेदना

संवेदना हुई घनीभूत

होने लगी अभिव्यक्त

और वह

कवि हो गया।

धन कमाता

पर उसे

अपनी आवश्यकता से अधिक

महत्वपूर्ण लगी

औरों की आवश्यकता

इसीलिये वह अपना सब कुछ

औरों को बांटकर

हो गया फक्कड़।

जहाँ कुछ नहीं होता

वहाँ होती है कविता

वह अपने आप से कहता

अपने आप की सुनता

और अपने में ही करता रमण।

मिल जाता जब श्रोता

तो मिल जाती सार्थकता

वाह वाह सुनकर ही उसे लगता

जैसे मिल गयी हो सारी दौलत।

धन आता

चला जाता

वह फक्कड़ का फक्कड़

चलता रहता काव्य-सृजन

सृजन की संतुष्टि

वाह वाह में सार्थकता का आनन्द

यही है उसकी सुबह

यही है उसकी शाम

यही है उसके जीवन का प्रवाह।

भूख

गरीबी और विपन्नता का

वीभत्स रूप

भूख!

राष्ट्र के दामन पर

काला धब्बा

भूख!

सरकार

गरीबी मिटाने का

कर रही है प्रयास,

पांच सितारा होटलो में बैठकर

नेता कर रहे हैं बकवास।

भूख से बेहाल गरीब

कर रहा है प्रतीक्षा, मदद की,

जनता चाहती है

सब कुछ सरकार करे

लेकिन यदि

सब मिल कर करे प्रयास

प्रतिदिन करें

एक रोटी की तलाश

तो हो सकता है

भूख का निदान,

यह एक कटु सत्य है

भूखे भजन न होय गोपाला

भूखे को रोटी खिलाइये

उसे निठल्ला मत बैठालिये

जब रोटी के बदले होगा श्रम

तभी मिटेगा भूख का अभिशाप

नई सुबह का होगा शुभारम्भ

अपराधीकरण का होगा उन्मूलन

स्वमेव आएगा अनुशासन

भूख और गरीबी का होगा क्षय

नए सूर्य का होगा उदय।

जय जवान जय किसान

देश की सुरक्षा और

हरित क्रान्ति का प्रतीक है

जय जवान जय किसान!

यह हमारी

सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों का

प्रणेता है

जितना कल था

उतना ही आज भी है

उद्देश्यपूर्ण और सारगर्भित।

कैसा परिवर्तन है

हमारी सोच में

या परिस्थितियो मे

हमारा अन्नदाता

कर्ज में डूबा

कर रहा है आत्महत्या

हरित क्रान्ति का प्रतीक

खेती के लिये

सरकारी अनुदान की ओर

निहार रहा है

सीमा पर सैनिक

हमारी रक्षा के लिये

हो रहा है शहीद,

हमें उस पर गर्व है

किन्तु कुछ हैं जो

कर रहे हैं इसकी आलोचना

ऐसे देशद्रोहियों से

देष हो रहा है शर्मिन्दा

सर्वोच्च पदों पर बैठे

नेताओं को

मजबूर नहीं

मजबूत होकर दिखाना होगा

देश-भक्ति को सुदृढ़ कर

ऐसे राष्ट्र-द्रोहियों से

देश को बचाना होगा

तभी हम बढ़ सकेंगे

आदर्श नागरिक

बन सकेंगे,

जय जवान जय किसान को

सार्थक कर सकेंगे।

नेता चरित्र

देश में

प्रगति और विकास की दर

क्यों है इतनी कम

क्या हमारे नेताओं में

कम है दम।

काम किसी का करते नहीं

ना किसी को कहते नहीं

पाँच साल में एक बार

सद्भाव, सदाचार, सहिष्णुता बताकर

हमारा मत झटका कर

पद पा जाते हैं

भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और अनैतिकता से

धन कमाते हैं

जनता

मंहगाई, भाई-भतीजावाद

और बेरोजगारी में पिसकर

जहाँ थी

वहीं रह जाती है।

गरीबी के हटने

और अच्छे दिन आने की

प्रतीक्षा करती है।

देश की पचास प्रतिशत आबादी

चौके-चूल्हे में व्यस्त है

जीडीपी में

उनका योगदान

बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या

आर्थिक प्रगति और विकास में बाधक है

नेता

प्राकृतिक आपदा में भी सुरक्षित

और जनता

अपने ही घर में असुरक्षित।

नेता

कथनी और करनी को एक करें

देश को निराशा से उबारकर

विकास की ओर

अग्रसर करें,

विचारधारा मे परिवर्तन लाएं

सकारात्मक सृजन करें

भारत को उसका

मान-सम्मान दिलाएं

नाम रौशन करें।